يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ خُذُواْ حِذۡرَكُمۡ فَٱنفِرُواْ ثُبَاتٍ أَوِ ٱنفِرُواْ جَمِيعٗا
ऐ ईमान लानेवालो! अपने बचाव की साम्रगी (हथियार आदि) सँभालो। फिर या तो अलग-अलग टुकड़ियों में निकलो या इकट्ठे होकर निकलो
Author: Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed