Surah Al-Anfal Verse 34 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah Al-Anfalوَمَا لَهُمۡ أَلَّا يُعَذِّبَهُمُ ٱللَّهُ وَهُمۡ يَصُدُّونَ عَنِ ٱلۡمَسۡجِدِ ٱلۡحَرَامِ وَمَا كَانُوٓاْ أَوۡلِيَآءَهُۥٓۚ إِنۡ أَوۡلِيَآؤُهُۥٓ إِلَّا ٱلۡمُتَّقُونَ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَعۡلَمُونَ
और जब ये लोग लोगों को मस्जिदुल हराम (ख़ान ए काबा की इबादत) से रोकते है तो फिर उनके लिए कौन सी बात बाक़ी है कि उन पर अज़ाब न नाज़िल करे और ये लोग तो ख़ानाए काबा के मुतवल्ली भी नहीं (फिर क्यों रोकते है) इसके मुतवल्ली तो सिर्फ परहेज़गार लोग हैं मगर इन काफ़िरों में से बहुतेरे नहीं जानते