Surah Fatir - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ فَاطِرِ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ جَاعِلِ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةِ رُسُلًا أُوْلِيٓ أَجۡنِحَةٖ مَّثۡنَىٰ وَثُلَٰثَ وَرُبَٰعَۚ يَزِيدُ فِي ٱلۡخَلۡقِ مَا يَشَآءُۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٞ
सब प्रशंसा अल्लाह के लिए हैं, जो उत्पन्न करने वाला है आकाशों तथा धरती का, (और) बनाने वाला[1] है संदेशवाहक फ़रिश्तों को दो-दो, तीन-तीन, चार-चार परों वाले। वह अधिक करता है उत्पत्ति में, जो चाहता है, निःसंदेह अल्लाह जो चाहे, कर सकता है।
Surah Fatir, Verse 1
مَّا يَفۡتَحِ ٱللَّهُ لِلنَّاسِ مِن رَّحۡمَةٖ فَلَا مُمۡسِكَ لَهَاۖ وَمَا يُمۡسِكۡ فَلَا مُرۡسِلَ لَهُۥ مِنۢ بَعۡدِهِۦۚ وَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡحَكِيمُ
जो खोल दे अल्लाह लोगों के लिए अपनी दया,[1] तो उसे कोई रोकने वाला नहीं तथा जिसे रोक दे, तो कोई खोलने वाला नहीं उसका, उसके पश्चात् तथा वही प्रभावशाली चतुर है।
Surah Fatir, Verse 2
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱذۡكُرُواْ نِعۡمَتَ ٱللَّهِ عَلَيۡكُمۡۚ هَلۡ مِنۡ خَٰلِقٍ غَيۡرُ ٱللَّهِ يَرۡزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِۚ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَۖ فَأَنَّىٰ تُؤۡفَكُونَ
हे मनुष्यो! याद करो अपने ऊपर अल्लाह के पुरस्कार को, क्या कोई उत्पत्तिकर्ता है अल्लाह कि सिवा, जो तुम्हें जीविका प्रदान करता हो आकाश तथा धरती से? नहीं है कोई वंदनीय, परन्तु वही। फिर तुम कहाँ फिरे जा रहे हो
Surah Fatir, Verse 3
وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدۡ كُذِّبَتۡ رُسُلٞ مِّن قَبۡلِكَۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرۡجَعُ ٱلۡأُمُورُ
और यदि वे आपको झुठलाते हैं, तो झुठलाये जा चुके हैं बहुत-से रसूल आपसे पहले और अल्लाह ही की ओर फेरे जायेंगे सब विषय।
Surah Fatir, Verse 4
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّ وَعۡدَ ٱللَّهِ حَقّٞۖ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَا وَلَا يَغُرَّنَّكُم بِٱللَّهِ ٱلۡغَرُورُ
हे लोगो! निश्चय अल्लाह का वचन सत्य है। अतः, तुम्हें धोखे में न रखे सांसारिक जीवन और न धोखे में रखें अल्लाह से, अति प्रवंचक (शैतान)।
Surah Fatir, Verse 5
إِنَّ ٱلشَّيۡطَٰنَ لَكُمۡ عَدُوّٞ فَٱتَّخِذُوهُ عَدُوًّاۚ إِنَّمَا يَدۡعُواْ حِزۡبَهُۥ لِيَكُونُواْ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلسَّعِيرِ
वास्तव में, शैतान तुम्हारा शत्रु है। अतः, तुम उसे अपना शत्रु ही समझो। वह बुलाता है अपने गिरोह को इसीलिए ताकि वे नारकियों में हो जायें।
Surah Fatir, Verse 6
ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لَهُمۡ عَذَابٞ شَدِيدٞۖ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ لَهُم مَّغۡفِرَةٞ وَأَجۡرٞ كَبِيرٌ
जो काफ़िर हो गये, उन्हीं के लिए कड़ी यातना है तथा जो ईमान लाये और सदाचार किये, तो उनके लिए क्षमा तथा बड़ा प्रतिफल है।
Surah Fatir, Verse 7
أَفَمَن زُيِّنَ لَهُۥ سُوٓءُ عَمَلِهِۦ فَرَءَاهُ حَسَنٗاۖ فَإِنَّ ٱللَّهَ يُضِلُّ مَن يَشَآءُ وَيَهۡدِي مَن يَشَآءُۖ فَلَا تَذۡهَبۡ نَفۡسُكَ عَلَيۡهِمۡ حَسَرَٰتٍۚ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمُۢ بِمَا يَصۡنَعُونَ
तथा क्या शोभनीय बना दिया गया हो जिसके लिए उसका कुकर्म और वह उसे अच्छा समझता हो? तो अल्लाह ही कुपथ करता है, जिसे चाहे और सुपथ दिखाता है, जिसे चाहे। अतः, न खोयें आप अपना प्राण इनपर संताप के कारण। वास्तव में, अल्लाह जानता है, जो कुछ वे कर रहे हैं।
Surah Fatir, Verse 8
وَٱللَّهُ ٱلَّذِيٓ أَرۡسَلَ ٱلرِّيَٰحَ فَتُثِيرُ سَحَابٗا فَسُقۡنَٰهُ إِلَىٰ بَلَدٖ مَّيِّتٖ فَأَحۡيَيۡنَا بِهِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَاۚ كَذَٰلِكَ ٱلنُّشُورُ
तथा अल्लाह वही है, जो वायु को भेजता है, जो बादलों को उठाती है, फिर हम हाँक देते हैं उन्हें, निर्जीव नगर की ओर। फिर जीवित कर देते हैं उनके द्वारा धरती को, उसके मरण के पश्चात्। इसी प्रकार, फिर जीना (भी)[1] होगा।
Surah Fatir, Verse 9
مَن كَانَ يُرِيدُ ٱلۡعِزَّةَ فَلِلَّهِ ٱلۡعِزَّةُ جَمِيعًاۚ إِلَيۡهِ يَصۡعَدُ ٱلۡكَلِمُ ٱلطَّيِّبُ وَٱلۡعَمَلُ ٱلصَّـٰلِحُ يَرۡفَعُهُۥۚ وَٱلَّذِينَ يَمۡكُرُونَ ٱلسَّيِّـَٔاتِ لَهُمۡ عَذَابٞ شَدِيدٞۖ وَمَكۡرُ أُوْلَـٰٓئِكَ هُوَ يَبُورُ
जो सम्मान चाहता हो, तो अल्लाह ही के लिए है सब सम्मान और उसी की ओर चढ़ते हैं पवित्र वाक्य[1] तथा सत्कर्म ही उनको ऊपर ले जाता[2] है तथा जो दाव-घात में लगे रहते हैं बुराईयों की, तो उन्हीं के लिए कड़ी यातना है और उन्हीं के षड्यंत्र नाश हो जायेंगे।
Surah Fatir, Verse 10
وَٱللَّهُ خَلَقَكُم مِّن تُرَابٖ ثُمَّ مِن نُّطۡفَةٖ ثُمَّ جَعَلَكُمۡ أَزۡوَٰجٗاۚ وَمَا تَحۡمِلُ مِنۡ أُنثَىٰ وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلۡمِهِۦۚ وَمَا يُعَمَّرُ مِن مُّعَمَّرٖ وَلَا يُنقَصُ مِنۡ عُمُرِهِۦٓ إِلَّا فِي كِتَٰبٍۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٞ
अल्लाह ने उत्पन्न किया तुम्हें मिट्टी से, फिर वीर्य से, फिर बनाये तुम्हें जोड़े और नहीं गर्भ धारण करती कोई नारी और न जन्म देती है, परन्तु उसके ज्ञान से और नहीं आयु दिया जाता कोई अधिक और न कम की जाती है उसकी आयु, परन्तु वह एक लेख में[1] है। वास्तव में, ये अल्लाह पर अति सरल है।
Surah Fatir, Verse 11
وَمَا يَسۡتَوِي ٱلۡبَحۡرَانِ هَٰذَا عَذۡبٞ فُرَاتٞ سَآئِغٞ شَرَابُهُۥ وَهَٰذَا مِلۡحٌ أُجَاجٞۖ وَمِن كُلّٖ تَأۡكُلُونَ لَحۡمٗا طَرِيّٗا وَتَسۡتَخۡرِجُونَ حِلۡيَةٗ تَلۡبَسُونَهَاۖ وَتَرَى ٱلۡفُلۡكَ فِيهِ مَوَاخِرَ لِتَبۡتَغُواْ مِن فَضۡلِهِۦ وَلَعَلَّكُمۡ تَشۡكُرُونَ
तथा बराबर नहीं होते दो सागर, ये मधुर प्यास बुझाने वाला है, रुचिकर है इसका पीना और वो (दूसरा) खारी कड़वा है तथा प्रत्येक में से तुम खाते हो ताज़ा माँस तथा निकालते हो आभूषण, जिसे पहनते हो और तुम देखते हो नाव को उसमें पानी फाड़ती हुई, ताकि तुम खोज करो अल्लाह के अनुग्रह की और ताकि तुम कृतज्ञ बनो।
Surah Fatir, Verse 12
يُولِجُ ٱلَّيۡلَ فِي ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِي ٱلَّيۡلِ وَسَخَّرَ ٱلشَّمۡسَ وَٱلۡقَمَرَۖ كُلّٞ يَجۡرِي لِأَجَلٖ مُّسَمّٗىۚ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمۡ لَهُ ٱلۡمُلۡكُۚ وَٱلَّذِينَ تَدۡعُونَ مِن دُونِهِۦ مَا يَمۡلِكُونَ مِن قِطۡمِيرٍ
वह प्रवेश करता है रात को दिन में तथा प्रवेश करता है दिन को रात्रि में तथा वश में कर रखा है सूर्य तथा चन्द्रा को, प्रत्येक चलते रहेंगे एक निश्चित समय तक। वही अल्लाह तुम्हारा पालनहार है। उसी का राज्य है तथा जिन्हें तुम पुकारते हो, उसके सिवा, वे स्वामी नहीं हैं एक तिन्के के भी।
Surah Fatir, Verse 13
إِن تَدۡعُوهُمۡ لَا يَسۡمَعُواْ دُعَآءَكُمۡ وَلَوۡ سَمِعُواْ مَا ٱسۡتَجَابُواْ لَكُمۡۖ وَيَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ يَكۡفُرُونَ بِشِرۡكِكُمۡۚ وَلَا يُنَبِّئُكَ مِثۡلُ خَبِيرٖ
यदि तुम उन्हें पुकारते हो, तो वे नहीं सुनते तुम्हारी पुकार को और यदि सुन भी लें, तो नहीं उत्तर दे सकते तुम्हें और प्रलय के दिन वे नकार देंगे तुम्हारे शिर्क (साझी बनाने) को और आपको कोई सूचना नहीं देगा सर्वसूचित जैसी।
Surah Fatir, Verse 14
۞يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ أَنتُمُ ٱلۡفُقَرَآءُ إِلَى ٱللَّهِۖ وَٱللَّهُ هُوَ ٱلۡغَنِيُّ ٱلۡحَمِيدُ
हे मनुष्यो! तुम सभी भिक्षु हो अल्लाह के तथा अल्लाह ही निःस्वार्थ, प्रशंसित है।
Surah Fatir, Verse 15
إِن يَشَأۡ يُذۡهِبۡكُمۡ وَيَأۡتِ بِخَلۡقٖ جَدِيدٖ
यदि वह चाहे, तो तुम्हें ध्वस्त कर दे और नई[1] उतपत्ति ले आये।
Surah Fatir, Verse 16
وَمَا ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ بِعَزِيزٖ
और ये नहीं है अल्लाह पर कुछ कठिन।
Surah Fatir, Verse 17
وَلَا تَزِرُ وَازِرَةٞ وِزۡرَ أُخۡرَىٰۚ وَإِن تَدۡعُ مُثۡقَلَةٌ إِلَىٰ حِمۡلِهَا لَا يُحۡمَلۡ مِنۡهُ شَيۡءٞ وَلَوۡ كَانَ ذَا قُرۡبَىٰٓۗ إِنَّمَا تُنذِرُ ٱلَّذِينَ يَخۡشَوۡنَ رَبَّهُم بِٱلۡغَيۡبِ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَۚ وَمَن تَزَكَّىٰ فَإِنَّمَا يَتَزَكَّىٰ لِنَفۡسِهِۦۚ وَإِلَى ٱللَّهِ ٱلۡمَصِيرُ
तथा नहीं लादेगा कोई लादने वाला, दूसरे का बोझ, अपने ऊपर[1] और यदि पुकारेगा कोई बोझल, उसे लादने के लिए, तो वह नहीं लादेगा उसमें से कुछ, चाहे वह उसका समीपवर्ती ही क्यों न हो। आप तो बस उन्हीं को सचेत कर रहे हैं, जो डरते हों अपने पालनहार से बिन देखे तथा जो स्थापना करते हैं नमाज़ की तथा जो पवित्र हुआ, तो वह पवित्र होगा अपने ही लाभ के लिए और अल्लाह ही की ओर (सबको) जाना है।
Surah Fatir, Verse 18
وَمَا يَسۡتَوِي ٱلۡأَعۡمَىٰ وَٱلۡبَصِيرُ
तथा समान नहीं हो सकता अंधा तथा आँख वाला।
Surah Fatir, Verse 19
وَلَا ٱلظُّلُمَٰتُ وَلَا ٱلنُّورُ
और न अंधकार तथा प्रकाश।
Surah Fatir, Verse 20
وَلَا ٱلظِّلُّ وَلَا ٱلۡحَرُورُ
और न छाया तथा न धूप।
Surah Fatir, Verse 21
وَمَا يَسۡتَوِي ٱلۡأَحۡيَآءُ وَلَا ٱلۡأَمۡوَٰتُۚ إِنَّ ٱللَّهَ يُسۡمِعُ مَن يَشَآءُۖ وَمَآ أَنتَ بِمُسۡمِعٖ مَّن فِي ٱلۡقُبُورِ
तथा समान नहीं हो सकते जीवित तथा निर्जीव।[1] वास्तव में, अल्लाह ही सुनाता है जिसे चाहता है और आप नहीं सुना सकते उन्हें, जो क़ब्रों में हों।
Surah Fatir, Verse 22
إِنۡ أَنتَ إِلَّا نَذِيرٌ
आप तो बस सचेतकर्ता हैं।
Surah Fatir, Verse 23
إِنَّآ أَرۡسَلۡنَٰكَ بِٱلۡحَقِّ بَشِيرٗا وَنَذِيرٗاۚ وَإِن مِّنۡ أُمَّةٍ إِلَّا خَلَا فِيهَا نَذِيرٞ
वास्तव में, हमने आपको सत्य के साथ शुभ सूचक तथा सचेतकर्ता बनाकर भेजा है और कोई ऐसा समुदाय नहीं, जिसमें कोई सचेतकर्ता न आया हो।
Surah Fatir, Verse 24
وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدۡ كَذَّبَ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡ جَآءَتۡهُمۡ رُسُلُهُم بِٱلۡبَيِّنَٰتِ وَبِٱلزُّبُرِ وَبِٱلۡكِتَٰبِ ٱلۡمُنِيرِ
और यदि ये आपको झुठलायें, तो इनसे पूर्व के लोगों ने भी झुठलाया है, जिनके पास हमारे रसूल खुले प्रमाण तथा ग्रंथ और प्रकाशित पुस्तकें लाये।
Surah Fatir, Verse 25
ثُمَّ أَخَذۡتُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْۖ فَكَيۡفَ كَانَ نَكِيرِ
फिर मैंने पकड़ लिया उन्हें, जो काफ़िर हो गये। तो कैसा रहा मेरा इन्कार।
Surah Fatir, Verse 26
أَلَمۡ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَخۡرَجۡنَا بِهِۦ ثَمَرَٰتٖ مُّخۡتَلِفًا أَلۡوَٰنُهَاۚ وَمِنَ ٱلۡجِبَالِ جُدَدُۢ بِيضٞ وَحُمۡرٞ مُّخۡتَلِفٌ أَلۡوَٰنُهَا وَغَرَابِيبُ سُودٞ
क्या आपने नहीं देखा कि अल्लाह ने उतारा आकाश से जल, फिर हमने निकाल दिये उसके द्वारा बहुत-से फल विभिन्न रंगों के तथा पर्वतों के विभिन्न भाग हैं; स्वेत तथा लाल, विभिन्न रंगों के तथा गहरे काले।
Surah Fatir, Verse 27
وَمِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلدَّوَآبِّ وَٱلۡأَنۡعَٰمِ مُخۡتَلِفٌ أَلۡوَٰنُهُۥ كَذَٰلِكَۗ إِنَّمَا يَخۡشَى ٱللَّهَ مِنۡ عِبَادِهِ ٱلۡعُلَمَـٰٓؤُاْۗ إِنَّ ٱللَّهَ عَزِيزٌ غَفُورٌ
तथा मनुष्य, जीवों तथा पशुओं में भी विभिन्न रंगों के हैं, इसी प्रकार। वास्तव में, डरते हैं अल्लाह से उसके भक्तों में से वही जो ज्ञानी[1] हों। निःसंदेह अल्लाह अति प्रभुत्वशाली, क्षमी है।
Surah Fatir, Verse 28
إِنَّ ٱلَّذِينَ يَتۡلُونَ كِتَٰبَ ٱللَّهِ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَأَنفَقُواْ مِمَّا رَزَقۡنَٰهُمۡ سِرّٗا وَعَلَانِيَةٗ يَرۡجُونَ تِجَٰرَةٗ لَّن تَبُورَ
वास्तव में, जो पढ़ते हैं अल्लाह की पुस्तक (क़ुर्आन), उन्होंने स्थापना की नमाज़ की एवं दान किया उसमें से, जो हमने उन्हें प्रदान किया है, खुले तथा छुपे, तो वही आशा रखते हैं ऐसे व्यापार की, जो कदापि हानिकर नहीं होगा।
Surah Fatir, Verse 29
لِيُوَفِّيَهُمۡ أُجُورَهُمۡ وَيَزِيدَهُم مِّن فَضۡلِهِۦٓۚ إِنَّهُۥ غَفُورٞ شَكُورٞ
ताकि अल्लाह प्रदान करे उन्हें भरपूर उनका प्रतिफल तथा उन्हें अधिक दे अपने अनुग्रह से। वास्तव में, वह अति क्षमी, आदर करने वाला है।
Surah Fatir, Verse 30
وَٱلَّذِيٓ أَوۡحَيۡنَآ إِلَيۡكَ مِنَ ٱلۡكِتَٰبِ هُوَ ٱلۡحَقُّ مُصَدِّقٗا لِّمَا بَيۡنَ يَدَيۡهِۗ إِنَّ ٱللَّهَ بِعِبَادِهِۦ لَخَبِيرُۢ بَصِيرٞ
तथा जो हमने प्रकाशना की है आपकी ओर ये पुस्तक, वही सर्वथा सच है और सच बताती है अपने पूर्व की पुस्तकों को। वास्तव में, अल्लाह अपने भक्तों से सूचित, भली-भाँति देखने वाला है।
Surah Fatir, Verse 31
ثُمَّ أَوۡرَثۡنَا ٱلۡكِتَٰبَ ٱلَّذِينَ ٱصۡطَفَيۡنَا مِنۡ عِبَادِنَاۖ فَمِنۡهُمۡ ظَالِمٞ لِّنَفۡسِهِۦ وَمِنۡهُم مُّقۡتَصِدٞ وَمِنۡهُمۡ سَابِقُۢ بِٱلۡخَيۡرَٰتِ بِإِذۡنِ ٱللَّهِۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَضۡلُ ٱلۡكَبِيرُ
फिर हमने उत्तराधिकारी बनाया इस पुस्तक का उन्हें जिन्हें हमने चुन लिया अपने भक्तों में[1] से। तो उनमें कुछ अत्याचारी हैं अपने ही लिए, उनमें से कुछ मध्यवर्ती हैं और कुछ अग्रसर हैं भलाई में अल्लाह की अनुमति से तथा यही महान अनुग्रह है।
Surah Fatir, Verse 32
جَنَّـٰتُ عَدۡنٖ يَدۡخُلُونَهَا يُحَلَّوۡنَ فِيهَا مِنۡ أَسَاوِرَ مِن ذَهَبٖ وَلُؤۡلُؤٗاۖ وَلِبَاسُهُمۡ فِيهَا حَرِيرٞ
सदावास के स्वर्ग हैं, वे प्रवेश करेंगे उनमें और पहनाये जायेंगे उनमें सोने के कंगन तथा मोती और उनके वस्त्र उनमें रेशम के होंगे।
Surah Fatir, Verse 33
وَقَالُواْ ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ ٱلَّذِيٓ أَذۡهَبَ عَنَّا ٱلۡحَزَنَۖ إِنَّ رَبَّنَا لَغَفُورٞ شَكُورٌ
तथा वे कहेंगेः सब प्रशंसा उस अल्लाह के लिए हैं, जिसने दूर कर दिया हमसे शोक। वास्तव में, हमारा पालनहार अति क्षमी, गुणग्राही है।
Surah Fatir, Verse 34
ٱلَّذِيٓ أَحَلَّنَا دَارَ ٱلۡمُقَامَةِ مِن فَضۡلِهِۦ لَا يَمَسُّنَا فِيهَا نَصَبٞ وَلَا يَمَسُّنَا فِيهَا لُغُوبٞ
जिसने हमें उतार दिया स्थायी घर में अपने अनुग्रह से। नहीं छूएगी उसमें हमें कोई आपदा और न छूएगी उसमें कोई थकान।
Surah Fatir, Verse 35
وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لَهُمۡ نَارُ جَهَنَّمَ لَا يُقۡضَىٰ عَلَيۡهِمۡ فَيَمُوتُواْ وَلَا يُخَفَّفُ عَنۡهُم مِّنۡ عَذَابِهَاۚ كَذَٰلِكَ نَجۡزِي كُلَّ كَفُورٖ
तथा जो काफ़िर हैं, उन्हीं के लिए नरक की अग्नि है। न तो उनकी मौत ही आयेगी, न वे मर जायें और न हल्की की जायेगी उनसे उसकी कुछ यातना। इसी प्रकार, हम बदला देते हैं प्रत्येक नाशुक्रे को।
Surah Fatir, Verse 36
وَهُمۡ يَصۡطَرِخُونَ فِيهَا رَبَّنَآ أَخۡرِجۡنَا نَعۡمَلۡ صَٰلِحًا غَيۡرَ ٱلَّذِي كُنَّا نَعۡمَلُۚ أَوَلَمۡ نُعَمِّرۡكُم مَّا يَتَذَكَّرُ فِيهِ مَن تَذَكَّرَ وَجَآءَكُمُ ٱلنَّذِيرُۖ فَذُوقُواْ فَمَا لِلظَّـٰلِمِينَ مِن نَّصِيرٍ
