إِن تُقۡرِضُواْ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنٗا يُضَٰعِفۡهُ لَكُمۡ وَيَغۡفِرۡ لَكُمۡۚ وَٱللَّهُ شَكُورٌ حَلِيمٌ
यदि तुम अल्लाह को उत्तम ऋण[1] दोगो, तो वह तुम्हें कई गुना बढ़ाकर देगा और क्षमा कर देगा तुम्हें और अल्लाह बड़ा गुणग्राही, सहनशील है।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari