Surah Al-Mumtahana Verse 10 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Mumtahanaيَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِذَا جَآءَكُمُ ٱلۡمُؤۡمِنَٰتُ مُهَٰجِرَٰتٖ فَٱمۡتَحِنُوهُنَّۖ ٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِإِيمَٰنِهِنَّۖ فَإِنۡ عَلِمۡتُمُوهُنَّ مُؤۡمِنَٰتٖ فَلَا تَرۡجِعُوهُنَّ إِلَى ٱلۡكُفَّارِۖ لَا هُنَّ حِلّٞ لَّهُمۡ وَلَا هُمۡ يَحِلُّونَ لَهُنَّۖ وَءَاتُوهُم مَّآ أَنفَقُواْۚ وَلَا جُنَاحَ عَلَيۡكُمۡ أَن تَنكِحُوهُنَّ إِذَآ ءَاتَيۡتُمُوهُنَّ أُجُورَهُنَّۚ وَلَا تُمۡسِكُواْ بِعِصَمِ ٱلۡكَوَافِرِ وَسۡـَٔلُواْ مَآ أَنفَقۡتُمۡ وَلۡيَسۡـَٔلُواْ مَآ أَنفَقُواْۚ ذَٰلِكُمۡ حُكۡمُ ٱللَّهِ يَحۡكُمُ بَيۡنَكُمۡۖ وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٞ
हे ईमान वालो! जब तुम्हारे पास मुसलमान स्त्रियाँ हिजरत करके आयें, तो उनकी परीक्षा ले लिया करो। अल्लाह अधिक जानता है उनके ईमान को, फिर यदि तुम्हें ये ज्ञान हो जाये कि वे ईमान वालियाँ हैं, तो उन्हें वापस न करो[1] काफ़िरों की ओर। न वे औरतें ह़लाल (वैध) हैं उनके लिए और न वे (काफ़िर) ह़लाल (वैध) हैं उन औरतों के लिए।[2] और चुका दो उन (काफ़िरों) को, जो उन्होंने ख़र्च किया हो तथा तुमपर कोई दोष नहीं है कि विवाह कर लो उनसे, जब दे दो उन्हें उनका महर (स्त्री उपहार) तथा न रखो काफ़िर स्त्रियों को अपने विवाह में तथा माँग लो जो तुमने ख़र्च किया हो और चाहिये कि वे (काफ़िर) माँग लें, जो उन्होंने ख़र्च किया हो। ये अल्लाह का आदेश है, वह निर्णय कर रहा है तुम्हारे बीच तथा अल्लाह सब जानने वाला, गुणी है।