Surah At-Taubah Verse 127 - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Surah At-Taubahوَإِذَا مَآ أُنزِلَتۡ سُورَةٞ نَّظَرَ بَعۡضُهُمۡ إِلَىٰ بَعۡضٍ هَلۡ يَرَىٰكُم مِّنۡ أَحَدٖ ثُمَّ ٱنصَرَفُواْۚ صَرَفَ ٱللَّهُ قُلُوبَهُم بِأَنَّهُمۡ قَوۡمٞ لَّا يَفۡقَهُونَ
और जब कोई सूरा नाज़िल किया गया तो उसमें से एक की तरफ एक देखने लगा (और ये कहकर कि) तुम को कोई मुसलमान देखता तो नहीं है फिर (अपने घर) पलट जाते हैं (ये लोग क्या पलटेगें गोया) ख़ुदा ने उनके दिलों को पलट दिया है इस सबब से कि ये बिल्कुल नासमझ लोग हैं