Surah Fussilat Verse 25 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Fussilat۞وَقَيَّضۡنَا لَهُمۡ قُرَنَآءَ فَزَيَّنُواْ لَهُم مَّا بَيۡنَ أَيۡدِيهِمۡ وَمَا خَلۡفَهُمۡ وَحَقَّ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقَوۡلُ فِيٓ أُمَمٖ قَدۡ خَلَتۡ مِن قَبۡلِهِم مِّنَ ٱلۡجِنِّ وَٱلۡإِنسِۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ خَٰسِرِينَ
और हमने बना दिये उनके लिए ऐसे साथी, जो शोभनीय बना रहे थे उनके लिए, उनके अगले तथा पिछले दुष्कर्मों को तथा सिध्द हो गया उनपर, अल्लाह (की यातना) का वचन, उन समुदायों में, जो गुज़र गये इनसे पूर्व, जिन्नों तथा मनुष्यों में से। वास्तव में, वही क्षतिग्रस्त थे।