أَوَلَا يَرَوۡنَ أَنَّهُمۡ يُفۡتَنُونَ فِي كُلِّ عَامٖ مَّرَّةً أَوۡ مَرَّتَيۡنِ ثُمَّ لَا يَتُوبُونَ وَلَا هُمۡ يَذَّكَّرُونَ
क्या वह लोग (इतना भी) नहीं देखते कि हर साल एक मरतबा या दो मरतबा बला में मुबितला किए जाते हैं फिर भी न तो ये लोग तौबा ही करते हैं और न नसीहत ही मानते हैं
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi