أَلَمۡ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ أُوتُواْ نَصِيبٗا مِّنَ ٱلۡكِتَٰبِ يَشۡتَرُونَ ٱلضَّلَٰلَةَ وَيُرِيدُونَ أَن تَضِلُّواْ ٱلسَّبِيلَ
क्या आपने उनकी दशा नहीं देखी, जिन्हें पुस्तक[1] का कुछ भाग दिया गया? वे कुपथ ख़रीद रहे हैं तथा चाहते हैं कि तुमभी सुपथ से विचलित हो जाओ।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari