Surah Al-Fath Verse 11 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Fathسَيَقُولُ لَكَ ٱلۡمُخَلَّفُونَ مِنَ ٱلۡأَعۡرَابِ شَغَلَتۡنَآ أَمۡوَٰلُنَا وَأَهۡلُونَا فَٱسۡتَغۡفِرۡ لَنَاۚ يَقُولُونَ بِأَلۡسِنَتِهِم مَّا لَيۡسَ فِي قُلُوبِهِمۡۚ قُلۡ فَمَن يَمۡلِكُ لَكُم مِّنَ ٱللَّهِ شَيۡـًٔا إِنۡ أَرَادَ بِكُمۡ ضَرًّا أَوۡ أَرَادَ بِكُمۡ نَفۡعَۢاۚ بَلۡ كَانَ ٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِيرَۢا
(हे नबी!) वे[1] शीघ्र ही आपसे कहेंगे, जो पीछे छोड़ दिये गये बद्दुओं में से कि हम लगे रह गये अपने धनों तथा परिवार में। अतः, आप क्षमा की प्रार्थना कर दें हमारे लिए। वे अपने मुखों से वो बात कहेंगे, जो उनके दिलों में नहीं है। आप उनसे कहिये कि कौन है, जो अधिकार रखता हो तुम्हारे लिए, अल्लाह के सामने किसी चीज़ का, यदि अल्लाह तुम्हें कोई हानि पहुँचाना चाहे या कोई लाभ पहुँचाना चाहे? बल्कि अल्लाह सूचित है उससे, जो तुम कर रहे हो।