और वे उसमें चिल्लायेंगेः हे हमारे पालनहार! हमें निकाल दे, हम सदाचार करेंगे उसके अतिरिक्त, जो कर रहे थे। क्या हमने तुम्हें इतनी आयु नहीं दी, जिसमें शिक्षा ग्रहण कर ले, जो शिक्षा ग्रहण करे तथा आया तुम्हारे पास सचेतकर्ता (नबी)? अतः, तुम चखो, अत्याचारियों का कोई सहायक नहीं है।
Surah Fatir, Verse 37
إِنَّ ٱللَّهَ عَٰلِمُ غَيۡبِ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّهُۥ عَلِيمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
वास्तव में, अल्लाह ही ज्ञानी है आकाशों तथा धरती के भेद का। वास्तव में, वही भली-भाँति जानने वाला है सीनों की बातों का।
Surah Fatir, Verse 38
هُوَ ٱلَّذِي جَعَلَكُمۡ خَلَـٰٓئِفَ فِي ٱلۡأَرۡضِۚ فَمَن كَفَرَ فَعَلَيۡهِ كُفۡرُهُۥۖ وَلَا يَزِيدُ ٱلۡكَٰفِرِينَ كُفۡرُهُمۡ عِندَ رَبِّهِمۡ إِلَّا مَقۡتٗاۖ وَلَا يَزِيدُ ٱلۡكَٰفِرِينَ كُفۡرُهُمۡ إِلَّا خَسَارٗا
वही है, जिसने तुम्हें एक-दूसरे के पश्चात् बसाया है धरती में, तो जो कुफ़्र करेगा, तो उसके लिए है उसका कुफ़्र और नहीं बढ़ायेगा काफ़िरों के लिए उनका कुफ़् उनके पालनहार के यहाँ, परन्तु क्रोध ही और नहीं बढ़ायेगा काफ़िरों के लिए उनका क़फ़्र, परन्तु क्षति ही।
Surah Fatir, Verse 39
قُلۡ أَرَءَيۡتُمۡ شُرَكَآءَكُمُ ٱلَّذِينَ تَدۡعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ أَرُونِي مَاذَا خَلَقُواْ مِنَ ٱلۡأَرۡضِ أَمۡ لَهُمۡ شِرۡكٞ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ أَمۡ ءَاتَيۡنَٰهُمۡ كِتَٰبٗا فَهُمۡ عَلَىٰ بَيِّنَتٖ مِّنۡهُۚ بَلۡ إِن يَعِدُ ٱلظَّـٰلِمُونَ بَعۡضُهُم بَعۡضًا إِلَّا غُرُورًا
(हे नबी!)[1] उनसे कहोः क्या तुमने देखा है अपने साझियों को, जिन्हें तुम पुकारते हो अल्लाह के अतिरिक्त? मुझे भी दिखाओ कि उन्होंने कितना भाग बनाया है धरती में से? या उनका आकाशों में कुछ साझा है? या हमने प्रदान की है उन्हें कोई पुस्तक, तो ये उसके खुले प्रमाणों पर हैं? बल्कि (बात ये है कि) अत्याचारी एक-दूसरे को केवल धोखे का वचन दे रहे हैं।
Surah Fatir, Verse 40
۞إِنَّ ٱللَّهَ يُمۡسِكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ أَن تَزُولَاۚ وَلَئِن زَالَتَآ إِنۡ أَمۡسَكَهُمَا مِنۡ أَحَدٖ مِّنۢ بَعۡدِهِۦٓۚ إِنَّهُۥ كَانَ حَلِيمًا غَفُورٗا
अल्लाह ही रोकता[1] है आकाशो तथा धरती को खिसक जाने से और यदि खिसक जायें वे दोनों, तो नहीं रोक सकेगा उन्हें कोई उस (अल्लाह) के पश्चात्। वास्तव में, वह अत्यंत सहनशील, क्षमाशील है।
Surah Fatir, Verse 41
وَأَقۡسَمُواْ بِٱللَّهِ جَهۡدَ أَيۡمَٰنِهِمۡ لَئِن جَآءَهُمۡ نَذِيرٞ لَّيَكُونُنَّ أَهۡدَىٰ مِنۡ إِحۡدَى ٱلۡأُمَمِۖ فَلَمَّا جَآءَهُمۡ نَذِيرٞ مَّا زَادَهُمۡ إِلَّا نُفُورًا
और उनकाफ़िरों ने शपथ ली थी अल्लाह की पक्की शपथ कि यदि आ गया, उनके पास कोई सचेतकर्ता (नबी), तो वे अवश्य हो जायेंगे सर्वाधिक संमार्ग पर समुदायों में से किसी एक से। फिर जब आ गये उनके पास एक रसूल,[1] तो उनकी दूरी ही अधिक हुई।
Surah Fatir, Verse 42
ٱسۡتِكۡبَارٗا فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَكۡرَ ٱلسَّيِّيِٕۚ وَلَا يَحِيقُ ٱلۡمَكۡرُ ٱلسَّيِّئُ إِلَّا بِأَهۡلِهِۦۚ فَهَلۡ يَنظُرُونَ إِلَّا سُنَّتَ ٱلۡأَوَّلِينَۚ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَبۡدِيلٗاۖ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ ٱللَّهِ تَحۡوِيلًا
अभिमान के कारण धरती में तथा बुरे षड्यंत्र के कारण और नहीं घेरता है बुरा षड्यंत्र, परन्तु अपने करने वाले ही को। तो क्या वे प्रतीक्षा कर रहे हैं पूर्व के लोगों की नीति की?[1] तो नहीं पायेंगे आप अल्लाह के नियम में कोई अन्तर।
Surah Fatir, Verse 43
أَوَلَمۡ يَسِيرُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ فَيَنظُرُواْ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡ وَكَانُوٓاْ أَشَدَّ مِنۡهُمۡ قُوَّةٗۚ وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُعۡجِزَهُۥ مِن شَيۡءٖ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَلَا فِي ٱلۡأَرۡضِۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَلِيمٗا قَدِيرٗا
और क्या वे नहीं चले-फिरे धरती में, तो देख लेते कि कैसा रहा उनका दुष्परिणाम, जो इनसे पूर्व रहे, जबकि वह इनसे कड़े थे बल में? तथा अल्लाह ऐसा नहीं, वास्तव में, वह सर्वज्ञ, अति सामर्थ्यवान है।
Surah Fatir, Verse 44
وَلَوۡ يُؤَاخِذُ ٱللَّهُ ٱلنَّاسَ بِمَا كَسَبُواْ مَا تَرَكَ عَلَىٰ ظَهۡرِهَا مِن دَآبَّةٖ وَلَٰكِن يُؤَخِّرُهُمۡ إِلَىٰٓ أَجَلٖ مُّسَمّٗىۖ فَإِذَا جَآءَ أَجَلُهُمۡ فَإِنَّ ٱللَّهَ كَانَ بِعِبَادِهِۦ بَصِيرَۢا
और यदि पकड़ने लगता अल्लाह लोगों को उनके कर्मों के कारण, तो नहीं छोड़ता धरती के ऊपर कोई जीव। किन्तु, अवसर दे रहा है उन्हें एक निश्चित अवधि तक, फिर जब आ जायेगा उनका निश्चित समय, तो निश्चय अल्लाह अपने भक्तों को देख रहा[1] है।
Surah Fatir, Verse 45