Surah At-Tahrim Verse 3 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah At-Tahrimوَإِذۡ أَسَرَّ ٱلنَّبِيُّ إِلَىٰ بَعۡضِ أَزۡوَٰجِهِۦ حَدِيثٗا فَلَمَّا نَبَّأَتۡ بِهِۦ وَأَظۡهَرَهُ ٱللَّهُ عَلَيۡهِ عَرَّفَ بَعۡضَهُۥ وَأَعۡرَضَ عَنۢ بَعۡضٖۖ فَلَمَّا نَبَّأَهَا بِهِۦ قَالَتۡ مَنۡ أَنۢبَأَكَ هَٰذَاۖ قَالَ نَبَّأَنِيَ ٱلۡعَلِيمُ ٱلۡخَبِيرُ
और जब पैग़म्बर ने अपनी बाज़ बीवी (हफ़सा) से चुपके से कोई बात कही फिर जब उसने (बावजूद मुमानियत) उस बात की (आयशा को) ख़बर दे दी और ख़ुदा ने इस अम्र को रसूल पर ज़ाहिर कर दिया तो रसूल ने (आयशा को) बाज़ बात (किस्सा मारिया) जता दी और बाज़ बात (किस्साए यहद) टाल दी ग़रज़ जब रसूल ने इस वाक़िये (हफ़सा के अफ़शाए राज़) कि उस (आयशा) को ख़बर दी तो हैरत से बोल उठीं आपको इस बात (अफ़शाए राज़) की किसने ख़बर दी रसूल ने कहा मुझे बड़े वाक़िफ़कार ख़बरदार (ख़ुदा) ने बता दिया