Surah An-Nisa Verse 83 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah An-Nisaوَإِذَا جَآءَهُمۡ أَمۡرٞ مِّنَ ٱلۡأَمۡنِ أَوِ ٱلۡخَوۡفِ أَذَاعُواْ بِهِۦۖ وَلَوۡ رَدُّوهُ إِلَى ٱلرَّسُولِ وَإِلَىٰٓ أُوْلِي ٱلۡأَمۡرِ مِنۡهُمۡ لَعَلِمَهُ ٱلَّذِينَ يَسۡتَنۢبِطُونَهُۥ مِنۡهُمۡۗ وَلَوۡلَا فَضۡلُ ٱللَّهِ عَلَيۡكُمۡ وَرَحۡمَتُهُۥ لَٱتَّبَعۡتُمُ ٱلشَّيۡطَٰنَ إِلَّا قَلِيلٗا
और जब उनके (मुसलमानों के) पास अमन या ख़ौफ़ की ख़बर आयी तो उसे फ़ौरन मशहूर कर देते हैं हालॉकि अगर वह उसकी ख़बर को रसूल (या) और ईमानदारो में से जो साहबाने हुकूमत तक पहुंचाते तो बेशक जो लोग उनमें से उसकी तहक़ीक़ करने वाले हैं (पैग़म्बर या वली) उसको समझ लेते कि (मशहूर करने की ज़रूरत है या नहीं) और (मुसलमानों) अगर तुमपर ख़ुदा का फ़ज़ल (व करम) और उसकी मेहरबानी न होती तो चन्द आदमियों के सिवा तुम सबके सब शैतान की पैरवी करने लगते