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Surah Ar-Room - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari


الٓمٓ

अलिफ, लाम, मीम।
Surah Ar-Room, Verse 1


غُلِبَتِ ٱلرُّومُ

पराजित हो गये रूमी।
Surah Ar-Room, Verse 2


فِيٓ أَدۡنَى ٱلۡأَرۡضِ وَهُم مِّنۢ بَعۡدِ غَلَبِهِمۡ سَيَغۡلِبُونَ

समीप की धरती में और वे अपने पराजित होने के पश्चात् जल्द ही विजयी हो जायेंगे
Surah Ar-Room, Verse 3


فِي بِضۡعِ سِنِينَۗ لِلَّهِ ٱلۡأَمۡرُ مِن قَبۡلُ وَمِنۢ بَعۡدُۚ وَيَوۡمَئِذٖ يَفۡرَحُ ٱلۡمُؤۡمِنُونَ

कुछ वर्षों में, अल्लाह ही का अधिकार है पहले (भी) और बाद में (भी) और उस दिन प्रसन्न होंगे ईमान वाले।
Surah Ar-Room, Verse 4


بِنَصۡرِ ٱللَّهِۚ يَنصُرُ مَن يَشَآءُۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

अल्लाह की सहायता से तथा वही अति प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
Surah Ar-Room, Verse 5


وَعۡدَ ٱللَّهِۖ لَا يُخۡلِفُ ٱللَّهُ وَعۡدَهُۥ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعۡلَمُونَ

ये अल्लाह का वचन है, नहीं विरुध्द करेगा अल्लाह अपने वचन[1] के और परन्तु अधिक्तर लोग ज्ञान नहीं रखते।
Surah Ar-Room, Verse 6


يَعۡلَمُونَ ظَٰهِرٗا مِّنَ ٱلۡحَيَوٰةِ ٱلدُّنۡيَا وَهُمۡ عَنِ ٱلۡأٓخِرَةِ هُمۡ غَٰفِلُونَ

वे तो जानते हैं बस ऊपरी सांसारिक जीवन को तथा[1] वे परलोक से अचेत हैं।
Surah Ar-Room, Verse 7


أَوَلَمۡ يَتَفَكَّرُواْ فِيٓ أَنفُسِهِمۗ مَّا خَلَقَ ٱللَّهُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَيۡنَهُمَآ إِلَّا بِٱلۡحَقِّ وَأَجَلٖ مُّسَمّٗىۗ وَإِنَّ كَثِيرٗا مِّنَ ٱلنَّاسِ بِلِقَآيِٕ رَبِّهِمۡ لَكَٰفِرُونَ

क्या और उन्होंने अपने में सोच-विचार नहीं किया कि नहीं उत्पन्न किया है अल्लाह ने आकाशों तथा धरती को और जो कुछ उन[1] दोनों के बीच है, परन्तु सत्यानुसार और एक निश्चित अवधि के लिए? और बहुत-से लोग अपने पालनहार से मिलने का इन्कार करने वाले हैं।
Surah Ar-Room, Verse 8


أَوَلَمۡ يَسِيرُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ فَيَنظُرُواْ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡۚ كَانُوٓاْ أَشَدَّ مِنۡهُمۡ قُوَّةٗ وَأَثَارُواْ ٱلۡأَرۡضَ وَعَمَرُوهَآ أَكۡثَرَ مِمَّا عَمَرُوهَا وَجَآءَتۡهُمۡ رُسُلُهُم بِٱلۡبَيِّنَٰتِۖ فَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيَظۡلِمَهُمۡ وَلَٰكِن كَانُوٓاْ أَنفُسَهُمۡ يَظۡلِمُونَ

क्या वे चले-फिरे नहीं धरती में, फिर देखते कि कैसा रहा उनका परिणाम, जो इनसे पहले थे? वे इनसे अधिक थे शक्ति में। उन्होंने जोता-बोया धरती को और उसे आबाद किया, उससे अधिक, जितना इन्होंने आबाद किया और आये उनके पास उनके रसूल खुली निशानियाँ (प्रमाण) लेकर। तो नहीं था अल्लाह कि उनपर अत्याचार करता और परन्तु वे स्वयं अपने ऊपर अत्याचार कर रहे थे।
Surah Ar-Room, Verse 9


