Surah Ash-Shuara - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
طسٓمٓ
ता, सीन, मीम।
Surah Ash-Shuara, Verse 1
تِلۡكَ ءَايَٰتُ ٱلۡكِتَٰبِ ٱلۡمُبِينِ
ये प्रकाशमय पुस्तक की आयतें हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 2
لَعَلَّكَ بَٰخِعٞ نَّفۡسَكَ أَلَّا يَكُونُواْ مُؤۡمِنِينَ
संभवतः, आप अपना प्राण[1] खो देने वाले हैं कि वे ईमान लाने वाले नहीं हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 3
إِن نَّشَأۡ نُنَزِّلۡ عَلَيۡهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ ءَايَةٗ فَظَلَّتۡ أَعۡنَٰقُهُمۡ لَهَا خَٰضِعِينَ
यदि हम चाहें, तो उतार दें उनपर आकाश से ऐसी निशानी कि उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी की झुकी रह जायें[1]।
Surah Ash-Shuara, Verse 4
وَمَا يَأۡتِيهِم مِّن ذِكۡرٖ مِّنَ ٱلرَّحۡمَٰنِ مُحۡدَثٍ إِلَّا كَانُواْ عَنۡهُ مُعۡرِضِينَ
और नहीं आती है उनके पालनहार, अति दयावान् की ओर से कोई नई शिक्षा, परन्तु वे उससे मुख फेरने वाले बन जाते हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 5
فَقَدۡ كَذَّبُواْ فَسَيَأۡتِيهِمۡ أَنۢبَـٰٓؤُاْ مَا كَانُواْ بِهِۦ يَسۡتَهۡزِءُونَ
तो उन्होंने झुठला दिया! अब उनके पास शीघ्र ही उसकी सूचनाएँ आ जायेंगी, जिसका उपहास वे कर रहे थे।
Surah Ash-Shuara, Verse 6
أَوَلَمۡ يَرَوۡاْ إِلَى ٱلۡأَرۡضِ كَمۡ أَنۢبَتۡنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوۡجٖ كَرِيمٍ
और क्या उन्होंने धरती की ओर नहीं देखा कि हमने उसमें उगाई हैं, बहुत-सी प्रत्येक प्रकार की अच्छी वनस्पतियाँ
Surah Ash-Shuara, Verse 7
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
निश्चय ही, इसमें बड़ी निशानी (लक्षण)[1] है। फिर उनमें अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 8
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
तथा वास्तव में, आपका पालनहार ही प्रभुत्वशाली, अति दयावान् है।
Surah Ash-Shuara, Verse 9
وَإِذۡ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱئۡتِ ٱلۡقَوۡمَ ٱلظَّـٰلِمِينَ
(उन्हें उस समय की कथा सुनाओ) जब पुकारा आपके पालनहार ने मूसा को कि जाओ अत्याचारी जाति[1] के पास
Surah Ash-Shuara, Verse 10
قَوۡمَ فِرۡعَوۡنَۚ أَلَا يَتَّقُونَ
फ़िरऔन की जाति के पास, क्या वे डरते नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 11
قَالَ رَبِّ إِنِّيٓ أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ
उसने कहाः मेरे पालनहार! वास्तव में, मुझे भय है कि वे मुझे झुठला देंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 12
وَيَضِيقُ صَدۡرِي وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِي فَأَرۡسِلۡ إِلَىٰ هَٰرُونَ
और संकुचित हो रहा है मेरा सीना और नहीं चल रही है मेरी ज़ुबान, अतः वह़्यी भेज दे हारून की ओर (भी)।
Surah Ash-Shuara, Verse 13
وَلَهُمۡ عَلَيَّ ذَنۢبٞ فَأَخَافُ أَن يَقۡتُلُونِ
और उनका मुझपर एक अपराध भी है। अतः, मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 14
قَالَ كَلَّاۖ فَٱذۡهَبَا بِـَٔايَٰتِنَآۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسۡتَمِعُونَ
अल्लाह ने कहाः कदापि ऐसा नहीं होगा। तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ, हम तुम्हारे साथ सुनने[1] वाले हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 15
فَأۡتِيَا فِرۡعَوۡنَ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولُ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
तो तुम दोनों जाओ और कहो कि हम विश्व के पालनहार के भेजे हुए (रसूल) हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 16
أَنۡ أَرۡسِلۡ مَعَنَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ
कि तू हमारे साथ बनी इस्राईल को जाने दे।
Surah Ash-Shuara, Verse 17
قَالَ أَلَمۡ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدٗا وَلَبِثۡتَ فِينَا مِنۡ عُمُرِكَ سِنِينَ
(फ़िरऔन ने) कहाः क्या हमने तेरा पालन नहीं किया है, अपने यहाँ बाल्यवस्था में और तू (नहीं) रहा है, हममें अपनी आयु के कई वर्ष
Surah Ash-Shuara, Verse 18
وَفَعَلۡتَ فَعۡلَتَكَ ٱلَّتِي فَعَلۡتَ وَأَنتَ مِنَ ٱلۡكَٰفِرِينَ
और तू कर गया वह कार्य,[1] जो किया और तू कृतघनों में से है
Surah Ash-Shuara, Verse 19
قَالَ فَعَلۡتُهَآ إِذٗا وَأَنَا۠ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ
(मूसा ने) कहाः मैंने ऐसा उस समय कर दिया, जबकि मैं अनजान था।
Surah Ash-Shuara, Verse 20
فَفَرَرۡتُ مِنكُمۡ لَمَّا خِفۡتُكُمۡ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكۡمٗا وَجَعَلَنِي مِنَ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
फिर मैं तुमसे भाग गया, जब तुमसे भय हुआ। फिर प्रदान कर दिया मुझे, मेरे पालनहार ने तत्वदर्शिता और मुझे बना दिया रसूलों में से।
Surah Ash-Shuara, Verse 21
وَتِلۡكَ نِعۡمَةٞ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنۡ عَبَّدتَّ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ
और ये कोई उपकार है, जो तू मुझे जता रहा है कि तूने दास बना लिया है, इस्राईल के पुत्रों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 22
قَالَ فِرۡعَوۡنُ وَمَا رَبُّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
फ़िरऔन ने कहाः विश्व का पालनहार क्या है
Surah Ash-Shuara, Verse 23
قَالَ رَبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَآۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ
(मूसा ने) कहाः आकाशों तथा धरती और उसका पालनहार, जो कुछ दोनों के बीच है, यदि तुम विश्वास रखने वाले हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 24
قَالَ لِمَنۡ حَوۡلَهُۥٓ أَلَا تَسۡتَمِعُونَ
उसने उनसे कहा, जो उसके आस-पास थेः क्या तुम सुन नहीं रहे हो
Surah Ash-Shuara, Verse 25
قَالَ رَبُّكُمۡ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلۡأَوَّلِينَ
(मुसा ने) कहाः तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पूर्वोजों का पालनहार है।
Surah Ash-Shuara, Verse 26
قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ ٱلَّذِيٓ أُرۡسِلَ إِلَيۡكُمۡ لَمَجۡنُونٞ
(फ़िरऔन ने) कहाः वास्तव में, तुम्हारा रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, पागल है।
Surah Ash-Shuara, Verse 27
قَالَ رَبُّ ٱلۡمَشۡرِقِ وَٱلۡمَغۡرِبِ وَمَا بَيۡنَهُمَآۖ إِن كُنتُمۡ تَعۡقِلُونَ
(मूसा ने) कहाः वह, पूर्व तथा पश्चिम तथा दोनों के मध्य जो कुछ है, सबका पालनहार है।
Surah Ash-Shuara, Verse 28
قَالَ لَئِنِ ٱتَّخَذۡتَ إِلَٰهًا غَيۡرِي لَأَجۡعَلَنَّكَ مِنَ ٱلۡمَسۡجُونِينَ
(फ़िरऔन ने) कहाः यदि तूने कोई पूज्य बना लिया मेरे अतिरिक्त, तो तुझे बंदियों में कर दूँगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 29
قَالَ أَوَلَوۡ جِئۡتُكَ بِشَيۡءٖ مُّبِينٖ
(मूसा ने) कहाः क्या यद्यपि मैं ले आऊँ तेरे पास एक खुली चीज़
Surah Ash-Shuara, Verse 30
قَالَ فَأۡتِ بِهِۦٓ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
उसने कहाः तू उसे ले आ, यदि सच्चा है।
Surah Ash-Shuara, Verse 31
فَأَلۡقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعۡبَانٞ مُّبِينٞ
फिर उसने अपनी लाठी फेंक दी, तो अकस्मात वह एक प्रत्यक्ष अजगर बन गयी।
Surah Ash-Shuara, Verse 32
وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِيَ بَيۡضَآءُ لِلنَّـٰظِرِينَ
तथा अपना हाथ निकाला, तो अकस्मात वह उज्ज्वल था, देखने वालों के लिए।
Surah Ash-Shuara, Verse 33
قَالَ لِلۡمَلَإِ حَوۡلَهُۥٓ إِنَّ هَٰذَا لَسَٰحِرٌ عَلِيمٞ
उसने अपने प्रमुखों से कहा, जो उसके पास थेः वास्तव में, ये तो बड़ा दक्ष जादूगर है।
Surah Ash-Shuara, Verse 34
يُرِيدُ أَن يُخۡرِجَكُم مِّنۡ أَرۡضِكُم بِسِحۡرِهِۦ فَمَاذَا تَأۡمُرُونَ
ये चाहता है कि तुम्हें, तुम्हारी धरती से निकाल[1] दे, अपने जादू के बल से, तो अब तुम क्या आदेश देते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 35
قَالُوٓاْ أَرۡجِهۡ وَأَخَاهُ وَٱبۡعَثۡ فِي ٱلۡمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ
सबने कहाः अवसर (समय) दो मूसा और उसके भाई (के विषय) को और भेज दो नगरों में एकत्र करने वालों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 36
يَأۡتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٖ
वे तुम्हारे पास प्रत्येक बड़े दक्ष जादूगर को लायें।
Surah Ash-Shuara, Verse 37
فَجُمِعَ ٱلسَّحَرَةُ لِمِيقَٰتِ يَوۡمٖ مَّعۡلُومٖ
तो एकत्र कर लिए गये जादूगर एक निश्चित दिन के समय के लिए।
Surah Ash-Shuara, Verse 38
وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلۡ أَنتُم مُّجۡتَمِعُونَ
तथा लोगों से कहा गया कि क्या तुम एकत्र होने वाले[1] हो
Surah Ash-Shuara, Verse 39
لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ ٱلسَّحَرَةَ إِن كَانُواْ هُمُ ٱلۡغَٰلِبِينَ
ताकि हम पीछे चलें जादूगरों के यदि वही प्रभुत्वशाली (विजयी) हो जायें।
Surah Ash-Shuara, Verse 40
فَلَمَّا جَآءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالُواْ لِفِرۡعَوۡنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجۡرًا إِن كُنَّا نَحۡنُ ٱلۡغَٰلِبِينَ
और जब जादूगर आये, तो फ़िरऔन से कहाः क्या हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा, यदि हम ही प्रभुत्वशाली होंगे
Surah Ash-Shuara, Verse 41
قَالَ نَعَمۡ وَإِنَّكُمۡ إِذٗا لَّمِنَ ٱلۡمُقَرَّبِينَ
उसने कहाः हाँ! और तुम उस समय (मेरे) समीपवर्तियों में हो जाओगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 42
قَالَ لَهُم مُّوسَىٰٓ أَلۡقُواْ مَآ أَنتُم مُّلۡقُونَ
मूसा ने उनसे कहाः फेंको, जो कुछ तुम फेंकने वाले हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 43
فَأَلۡقَوۡاْ حِبَالَهُمۡ وَعِصِيَّهُمۡ وَقَالُواْ بِعِزَّةِ فِرۡعَوۡنَ إِنَّا لَنَحۡنُ ٱلۡغَٰلِبُونَ
तो उन्होंने फेंक दी उपनी रस्सियाँ तथा अपनी लाठियाँ तथा कहाः फ़िरऔन के प्रभुत्व की शपथ! हम ही अवश्य प्रभुत्वशाली (विजयी) होंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 44
فَأَلۡقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلۡقَفُ مَا يَأۡفِكُونَ
अब मूसा ने फेंक दी अपनी लाठी, तो तत्क्षण वह निगलने लगी (उसे), जो झूठ वे बना रहे थे।
Surah Ash-Shuara, Verse 45
فَأُلۡقِيَ ٱلسَّحَرَةُ سَٰجِدِينَ
तो गिर गये सभी जादूगर[1] सज्दा करते हुए।
Surah Ash-Shuara, Verse 46
قَالُوٓاْ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
और सबने कह दियाः हम विश्व के पालनहार पर ईमान लाये।
Surah Ash-Shuara, Verse 47
رَبِّ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ
मूसा तथा हारून के पालनहार पर।
Surah Ash-Shuara, Verse 48
قَالَ ءَامَنتُمۡ لَهُۥ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِي عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحۡرَ فَلَسَوۡفَ تَعۡلَمُونَۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيۡدِيَكُمۡ وَأَرۡجُلَكُم مِّنۡ خِلَٰفٖ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمۡ أَجۡمَعِينَ
(फ़िरऔन ने) कहाः तुम उसका विश्वास कर बैठे, इससे पहले कि मैं तुम्हें आज्ञा दूँ? वास्तव में, वह तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है, तो तुम्हें शीघ्र ज्ञान हो जायेगा, मैं अवश्य तुम्हारे हाथों तथा पैरों को विपरीत दिशा[1] से काट दूँगा तथा तुम सभी को फाँसी दे दूँगा
Surah Ash-Shuara, Verse 49
قَالُواْ لَا ضَيۡرَۖ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ
सबने कहाः कोई चिन्ता नहीं, हमतो अपने पालनहार हीकी ओर फिरकर जाने वाले हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 50
إِنَّا نَطۡمَعُ أَن يَغۡفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَٰيَٰنَآ أَن كُنَّآ أَوَّلَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
हम आशा रखते हैं कि क्षमा कर देगा, हमारे लिए, हमारा पालनहार, हमारे पापों को, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 51
۞وَأَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنۡ أَسۡرِ بِعِبَادِيٓ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
और हमने मूसा की ओर वह़्यी की कि रातों-रात निकल जा मेरे भक्तों को लेकर, तुम सबका पीछा किया जायेगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 52
فَأَرۡسَلَ فِرۡعَوۡنُ فِي ٱلۡمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ
तो फ़िरऔन ने भेज दिया नगरों में (सेना) एकत्र करने[1] वालों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 53
إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَشِرۡذِمَةٞ قَلِيلُونَ
कि वे बहुत थोड़े लोग हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 54
وَإِنَّهُمۡ لَنَا لَغَآئِظُونَ
और (इसपर भी) वे हमें अति क्रोधित कर रहे हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 55
وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَٰذِرُونَ
और वास्तव में, हम एक गिरोह हैं सावधान रहने वाले।
Surah Ash-Shuara, Verse 56
فَأَخۡرَجۡنَٰهُم مِّن جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٖ
अन्ततः, हमने निकाल दिया उन्हें, बागों तथा स्रोतों से।
Surah Ash-Shuara, Verse 57
وَكُنُوزٖ وَمَقَامٖ كَرِيمٖ
तथा कोषों और उत्तम निवास स्थानों से।
Surah Ash-Shuara, Verse 58
كَذَٰلِكَۖ وَأَوۡرَثۡنَٰهَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ
इसी प्रकार हुआ और हमने उनका उत्तराधिकारी बना दिया, इस्राईल की संतान को।
Surah Ash-Shuara, Verse 59
فَأَتۡبَعُوهُم مُّشۡرِقِينَ
तो उन्होंने उनका पीछा किया, प्रातः होते ही।
Surah Ash-Shuara, Verse 60
فَلَمَّا تَرَـٰٓءَا ٱلۡجَمۡعَانِ قَالَ أَصۡحَٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدۡرَكُونَ
और जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया, तो मूसा के साथियों ने कहाः हमतो निश्चय ही पकड़ लिए[1] गये।
Surah Ash-Shuara, Verse 61
قَالَ كَلَّآۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهۡدِينِ
(मूसा ने) कहाः कदापि नहीं, निश्चय मेरे साथ मेरा पालनहार है।
Surah Ash-Shuara, Verse 62
فَأَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضۡرِب بِّعَصَاكَ ٱلۡبَحۡرَۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرۡقٖ كَٱلطَّوۡدِ ٱلۡعَظِيمِ
तो हमने मूसा को वह़्यी की कि मार अपनी लाठी से सागर को, अकस्मात् सागर फट गया तथा प्रत्येक भाग, भारी पर्वत के समान[1] हो गया।
Surah Ash-Shuara, Verse 63
وَأَزۡلَفۡنَا ثَمَّ ٱلۡأٓخَرِينَ
तथा हमने समीप कर दिया उसी स्थान के, दूसरे गिरोह को।
Surah Ash-Shuara, Verse 64
وَأَنجَيۡنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجۡمَعِينَ
और मुक्ति प्रदान कर दी मूसा और उसके सब साथियों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 65
ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا ٱلۡأٓخَرِينَ
फिर हमने डुबो दिया दूसरों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 66
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
वास्तव में, इसमें बड़ी शिक्षा है और उनमें से अधिक्तर लोग ईमान वाले नहीं थे।
Surah Ash-Shuara, Verse 67
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
तथा वास्तव में, आपका पालनहार निश्चय अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
Surah Ash-Shuara, Verse 68
وَٱتۡلُ عَلَيۡهِمۡ نَبَأَ إِبۡرَٰهِيمَ
तथा आप, उन्हें सुना दें, इब्राहीम का समाचार (भी)।
Surah Ash-Shuara, Verse 69
إِذۡ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوۡمِهِۦ مَا تَعۡبُدُونَ
जब उसने कहा, अपने बाप तथा अपनी जाति से कि तुम क्या पूज रहे हो
Surah Ash-Shuara, Verse 70
قَالُواْ نَعۡبُدُ أَصۡنَامٗا فَنَظَلُّ لَهَا عَٰكِفِينَ
उन्होंने कहाः हम मूर्तियों की पूजा कर रहे हैं और उन्हीं की सेवा में लगे रहते हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 71
قَالَ هَلۡ يَسۡمَعُونَكُمۡ إِذۡ تَدۡعُونَ
उसने कहाः क्या वे तुम्हारी सुनती हैं, जब तुम पुकारते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 72
أَوۡ يَنفَعُونَكُمۡ أَوۡ يَضُرُّونَ
या तुम्हें लाभ पहुँचाती या हानि पहुँचाती हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 73
قَالُواْ بَلۡ وَجَدۡنَآ ءَابَآءَنَا كَذَٰلِكَ يَفۡعَلُونَ
उन्होंने कहाः बल्कि हमने अपने पूर्वोजों को ऐसा ही करते हुए पाया है।
Surah Ash-Shuara, Verse 74
قَالَ أَفَرَءَيۡتُم مَّا كُنتُمۡ تَعۡبُدُونَ
उसने कहाः क्या तुमने कभी (आँख खोलकर) उसे देखा, जिसे तुम पूज रहे हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 75
أَنتُمۡ وَءَابَآؤُكُمُ ٱلۡأَقۡدَمُونَ
तुम तथा तुम्हारे पहले पूर्वज
Surah Ash-Shuara, Verse 76
فَإِنَّهُمۡ عَدُوّٞ لِّيٓ إِلَّا رَبَّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
क्योंकि ये सब मेरे शत्रु हैं, पूरे विश्व के पालनहार के सिवा।
Surah Ash-Shuara, Verse 77
ٱلَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهۡدِينِ
जिसने मुझे पैदा किया, फिर वही मुझे मार्ग दर्शा रहा है।
Surah Ash-Shuara, Verse 78
وَٱلَّذِي هُوَ يُطۡعِمُنِي وَيَسۡقِينِ
और जो मुझे खिलाता और पिलाता है।
Surah Ash-Shuara, Verse 79
وَإِذَا مَرِضۡتُ فَهُوَ يَشۡفِينِ
और जब रोगी होता हूँ, तो वही मुझे स्वस्थ करता है।
Surah Ash-Shuara, Verse 80
وَٱلَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحۡيِينِ
तथा वही मुझे मारेगा, फिर[1] मुझे जीवित करेगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 81
وَٱلَّذِيٓ أَطۡمَعُ أَن يَغۡفِرَ لِي خَطِيٓـَٔتِي يَوۡمَ ٱلدِّينِ
तथा मैं आशा रखता हूँ कि क्षमा कर देगा, मेरे लिए, मेरे पाप, प्रतिकार (प्रलय) के दिन।
Surah Ash-Shuara, Verse 82
رَبِّ هَبۡ لِي حُكۡمٗا وَأَلۡحِقۡنِي بِٱلصَّـٰلِحِينَ
हे मेरे पालनहार! प्रदान कर दे मुझे तत्वदर्शिता और मुझे सम्मिलित कर सदाचारियों में।
Surah Ash-Shuara, Verse 83
وَٱجۡعَل لِّي لِسَانَ صِدۡقٖ فِي ٱلۡأٓخِرِينَ
और मुझे सच्ची ख्याति प्रदान कर, आगामी लोगों में।
Surah Ash-Shuara, Verse 84
وَٱجۡعَلۡنِي مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِيمِ
और बना दे मुझे, सुख के स्वर्ग का उत्तराधिकारी।
Surah Ash-Shuara, Verse 85
وَٱغۡفِرۡ لِأَبِيٓ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ
तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे,[1] वास्तव में, वह कुपथों में से है।
Surah Ash-Shuara, Verse 86
وَلَا تُخۡزِنِي يَوۡمَ يُبۡعَثُونَ
तथा मुझे निरादर न कर, जिस दिन सब जीवित किये[1] जायेंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 87
يَوۡمَ لَا يَنفَعُ مَالٞ وَلَا بَنُونَ
जिस दिन, लाभ नहीं देगा कोई धन और न संतान।
Surah Ash-Shuara, Verse 88
إِلَّا مَنۡ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلۡبٖ سَلِيمٖ
परन्तु, जो अल्लाह के पास स्वच्छ दिल लेकर आयेगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 89
وَأُزۡلِفَتِ ٱلۡجَنَّةُ لِلۡمُتَّقِينَ
और समीप कर दी जायेगी स्वर्ग आज्ञाकारियों के लिए।
Surah Ash-Shuara, Verse 90
وَبُرِّزَتِ ٱلۡجَحِيمُ لِلۡغَاوِينَ
तथा खोल दी जायेगी नरक कुपथों के लिए।
Surah Ash-Shuara, Verse 91
وَقِيلَ لَهُمۡ أَيۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡبُدُونَ
तथा कहा जायेगाः कहाँ हैं वे, जिन्हें तुम पूज रहे थे
Surah Ash-Shuara, Verse 92
مِن دُونِ ٱللَّهِ هَلۡ يَنصُرُونَكُمۡ أَوۡ يَنتَصِرُونَ
अल्लाह के सिवा, क्या वे तुम्हारी सहायता करेंगे अथवा स्वयं अपनी सहायता कर सकते हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 93
فَكُبۡكِبُواْ فِيهَا هُمۡ وَٱلۡغَاوُۥنَ
फिर उसमें औंधे झोंक दिये जायेंगे वे और सभी कुपथ।
Surah Ash-Shuara, Verse 94
وَجُنُودُ إِبۡلِيسَ أَجۡمَعُونَ
और इब्लीस की सेना सभी।
Surah Ash-Shuara, Verse 95
قَالُواْ وَهُمۡ فِيهَا يَخۡتَصِمُونَ
और वे उसमें आपस में झगड़ते हुए कहंगेः
Surah Ash-Shuara, Verse 96
تَٱللَّهِ إِن كُنَّا لَفِي ضَلَٰلٖ مُّبِينٍ
अल्लाह की शपथ! वास्तव में, हम खुले कुपथ में थे।
Surah Ash-Shuara, Verse 97
إِذۡ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
जब हम तुम्हें, बराबर समझ रहे थे विश्व के पालनहार के।
Surah Ash-Shuara, Verse 98
وَمَآ أَضَلَّنَآ إِلَّا ٱلۡمُجۡرِمُونَ
और हमें कुपथ नहीं किया, परन्तु अपराधियों ने।
Surah Ash-Shuara, Verse 99
فَمَا لَنَا مِن شَٰفِعِينَ
तो हमारा कोई अभिस्तावक (सिफ़ारिशी) नहीं रह गया।
Surah Ash-Shuara, Verse 100
وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٖ
तथा न कोई प्रेमी मित्र।
Surah Ash-Shuara, Verse 101
فَلَوۡ أَنَّ لَنَا كَرَّةٗ فَنَكُونَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
तो यदि हमें पुनः संसार में जाना होता,[1] तो हम ईमान वालों में हो जाते।
Surah Ash-Shuara, Verse 102
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
निःसंदेह, इसमें बड़ी निशानी है और उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 103
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और वास्तव में, आपका पालनहार ही अति प्रभुत्वशाली,[1] दयावान् है।
Surah Ash-Shuara, Verse 104
كَذَّبَتۡ قَوۡمُ نُوحٍ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
नूह़ की जाति ने भी रसूलों को झुठलाया।
Surah Ash-Shuara, Verse 105
إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जब उनसे उनके भाई नूह़ ने कहाः क्या तुम (अल्लाह से) डरते नहीं हो
Surah Ash-Shuara, Verse 106
إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ
वास्तव में, मैं तुम्हारे लिए एक[1] रसूल हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 107
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः, तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो।
Surah Ash-Shuara, Verse 108
وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
