Surah Al-Baqara Verse 165 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Baqaraوَمِنَ ٱلنَّاسِ مَن يَتَّخِذُ مِن دُونِ ٱللَّهِ أَندَادٗا يُحِبُّونَهُمۡ كَحُبِّ ٱللَّهِۖ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ أَشَدُّ حُبّٗا لِّلَّهِۗ وَلَوۡ يَرَى ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓاْ إِذۡ يَرَوۡنَ ٱلۡعَذَابَ أَنَّ ٱلۡقُوَّةَ لِلَّهِ جَمِيعٗا وَأَنَّ ٱللَّهَ شَدِيدُ ٱلۡعَذَابِ
कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अल्लाह के सिवा दूसरों को उसका साझी बनाते हैं और उनसे, अल्लाह से प्रेम करने जैसा प्रेम करते हैं तथा जो ईमान लाये, वे अल्लाह से सर्वाधिक प्रेम करते हैं और क्या ही अच्छा होता, यदि ये अत्याचारी यातना देखने के समय[1] जो बात जानेंगे, इसी समय[2] जानते कि सब शक्ति तथा अधिकार अल्लाह ही को है और अल्लाह का दण्ड भी बहुत कड़ा है, (तो अल्लाह के सिवा दूसरे की पूजा अराधना नहीं करते।)