لِّتُؤۡمِنُواْ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ وَتُعَزِّرُوهُ وَتُوَقِّرُوهُۚ وَتُسَبِّحُوهُ بُكۡرَةٗ وَأَصِيلًا
ताकि तुम ईमान लाओ अल्लाह एवं उसके रसूल पर और सहायता करो आपकी तथा आदर करो आपका और अल्लाह की पवित्रता का वर्णन करते रहो, प्रातः तथा संध्या।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari