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Surah Ash-Shuara - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed


طسٓمٓ

ता॰ सीन॰ मीम॰
Surah Ash-Shuara, Verse 1


تِلۡكَ ءَايَٰتُ ٱلۡكِتَٰبِ ٱلۡمُبِينِ

ये स्पष्ट किताब की आयतें है
Surah Ash-Shuara, Verse 2


لَعَلَّكَ بَٰخِعٞ نَّفۡسَكَ أَلَّا يَكُونُواْ مُؤۡمِنِينَ

शायद इसपर कि वे ईमान नहीं लाते, तुम अपने प्राण ही खो बैठोगे
Surah Ash-Shuara, Verse 3


إِن نَّشَأۡ نُنَزِّلۡ عَلَيۡهِم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ ءَايَةٗ فَظَلَّتۡ أَعۡنَٰقُهُمۡ لَهَا خَٰضِعِينَ

यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से एक निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ
Surah Ash-Shuara, Verse 4


وَمَا يَأۡتِيهِم مِّن ذِكۡرٖ مِّنَ ٱلرَّحۡمَٰنِ مُحۡدَثٍ إِلَّا كَانُواْ عَنۡهُ مُعۡرِضِينَ

उनके पास रहमान की ओर से जो नवीन अनुस्मृति भी आती है, वे उससे मुँह फेर ही लेते है
Surah Ash-Shuara, Verse 5


فَقَدۡ كَذَّبُواْ فَسَيَأۡتِيهِمۡ أَنۢبَـٰٓؤُاْ مَا كَانُواْ بِهِۦ يَسۡتَهۡزِءُونَ

अब जबकि वे झुठला चुके है, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे है
Surah Ash-Shuara, Verse 6


أَوَلَمۡ يَرَوۡاْ إِلَى ٱلۡأَرۡضِ كَمۡ أَنۢبَتۡنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوۡجٖ كَرِيمٍ

क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है
Surah Ash-Shuara, Verse 7


إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 8


وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
Surah Ash-Shuara, Verse 9


وَإِذۡ نَادَىٰ رَبُّكَ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱئۡتِ ٱلۡقَوۡمَ ٱلظَّـٰلِمِينَ

और जबकि तुम्हारे रह ने मूसा को पुकारा कि "ज़ालिम लोगों के पास जा
Surah Ash-Shuara, Verse 10


قَوۡمَ فِرۡعَوۡنَۚ أَلَا يَتَّقُونَ

फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते
Surah Ash-Shuara, Verse 11


قَالَ رَبِّ إِنِّيٓ أَخَافُ أَن يُكَذِّبُونِ

उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे
Surah Ash-Shuara, Verse 12


وَيَضِيقُ صَدۡرِي وَلَا يَنطَلِقُ لِسَانِي فَأَرۡسِلۡ إِلَىٰ هَٰرُونَ

और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे
Surah Ash-Shuara, Verse 13


وَلَهُمۡ عَلَيَّ ذَنۢبٞ فَأَخَافُ أَن يَقۡتُلُونِ

और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 14


قَالَ كَلَّاۖ فَٱذۡهَبَا بِـَٔايَٰتِنَآۖ إِنَّا مَعَكُم مُّسۡتَمِعُونَ

कहा, "कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ है, सुनने को मौजूद है
Surah Ash-Shuara, Verse 15


فَأۡتِيَا فِرۡعَوۡنَ فَقُولَآ إِنَّا رَسُولُ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

अतः तुम दोनो फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि हम सारे संसार के रब के भेजे हुए है
Surah Ash-Shuara, Verse 16


أَنۡ أَرۡسِلۡ مَعَنَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ

कि तू इसराईल की सन्तान को हमारे साथ जाने दे।
Surah Ash-Shuara, Verse 17


قَالَ أَلَمۡ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدٗا وَلَبِثۡتَ فِينَا مِنۡ عُمُرِكَ سِنِينَ

(फ़िरऔन ने) कहा, "क्या हमने तुझे जबकि तू बच्चा था, अपने यहाँ पाला नहीं था? और तू अपनी अवस्था के कई वर्षों तक हमारे साथ रहा
Surah Ash-Shuara, Verse 18


وَفَعَلۡتَ فَعۡلَتَكَ ٱلَّتِي فَعَلۡتَ وَأَنتَ مِنَ ٱلۡكَٰفِرِينَ

और तूने अपना वह काम किया, जो किया। तू बड़ा ही कृतघ्न है।
Surah Ash-Shuara, Verse 19


قَالَ فَعَلۡتُهَآ إِذٗا وَأَنَا۠ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ

कहा, ऐसा तो मुझसे उस समय हुआ जबकि मैं चूक गया था
Surah Ash-Shuara, Verse 20


فَفَرَرۡتُ مِنكُمۡ لَمَّا خِفۡتُكُمۡ فَوَهَبَ لِي رَبِّي حُكۡمٗا وَجَعَلَنِي مِنَ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

फिर जब मुझे तुम्हारा भय हुआ तो मैं तुम्हारे यहाँ से भाग गया। फिर मेरे रब ने मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान की और मुझे रसूलों में सम्मिलित किया
Surah Ash-Shuara, Verse 21


وَتِلۡكَ نِعۡمَةٞ تَمُنُّهَا عَلَيَّ أَنۡ عَبَّدتَّ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ

यही वह उदार अनुग्रह है जिसका रहमान तू मुझपर जताता है कि तूने इसराईल की सन्तान को ग़ुलाम बना रखा है।
Surah Ash-Shuara, Verse 22


قَالَ فِرۡعَوۡنُ وَمَا رَبُّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

फ़िरऔन ने कहा, "और यह सारे संसार का रब क्या होता है
Surah Ash-Shuara, Verse 23


قَالَ رَبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَآۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ

उसने कहा, "आकाशों और धरती का रब और जो कुछ इन दोनों का मध्य है उसका भी, यदि तुम्हें यकीन हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 24


قَالَ لِمَنۡ حَوۡلَهُۥٓ أَلَا تَسۡتَمِعُونَ

उसने अपने आस-पासवालों से कहा, "क्या तुम सुनते नहीं हो
Surah Ash-Shuara, Verse 25


قَالَ رَبُّكُمۡ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلۡأَوَّلِينَ

कहा, "तुम्हारा रब और तुम्हारे अगले बाप-दादा का रब।
Surah Ash-Shuara, Verse 26


قَالَ إِنَّ رَسُولَكُمُ ٱلَّذِيٓ أُرۡسِلَ إِلَيۡكُمۡ لَمَجۡنُونٞ

बोला, "निश्चय ही तुम्हारा यह रसूल, जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, बिलकुल ही पागल है।
Surah Ash-Shuara, Verse 27


قَالَ رَبُّ ٱلۡمَشۡرِقِ وَٱلۡمَغۡرِبِ وَمَا بَيۡنَهُمَآۖ إِن كُنتُمۡ تَعۡقِلُونَ

उसने कहा, "पूर्व और पश्चिम का रब और जो कुछ उनके बीच है उसका भी, यदि तुम कुछ बुद्धि रखते हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 28


قَالَ لَئِنِ ٱتَّخَذۡتَ إِلَٰهًا غَيۡرِي لَأَجۡعَلَنَّكَ مِنَ ٱلۡمَسۡجُونِينَ

बोला, "यदि तूने मेरे सिवा किसी और को पूज्य एवं प्रभु बनाया, तो मैं तुझे बन्दी बनाकर रहूँगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 29


قَالَ أَوَلَوۡ جِئۡتُكَ بِشَيۡءٖ مُّبِينٖ

उसने कहा, "क्या यदि मैं तेरे पास एक स्पष्ट चीज़ ले आऊँ तब भी
Surah Ash-Shuara, Verse 30


قَالَ فَأۡتِ بِهِۦٓ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ

बोलाः “अच्छा वह ले आ; यदि तू सच्चा है” ।
Surah Ash-Shuara, Verse 31


فَأَلۡقَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ ثُعۡبَانٞ مُّبِينٞ

फिर उसने अपनी लाठी डाल दी, तो अचानक क्या देखते है कि वह एक प्रत्यक्ष अज़गर है
Surah Ash-Shuara, Verse 32


وَنَزَعَ يَدَهُۥ فَإِذَا هِيَ بَيۡضَآءُ لِلنَّـٰظِرِينَ

और उसने अपना हाथ बाहर खींचा तो फिर क्या देखते है कि वह देखनेवालों के सामने चमक रहा है
Surah Ash-Shuara, Verse 33


قَالَ لِلۡمَلَإِ حَوۡلَهُۥٓ إِنَّ هَٰذَا لَسَٰحِرٌ عَلِيمٞ

उसने अपने आस-पास के सरदारों से कहा, "निश्चय ही यह एक बड़ा ही प्रवीण जादूगर है
Surah Ash-Shuara, Verse 34


يُرِيدُ أَن يُخۡرِجَكُم مِّنۡ أَرۡضِكُم بِسِحۡرِهِۦ فَمَاذَا تَأۡمُرُونَ

चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारी अपनी भूमि से निकाल बाहर करें; तो अब तुम क्या कहते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 35


قَالُوٓاْ أَرۡجِهۡ وَأَخَاهُ وَٱبۡعَثۡ فِي ٱلۡمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ

उन्होंने कहा, "इसे और इसके भाई को अभी टाले रखिए, और एकत्र करनेवालों को नगरों में भेज दीजिए
Surah Ash-Shuara, Verse 36


يَأۡتُوكَ بِكُلِّ سَحَّارٍ عَلِيمٖ

कि वे प्रत्येक प्रवीण जादूगर को आपके पास ले आएँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 37


فَجُمِعَ ٱلسَّحَرَةُ لِمِيقَٰتِ يَوۡمٖ مَّعۡلُومٖ

अतएव एक निश्चित दिन के नियत समय पर जादूगर एकत्र कर लिए गए
Surah Ash-Shuara, Verse 38


وَقِيلَ لِلنَّاسِ هَلۡ أَنتُم مُّجۡتَمِعُونَ

और लोगों से कहा गया, "क्या तुम भी एकत्र होते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 39


لَعَلَّنَا نَتَّبِعُ ٱلسَّحَرَةَ إِن كَانُواْ هُمُ ٱلۡغَٰلِبِينَ

कदाचित हम जादूगरों ही के अनुयायी रह जाएँ, यदि वे विजयी हुए
Surah Ash-Shuara, Verse 40


فَلَمَّا جَآءَ ٱلسَّحَرَةُ قَالُواْ لِفِرۡعَوۡنَ أَئِنَّ لَنَا لَأَجۡرًا إِن كُنَّا نَحۡنُ ٱلۡغَٰلِبِينَ

फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, "क्या हमारे लिए कोई प्रतिदान भी है, यदि हम प्रभावी रहे
Surah Ash-Shuara, Verse 41


قَالَ نَعَمۡ وَإِنَّكُمۡ إِذٗا لَّمِنَ ٱلۡمُقَرَّبِينَ

उसने कहा, "हाँ, और निश्चित ही तुम तो उस समय निकटतम लोगों में से हो जाओगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 42


قَالَ لَهُم مُّوسَىٰٓ أَلۡقُواْ مَآ أَنتُم مُّلۡقُونَ

मूसा ने उनसे कहा, "डालो, जो कुछ तुम्हें डालना है।
Surah Ash-Shuara, Verse 43


فَأَلۡقَوۡاْ حِبَالَهُمۡ وَعِصِيَّهُمۡ وَقَالُواْ بِعِزَّةِ فِرۡعَوۡنَ إِنَّا لَنَحۡنُ ٱلۡغَٰلِبُونَ

तब उन्होंने अपनी रस्सियाँ और लाठियाँ डाल दी और बोले, "फ़िरऔन के प्रताप से हम ही विजयी रहेंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 44


فَأَلۡقَىٰ مُوسَىٰ عَصَاهُ فَإِذَا هِيَ تَلۡقَفُ مَا يَأۡفِكُونَ

फिर मूसा ने अपनी लाठी फेकी तो क्या देखते है कि वह उसे स्वाँग को, जो वे रचाते है, निगलती जा रही है
Surah Ash-Shuara, Verse 45


فَأُلۡقِيَ ٱلسَّحَرَةُ سَٰجِدِينَ

इसपर जादूगर सजदे में गिर पड़े
Surah Ash-Shuara, Verse 46


قَالُوٓاْ ءَامَنَّا بِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

वे बोल उठे, "हम सारे संसार के रब पर ईमान ले आए
Surah Ash-Shuara, Verse 47


رَبِّ مُوسَىٰ وَهَٰرُونَ

मूसा और हारून के रब पर
Surah Ash-Shuara, Verse 48


قَالَ ءَامَنتُمۡ لَهُۥ قَبۡلَ أَنۡ ءَاذَنَ لَكُمۡۖ إِنَّهُۥ لَكَبِيرُكُمُ ٱلَّذِي عَلَّمَكُمُ ٱلسِّحۡرَ فَلَسَوۡفَ تَعۡلَمُونَۚ لَأُقَطِّعَنَّ أَيۡدِيَكُمۡ وَأَرۡجُلَكُم مِّنۡ خِلَٰفٖ وَلَأُصَلِّبَنَّكُمۡ أَجۡمَعِينَ

उसने कहा, "तुमने उसको मान लिया, इससे पहले कि मैं तुम्हें अनुमति देता। निश्चय ही वह तुम सबका प्रमुख है, जिसने तुमको जादू सिखाया है। अच्छा, शीघ्र ही तुम्हें मालूम हुआ जाता है! मैं तुम्हारे हाथ और पाँव विपरीत दिशाओं से कटवा दूँगा और तुम सभी को सूली पर चढ़ा दूँगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 49


قَالُواْ لَا ضَيۡرَۖ إِنَّآ إِلَىٰ رَبِّنَا مُنقَلِبُونَ

उन्होंने कहा, "कुछ हरज नहीं; हम तो अपने रब ही की ओर पलटकर जानेवाले है
Surah Ash-Shuara, Verse 50


إِنَّا نَطۡمَعُ أَن يَغۡفِرَ لَنَا رَبُّنَا خَطَٰيَٰنَآ أَن كُنَّآ أَوَّلَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ

हमें तो इसी की लालसा है कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को क्षमा कर दें, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाए।
Surah Ash-Shuara, Verse 51


۞وَأَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنۡ أَسۡرِ بِعِبَادِيٓ إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ

हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "मेरे बन्दों को लेकर रातों-रात निकल जा। निश्चय ही तुम्हारा पीछा किया जाएगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 52


فَأَرۡسَلَ فِرۡعَوۡنُ فِي ٱلۡمَدَآئِنِ حَٰشِرِينَ

इसपर फ़िरऔन ने एकत्र करनेवालों को नगर में भेजा
Surah Ash-Shuara, Verse 53


إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَشِرۡذِمَةٞ قَلِيلُونَ

कि "यह गिरे-पड़े थोड़े लोगों का एक गिरोह है
Surah Ash-Shuara, Verse 54


وَإِنَّهُمۡ لَنَا لَغَآئِظُونَ

और ये हमें क्रुद्ध कर रहे है।
Surah Ash-Shuara, Verse 55


وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَٰذِرُونَ

और हम चौकन्ना रहनेवाले लोग है।
Surah Ash-Shuara, Verse 56


فَأَخۡرَجۡنَٰهُم مِّن جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٖ

इस प्रकार हम उन्हें बाग़ों और स्रोतों
Surah Ash-Shuara, Verse 57


وَكُنُوزٖ وَمَقَامٖ كَرِيمٖ

और ख़जानों और अच्छे स्थान से निकाल लाए
Surah Ash-Shuara, Verse 58


كَذَٰلِكَۖ وَأَوۡرَثۡنَٰهَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ

ऐसा ही हम करते है और इनका वारिस हमने इसराईल की सन्तान को बना दिया
Surah Ash-Shuara, Verse 59


فَأَتۡبَعُوهُم مُّشۡرِقِينَ

सुबह-तड़के उन्होंने उनका पीछा किया
Surah Ash-Shuara, Verse 60


فَلَمَّا تَرَـٰٓءَا ٱلۡجَمۡعَانِ قَالَ أَصۡحَٰبُ مُوسَىٰٓ إِنَّا لَمُدۡرَكُونَ

फिर जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, "हम तो पकड़े गए
Surah Ash-Shuara, Verse 61


قَالَ كَلَّآۖ إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهۡدِينِ

उसने कहा, "कदापि नहीं, मेरे साथ मेरा रब है। वह अवश्य मेरा मार्गदर्शन करेगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 62


فَأَوۡحَيۡنَآ إِلَىٰ مُوسَىٰٓ أَنِ ٱضۡرِب بِّعَصَاكَ ٱلۡبَحۡرَۖ فَٱنفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرۡقٖ كَٱلطَّوۡدِ ٱلۡعَظِيمِ

तब हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, "अपनी लाठी सागर पर मार।
Surah Ash-Shuara, Verse 63


وَأَزۡلَفۡنَا ثَمَّ ٱلۡأٓخَرِينَ

और हम दूसरों को भी निकट ले आए
Surah Ash-Shuara, Verse 64


وَأَنجَيۡنَا مُوسَىٰ وَمَن مَّعَهُۥٓ أَجۡمَعِينَ

हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे, बचा लिया
Surah Ash-Shuara, Verse 65


ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا ٱلۡأٓخَرِينَ

और दूसरों को डूबो दिया
Surah Ash-Shuara, Verse 66


إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 67


وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
Surah Ash-Shuara, Verse 68


وَٱتۡلُ عَلَيۡهِمۡ نَبَأَ إِبۡرَٰهِيمَ

और उन्हें इबराहीम का वृत्तान्त सुनाओ
Surah Ash-Shuara, Verse 69


إِذۡ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوۡمِهِۦ مَا تَعۡبُدُونَ

जबकि उसने अपने बाप और अपनी क़ौंम के लोगों से कहा, "तुम क्या पूजते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 70


قَالُواْ نَعۡبُدُ أَصۡنَامٗا فَنَظَلُّ لَهَا عَٰكِفِينَ

उन्होंने कहा, "हम बुतों की पूजा करते है, हम तो उन्हीं की सेवा में लगे रहेंगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 71


قَالَ هَلۡ يَسۡمَعُونَكُمۡ إِذۡ تَدۡعُونَ

उसने कहा, "क्या ये तुम्हारी सुनते है, जब तुम पुकारते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 72


أَوۡ يَنفَعُونَكُمۡ أَوۡ يَضُرُّونَ

या ये तुम्हें कुछ लाभ या हानि पहुँचाते है
Surah Ash-Shuara, Verse 73


قَالُواْ بَلۡ وَجَدۡنَآ ءَابَآءَنَا كَذَٰلِكَ يَفۡعَلُونَ

उन्होंने कहा, "नहीं, बल्कि हमने तो अपने बाप-दादा को ऐसा ही करते पाया है।
Surah Ash-Shuara, Verse 74


قَالَ أَفَرَءَيۡتُم مَّا كُنتُمۡ تَعۡبُدُونَ

उसने कहा, "क्या तुमने उनपर विचार भी किया कि जिन्हें तुम पूजते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 75


أَنتُمۡ وَءَابَآؤُكُمُ ٱلۡأَقۡدَمُونَ

तुम और तुम्हारे पहले के बाप-दादा
Surah Ash-Shuara, Verse 76


فَإِنَّهُمۡ عَدُوّٞ لِّيٓ إِلَّا رَبَّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

वे सब तो मेरे शत्रु है, सिवाय सारे संसार के रब के
Surah Ash-Shuara, Verse 77


ٱلَّذِي خَلَقَنِي فَهُوَ يَهۡدِينِ

जिसने मुझे पैदा किया और फिर वही मेरा मार्गदर्शन करता है
Surah Ash-Shuara, Verse 78


وَٱلَّذِي هُوَ يُطۡعِمُنِي وَيَسۡقِينِ

और वही है जो मुझे खिलाता और पिलाता है
Surah Ash-Shuara, Verse 79


وَإِذَا مَرِضۡتُ فَهُوَ يَشۡفِينِ

और जब मैं बीमार होता हूँ, तो वही मुझे अच्छा करता है
Surah Ash-Shuara, Verse 80


وَٱلَّذِي يُمِيتُنِي ثُمَّ يُحۡيِينِ

और वही है जो मुझे मारेगा, फिर मुझे जीवित करेगा
Surah Ash-Shuara, Verse 81


وَٱلَّذِيٓ أَطۡمَعُ أَن يَغۡفِرَ لِي خَطِيٓـَٔتِي يَوۡمَ ٱلدِّينِ

और वही है जिससे मुझे इसकी आकांक्षा है कि बदला दिए जाने के दिन वह मेरी ख़ता माफ़ कर देगा
Surah Ash-Shuara, Verse 82


رَبِّ هَبۡ لِي حُكۡمٗا وَأَلۡحِقۡنِي بِٱلصَّـٰلِحِينَ

ऐ मेरे रब! मुझे निर्णय-शक्ति प्रदान कर और मुझे योग्य लोगों के साथ मिला।
Surah Ash-Shuara, Verse 83


وَٱجۡعَل لِّي لِسَانَ صِدۡقٖ فِي ٱلۡأٓخِرِينَ

और बाद के आनेवालों में से मुझे सच्ची ख़्याति प्रदान कर
Surah Ash-Shuara, Verse 84


وَٱجۡعَلۡنِي مِن وَرَثَةِ جَنَّةِ ٱلنَّعِيمِ

और मुझे नेमत भरी जन्नत के वारिसों में सम्मिलित कर
Surah Ash-Shuara, Verse 85


وَٱغۡفِرۡ لِأَبِيٓ إِنَّهُۥ كَانَ مِنَ ٱلضَّآلِّينَ

और मेरे बाप को क्षमा कर दे। निश्चय ही वह पथभ्रष्ट लोगों में से है
Surah Ash-Shuara, Verse 86


وَلَا تُخۡزِنِي يَوۡمَ يُبۡعَثُونَ

और मुझे उस दिन रुसवा न कर, जब लोग जीवित करके उठाए जाएँगे।
Surah Ash-Shuara, Verse 87


يَوۡمَ لَا يَنفَعُ مَالٞ وَلَا بَنُونَ

जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद
Surah Ash-Shuara, Verse 88


إِلَّا مَنۡ أَتَى ٱللَّهَ بِقَلۡبٖ سَلِيمٖ

सिवाय इसके कि कोई भला-चंगा दिल लिए हुए अल्लाह के पास आया हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 89


وَأُزۡلِفَتِ ٱلۡجَنَّةُ لِلۡمُتَّقِينَ

और डर रखनेवालों के लिए जन्नत निकट लाई जाएगी
Surah Ash-Shuara, Verse 90


وَبُرِّزَتِ ٱلۡجَحِيمُ لِلۡغَاوِينَ

और भडकती आग पथभ्रष्टि लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी
Surah Ash-Shuara, Verse 91


وَقِيلَ لَهُمۡ أَيۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡبُدُونَ

और उनसे कहा जाएगा, "कहाँ है वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते रहे हो
Surah Ash-Shuara, Verse 92


مِن دُونِ ٱللَّهِ هَلۡ يَنصُرُونَكُمۡ أَوۡ يَنتَصِرُونَ

क्या वे तुम्हारी कुछ सहायता कर रहे है या अपना ही बचाव कर सकते है
Surah Ash-Shuara, Verse 93


فَكُبۡكِبُواْ فِيهَا هُمۡ وَٱلۡغَاوُۥنَ

फिर वे उसमें औंधे झोक दिए जाएँगे, वे और बहके हुए लोग
Surah Ash-Shuara, Verse 94


وَجُنُودُ إِبۡلِيسَ أَجۡمَعُونَ

और इबलीस की सेनाएँ, सबके सब।
Surah Ash-Shuara, Verse 95


قَالُواْ وَهُمۡ فِيهَا يَخۡتَصِمُونَ

वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे
Surah Ash-Shuara, Verse 96


تَٱللَّهِ إِن كُنَّا لَفِي ضَلَٰلٖ مُّبِينٍ

अल्लाह की क़सम! निश्चय ही हम खुली गुमराही में थे
Surah Ash-Shuara, Verse 97


إِذۡ نُسَوِّيكُم بِرَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

जबकि हम तुम्हें सारे संसार के रब के बराबर ठहरा रहे थे
Surah Ash-Shuara, Verse 98


وَمَآ أَضَلَّنَآ إِلَّا ٱلۡمُجۡرِمُونَ

और हमें तो बस उन अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया
Surah Ash-Shuara, Verse 99