मैं नहीं माँगता इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला), मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।
Surah Ash-Shuara, Verse 109
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः, तुम अल्लाह से डरो और मेरी आज्ञा का पालन करो।
Surah Ash-Shuara, Verse 110
۞قَالُوٓاْ أَنُؤۡمِنُ لَكَ وَٱتَّبَعَكَ ٱلۡأَرۡذَلُونَ
उन्होंने कहाः क्या हम तुझे मान लें, जबकि तेरा अनुसरण पतित (नीच) लोग[1] कर रहे हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 111
قَالَ وَمَا عِلۡمِي بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
(नूह़ ने) कहाः मूझे क्य ज्ञान कि वे क्या कर्म करते रहे हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 112
إِنۡ حِسَابُهُمۡ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّيۖ لَوۡ تَشۡعُرُونَ
उनका ह़िसाब तो बस मेरे पालनहार के ऊपर है, यदि तुम समझो।
Surah Ash-Shuara, Verse 113
وَمَآ أَنَا۠ بِطَارِدِ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
और मैं धुतकारने वाला[1] नहीं हूँ, ईमान वालों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 114
إِنۡ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٞ مُّبِينٞ
मैं तो बस खुला सावधान करने वाला हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 115
قَالُواْ لَئِن لَّمۡ تَنتَهِ يَٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلۡمَرۡجُومِينَ
उन्होंने कहाः यदि रुका नहीं, हे नूह़! तो तू अवश्य पथराव करके मारे हुओं में होगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 116
قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوۡمِي كَذَّبُونِ
उसने कहाः मेरे पालनहार! मेरी जाति ने मुझे झुठला दिया।
Surah Ash-Shuara, Verse 117
فَٱفۡتَحۡ بَيۡنِي وَبَيۡنَهُمۡ فَتۡحٗا وَنَجِّنِي وَمَن مَّعِيَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
अतः, तू निर्णय कर दे मेरे और उनके बीच और मुक्त कर दे मुझे तथा उन्हें जो मेरे साथ हैं, ईमान वालों में से।
Surah Ash-Shuara, Verse 118
فَأَنجَيۡنَٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِي ٱلۡفُلۡكِ ٱلۡمَشۡحُونِ
तो हमने उसे मुक्त कर दिया तथा उन्हें जो उसके साथ भरी नाव में थे।
Surah Ash-Shuara, Verse 119
ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا بَعۡدُ ٱلۡبَاقِينَ
फिर हमने डुबो दिया उसके पश्चात्, शेष लोगों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 120
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
वास्तव में, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है तथा उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं।
Surah Ash-Shuara, Verse 121
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और निश्चय आपका पालनहार ही अति प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
Surah Ash-Shuara, Verse 122
كَذَّبَتۡ عَادٌ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
झुठला दिया आद (जाति) ने (भी) रसूलों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 123
إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जब कहा उनसे, उनके भाई हूद[1] नेः क्या तुम डरते नहीं हो
Surah Ash-Shuara, Verse 124
إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ
वस्तुतः, मैं तुम्हारे लिए एक न्यासिक (अमानतदार) रसूल हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 125
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः, अल्लाह से डरो और मेरा अनुपालन करो।
Surah Ash-Shuara, Verse 126
وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
और मैं तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।
Surah Ash-Shuara, Verse 127
أَتَبۡنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ ءَايَةٗ تَعۡبَثُونَ
क्यों तुम बना लेते हो, हर ऊँचे स्थान पर एक यादगार भवन, व्यर्थ में
Surah Ash-Shuara, Verse 128
وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمۡ تَخۡلُدُونَ
तथा बनाते हो, बड़े-बड़े भवन, जैसे कि तुम सदा रहोगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 129
وَإِذَا بَطَشۡتُم بَطَشۡتُمۡ جَبَّارِينَ
और जबकिसी को पकड़ते हो, तो पकड़ते हो, महा अत्याचारी बनकर।
Surah Ash-Shuara, Verse 130
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
तो अल्लाह से डरो और मेरी आज्ञा का पालन करो।
Surah Ash-Shuara, Verse 131
وَٱتَّقُواْ ٱلَّذِيٓ أَمَدَّكُم بِمَا تَعۡلَمُونَ
तथा उससे भय रखो, जिसने तुम्हारी सहायता की है उससे, जो तुम जानते हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 132
أَمَدَّكُم بِأَنۡعَٰمٖ وَبَنِينَ
उसने सहायता की है तुम्हारी चौपायों तथा संतान से।
Surah Ash-Shuara, Verse 133
وَجَنَّـٰتٖ وَعُيُونٍ
तथा बाग़ों (उद्यानो) तथा जल स्रोतों से।
Surah Ash-Shuara, Verse 134
إِنِّيٓ أَخَافُ عَلَيۡكُمۡ عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٖ
मैं तुमपर डरता हूँ, भीषण दिन की यातना से।
Surah Ash-Shuara, Verse 135
قَالُواْ سَوَآءٌ عَلَيۡنَآ أَوَعَظۡتَ أَمۡ لَمۡ تَكُن مِّنَ ٱلۡوَٰعِظِينَ
उन्होंने कहाः नसीह़त करो या न करो, हमपर सब समान है।
Surah Ash-Shuara, Verse 136
إِنۡ هَٰذَآ إِلَّا خُلُقُ ٱلۡأَوَّلِينَ
ये बात तो बस प्राचीन लोगों की नीति[1] है।
Surah Ash-Shuara, Verse 137
وَمَا نَحۡنُ بِمُعَذَّبِينَ
और हम उनमें से नहीं हैं, जिन्हें यातना दी जायेगी।
Surah Ash-Shuara, Verse 138
فَكَذَّبُوهُ فَأَهۡلَكۡنَٰهُمۡۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
अन्ततः, उन्होंने हमें झुठला दिया, तो हमने उन्हें ध्वस्त कर दिया। निश्चय इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और लोगों में अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 139
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और वास्तव में, आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
Surah Ash-Shuara, Verse 140
كَذَّبَتۡ ثَمُودُ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
झुठला दिया समूद ने (भी)[1] रसूलों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 141
إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ صَٰلِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जब कहा उनसे उनके भाई सालेह़ नेः क्या तुम डरते नहीं हो
Surah Ash-Shuara, Verse 142
إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ
वास्तव में, मैं तुम्हारा विश्वसनीय रसूल हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 143
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
तो तुम अल्लाह से डरो और मेरा कहा मानो।
Surah Ash-Shuara, Verse 144
وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
तथा मैं नहीं माँगता इसपर तुमसे कोई पारिश्रमिक, मेरा पारिश्रमिक तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।
Surah Ash-Shuara, Verse 145
أَتُتۡرَكُونَ فِي مَا هَٰهُنَآ ءَامِنِينَ
क्या तुम छोड़ दिये जाओगे उसमें, जो यहाँ हैं निश्चिन्त रहकर
Surah Ash-Shuara, Verse 146
فِي جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٖ
बाग़ों तथा स्रोतों में।
Surah Ash-Shuara, Verse 147
وَزُرُوعٖ وَنَخۡلٖ طَلۡعُهَا هَضِيمٞ
तथा खेतों और खजूरों में, जिनके गुच्छे रस भरे हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 148
وَتَنۡحِتُونَ مِنَ ٱلۡجِبَالِ بُيُوتٗا فَٰرِهِينَ
तथा तुमपर्वतों को तराशकर घर बनाते हो, गर्व करते हुए।
Surah Ash-Shuara, Verse 149
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः, अल्लाह से डरो और मेरा अनुपालन करो।
Surah Ash-Shuara, Verse 150
وَلَا تُطِيعُوٓاْ أَمۡرَ ٱلۡمُسۡرِفِينَ
और पालन न करो उल्लंघनकारियों के आदेश का।
Surah Ash-Shuara, Verse 151
ٱلَّذِينَ يُفۡسِدُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَا يُصۡلِحُونَ
जो उपद्रव करते हैं धरती में और सुधार नहीं करते।
Surah Ash-Shuara, Verse 152
قَالُوٓاْ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلۡمُسَحَّرِينَ
उन्होंने कहाः वास्तव में, तू उनमें से है, जिनपर जादू कर दिया गया है।
Surah Ash-Shuara, Verse 153
مَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٞ مِّثۡلُنَا فَأۡتِ بِـَٔايَةٍ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
तू तो बस हमारे समान एक मानव है। तो कोई चमत्कार ले आ, यदि तू सच्चा है।
Surah Ash-Shuara, Verse 154
قَالَ هَٰذِهِۦ نَاقَةٞ لَّهَا شِرۡبٞ وَلَكُمۡ شِرۡبُ يَوۡمٖ مَّعۡلُومٖ
कहाः ये ऊँटनी है,[1] इसके लिए पानी पीने का एक दिन है और तुम्हारे लिए पानी लेने का निश्चित दिन है।
Surah Ash-Shuara, Verse 155
وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوٓءٖ فَيَأۡخُذَكُمۡ عَذَابُ يَوۡمٍ عَظِيمٖ
तथा उसे हाथ न लगाना बुराई से, अन्यथा तुम्हें पकड़ लेगी एक भीषण दिन की यातना।
Surah Ash-Shuara, Verse 156
فَعَقَرُوهَا فَأَصۡبَحُواْ نَٰدِمِينَ
तो उन्होंने वध कर दिया उसे, अन्ततः, पछताने वाले हो गये।
Surah Ash-Shuara, Verse 157
فَأَخَذَهُمُ ٱلۡعَذَابُۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
और पकड़ लिया उन्हें यातना ने। वस्तुतः, इसमें बड़ी निशानी है और नहीं थे उनमें से अधिक्तर ईमान वाले।
Surah Ash-Shuara, Verse 158
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और निश्चय आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
Surah Ash-Shuara, Verse 159
كَذَّبَتۡ قَوۡمُ لُوطٍ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
झुठला दिया लूत की जाति ने (भी) रसूलों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 160
إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जब कहा उनसे उनके भाई लूत नेः क्या तुम डरते नहीं हो
Surah Ash-Shuara, Verse 161
إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ
वास्तव में, मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 162
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः अल्लाह से डरो और मेरा अनुपालन करो।
Surah Ash-Shuara, Verse 163
وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
और मैं तुमसे प्रश्न नहीं करता, इसपर किसी पारिश्रमिक (बदले) का। मेरा बदला तो बस सर्वलोक के पालनहार पर है।
Surah Ash-Shuara, Verse 164
أَتَأۡتُونَ ٱلذُّكۡرَانَ مِنَ ٱلۡعَٰلَمِينَ
क्या तुम जाते[1] हो पुरुषों के पास, संसार वासियों में से।
Surah Ash-Shuara, Verse 165
وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمۡ رَبُّكُم مِّنۡ أَزۡوَٰجِكُمۚ بَلۡ أَنتُمۡ قَوۡمٌ عَادُونَ
तथा छोड़ देते हो उसे, जिसे पैदा किया है तुम्हारे पालनहार ने, अर्थात अपनी प्तनियों को, बल्कि तुम एक जाति हो, सीमा का उल्लंघन करने वाली।
Surah Ash-Shuara, Verse 166
قَالُواْ لَئِن لَّمۡ تَنتَهِ يَٰلُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلۡمُخۡرَجِينَ
उन्होंने कहाः यदि तू नहीं रुका, हे लूत! तो अवश्य तेरा बहिष्कार कर दिया जायेगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 167
قَالَ إِنِّي لِعَمَلِكُم مِّنَ ٱلۡقَالِينَ
उसने कहाः वास्तव में, मैं तुम्हारे करतूत से बहुत अप्रसन्न हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 168
رَبِّ نَجِّنِي وَأَهۡلِي مِمَّا يَعۡمَلُونَ
मेरे पालनहार! मुझे बचा ले तथा मेरे परिवार को उससे, जो वे कर रहे हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 169
فَنَجَّيۡنَٰهُ وَأَهۡلَهُۥٓ أَجۡمَعِينَ
तो हमने उसे बचा लिया तथा उसके सभी परिवार को।
Surah Ash-Shuara, Verse 170
إِلَّا عَجُوزٗا فِي ٱلۡغَٰبِرِينَ
परन्तु, एक बुढ़िया[1] को, जो पीछे रह जाने वालों में थी।
Surah Ash-Shuara, Verse 171
ثُمَّ دَمَّرۡنَا ٱلۡأٓخَرِينَ
फिर हमने विनाश कर दिया दूसरों का।
Surah Ash-Shuara, Verse 172
وَأَمۡطَرۡنَا عَلَيۡهِم مَّطَرٗاۖ فَسَآءَ مَطَرُ ٱلۡمُنذَرِينَ
और वर्षा की उनपर, एक घोर[1] वर्षा। तो बुरी हो गयी डराये हुए लोगों की वर्षा।
Surah Ash-Shuara, Verse 173
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
वास्तव में, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और उनमें से अधिक्तर ईमान लाने वाले नहीं थे।
Surah Ash-Shuara, Verse 174
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और निश्चय आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
Surah Ash-Shuara, Verse 175
كَذَّبَ أَصۡحَٰبُ لۡـَٔيۡكَةِ ٱلۡمُرۡسَلِينَ
झुठला दिया ऐय्का[1] वालों ने रसूलों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 176
إِذۡ قَالَ لَهُمۡ شُعَيۡبٌ أَلَا تَتَّقُونَ
जब कहा उनसे शोऐब नेः क्या तुम डरते नहीं हो
Surah Ash-Shuara, Verse 177
إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ
मैं तुम्हारे लिए एक विश्वसनीय रसूल हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 178
فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
अतः, अल्लाह से डरो तथा मेरी आज्ञा का पालन करो।
Surah Ash-Shuara, Verse 179
وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
और मैं नहीं माँगता तुमसे इसपर कोई पारिश्रमिक, मेरा पारिश्रमिक तो बस समस्त विश्व के पालनहार पर है।
Surah Ash-Shuara, Verse 180
۞أَوۡفُواْ ٱلۡكَيۡلَ وَلَا تَكُونُواْ مِنَ ٱلۡمُخۡسِرِينَ
तुम नाप-तोल पूरा करो और न बनो कम देने वालों में।
Surah Ash-Shuara, Verse 181
وَزِنُواْ بِٱلۡقِسۡطَاسِ ٱلۡمُسۡتَقِيمِ
और तोलो सीधी तराज़ू से।
Surah Ash-Shuara, Verse 182
وَلَا تَبۡخَسُواْ ٱلنَّاسَ أَشۡيَآءَهُمۡ وَلَا تَعۡثَوۡاْ فِي ٱلۡأَرۡضِ مُفۡسِدِينَ
और मत कम दो लोगों को उनकी चीज़ें और मत फिरो धरती में उपद्रव फैलाते।
Surah Ash-Shuara, Verse 183
وَٱتَّقُواْ ٱلَّذِي خَلَقَكُمۡ وَٱلۡجِبِلَّةَ ٱلۡأَوَّلِينَ
और डरो उससे, जिसने पैदा किया है तुम्हें तथा अगले लोगों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 184
قَالُوٓاْ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلۡمُسَحَّرِينَ
उन्होंने कहाःवास्तव में, तू उनमें से है, जिनपर जादू कर दिया गया है।
Surah Ash-Shuara, Verse 185
وَمَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٞ مِّثۡلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلۡكَٰذِبِينَ
और तू तो बस एक पुरुष[1] है, हमारे समान और हम तो तुझे झूठों में समझते हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 186
فَأَسۡقِطۡ عَلَيۡنَا كِسَفٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ
तो हमपर गिरा दे कोई खण्ड आकाश का, यदि तू सच्चा है।
Surah Ash-Shuara, Verse 187
قَالَ رَبِّيٓ أَعۡلَمُ بِمَا تَعۡمَلُونَ
उसने कहाः मेरा पालनहार भली प्रकार जानता है उसे, जो कुछ तुम कर रहे हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 188
فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمۡ عَذَابُ يَوۡمِ ٱلظُّلَّةِۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٍ
तो उन्होंने उसे झुठला दिया। अन्ततः, पकड़ लिया उन्हें छाया के[1] दिन की यातना ने। वस्तुतः, वह एक भीषण दिन की यातना थी।
Surah Ash-Shuara, Verse 189
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ
निश्चय ही, इसमें एक बड़ी निशानी (शिक्षा) है और नहीं थे उनमें अधिक्तर ईमान लाने वाले।
Surah Ash-Shuara, Verse 190
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
और वास्तव में, आपका पालनहार ही अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
Surah Ash-Shuara, Verse 191
وَإِنَّهُۥ لَتَنزِيلُ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
तथा निःसंदेह, ये (क़ुर्आन) पूरे विश्व के पालनहार का उतारा हुआ है।
Surah Ash-Shuara, Verse 192
نَزَلَ بِهِ ٱلرُّوحُ ٱلۡأَمِينُ
इसे लेकर रूह़ुल अमीन[1] उतरा।
Surah Ash-Shuara, Verse 193
عَلَىٰ قَلۡبِكَ لِتَكُونَ مِنَ ٱلۡمُنذِرِينَ
आपके दिल पर, ताकि आप हो जायें सावधान करने वालों में।
Surah Ash-Shuara, Verse 194
بِلِسَانٍ عَرَبِيّٖ مُّبِينٖ
खुली अरबी भाषा में।
Surah Ash-Shuara, Verse 195
وَإِنَّهُۥ لَفِي زُبُرِ ٱلۡأَوَّلِينَ
तथा इसकी चर्चा[1] अगले रसूलों की पुस्तकों में (भी) है।
Surah Ash-Shuara, Verse 196
أَوَلَمۡ يَكُن لَّهُمۡ ءَايَةً أَن يَعۡلَمَهُۥ عُلَمَـٰٓؤُاْ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ
क्या और उनके लिए ये निशानी नहीं है कि इस्राईलियों के विद्वान[1] इसे जानते हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 197
وَلَوۡ نَزَّلۡنَٰهُ عَلَىٰ بَعۡضِ ٱلۡأَعۡجَمِينَ
और यदि हम इसे उतार देते किसी अजमी[1] पर।
Surah Ash-Shuara, Verse 198
فَقَرَأَهُۥ عَلَيۡهِم مَّا كَانُواْ بِهِۦ مُؤۡمِنِينَ
और वह, इसे उनके समक्ष पढ़ता, तो वे उसपर ईमान लाने वाले न होते[1]।
Surah Ash-Shuara, Verse 199
كَذَٰلِكَ سَلَكۡنَٰهُ فِي قُلُوبِ ٱلۡمُجۡرِمِينَ
इसी प्रकार, हमने घुसा दिया है इस (क़ुर्आन के इन्कार) को पापियों के दिलों में।
Surah Ash-Shuara, Verse 200
لَا يُؤۡمِنُونَ بِهِۦ حَتَّىٰ يَرَوُاْ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَلِيمَ
वे नहीं ईमान लायेंगे उसपर, जब तक देख नहीं लेंगे दुःखदायी यातना।
Surah Ash-Shuara, Verse 201
فَيَأۡتِيَهُم بَغۡتَةٗ وَهُمۡ لَا يَشۡعُرُونَ
फिर, वह उनपर सहसा आ जायेगी और वे समझ भी नहीं पायेंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 202
فَيَقُولُواْ هَلۡ نَحۡنُ مُنظَرُونَ
तो कहेंगेः क्या हमें अवसर दिया जायेगा
Surah Ash-Shuara, Verse 203
أَفَبِعَذَابِنَا يَسۡتَعۡجِلُونَ
तो क्या वे हमारी यातना की जल्दी मचा रहे हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 204
أَفَرَءَيۡتَ إِن مَّتَّعۡنَٰهُمۡ سِنِينَ
(हे नबी!) तो क्या आपने विचार किया कि यदि हम लाभ पहुँचायें इन्हें वर्षों।
Surah Ash-Shuara, Verse 205
ثُمَّ جَآءَهُم مَّا كَانُواْ يُوعَدُونَ
फिर आ जाये उनपर वह, जिसकी उन्हें धमकी दी जा रही थी।
Surah Ash-Shuara, Verse 206
مَآ أَغۡنَىٰ عَنۡهُم مَّا كَانُواْ يُمَتَّعُونَ
तो कुछ काम नहीं आयेगा उनके, जो उन्हें लाभ पहुँचाया जाता रहा
Surah Ash-Shuara, Verse 207
وَمَآ أَهۡلَكۡنَا مِن قَرۡيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ
और हमने किसी बस्ती का विनाश नहीं किया, परन्तु उसके लिए सावधान करने वाले थे।
Surah Ash-Shuara, Verse 208
ذِكۡرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَٰلِمِينَ
शिक्षा देने के लिए और हम अत्याचारी नहीं हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 209
وَمَا تَنَزَّلَتۡ بِهِ ٱلشَّيَٰطِينُ
तथा नहीं उतरे हैं (इस क़ुर्आन) को लेकर शैतान।
Surah Ash-Shuara, Verse 210
وَمَا يَنۢبَغِي لَهُمۡ وَمَا يَسۡتَطِيعُونَ
और न योग्य है उनके लिए और न वे इसकी शक्ति रखते हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 211
إِنَّهُمۡ عَنِ ٱلسَّمۡعِ لَمَعۡزُولُونَ
वास्तव में, वे तो (इसके) सुनने से भी दूर[1] कर दिये गये हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 212
فَلَا تَدۡعُ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَ فَتَكُونَ مِنَ ٱلۡمُعَذَّبِينَ
अतः, आप न पुकारें अल्लाह के साथ किसी अन्य पूज्य को, अन्यथा आप दण्डितों में हो जायेंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 213
وَأَنذِرۡ عَشِيرَتَكَ ٱلۡأَقۡرَبِينَ
और आप सावधान कर दें अपने समीपवर्ती[1] संबंधियों को।
Surah Ash-Shuara, Verse 214
وَٱخۡفِضۡ جَنَاحَكَ لِمَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
और झुका दें अपना बाहु[1] उसके लिए, जो आपका अनुयायी हो, ईमान वालों में से।
Surah Ash-Shuara, Verse 215
فَإِنۡ عَصَوۡكَ فَقُلۡ إِنِّي بَرِيٓءٞ مِّمَّا تَعۡمَلُونَ
और यदि वे आपकी अवज्ञा करें, तो आप कह दें कि मैं निर्दोष हूँ उससे, जो तुम कर रहे हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 216
وَتَوَكَّلۡ عَلَى ٱلۡعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ
तथा आप भरोसा करें अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् पर।
Surah Ash-Shuara, Verse 217
ٱلَّذِي يَرَىٰكَ حِينَ تَقُومُ
जो देखता है आपको, जिस समय (नमाज़) में खड़े होते हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 218
وَتَقَلُّبَكَ فِي ٱلسَّـٰجِدِينَ
और आपके फिरने को सज्दा करने[1] वालों में।
Surah Ash-Shuara, Verse 219
إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلۡعَلِيمُ
निःसंदेह, वही सब कुछ सुनने-जानने वाला है।
Surah Ash-Shuara, Verse 220
هَلۡ أُنَبِّئُكُمۡ عَلَىٰ مَن تَنَزَّلُ ٱلشَّيَٰطِينُ
क्या मैं तुम सबको बताऊँ कि किसपर शैतान उतरते हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 221
تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٖ
वे उतरते हैं, प्रत्येक झूठे पापी[1] पर।
Surah Ash-Shuara, Verse 222
يُلۡقُونَ ٱلسَّمۡعَ وَأَكۡثَرُهُمۡ كَٰذِبُونَ
वे पहुँचा देते हैं, सुनी सुनाई बातों को और उनमें अधिक्तर झूठे हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 223
وَٱلشُّعَرَآءُ يَتَّبِعُهُمُ ٱلۡغَاوُۥنَ
और कवियों का अनुसरण बहके हुए लोग करते हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 224
أَلَمۡ تَرَ أَنَّهُمۡ فِي كُلِّ وَادٖ يَهِيمُونَ
क्या आप नहीं देखते कि वे प्रत्येक वादी में फिरते[1] हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 225
وَأَنَّهُمۡ يَقُولُونَ مَا لَا يَفۡعَلُونَ
और ऐसी बात कहते हैं, जो करते नहीं।
Surah Ash-Shuara, Verse 226
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ وَذَكَرُواْ ٱللَّهَ كَثِيرٗا وَٱنتَصَرُواْ مِنۢ بَعۡدِ مَا ظُلِمُواْۗ وَسَيَعۡلَمُ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓاْ أَيَّ مُنقَلَبٖ يَنقَلِبُونَ
परन्तु वो (कवि), जो[1] ईमान लाये, सदाचार किये, अल्लाह का बहुत स्मरण किया तथा बदला लिया इसके पश्चात् कि उनके ऊपर अत्याचार किया गया! तथा शीघ्र ही जान लेंगे, जिन्होंने अत्याचार किया है कि व किस दुष्परिणाम की ओर फिरते हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 227