وَمِنۡ ءَايَٰتِهِۦ خَلۡقُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَثَّ فِيهِمَا مِن دَآبَّةٖۚ وَهُوَ عَلَىٰ جَمۡعِهِمۡ إِذَا يَشَآءُ قَدِيرٞ
तथा उसकी निशानियों में से है, आकाशों और धरती की उत्पत्ति तथा जो फैलायें हैं उन दोनों में जीव और वह उन्हें एकत्र करने पर जब चाहे,[1] सामर्थ्य रखने वाला है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari