Surah Al-Maeda Verse 44 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Maedaإِنَّآ أَنزَلۡنَا ٱلتَّوۡرَىٰةَ فِيهَا هُدٗى وَنُورٞۚ يَحۡكُمُ بِهَا ٱلنَّبِيُّونَ ٱلَّذِينَ أَسۡلَمُواْ لِلَّذِينَ هَادُواْ وَٱلرَّبَّـٰنِيُّونَ وَٱلۡأَحۡبَارُ بِمَا ٱسۡتُحۡفِظُواْ مِن كِتَٰبِ ٱللَّهِ وَكَانُواْ عَلَيۡهِ شُهَدَآءَۚ فَلَا تَخۡشَوُاْ ٱلنَّاسَ وَٱخۡشَوۡنِ وَلَا تَشۡتَرُواْ بِـَٔايَٰتِي ثَمَنٗا قَلِيلٗاۚ وَمَن لَّمۡ يَحۡكُم بِمَآ أَنزَلَ ٱللَّهُ فَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡكَٰفِرُونَ
निःसंदेह, हमने ही तौरात उतारी, जिसमें मार्गदर्शन तथा प्रकाश है, जिसके अनुसार वो नबी निर्णय करते रहे, जो आज्ञाकारी थे, उनके लिए जो यहूदी थे तथा धर्माचारी और विद्वान लोग, क्योंकि वे अल्लाह की पुस्तक के रक्षक बनाये गये थे और उसके (सत्य होने के) साक्षी थे। अतः, तुमभी लोगों से न डरो, मुझी से डरो और मेरी आयतों के बदले तनिक मूल्य न खरीदो और जो अल्लाह की उतारी (पुस्तक के) अनुसार निर्णय न करें, तो वही काफ़िर हैं।