ثُمَّ كَانَ عَٰقِبَةَ ٱلَّذِينَ أَسَـٰٓـُٔواْ ٱلسُّوٓأَىٰٓ أَن كَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ وَكَانُواْ بِهَا يَسۡتَهۡزِءُونَ

फिर हो गया उनका बुरा अन्त, जिन्होंने बुराई की, इसलिए कि उन्होंने झूठ कहा अल्लाह की आयतों को और वे उनका उपहास कर रहे थे।
Surah Ar-Room, Verse 10


ٱللَّهُ يَبۡدَؤُاْ ٱلۡخَلۡقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥ ثُمَّ إِلَيۡهِ تُرۡجَعُونَ

अल्लाह ही उत्पत्ति का आरंभ करता है, फिर उसे दुहरायेगा तथा उसी की ओर, तुम फेरे[1] जाओगे।
Surah Ar-Room, Verse 11


وَيَوۡمَ تَقُومُ ٱلسَّاعَةُ يُبۡلِسُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ

और जब स्थापित होगी प्रलय, तो निराश[1] हो जायेंगे अपराधी।
Surah Ar-Room, Verse 12


وَلَمۡ يَكُن لَّهُم مِّن شُرَكَآئِهِمۡ شُفَعَـٰٓؤُاْ وَكَانُواْ بِشُرَكَآئِهِمۡ كَٰفِرِينَ

और नहीं होगा उनके साझियों में उनका अभिस्तावक (सिफ़ारिशी) और वे अपने साझियों का इन्कार करने वाले[1] होंगे।
Surah Ar-Room, Verse 13


وَيَوۡمَ تَقُومُ ٱلسَّاعَةُ يَوۡمَئِذٖ يَتَفَرَّقُونَ

और जिस दिन स्थापित होगी प्रलय, तो उस दिन सब अलग अलग हो जायेंगे।
Surah Ar-Room, Verse 14


فَأَمَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ فَهُمۡ فِي رَوۡضَةٖ يُحۡبَرُونَ

तो जो ईमान लाये तथा सदाचार किये, वही स्वर्ग में प्रसन्न किये जायेंगे।
Surah Ar-Room, Verse 15


وَأَمَّا ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ وَكَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا وَلِقَآيِٕ ٱلۡأٓخِرَةِ فَأُوْلَـٰٓئِكَ فِي ٱلۡعَذَابِ مُحۡضَرُونَ

और जिन्होंने क्फ़्र किया और झुठलाया हमारी आयतों को और परलोक के मिलन को, तो वही यातना में उपस्थित किये हुए होंगे।
Surah Ar-Room, Verse 16


فَسُبۡحَٰنَ ٱللَّهِ حِينَ تُمۡسُونَ وَحِينَ تُصۡبِحُونَ

अतः, तुम अल्लाह की पवित्रता का वर्णन संध्या तथा सवेरे किया करो।
Surah Ar-Room, Verse 17


وَلَهُ ٱلۡحَمۡدُ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَعَشِيّٗا وَحِينَ تُظۡهِرُونَ

तथा उसी की प्रशंसा है आकाशों तथा धरती में तीसरे पहर तथा जब दो पहर हो।
Surah Ar-Room, Verse 18


يُخۡرِجُ ٱلۡحَيَّ مِنَ ٱلۡمَيِّتِ وَيُخۡرِجُ ٱلۡمَيِّتَ مِنَ ٱلۡحَيِّ وَيُحۡيِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَاۚ وَكَذَٰلِكَ تُخۡرَجُونَ

वह निकालता है[1] जीवित से निर्जीव को तथा निकालता है निर्जीव से जीव को और जीवित कर देता है धरती को, उसके मरण (सूखने) के पश्चात् और इसी प्रकार, तुम (भी) निकाले जाओगे।
Surah Ar-Room, Verse 19


وَمِنۡ ءَايَٰتِهِۦٓ أَنۡ خَلَقَكُم مِّن تُرَابٖ ثُمَّ إِذَآ أَنتُم بَشَرٞ تَنتَشِرُونَ

और उसकी (शक्ति) के लक्षणों में से ये भी है कि तुम्हें उत्पन्न किया मिट्टी से, फिर अब तुम मनुष्य हो (कि धरती में) फैलते जा रहे हो।
Surah Ar-Room, Verse 20


وَمِنۡ ءَايَٰتِهِۦٓ أَنۡ خَلَقَ لَكُم مِّنۡ أَنفُسِكُمۡ أَزۡوَٰجٗا لِّتَسۡكُنُوٓاْ إِلَيۡهَا وَجَعَلَ بَيۡنَكُم مَّوَدَّةٗ وَرَحۡمَةًۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يَتَفَكَّرُونَ

तथा उसकी निशानियों (लक्षणें) में से ये (भी) है कि उत्पन्न किये, तुम्हारे लिए, तुम्हीं में से जोड़े, ताकि तुम शान्ति प्राप्त करो उनके पास तथा उत्पन्न कर दिया तुम्हारे बीच प्रेम तथा दया, वास्तव में, इसमें कई निशाननियाँ हैं उन लोगों के लिए, जो सोच-विचार करते हैं।
Surah Ar-Room, Verse 21


وَمِنۡ ءَايَٰتِهِۦ خَلۡقُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَٱخۡتِلَٰفُ أَلۡسِنَتِكُمۡ وَأَلۡوَٰنِكُمۡۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّلۡعَٰلِمِينَ

तथा उसकी निशानियों में से है, आकाशों तथा धरती को पैदा करना तथा तुम्हारी बोलियों और रंगों का विभिन्न होना। निश्चय इसमें कई निशानियाँ हैं, ज्ञानियों[1] के लिए।
Surah Ar-Room, Verse 22


وَمِنۡ ءَايَٰتِهِۦ مَنَامُكُم بِٱلَّيۡلِ وَٱلنَّهَارِ وَٱبۡتِغَآؤُكُم مِّن فَضۡلِهِۦٓۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يَسۡمَعُونَ

तथा उसकी निशानियों में से है, तुम्हारा सोना रात्रि में तथा दिन में और तुम्हारा खोज करना उसकी अनुग्रह (जीविका) का। वास्तव में, इसमें कई निशानियाँ हैं, उन लोगों के लिए, जो सुनते हैं।
Surah Ar-Room, Verse 23


وَمِنۡ ءَايَٰتِهِۦ يُرِيكُمُ ٱلۡبَرۡقَ خَوۡفٗا وَطَمَعٗا وَيُنَزِّلُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَيُحۡيِۦ بِهِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَآۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يَعۡقِلُونَ

और उसकी निशानियों में से (ये भी) है कि वह दिखाता है तुम्हें बिजली को, भय तथा आशा बनाकर और उतारता है आकाश से जल, फिर जीवित करता है उसके द्वारा धरती को, उसके मरण के पश्चात्, वस्तुतः, इसमें कई निशानियाँ हैं, उन लोगों के लिए, जो सोचते हैं।
Surah Ar-Room, Verse 24


وَمِنۡ ءَايَٰتِهِۦٓ أَن تَقُومَ ٱلسَّمَآءُ وَٱلۡأَرۡضُ بِأَمۡرِهِۦۚ ثُمَّ إِذَا دَعَاكُمۡ دَعۡوَةٗ مِّنَ ٱلۡأَرۡضِ إِذَآ أَنتُمۡ تَخۡرُجُونَ

और उसकी निशानियों में से है कि स्थापित हैं आकाश तथा धरती उसके आदेश से। फिर जब तुम्हें पुकारेगा एक बार धरती से, तो सहसा तुम निकल पड़ोगे।
Surah Ar-Room, Verse 25


وَلَهُۥ مَن فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ كُلّٞ لَّهُۥ قَٰنِتُونَ

और उसी का है, जो आकाशों तथा धरती में है। सब उसी के अधीन हैं।
Surah Ar-Room, Verse 26


وَهُوَ ٱلَّذِي يَبۡدَؤُاْ ٱلۡخَلۡقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥ وَهُوَ أَهۡوَنُ عَلَيۡهِۚ وَلَهُ ٱلۡمَثَلُ ٱلۡأَعۡلَىٰ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡحَكِيمُ

तथा वही है, जो आरंभ करता है उत्पत्ति का, फिर वह उसे दुहरायेगा और वह अति सरल है उसपर और उसी का सर्वोच्च गुण है आकाशों तथा धरती में और वही प्रभुत्वशाली, तत्वज्ञ है।
Surah Ar-Room, Verse 27


ضَرَبَ لَكُم مَّثَلٗا مِّنۡ أَنفُسِكُمۡۖ هَل لَّكُم مِّن مَّا مَلَكَتۡ أَيۡمَٰنُكُم مِّن شُرَكَآءَ فِي مَا رَزَقۡنَٰكُمۡ فَأَنتُمۡ فِيهِ سَوَآءٞ تَخَافُونَهُمۡ كَخِيفَتِكُمۡ أَنفُسَكُمۡۚ كَذَٰلِكَ نُفَصِّلُ ٱلۡأٓيَٰتِ لِقَوۡمٖ يَعۡقِلُونَ

उसने एक उदाहरण दिया है स्वयं तुम्हाराः क्या तुम्हारे[1] दासों में से तुम्हारा कोई साझी है उसमें, जो जीविका प्रदान की है हमने तुम्हें, तो तुम उसमें उसके बराबर हो, उनसे डरते हो जैसे अपनों से डरते हो? इसी प्रकार, हम वर्णन करते हैं आयतों का, उन लोगों के लिए, जो समझ रखते हैं।
Surah Ar-Room, Verse 28


بَلِ ٱتَّبَعَ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓاْ أَهۡوَآءَهُم بِغَيۡرِ عِلۡمٖۖ فَمَن يَهۡدِي مَنۡ أَضَلَّ ٱللَّهُۖ وَمَا لَهُم مِّن نَّـٰصِرِينَ

बल्कि चले हैं अत्याचारी अपनी मनमानी पर बिना समझे, तो कौन राह दिखाये उसे, जिसे अल्लाह ने कुपथ कर दिया हो? और नहीं है उनका कोई सहायक।
Surah Ar-Room, Verse 29


فَأَقِمۡ وَجۡهَكَ لِلدِّينِ حَنِيفٗاۚ فِطۡرَتَ ٱللَّهِ ٱلَّتِي فَطَرَ ٱلنَّاسَ عَلَيۡهَاۚ لَا تَبۡدِيلَ لِخَلۡقِ ٱللَّهِۚ ذَٰلِكَ ٱلدِّينُ ٱلۡقَيِّمُ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعۡلَمُونَ

तो (हे नबी!) आप सीधा रखें अपना मुख इस धर्म की दिशा में, एक ओर होकर, उस स्वभाव पर, पैदा किया है अल्लाह ने मनुष्यों को जिस[1] पर। बदलना नहीं है अल्लाह के धर्म को, यही स्वभाविक धर्म है, किन्तु अधिक्तर लोग नहीं[2] जानते।
Surah Ar-Room, Verse 30


۞مُنِيبِينَ إِلَيۡهِ وَٱتَّقُوهُ وَأَقِيمُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَلَا تَكُونُواْ مِنَ ٱلۡمُشۡرِكِينَ

ध्यान करके अल्लाह की ओर और डरो उससे तथा स्थापना करो नमाज़ की और न हो जाओ मुश्रिकों में से।
Surah Ar-Room, Verse 31


مِنَ ٱلَّذِينَ فَرَّقُواْ دِينَهُمۡ وَكَانُواْ شِيَعٗاۖ كُلُّ حِزۡبِۭ بِمَا لَدَيۡهِمۡ فَرِحُونَ

उनमें से जिन्होंने अलग बना लिया अपना धर्म और हो गये कई गिरोह, प्रत्येक गिरोह उसीमें[1] जो उसके पास है, मगन है।
Surah Ar-Room, Verse 32


وَإِذَا مَسَّ ٱلنَّاسَ ضُرّٞ دَعَوۡاْ رَبَّهُم مُّنِيبِينَ إِلَيۡهِ ثُمَّ إِذَآ أَذَاقَهُم مِّنۡهُ رَحۡمَةً إِذَا فَرِيقٞ مِّنۡهُم بِرَبِّهِمۡ يُشۡرِكُونَ

और जब पहुँचता है मनुष्यों को कोई दुःख, तो वह पुकारते हैं अपने पालनहार को ध्यान लगाकर उसकी ओर। फिर जब वह चखाता है उनको, अपनी ओर से कोई दया, तो सहसा एक गिरोह उनमें से अपने पालनहार के साथ शिर्क करने लगता है।
Surah Ar-Room, Verse 33


لِيَكۡفُرُواْ بِمَآ ءَاتَيۡنَٰهُمۡۚ فَتَمَتَّعُواْ فَسَوۡفَ تَعۡلَمُونَ

ताकि वे कृतघ्न हो जायें (उसके), जो हमने प्रदान किया है उन्हें। तो तुम आन्नद ले लो, तुम्हें शीघ्र ही ज्ञान हो जायेगा।
Surah Ar-Room, Verse 34


أَمۡ أَنزَلۡنَا عَلَيۡهِمۡ سُلۡطَٰنٗا فَهُوَ يَتَكَلَّمُ بِمَا كَانُواْ بِهِۦ يُشۡرِكُونَ

क्या हमने उतारा है उनपर कोई प्रमाण, जो वर्णन करता है उसका, जिसे वे अल्लाह का साझी बना[1] रहे हैं।
Surah Ar-Room, Verse 35


وَإِذَآ أَذَقۡنَا ٱلنَّاسَ رَحۡمَةٗ فَرِحُواْ بِهَاۖ وَإِن تُصِبۡهُمۡ سَيِّئَةُۢ بِمَا قَدَّمَتۡ أَيۡدِيهِمۡ إِذَا هُمۡ يَقۡنَطُونَ

और जब हम चखाते हैं लोगों को कुछ दया, तो वे उसपर इतराने लगते हैं और यदि पहुँचता है उन्हें कोई दुःख उनके करतूतों के कारण, तो वह सहसा निराश हो जाते हैं।
Surah Ar-Room, Verse 36


أَوَلَمۡ يَرَوۡاْ أَنَّ ٱللَّهَ يَبۡسُطُ ٱلرِّزۡقَ لِمَن يَشَآءُ وَيَقۡدِرُۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يُؤۡمِنُونَ

क्या उन्होंने नहीं देखा कि अल्लाह फैला देता है जीविका, जिसके लिए चाहता है और नापकर देता है? निश्चय इसमें बहुत-सी निशानियाँ हैं, उन लोगों के लिए, जो ईमान लाते हैं।
Surah Ar-Room, Verse 37


فَـَٔاتِ ذَا ٱلۡقُرۡبَىٰ حَقَّهُۥ وَٱلۡمِسۡكِينَ وَٱبۡنَ ٱلسَّبِيلِۚ ذَٰلِكَ خَيۡرٞ لِّلَّذِينَ يُرِيدُونَ وَجۡهَ ٱللَّهِۖ وَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡمُفۡلِحُونَ

तो दो समीपवर्तियों को उनका अधिकार तथा निर्धनों और यात्रियों को। ये उत्तम है उन लोगों के लिए, जो चाहते हों अल्लाह की प्रसन्नता और वही सफल होने वाले हैं।
Surah Ar-Room, Verse 38


وَمَآ ءَاتَيۡتُم مِّن رِّبٗا لِّيَرۡبُوَاْ فِيٓ أَمۡوَٰلِ ٱلنَّاسِ فَلَا يَرۡبُواْ عِندَ ٱللَّهِۖ وَمَآ ءَاتَيۡتُم مِّن زَكَوٰةٖ تُرِيدُونَ وَجۡهَ ٱللَّهِ فَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡمُضۡعِفُونَ

और जो तुम व्याज देते हो, ताकि अधिक हो जाये लोगों के धनों[1] में मिलकर, तो वह अधिक नहीं होता अल्लाह के यहाँ तथा तुम जो ज़कात देते हो, चाहते हुए अल्लाह की प्रसन्नता, तो वही लोग सफल होने वाले हैं।
Surah Ar-Room, Verse 39


ٱللَّهُ ٱلَّذِي خَلَقَكُمۡ ثُمَّ رَزَقَكُمۡ ثُمَّ يُمِيتُكُمۡ ثُمَّ يُحۡيِيكُمۡۖ هَلۡ مِن شُرَكَآئِكُم مَّن يَفۡعَلُ مِن ذَٰلِكُم مِّن شَيۡءٖۚ سُبۡحَٰنَهُۥ وَتَعَٰلَىٰ عَمَّا يُشۡرِكُونَ

अल्लाह ही है, जिसने उत्पन्न किया है तुम्हें, फिर तुम्हें जीविका प्रदान की, फिर तुम्हें मारेगा, फिर जीवित करेगा, तो क्या तुम्हारे साझियों में से कोई है, जो इसमें से कुछ कर सके? वह पवित्र है और उच्च है, उनके साझी बनाने से।
Surah Ar-Room, Verse 40


ظَهَرَ ٱلۡفَسَادُ فِي ٱلۡبَرِّ وَٱلۡبَحۡرِ بِمَا كَسَبَتۡ أَيۡدِي ٱلنَّاسِ لِيُذِيقَهُم بَعۡضَ ٱلَّذِي عَمِلُواْ لَعَلَّهُمۡ يَرۡجِعُونَ

फैल गया उपद्रव जल तथा[1] थल में लोगों के करतूतों के कारण, ताकि वह चखाये उन्हें उनका कुछ कर्म, संभवतः वे रूक जायें।
Surah Ar-Room, Verse 41


قُلۡ سِيرُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ فَٱنظُرُواْ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلُۚ كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّشۡرِكِينَ

आप कह दें कि चलो-फिरो धरती में, फिर देखो कि कैसा रहा उनका अन्त, जो इनसे पहले थे। उनमें अधिक्तर मुश्रिक थे।
Surah Ar-Room, Verse 42


فَأَقِمۡ وَجۡهَكَ لِلدِّينِ ٱلۡقَيِّمِ مِن قَبۡلِ أَن يَأۡتِيَ يَوۡمٞ لَّا مَرَدَّ لَهُۥ مِنَ ٱللَّهِۖ يَوۡمَئِذٖ يَصَّدَّعُونَ

अतः, आप सीधा रखें अपना मुख सत्धर्म की दिशा में, इससे पहले कि आ जाये वह दिन, जिसे फिरना नहीं है अल्लाह की ओर से, उस दिन लोग अलग-अलग हो[1] जायेंगे।
Surah Ar-Room, Verse 43


مَن كَفَرَ فَعَلَيۡهِ كُفۡرُهُۥۖ وَمَنۡ عَمِلَ صَٰلِحٗا فَلِأَنفُسِهِمۡ يَمۡهَدُونَ

जिसने कुफ़्र किया, तो उसीपर उसका कुफ़्र है और जिसने सदाचार किया, तो वे अपने ही लिए (सफलता का मार्ग) बना रहे हैं।
Surah Ar-Room, Verse 44


لِيَجۡزِيَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ مِن فَضۡلِهِۦٓۚ إِنَّهُۥ لَا يُحِبُّ ٱلۡكَٰفِرِينَ

ताकि अल्लाह बदला दे उन्हें, जो ईमान लाये तथा सदाचार किये, अपने अनुग्रह से। निश्चय वह प्रेम नहीं करता काफ़िरों से।
Surah Ar-Room, Verse 45


وَمِنۡ ءَايَٰتِهِۦٓ أَن يُرۡسِلَ ٱلرِّيَاحَ مُبَشِّرَٰتٖ وَلِيُذِيقَكُم مِّن رَّحۡمَتِهِۦ وَلِتَجۡرِيَ ٱلۡفُلۡكُ بِأَمۡرِهِۦ وَلِتَبۡتَغُواْ مِن فَضۡلِهِۦ وَلَعَلَّكُمۡ تَشۡكُرُونَ

और उसकी निशानियों में से है कि भेजता है वायु को शुभ सूचना देने के लिए और ताकि चखाये तुम्हें अपनी दया (वर्षा) में से और ताकि नाव चले उसके आदेश से और ताकि तुम खोजो उसकी जीविका और ताकि तुम कृतज्ञ बनो।
Surah Ar-Room, Verse 46


وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا مِن قَبۡلِكَ رُسُلًا إِلَىٰ قَوۡمِهِمۡ فَجَآءُوهُم بِٱلۡبَيِّنَٰتِ فَٱنتَقَمۡنَا مِنَ ٱلَّذِينَ أَجۡرَمُواْۖ وَكَانَ حَقًّا عَلَيۡنَا نَصۡرُ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ

और हमने भेजा आपसे पहले रसूलों को, उनकी जातियों की ओर। तो वे लाये उनके पास खुली निशानियाँ, अन्ततः, हमने बदला ले लिया उनसे, जिन्होंने अपराध किया और अनिवार्य था हमपर ईमान वालों की सहायता[1] करना।
Surah Ar-Room, Verse 47


ٱللَّهُ ٱلَّذِي يُرۡسِلُ ٱلرِّيَٰحَ فَتُثِيرُ سَحَابٗا فَيَبۡسُطُهُۥ فِي ٱلسَّمَآءِ كَيۡفَ يَشَآءُ وَيَجۡعَلُهُۥ كِسَفٗا فَتَرَى ٱلۡوَدۡقَ يَخۡرُجُ مِنۡ خِلَٰلِهِۦۖ فَإِذَآ أَصَابَ بِهِۦ مَن يَشَآءُ مِنۡ عِبَادِهِۦٓ إِذَا هُمۡ يَسۡتَبۡشِرُونَ

अल्लाह ही है, जो वायुओं को भेजता है, फिर वह बादल उठाती हैं, फिर वह उसे फैलाता है आकाश में, जैसे चाहता है और उसे घंघोर बना देता है। तो तुम देखते हो बूंदों को निकलते उसके बीच से, फिर जब उसे पहुँचाता है जिसे चाहता है, अपने भक्तों में से, तो सहसा वे प्रफुल्ल हो जाते हें।
Surah Ar-Room, Verse 48


وَإِن كَانُواْ مِن قَبۡلِ أَن يُنَزَّلَ عَلَيۡهِم مِّن قَبۡلِهِۦ لَمُبۡلِسِينَ

यद्यपि वे थे इससे पहले कि उनपर उतारी जाये, अति निराश।
Surah Ar-Room, Verse 49


فَٱنظُرۡ إِلَىٰٓ ءَاثَٰرِ رَحۡمَتِ ٱللَّهِ كَيۡفَ يُحۡيِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَآۚ إِنَّ ذَٰلِكَ لَمُحۡيِ ٱلۡمَوۡتَىٰۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٞ

तो देखो अल्लाह की दया के लक्षणों को, वह कैसे जीवित करता है धरती को, उसके मरण के पश्चात्, निश्चय वही जीवित करने वाला है मुर्दों को तथा वह सब कुछ कर सकता है।
Surah Ar-Room, Verse 50


وَلَئِنۡ أَرۡسَلۡنَا رِيحٗا فَرَأَوۡهُ مُصۡفَرّٗا لَّظَلُّواْ مِنۢ بَعۡدِهِۦ يَكۡفُرُونَ

और यदि हम भेज दें उग्र वायु, फिर वे देख लें उसे (खेती को) पीली, तो इसके पश्चात् कुफ्र करने लगते हैं।
Surah Ar-Room, Verse 51


فَإِنَّكَ لَا تُسۡمِعُ ٱلۡمَوۡتَىٰ وَلَا تُسۡمِعُ ٱلصُّمَّ ٱلدُّعَآءَ إِذَا وَلَّوۡاْ مُدۡبِرِينَ

तो (हे नबी!) आप नहीं सुना सकेंगे मुर्दों[1] को और नहीं सुना सकेंगे बहरों को पुकार, जब वे भाग रहे हों, पीठ फेरकर।
Surah Ar-Room, Verse 52


وَمَآ أَنتَ بِهَٰدِ ٱلۡعُمۡيِ عَن ضَلَٰلَتِهِمۡۖ إِن تُسۡمِعُ إِلَّا مَن يُؤۡمِنُ بِـَٔايَٰتِنَا فَهُم مُّسۡلِمُونَ

तथा नहीं हैं आप मार्ग दर्शाने वाले अंधों को उनके कुपथ से, आप सुना सकेंगे उन्हींको, जो ईमान लाते हैं हमारी आयतों पर, फिर वही मुस्लिम हैं।
Surah Ar-Room, Verse 53


