Surah At-Tahrim - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِيُّ لِمَ تُحَرِّمُ مَآ أَحَلَّ ٱللَّهُ لَكَۖ تَبۡتَغِي مَرۡضَاتَ أَزۡوَٰجِكَۚ وَٱللَّهُ غَفُورٞ رَّحِيمٞ
ऐ रसूल जो चीज़ ख़ुदा ने तुम्हारे लिए हलाल की है तुम उससे अपनी बीवियों की ख़ुशनूदी के लिए क्यों किनारा कशी करो और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Surah At-Tahrim, Verse 1
قَدۡ فَرَضَ ٱللَّهُ لَكُمۡ تَحِلَّةَ أَيۡمَٰنِكُمۡۚ وَٱللَّهُ مَوۡلَىٰكُمۡۖ وَهُوَ ٱلۡعَلِيمُ ٱلۡحَكِيمُ
ख़ुदा ने तुम लोगों के लिए क़समों को तोड़ डालने का कफ्फ़ार मुक़र्रर कर दिया है और ख़ुदा ही तुम्हारा कारसाज़ है और वही वाक़िफ़कार हिकमत वाला है
Surah At-Tahrim, Verse 2
وَإِذۡ أَسَرَّ ٱلنَّبِيُّ إِلَىٰ بَعۡضِ أَزۡوَٰجِهِۦ حَدِيثٗا فَلَمَّا نَبَّأَتۡ بِهِۦ وَأَظۡهَرَهُ ٱللَّهُ عَلَيۡهِ عَرَّفَ بَعۡضَهُۥ وَأَعۡرَضَ عَنۢ بَعۡضٖۖ فَلَمَّا نَبَّأَهَا بِهِۦ قَالَتۡ مَنۡ أَنۢبَأَكَ هَٰذَاۖ قَالَ نَبَّأَنِيَ ٱلۡعَلِيمُ ٱلۡخَبِيرُ
और जब पैग़म्बर ने अपनी बाज़ बीवी (हफ़सा) से चुपके से कोई बात कही फिर जब उसने (बावजूद मुमानियत) उस बात की (आयशा को) ख़बर दे दी और ख़ुदा ने इस अम्र को रसूल पर ज़ाहिर कर दिया तो रसूल ने (आयशा को) बाज़ बात (किस्सा मारिया) जता दी और बाज़ बात (किस्साए यहद) टाल दी ग़रज़ जब रसूल ने इस वाक़िये (हफ़सा के अफ़शाए राज़) कि उस (आयशा) को ख़बर दी तो हैरत से बोल उठीं आपको इस बात (अफ़शाए राज़) की किसने ख़बर दी रसूल ने कहा मुझे बड़े वाक़िफ़कार ख़बरदार (ख़ुदा) ने बता दिया
Surah At-Tahrim, Verse 3
إِن تَتُوبَآ إِلَى ٱللَّهِ فَقَدۡ صَغَتۡ قُلُوبُكُمَاۖ وَإِن تَظَٰهَرَا عَلَيۡهِ فَإِنَّ ٱللَّهَ هُوَ مَوۡلَىٰهُ وَجِبۡرِيلُ وَصَٰلِحُ ٱلۡمُؤۡمِنِينَۖ وَٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ بَعۡدَ ذَٰلِكَ ظَهِيرٌ
(तो ऐ हफ़सा व आयशा) अगर तुम दोनों (इस हरकत से) तौबा करो तो ख़ैर क्योंकि तुम दोनों के दिल टेढ़े हैं और अगर तुम दोनों रसूल की मुख़ालेफ़त में एक दूसरे की अयानत करती रहोगी तो कुछ परवा नहीं (क्यों कि) ख़ुदा और जिबरील और तमाम ईमानदारों में नेक शख़्श उनके मददगार हैं और उनके अलावा कुल फरिश्ते मददगार हैं
Surah At-Tahrim, Verse 4
عَسَىٰ رَبُّهُۥٓ إِن طَلَّقَكُنَّ أَن يُبۡدِلَهُۥٓ أَزۡوَٰجًا خَيۡرٗا مِّنكُنَّ مُسۡلِمَٰتٖ مُّؤۡمِنَٰتٖ قَٰنِتَٰتٖ تَـٰٓئِبَٰتٍ عَٰبِدَٰتٖ سَـٰٓئِحَٰتٖ ثَيِّبَٰتٖ وَأَبۡكَارٗا
अगर रसूल तुम लोगों को तलाक़ दे दे तो अनक़रीब ही उनका परवरदिगार तुम्हारे बदले उनको तुमसे अच्छी बीवियाँ अता करे जो फ़रमाबरदार ईमानदार ख़ुदा रसूल की मुतीय (गुनाहों से) तौबा करने वालियाँ इबादत गुज़ार रोज़ा रखने वालियाँ ब्याही हुई
Surah At-Tahrim, Verse 5
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ قُوٓاْ أَنفُسَكُمۡ وَأَهۡلِيكُمۡ نَارٗا وَقُودُهَا ٱلنَّاسُ وَٱلۡحِجَارَةُ عَلَيۡهَا مَلَـٰٓئِكَةٌ غِلَاظٞ شِدَادٞ لَّا يَعۡصُونَ ٱللَّهَ مَآ أَمَرَهُمۡ وَيَفۡعَلُونَ مَا يُؤۡمَرُونَ
और बिन ब्याही कुंवारियाँ हो ऐ ईमानदारों अपने आपको और अपने लड़के बालों को (जहन्नुम की) आग से बचाओ जिसके इंधन आदमी और पत्थर होंगे उन पर वह तन्दख़ू सख्त मिजाज़ फ़रिश्ते (मुक़र्रर) हैं कि ख़ुदा जिस बात का हुक्म देता है उसकी नाफरमानी नहीं करते और जो हुक्म उन्हें मिलता है उसे बजा लाते हैं
Surah At-Tahrim, Verse 6
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لَا تَعۡتَذِرُواْ ٱلۡيَوۡمَۖ إِنَّمَا تُجۡزَوۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
(जब कुफ्फ़ार दोज़ख़ के सामने आएँगे तो कहा जाएगा) काफ़िरों आज बहाने न ढूँढो जो कुछ तुम करते थे तुम्हें उसकी सज़ा दी जाएगी
Surah At-Tahrim, Verse 7
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ تُوبُوٓاْ إِلَى ٱللَّهِ تَوۡبَةٗ نَّصُوحًا عَسَىٰ رَبُّكُمۡ أَن يُكَفِّرَ عَنكُمۡ سَيِّـَٔاتِكُمۡ وَيُدۡخِلَكُمۡ جَنَّـٰتٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ يَوۡمَ لَا يُخۡزِي ٱللَّهُ ٱلنَّبِيَّ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مَعَهُۥۖ نُورُهُمۡ يَسۡعَىٰ بَيۡنَ أَيۡدِيهِمۡ وَبِأَيۡمَٰنِهِمۡ يَقُولُونَ رَبَّنَآ أَتۡمِمۡ لَنَا نُورَنَا وَٱغۡفِرۡ لَنَآۖ إِنَّكَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٞ
ऐ ईमानदारों ख़ुदा की बारगाह में साफ़ ख़ालिस दिल से तौबा करो तो (उसकी वजह से) उम्मीद है कि तुम्हारा परवरदिगार तुमसे तुम्हारे गुनाह दूर कर दे और तुमको (बेहिश्त के) उन बाग़ों में दाखिल करे जिनके नीचे नहरें जारी हैं उस दिन जब ख़ुदा रसूल को और उन लोगों को जो उनके साथ ईमान लाए हैं रूसवा नहीं करेगा (बल्कि) उनका नूर उनके आगे आगे और उनके दाहिने तरफ़ (रौशनी करता) चल रहा होगा और ये लोग ये दुआ करते होंगे परवरदिगार हमारे लिए हमारा नूर पूरा कर और हमें बख्य दे बेशक तू हर चीज़ पर कादिर है
