يُرِيدُونَ لِيُطۡفِـُٔواْ نُورَ ٱللَّهِ بِأَفۡوَٰهِهِمۡ وَٱللَّهُ مُتِمُّ نُورِهِۦ وَلَوۡ كَرِهَ ٱلۡكَٰفِرُونَ
वे चाहते हैं कि बुझा दें अल्लाह के प्रकाश को अपने मुखों से तथा अल्लाह पूरा करने वाला है अपने प्रकाश को, यद्यपि बुरा लगे काफ़िरों को।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari