Surah An-Nisa Verse 25 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah An-Nisaوَمَن لَّمۡ يَسۡتَطِعۡ مِنكُمۡ طَوۡلًا أَن يَنكِحَ ٱلۡمُحۡصَنَٰتِ ٱلۡمُؤۡمِنَٰتِ فَمِن مَّا مَلَكَتۡ أَيۡمَٰنُكُم مِّن فَتَيَٰتِكُمُ ٱلۡمُؤۡمِنَٰتِۚ وَٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِإِيمَٰنِكُمۚ بَعۡضُكُم مِّنۢ بَعۡضٖۚ فَٱنكِحُوهُنَّ بِإِذۡنِ أَهۡلِهِنَّ وَءَاتُوهُنَّ أُجُورَهُنَّ بِٱلۡمَعۡرُوفِ مُحۡصَنَٰتٍ غَيۡرَ مُسَٰفِحَٰتٖ وَلَا مُتَّخِذَٰتِ أَخۡدَانٖۚ فَإِذَآ أُحۡصِنَّ فَإِنۡ أَتَيۡنَ بِفَٰحِشَةٖ فَعَلَيۡهِنَّ نِصۡفُ مَا عَلَى ٱلۡمُحۡصَنَٰتِ مِنَ ٱلۡعَذَابِۚ ذَٰلِكَ لِمَنۡ خَشِيَ ٱلۡعَنَتَ مِنكُمۡۚ وَأَن تَصۡبِرُواْ خَيۡرٞ لَّكُمۡۗ وَٱللَّهُ غَفُورٞ رَّحِيمٞ
और जो व्यक्ति तुममें से स्वतंत्र ईमान वालियों से विवाह करने की सकत न रखे, तो वह अपने हाथों में आई हुई अपनी ईमान वाली दासियों से (विवाह कर ले)। दरअसल, अल्लाह तुम्हारे ईमान को अधिक जानता है। तुम आपस में एक ही हो[1]। अतः तुम उनके स्वामियों की अनुमति से उन (दासियों) से विवाह कर लो और उन्हें नियमानुसार उनके महर (विवाह उपहार) चुका दो, वे सती हों, व्यभिचारिणी न हों, न गुप्त प्रेमी बना रखी हों। फिर जब वे विवाहित हो जायें, तो यदि व्यभिचार कर जायें, तो उनपर उसका आधा[2] दण्ड है, जो स्वतंत्र स्त्रियों पर है। ये (दासी से विवाह) उसके लिए है, जो तुममें से व्यभिचार से डरता हो और सहन करो, तो ये तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है और अल्लाह अति क्षमाशील दयावान् है।