Surah Al-Maeda Verse 45 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Maedaوَكَتَبۡنَا عَلَيۡهِمۡ فِيهَآ أَنَّ ٱلنَّفۡسَ بِٱلنَّفۡسِ وَٱلۡعَيۡنَ بِٱلۡعَيۡنِ وَٱلۡأَنفَ بِٱلۡأَنفِ وَٱلۡأُذُنَ بِٱلۡأُذُنِ وَٱلسِّنَّ بِٱلسِّنِّ وَٱلۡجُرُوحَ قِصَاصٞۚ فَمَن تَصَدَّقَ بِهِۦ فَهُوَ كَفَّارَةٞ لَّهُۥۚ وَمَن لَّمۡ يَحۡكُم بِمَآ أَنزَلَ ٱللَّهُ فَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلظَّـٰلِمُونَ
और हमने उन (यहूदियों) पर उस (तौरात) में लिख दिया कि प्राण के बदले प्राण, आँख के बदले आँख, नाक के बदले नाक, कान के बदले कान और दाँत के बदले दाँत[1] हैं तथा सभी आघातों में बराबरी का बदला है। फिर जो कोई बदला लेने को दान (क्षमा) कर दे, तो वह उसके लिए (उसके पापों का) प्रायश्चित हो जायेगा तथा जो अल्लाह की उतारी (पुस्तक के) अनुसार निर्णय न करें, वही अत्याचारी हैं।