إِذۡ تَسۡتَغِيثُونَ رَبَّكُمۡ فَٱسۡتَجَابَ لَكُمۡ أَنِّي مُمِدُّكُم بِأَلۡفٖ مِّنَ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةِ مُرۡدِفِينَ
जब तुम अपने पालनहार को (बद्र के युध्द के समय) गुहार रहे थे। तो उसने तुम्हारी प्रार्थना सुन ली। (और कहाः) मैं तुम्हारी सहायता के लिए लगातार एक हज़ार फ़रिश्ते भेज रहा[1] हूँ।
Author: Maulana Azizul Haque Al Umari