Surah At-Tahrim, Verse 8
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِيُّ جَٰهِدِ ٱلۡكُفَّارَ وَٱلۡمُنَٰفِقِينَ وَٱغۡلُظۡ عَلَيۡهِمۡۚ وَمَأۡوَىٰهُمۡ جَهَنَّمُۖ وَبِئۡسَ ٱلۡمَصِيرُ
ऐ रसूल काफ़िरों और मुनाफ़िकों से जेहाद करो और उन पर सख्ती करो और उनका ठिकाना जहन्नुम है और वह क्या बुरा ठिकाना है
Surah At-Tahrim, Verse 9
ضَرَبَ ٱللَّهُ مَثَلٗا لِّلَّذِينَ كَفَرُواْ ٱمۡرَأَتَ نُوحٖ وَٱمۡرَأَتَ لُوطٖۖ كَانَتَا تَحۡتَ عَبۡدَيۡنِ مِنۡ عِبَادِنَا صَٰلِحَيۡنِ فَخَانَتَاهُمَا فَلَمۡ يُغۡنِيَا عَنۡهُمَا مِنَ ٱللَّهِ شَيۡـٔٗا وَقِيلَ ٱدۡخُلَا ٱلنَّارَ مَعَ ٱلدَّـٰخِلِينَ
ख़ुदा ने काफिरों (की इबरत) के वास्ते नूह की बीवी (वाएला) और लूत की बीवी (वाहेला) की मसल बयान की है कि ये दोनो हमारे बन्दों के तसर्रुफ़ थीं तो दोनों ने अपने शौहरों से दगा की तो उनके शौहर ख़ुदा के मुक़ाबले में उनके कुछ भी काम न आए और उनको हुक्म दिया गया कि और जाने वालों के साथ जहन्नुम में तुम दोनों भी दाखिल हो जाओ
Surah At-Tahrim, Verse 10
وَضَرَبَ ٱللَّهُ مَثَلٗا لِّلَّذِينَ ءَامَنُواْ ٱمۡرَأَتَ فِرۡعَوۡنَ إِذۡ قَالَتۡ رَبِّ ٱبۡنِ لِي عِندَكَ بَيۡتٗا فِي ٱلۡجَنَّةِ وَنَجِّنِي مِن فِرۡعَوۡنَ وَعَمَلِهِۦ وَنَجِّنِي مِنَ ٱلۡقَوۡمِ ٱلظَّـٰلِمِينَ
और ख़ुदा ने मोमिनीन (की तसल्ली) के लिए फिरऔन की बीवी (आसिया) की मिसाल बयान फ़रमायी है कि जब उसने दुआ की परवरदिगार मेरे लिए अपने यहाँ बेहिश्त में एक घर बना और मुझे फिरऔन और उसकी कारस्तानी से नजात दे और मुझे ज़ालिम लोगो (के हाथ) से छुटकारा अता फ़रमा
Surah At-Tahrim, Verse 11
وَمَرۡيَمَ ٱبۡنَتَ عِمۡرَٰنَ ٱلَّتِيٓ أَحۡصَنَتۡ فَرۡجَهَا فَنَفَخۡنَا فِيهِ مِن رُّوحِنَا وَصَدَّقَتۡ بِكَلِمَٰتِ رَبِّهَا وَكُتُبِهِۦ وَكَانَتۡ مِنَ ٱلۡقَٰنِتِينَ
और (दूसरी मिसाल) इमरान की बेटी मरियम जिसने अपनी शर्मगाह को महफूज़ रखा तो हमने उसमें रूह फूंक दी और उसने अपने परवरदिगार की बातों और उसकी किताबों की तस्दीक़ की और फरमाबरदारों में थी
Surah At-Tahrim, Verse 12