Surah Muhammad Verse 4 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Muhammadفَإِذَا لَقِيتُمُ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ فَضَرۡبَ ٱلرِّقَابِ حَتَّىٰٓ إِذَآ أَثۡخَنتُمُوهُمۡ فَشُدُّواْ ٱلۡوَثَاقَ فَإِمَّا مَنَّۢا بَعۡدُ وَإِمَّا فِدَآءً حَتَّىٰ تَضَعَ ٱلۡحَرۡبُ أَوۡزَارَهَاۚ ذَٰلِكَۖ وَلَوۡ يَشَآءُ ٱللَّهُ لَٱنتَصَرَ مِنۡهُمۡ وَلَٰكِن لِّيَبۡلُوَاْ بَعۡضَكُم بِبَعۡضٖۗ وَٱلَّذِينَ قُتِلُواْ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ فَلَن يُضِلَّ أَعۡمَٰلَهُمۡ
तो जब (युध्द में) भिड़ जाओ काफ़िरों से, तो गर्दन उड़ाओ, यहाँ तक कि जब कुचल दो उन्हें, तो उन्हें दृढ़ता से बाँधो। फिर उसके बाद या तो उपकार करके छोड़ दो या अर्थदण्ड लेकर। यहाँ तक कि युध्द अपने हथियार रख दे।[1] ये आदेश है और यदि अल्लाह चाहता, तो स्वयं उनसे बदला ले लेता। किन्तु, (ये आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे द्वारा परीक्षा ले और जो मार दिये गये अल्लाह की राह में, तो वह कदापि व्यर्थ नहीं करेगा उनके कर्मों को।