Surah An-Nisa Verse 83 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah An-Nisaوَإِذَا جَآءَهُمۡ أَمۡرٞ مِّنَ ٱلۡأَمۡنِ أَوِ ٱلۡخَوۡفِ أَذَاعُواْ بِهِۦۖ وَلَوۡ رَدُّوهُ إِلَى ٱلرَّسُولِ وَإِلَىٰٓ أُوْلِي ٱلۡأَمۡرِ مِنۡهُمۡ لَعَلِمَهُ ٱلَّذِينَ يَسۡتَنۢبِطُونَهُۥ مِنۡهُمۡۗ وَلَوۡلَا فَضۡلُ ٱللَّهِ عَلَيۡكُمۡ وَرَحۡمَتُهُۥ لَٱتَّبَعۡتُمُ ٱلشَّيۡطَٰنَ إِلَّا قَلِيلٗا
और जब उनके पास शांति या भय की कोई सूचना आती है, तो उसे फैला देते हैं। जबकि यदि वे उसे अल्लाह के रसूल तथा अपने अधिकारियों की ओर फेर देते, तो जो बात की तह तक पहुँचने वाले हैं, वे उसकी वास्तविक्ता जान लेते। यदि तुमपर अल्लाह की अनुकम्पा तथा दया न होती, तो तुममें थोड़े के सिवा सब शैतान के पीछे भाग[1] जाते।