Surah An-Nisa Verse 90 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah An-Nisaإِلَّا ٱلَّذِينَ يَصِلُونَ إِلَىٰ قَوۡمِۭ بَيۡنَكُمۡ وَبَيۡنَهُم مِّيثَٰقٌ أَوۡ جَآءُوكُمۡ حَصِرَتۡ صُدُورُهُمۡ أَن يُقَٰتِلُوكُمۡ أَوۡ يُقَٰتِلُواْ قَوۡمَهُمۡۚ وَلَوۡ شَآءَ ٱللَّهُ لَسَلَّطَهُمۡ عَلَيۡكُمۡ فَلَقَٰتَلُوكُمۡۚ فَإِنِ ٱعۡتَزَلُوكُمۡ فَلَمۡ يُقَٰتِلُوكُمۡ وَأَلۡقَوۡاْ إِلَيۡكُمُ ٱلسَّلَمَ فَمَا جَعَلَ ٱللَّهُ لَكُمۡ عَلَيۡهِمۡ سَبِيلٗا
परन्तु उनमें से जो किसी ऐसी क़ौम से जा मिलें, जिनके और तुम्हारे बीच संधि हो अथवा ऐसे लोग हों, जो तुम्हारे पास इस स्थिति में आयें कि उनके दिल इससे संकुचित हो रहे हों कि तुमसे युध्द करें अथवा (तुम्हारे साथ) अपनी जाति से युध्द करें। यदि अल्लाह चाहता, तो उनहें तुमपर सामर्थ्य दे देता, फिर वे तुमसे युध्द करते। यदि वे तुमसे विलग रह गये, तुमसे युध्द नहीं किया और तुमसे संधि कर ली, तो उनके विरुध्द अल्लाह ने तुम्हारे लिए कोई (युध्द करने की) राह नहीं बनाई[1] है।