۞ٱللَّهُ ٱلَّذِي خَلَقَكُم مِّن ضَعۡفٖ ثُمَّ جَعَلَ مِنۢ بَعۡدِ ضَعۡفٖ قُوَّةٗ ثُمَّ جَعَلَ مِنۢ بَعۡدِ قُوَّةٖ ضَعۡفٗا وَشَيۡبَةٗۚ يَخۡلُقُ مَا يَشَآءُۚ وَهُوَ ٱلۡعَلِيمُ ٱلۡقَدِيرُ

अल्लाह ही है, जिसने उत्पन्न किया तुम्हें निर्बल दशा से, फिर प्रदान किया निर्बलता के पश्चात् बल, फिर कर दिया बल के पश्चात् निर्बल तथा बूढ़ा,[1] वह उत्पन्न करता है, जो चाहता है और वही सर्वज्ञ, सब सामर्थ्य रखने वाला है।
Surah Ar-Room, Verse 54


وَيَوۡمَ تَقُومُ ٱلسَّاعَةُ يُقۡسِمُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ مَا لَبِثُواْ غَيۡرَ سَاعَةٖۚ كَذَٰلِكَ كَانُواْ يُؤۡفَكُونَ

और जिस दिन व्याप्त होगी प्रलय, तो शपथ लेंगे अपराधी कि वे नहीं रहे क्षणभर[1] के सिवा और इसी प्रकार, वे बहकते रहे।
Surah Ar-Room, Verse 55


وَقَالَ ٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡعِلۡمَ وَٱلۡإِيمَٰنَ لَقَدۡ لَبِثۡتُمۡ فِي كِتَٰبِ ٱللَّهِ إِلَىٰ يَوۡمِ ٱلۡبَعۡثِۖ فَهَٰذَا يَوۡمُ ٱلۡبَعۡثِ وَلَٰكِنَّكُمۡ كُنتُمۡ لَا تَعۡلَمُونَ

तथा कहेंगे, जो ज्ञान दिये गये तथा ईमान कि तुम रहे हो अल्लाह के लेख में प्रलय के दिन तक, तो अब ये प्रलय का दिन है और परन्तु, तुम विश्वास नहीं रखते थे।
Surah Ar-Room, Verse 56


فَيَوۡمَئِذٖ لَّا يَنفَعُ ٱلَّذِينَ ظَلَمُواْ مَعۡذِرَتُهُمۡ وَلَا هُمۡ يُسۡتَعۡتَبُونَ

तो उस दिन, नहीं काम देगा अत्याचारियों को उनका तर्क और न उनसे क्षमायाचना करयी जायेगी।
Surah Ar-Room, Verse 57


وَلَقَدۡ ضَرَبۡنَا لِلنَّاسِ فِي هَٰذَا ٱلۡقُرۡءَانِ مِن كُلِّ مَثَلٖۚ وَلَئِن جِئۡتَهُم بِـَٔايَةٖ لَّيَقُولَنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓاْ إِنۡ أَنتُمۡ إِلَّا مُبۡطِلُونَ

और हमने वर्णन कर दिया है लोगों के लिए इस क़ुर्आन में प्रत्येक उदाहरण का और यदि आप ले आयें उनके पास कोई निशानी, तो भी अवश्य कह देंगे, जो काफ़िर हो गये कि तुम तो केवल झूठ बनाते हो।
Surah Ar-Room, Verse 58


كَذَٰلِكَ يَطۡبَعُ ٱللَّهُ عَلَىٰ قُلُوبِ ٱلَّذِينَ لَا يَعۡلَمُونَ

इसी प्रकार, मुहर लगा देता है अल्लाह उनके दिलों पर, जो समझ नहीं रखते।
Surah Ar-Room, Verse 59


فَٱصۡبِرۡ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقّٞۖ وَلَا يَسۡتَخِفَّنَّكَ ٱلَّذِينَ لَا يُوقِنُونَ

तो आप सहन करें, वास्तव में, अल्लाह का वचन सत्य है और कदापि वो आप[1] को हल्का न समझें, जो विश्वास नहीं रखते।
Surah Ar-Room, Verse 60


Author: Maulana Azizul Haque Al Umari


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