Surah Al-Mumtahana Verse 10 - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
Surah Al-Mumtahanaيَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ إِذَا جَآءَكُمُ ٱلۡمُؤۡمِنَٰتُ مُهَٰجِرَٰتٖ فَٱمۡتَحِنُوهُنَّۖ ٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِإِيمَٰنِهِنَّۖ فَإِنۡ عَلِمۡتُمُوهُنَّ مُؤۡمِنَٰتٖ فَلَا تَرۡجِعُوهُنَّ إِلَى ٱلۡكُفَّارِۖ لَا هُنَّ حِلّٞ لَّهُمۡ وَلَا هُمۡ يَحِلُّونَ لَهُنَّۖ وَءَاتُوهُم مَّآ أَنفَقُواْۚ وَلَا جُنَاحَ عَلَيۡكُمۡ أَن تَنكِحُوهُنَّ إِذَآ ءَاتَيۡتُمُوهُنَّ أُجُورَهُنَّۚ وَلَا تُمۡسِكُواْ بِعِصَمِ ٱلۡكَوَافِرِ وَسۡـَٔلُواْ مَآ أَنفَقۡتُمۡ وَلۡيَسۡـَٔلُواْ مَآ أَنفَقُواْۚ ذَٰلِكُمۡ حُكۡمُ ٱللَّهِ يَحۡكُمُ بَيۡنَكُمۡۖ وَٱللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٞ
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम्हारे पास ईमान की दावेदार स्त्रियाँ हिजरत करके आएँ तो तुम उन्हें जाँच लिया करो। यूँ तो अल्लाह उनके ईमान से भली-भाँति परिचित है। फिर यदि वे तुम्हें ईमानवाली मालूम हो, तो उन्हें इनकार करनेवालों (अधर्मियों) की ओर न लौटाओ। न तो वे स्त्रियाँ उनके लिए वैद्य है और न वे उन स्त्रियों के लिए वैद्य है। और जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया हो तुम उन्हें दे दो और इसमें तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि तुम उनसे विवाह कर लो, जबकि तुम उन्हें महर अदा कर दो। और तुम स्वयं भी इनकार करनेवाली स्त्रियों के सतीत्व को अपने अधिकार में न रखो। और जो कुछ तुमने ख़र्च किया हो माँग लो। और उन्हें भी चाहिए कि जो कुछ उन्होंने ख़र्च किया हो माँग ले। यह अल्लाह का आदेश है। वह तुम्हारे बीच फ़ैसला करता है। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है