وَمَن يَكۡسِبۡ خَطِيٓـَٔةً أَوۡ إِثۡمٗا ثُمَّ يَرۡمِ بِهِۦ بَرِيٓـٔٗا فَقَدِ ٱحۡتَمَلَ بُهۡتَٰنٗا وَإِثۡمٗا مُّبِينٗا
और जो व्यक्ति कोई चूक अथवा पाप स्वयं करे और किसी निर्दोष पर उसका आरोप लगा दे, तो उसने मिथ्या दोषारोपन तथा खुले पाप का[1] बोझ अपने ऊपर लाद लिया।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari