Surah Al-Mujadila Verse 8 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Mujadilaأَلَمۡ تَرَ إِلَى ٱلَّذِينَ نُهُواْ عَنِ ٱلنَّجۡوَىٰ ثُمَّ يَعُودُونَ لِمَا نُهُواْ عَنۡهُ وَيَتَنَٰجَوۡنَ بِٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡعُدۡوَٰنِ وَمَعۡصِيَتِ ٱلرَّسُولِۖ وَإِذَا جَآءُوكَ حَيَّوۡكَ بِمَا لَمۡ يُحَيِّكَ بِهِ ٱللَّهُ وَيَقُولُونَ فِيٓ أَنفُسِهِمۡ لَوۡلَا يُعَذِّبُنَا ٱللَّهُ بِمَا نَقُولُۚ حَسۡبُهُمۡ جَهَنَّمُ يَصۡلَوۡنَهَاۖ فَبِئۡسَ ٱلۡمَصِيرُ
क्या आपने नहीं देखा उन्हें, जो रोके गये हैं काना-फूसी[1] से? फिर (भी) वही करते हैं जिससे रोके गये हैं तथा काना-फूसी करते हैं पाप और अत्याचार तथा रसूल की अवज्ञा की और वे जब आपके पास आते हैं, तो आपको ऐसे (शब्द से) सलाम करते हैं, जिससे आपपर सलाम नहीं भेजा अल्लाह ने तथा कहते हैं अपने मनों में: क्यों अल्लाह हमें यातना नहीं देता उसपर जो हम कहते[1] हैं? पर्याप्त है उन्हें नरक, जिसमें वे प्रवेश करेंगे, तो बुरा है उनका ठिकाना।