Surah Fussilat Verse 25 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Fussilat۞وَقَيَّضۡنَا لَهُمۡ قُرَنَآءَ فَزَيَّنُواْ لَهُم مَّا بَيۡنَ أَيۡدِيهِمۡ وَمَا خَلۡفَهُمۡ وَحَقَّ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقَوۡلُ فِيٓ أُمَمٖ قَدۡ خَلَتۡ مِن قَبۡلِهِم مِّنَ ٱلۡجِنِّ وَٱلۡإِنسِۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ خَٰسِرِينَ
और हमने (गोया ख़ुद शैतान को) उनका हमनशीन मुक़र्रर कर दिया था तो उन्होने उनके अगले पिछले तमाम उमूर उनकी नज़रों में भले कर दिखाए तो जिन्नात और इन्सानो की उम्मतें जो उनसे पहले गुज़र चुकी थीं उनके शुमूल (साथ) में (अज़ाब का) वायदा उनके हक़ में भी पूरा हो कर रहा बेशक ये लोग अपने घाटे के दरपै थे