Surah Al-Baqara Verse 177 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Baqara۞لَّيۡسَ ٱلۡبِرَّ أَن تُوَلُّواْ وُجُوهَكُمۡ قِبَلَ ٱلۡمَشۡرِقِ وَٱلۡمَغۡرِبِ وَلَٰكِنَّ ٱلۡبِرَّ مَنۡ ءَامَنَ بِٱللَّهِ وَٱلۡيَوۡمِ ٱلۡأٓخِرِ وَٱلۡمَلَـٰٓئِكَةِ وَٱلۡكِتَٰبِ وَٱلنَّبِيِّـۧنَ وَءَاتَى ٱلۡمَالَ عَلَىٰ حُبِّهِۦ ذَوِي ٱلۡقُرۡبَىٰ وَٱلۡيَتَٰمَىٰ وَٱلۡمَسَٰكِينَ وَٱبۡنَ ٱلسَّبِيلِ وَٱلسَّآئِلِينَ وَفِي ٱلرِّقَابِ وَأَقَامَ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتَى ٱلزَّكَوٰةَ وَٱلۡمُوفُونَ بِعَهۡدِهِمۡ إِذَا عَٰهَدُواْۖ وَٱلصَّـٰبِرِينَ فِي ٱلۡبَأۡسَآءِ وَٱلضَّرَّآءِ وَحِينَ ٱلۡبَأۡسِۗ أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ صَدَقُواْۖ وَأُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلۡمُتَّقُونَ
भलाई ये नहीं है कि तुम अपना मुख पूर्व अथवा पश्चिम की ओर फेर लो! भला कर्म तो उसका है, जो अल्लाह और अन्तिम दिन (प्रलय) पर ईमान लाया तथा फ़रिश्तों, सब पुस्तकों, नबियों पर (भी ईमान लाया), धन का मोह रखते हुए, समीपवर्तियों, अनाथों, निर्धनों, यात्रियों तथा याचकों (काफ़िरों) को और दास मुक्ति के लिए दिया, नमाज़ की स्थापना की, ज़कात दी, अपने वचन को, जब भी वचन दिया, पूरा करते रहे एवं निर्धनता और रोग तथा युध्द की स्थिति में धैर्यवान रहे। यही लोग सच्चे हैं तथा यही (अल्लाह से) डरते[1] हैं।