وَٱلَّذِينَ يُمَسِّكُونَ بِٱلۡكِتَٰبِ وَأَقَامُواْ ٱلصَّلَوٰةَ إِنَّا لَا نُضِيعُ أَجۡرَ ٱلۡمُصۡلِحِينَ
और जो लोग पुस्तक को दृढ़ता से पकड़ते और नमाज़ की स्थापना करते हैं, तो वास्तव में, हम सत्कर्मियों का प्रतिफल अकारथ नहीं करते।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari