Surah Al-Hadid Verse 20 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Hadidٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّمَا ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَا لَعِبٞ وَلَهۡوٞ وَزِينَةٞ وَتَفَاخُرُۢ بَيۡنَكُمۡ وَتَكَاثُرٞ فِي ٱلۡأَمۡوَٰلِ وَٱلۡأَوۡلَٰدِۖ كَمَثَلِ غَيۡثٍ أَعۡجَبَ ٱلۡكُفَّارَ نَبَاتُهُۥ ثُمَّ يَهِيجُ فَتَرَىٰهُ مُصۡفَرّٗا ثُمَّ يَكُونُ حُطَٰمٗاۖ وَفِي ٱلۡأٓخِرَةِ عَذَابٞ شَدِيدٞ وَمَغۡفِرَةٞ مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضۡوَٰنٞۚ وَمَا ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَآ إِلَّا مَتَٰعُ ٱلۡغُرُورِ
जान लो कि सांसारिक जीवन एक खेल, मनोरंजन, शोभा,[1] आपस में गर्व तथा एक-दूसरे से बढ़ जाने का प्रयास है, धनों तथा संतान में। उस वर्षा के समान भा गयी किसानों को जिसकी उपज, फिर वह पक गयी, तो तुम उसे देखने लगे पीली, फिर वह हो जाती है चूर-चूर और परलोक में कड़ी यातना है तथा अल्लाह की क्षमा और प्रसन्नता है और सांसारिक जीवन तो बस धोखे का संसाधन है।