Surah Fatir Verse 18 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Fatirوَلَا تَزِرُ وَازِرَةٞ وِزۡرَ أُخۡرَىٰۚ وَإِن تَدۡعُ مُثۡقَلَةٌ إِلَىٰ حِمۡلِهَا لَا يُحۡمَلۡ مِنۡهُ شَيۡءٞ وَلَوۡ كَانَ ذَا قُرۡبَىٰٓۗ إِنَّمَا تُنذِرُ ٱلَّذِينَ يَخۡشَوۡنَ رَبَّهُم بِٱلۡغَيۡبِ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَۚ وَمَن تَزَكَّىٰ فَإِنَّمَا يَتَزَكَّىٰ لِنَفۡسِهِۦۚ وَإِلَى ٱللَّهِ ٱلۡمَصِيرُ
तथा नहीं लादेगा कोई लादने वाला, दूसरे का बोझ, अपने ऊपर[1] और यदि पुकारेगा कोई बोझल, उसे लादने के लिए, तो वह नहीं लादेगा उसमें से कुछ, चाहे वह उसका समीपवर्ती ही क्यों न हो। आप तो बस उन्हीं को सचेत कर रहे हैं, जो डरते हों अपने पालनहार से बिन देखे तथा जो स्थापना करते हैं नमाज़ की तथा जो पवित्र हुआ, तो वह पवित्र होगा अपने ही लाभ के लिए और अल्लाह ही की ओर (सबको) जाना है।