Surah Al-Baqara Verse 178 - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
Surah Al-Baqaraيَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ كُتِبَ عَلَيۡكُمُ ٱلۡقِصَاصُ فِي ٱلۡقَتۡلَىۖ ٱلۡحُرُّ بِٱلۡحُرِّ وَٱلۡعَبۡدُ بِٱلۡعَبۡدِ وَٱلۡأُنثَىٰ بِٱلۡأُنثَىٰۚ فَمَنۡ عُفِيَ لَهُۥ مِنۡ أَخِيهِ شَيۡءٞ فَٱتِّبَاعُۢ بِٱلۡمَعۡرُوفِ وَأَدَآءٌ إِلَيۡهِ بِإِحۡسَٰنٖۗ ذَٰلِكَ تَخۡفِيفٞ مِّن رَّبِّكُمۡ وَرَحۡمَةٞۗ فَمَنِ ٱعۡتَدَىٰ بَعۡدَ ذَٰلِكَ فَلَهُۥ عَذَابٌ أَلِيمٞ
हे ईमान वालो! तुमपर निहत व्यक्तियों के बारे में क़िसास (बराबरी का बदला) अनिवार्य[1] कर दिया गया है। स्वतंत्र का बदला स्वतंत्र से लिया जायेगा, दास का दास से और नारी का नारी से। जिस अपराधी के लिए उसके भाई की ओर से कुछ क्षमा कर[2] दिया जाये, तो उसे सामान्य नियम का अनुसरण (अनुपालन) करना चाहिये। निहत व्यक्ति के वारिस को भलाई के साथ दियत (अर्थदण्ड) चुका देना चाहिये। ये तुम्हारे पालनहार की ओर से सुविधा तथा दया है। इसपर भी जो अत्याचार[3] करे, तो उसके लिए दुःखदायी यातना है।