فَمَا لَنَا مِن شَٰفِعِينَ

अब न हमारा कोई सिफ़ारिशी है
Surah Ash-Shuara, Verse 100


وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٖ

और न घनिष्ट मित्र
Surah Ash-Shuara, Verse 101


فَلَوۡ أَنَّ لَنَا كَرَّةٗ فَنَكُونَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ

क्या ही अच्छा होता कि हमें एक बार फिर पलटना होता, तो हम मोमिनों में से हो जाते
Surah Ash-Shuara, Verse 102


إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकरतर माननेवाले नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 103


وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
Surah Ash-Shuara, Verse 104


كَذَّبَتۡ قَوۡمُ نُوحٍ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया
Surah Ash-Shuara, Verse 105


إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ نُوحٌ أَلَا تَتَّقُونَ

जबकि उनसे उनके भाई नूह ने कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते
Surah Ash-Shuara, Verse 106


إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ

निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
Surah Ash-Shuara, Verse 107


فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरा कहा मानो
Surah Ash-Shuara, Verse 108


وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

मैं इस काम के बदले तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
Surah Ash-Shuara, Verse 109


فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो।
Surah Ash-Shuara, Verse 110


۞قَالُوٓاْ أَنُؤۡمِنُ لَكَ وَٱتَّبَعَكَ ٱلۡأَرۡذَلُونَ

उन्होंने कहा, "क्या हम तेरी बात मान लें, जबकि तेरे पीछे तो अत्यन्त नीच लोग चल रहे है
Surah Ash-Shuara, Verse 111


قَالَ وَمَا عِلۡمِي بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ

उसने कहा, "मुझे क्या मालूम कि वे क्या करते रहे है
Surah Ash-Shuara, Verse 112


إِنۡ حِسَابُهُمۡ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّيۖ لَوۡ تَشۡعُرُونَ

उनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती।
Surah Ash-Shuara, Verse 113


وَمَآ أَنَا۠ بِطَارِدِ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ

और मैं ईमानवालों को धुत्कारनेवाला नहीं हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 114


إِنۡ أَنَا۠ إِلَّا نَذِيرٞ مُّبِينٞ

मैं तो बस स्पष्ट रूप से एक सावधान करनेवाला हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 115


قَالُواْ لَئِن لَّمۡ تَنتَهِ يَٰنُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلۡمَرۡجُومِينَ

उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया ऐ नूह, तो तू संगसार होकर रहेगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 116


قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوۡمِي كَذَّبُونِ

उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मेरी क़ौम के लोगों ने तो मुझे झुठला दिया
Surah Ash-Shuara, Verse 117


فَٱفۡتَحۡ بَيۡنِي وَبَيۡنَهُمۡ فَتۡحٗا وَنَجِّنِي وَمَن مَّعِيَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ

अब मेरे और उनके बीच दो टूक फ़ैसला कर दे और मुझे और जो ईमानवाले मेरे साथ है, उन्हें बचा ले
Surah Ash-Shuara, Verse 118


فَأَنجَيۡنَٰهُ وَمَن مَّعَهُۥ فِي ٱلۡفُلۡكِ ٱلۡمَشۡحُونِ

अतः हमने उसे और जो उसके साथ भरी हुई नौका में थे बचा लिया
Surah Ash-Shuara, Verse 119


ثُمَّ أَغۡرَقۡنَا بَعۡدُ ٱلۡبَاقِينَ

और उसके पश्चात शेष लोगों को डूबो दिया
Surah Ash-Shuara, Verse 120


إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 121


وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
Surah Ash-Shuara, Verse 122


كَذَّبَتۡ عَادٌ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

आद ने रसूलों को झूठलाया
Surah Ash-Shuara, Verse 123


إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ

जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते
Surah Ash-Shuara, Verse 124


إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ

मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
Surah Ash-Shuara, Verse 125


فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा मानो
Surah Ash-Shuara, Verse 126


وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़ि्म्मे है।
Surah Ash-Shuara, Verse 127


أَتَبۡنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ ءَايَةٗ تَعۡبَثُونَ

क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे
Surah Ash-Shuara, Verse 128


وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمۡ تَخۡلُدُونَ

और भव्य महल बनाते रहोगे, मानो तुम्हें सदैव रहना है
Surah Ash-Shuara, Verse 129


وَإِذَا بَطَشۡتُم بَطَشۡتُمۡ جَبَّارِينَ

और जब किसी पर हाथ डालते हो तो बिलकुल निर्दय अत्याचारी बनकर हाथ डालते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 130


فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
Surah Ash-Shuara, Verse 131


وَٱتَّقُواْ ٱلَّذِيٓ أَمَدَّكُم بِمَا تَعۡلَمُونَ

उसका डर रखो जिसने तुम्हें वे चीज़े पहुँचाई जिनको तुम जानते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 132


أَمَدَّكُم بِأَنۡعَٰمٖ وَبَنِينَ

उसने तुम्हारी सहायता की चौपायों और बेटों से
Surah Ash-Shuara, Verse 133


وَجَنَّـٰتٖ وَعُيُونٍ

और बाग़ो और स्रोतो से
Surah Ash-Shuara, Verse 134


إِنِّيٓ أَخَافُ عَلَيۡكُمۡ عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٖ

निश्चय ही मुझे तुम्हारे बारे में एक बड़े दिन की यातना का भय है।
Surah Ash-Shuara, Verse 135


قَالُواْ سَوَآءٌ عَلَيۡنَآ أَوَعَظۡتَ أَمۡ لَمۡ تَكُن مِّنَ ٱلۡوَٰعِظِينَ

उन्होंने कहा, "हमारे लिए बराबर है चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो।
Surah Ash-Shuara, Verse 136


إِنۡ هَٰذَآ إِلَّا خُلُقُ ٱلۡأَوَّلِينَ

यह तो बस पहले लोगों की पुरानी आदत है
Surah Ash-Shuara, Verse 137


وَمَا نَحۡنُ بِمُعَذَّبِينَ

और हमें कदापि यातना न दी जाएगी।
Surah Ash-Shuara, Verse 138


فَكَذَّبُوهُ فَأَهۡلَكۡنَٰهُمۡۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

अन्ततः उन्होंने उन्हें झुठला दिया जो हमने उनको विनष्ट कर दिया। बेशक इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 139


وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और बेशक तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
Surah Ash-Shuara, Verse 140


كَذَّبَتۡ ثَمُودُ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

समूद ने रसूलों को झुठलाया
Surah Ash-Shuara, Verse 141


إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ صَٰلِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ

जबकि उसके भाई सालेह ने उससे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते
Surah Ash-Shuara, Verse 142


إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ

निस्संदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
Surah Ash-Shuara, Verse 143


فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

अतः तुम अल्लाह का डर रखो और मेरी बात मानो
Surah Ash-Shuara, Verse 144


وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
Surah Ash-Shuara, Verse 145


أَتُتۡرَكُونَ فِي مَا هَٰهُنَآ ءَامِنِينَ

क्या तुम यहाँ जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे
Surah Ash-Shuara, Verse 146


فِي جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٖ

बाग़ों और स्रोतों
Surah Ash-Shuara, Verse 147


وَزُرُوعٖ وَنَخۡلٖ طَلۡعُهَا هَضِيمٞ

और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे तरो ताज़ा और गुँथे हुए है
Surah Ash-Shuara, Verse 148


وَتَنۡحِتُونَ مِنَ ٱلۡجِبَالِ بُيُوتٗا فَٰرِهِينَ

तुम पहाड़ों को काट-काटकर इतराते हुए घर बनाते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 149


فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
Surah Ash-Shuara, Verse 150


وَلَا تُطِيعُوٓاْ أَمۡرَ ٱلۡمُسۡرِفِينَ

और उन हद से गुज़र जानेवालों की आज्ञा का पालन न करो
Surah Ash-Shuara, Verse 151


ٱلَّذِينَ يُفۡسِدُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَا يُصۡلِحُونَ

जो धरती में बिगाड़ पैदा करते है, और सुधार का काम नहीं करते।
Surah Ash-Shuara, Verse 152


قَالُوٓاْ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلۡمُسَحَّرِينَ

उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है।
Surah Ash-Shuara, Verse 153


مَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٞ مِّثۡلُنَا فَأۡتِ بِـَٔايَةٍ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ

तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है। यदि तू सच्चा है, तो कोई निशानी ले आ।
Surah Ash-Shuara, Verse 154


قَالَ هَٰذِهِۦ نَاقَةٞ لَّهَا شِرۡبٞ وَلَكُمۡ شِرۡبُ يَوۡمٖ مَّعۡلُومٖ

उसने कहा, "यह ऊँटनी है। एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक नियत दिन की बारी पानी लेने की तुम्हारी है
Surah Ash-Shuara, Verse 155


وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوٓءٖ فَيَأۡخُذَكُمۡ عَذَابُ يَوۡمٍ عَظِيمٖ

तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना, अन्यथा एक बड़े दिन की यातना तुम्हें आ लेगी।
Surah Ash-Shuara, Verse 156


فَعَقَرُوهَا فَأَصۡبَحُواْ نَٰدِمِينَ

किन्तु उन्होंने उसकी कूचें काट दी। फिर पछताते रह गए
Surah Ash-Shuara, Verse 157


فَأَخَذَهُمُ ٱلۡعَذَابُۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

अन्ततः यातना ने उन्हें आ दबोचा। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 158


وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और निस्संदेह तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयाशील है
Surah Ash-Shuara, Verse 159


كَذَّبَتۡ قَوۡمُ لُوطٍ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

लूत की क़ौम के लोगों ने रसूलों को झुठलाया
Surah Ash-Shuara, Verse 160


إِذۡ قَالَ لَهُمۡ أَخُوهُمۡ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ

जबकि उनके भाई लूत ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते
Surah Ash-Shuara, Verse 161


إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ

मैं तो तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
Surah Ash-Shuara, Verse 162


فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
Surah Ash-Shuara, Verse 163


وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता, मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
Surah Ash-Shuara, Verse 164


أَتَأۡتُونَ ٱلذُّكۡرَانَ مِنَ ٱلۡعَٰلَمِينَ

क्या सारे संसारवालों में से तुम ही ऐसे हो जो पुरुषों के पास जाते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 165


وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمۡ رَبُّكُم مِّنۡ أَزۡوَٰجِكُمۚ بَلۡ أَنتُمۡ قَوۡمٌ عَادُونَ

और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए पैदा किया, छोड़ देते हो? इतना ही नहीं, बल्कि तुम हद से आगे बढ़े हुए लोग हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 166


قَالُواْ لَئِن لَّمۡ تَنتَهِ يَٰلُوطُ لَتَكُونَنَّ مِنَ ٱلۡمُخۡرَجِينَ

उन्होंने कहा, "यदि तू बाज़ न आया, ऐ लतू! तो तू अवश्य ही निकाल बाहर किया जाएगा।
Surah Ash-Shuara, Verse 167


قَالَ إِنِّي لِعَمَلِكُم مِّنَ ٱلۡقَالِينَ

उसने कहा, "मैं तुम्हारे कर्म से अत्यन्त विरक्त हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 168


رَبِّ نَجِّنِي وَأَهۡلِي مِمَّا يَعۡمَلُونَ

ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे लोगों को, जो कुछ ये करते है उसके परिणाम से, बचा ले।
Surah Ash-Shuara, Verse 169


فَنَجَّيۡنَٰهُ وَأَهۡلَهُۥٓ أَجۡمَعِينَ

अन्ततः हमने उसे और उसके सारे लोगों को बचा लिया
Surah Ash-Shuara, Verse 170


إِلَّا عَجُوزٗا فِي ٱلۡغَٰبِرِينَ

सिवाय एक बुढ़िया के जो पीछे रह जानेवालों में थी
Surah Ash-Shuara, Verse 171


ثُمَّ دَمَّرۡنَا ٱلۡأٓخَرِينَ

फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया।
Surah Ash-Shuara, Verse 172


وَأَمۡطَرۡنَا عَلَيۡهِم مَّطَرٗاۖ فَسَآءَ مَطَرُ ٱلۡمُنذَرِينَ

और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी
Surah Ash-Shuara, Verse 173


إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 174


وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
Surah Ash-Shuara, Verse 175


كَذَّبَ أَصۡحَٰبُ لۡـَٔيۡكَةِ ٱلۡمُرۡسَلِينَ

अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया
Surah Ash-Shuara, Verse 176


إِذۡ قَالَ لَهُمۡ شُعَيۡبٌ أَلَا تَتَّقُونَ

जबकि शुऐब ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते
Surah Ash-Shuara, Verse 177


إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ

मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ
Surah Ash-Shuara, Verse 178


فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ

अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो
Surah Ash-Shuara, Verse 179


وَمَآ أَسۡـَٔلُكُمۡ عَلَيۡهِ مِنۡ أَجۡرٍۖ إِنۡ أَجۡرِيَ إِلَّا عَلَىٰ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है
Surah Ash-Shuara, Verse 180


۞أَوۡفُواْ ٱلۡكَيۡلَ وَلَا تَكُونُواْ مِنَ ٱلۡمُخۡسِرِينَ

तुम पूरा-पूरा पैमाना भरो और घाटा न दो
Surah Ash-Shuara, Verse 181


وَزِنُواْ بِٱلۡقِسۡطَاسِ ٱلۡمُسۡتَقِيمِ

और ठीक तराज़ू से तौलो
Surah Ash-Shuara, Verse 182


وَلَا تَبۡخَسُواْ ٱلنَّاسَ أَشۡيَآءَهُمۡ وَلَا تَعۡثَوۡاْ فِي ٱلۡأَرۡضِ مُفۡسِدِينَ

और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ और फ़साद मचाते मत फिरो
Surah Ash-Shuara, Verse 183


وَٱتَّقُواْ ٱلَّذِي خَلَقَكُمۡ وَٱلۡجِبِلَّةَ ٱلۡأَوَّلِينَ

उसका डर रखो जिसने तुम्हें और पिछली नस्लों को पैदा किया हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 184


قَالُوٓاْ إِنَّمَآ أَنتَ مِنَ ٱلۡمُسَحَّرِينَ

उन्होंने कहा, "तू तो बस जादू का मारा हुआ है
Surah Ash-Shuara, Verse 185


وَمَآ أَنتَ إِلَّا بَشَرٞ مِّثۡلُنَا وَإِن نَّظُنُّكَ لَمِنَ ٱلۡكَٰذِبِينَ

और तू बस हमारे ही जैसा एक आदमी है और हम तो तुझे झूठा समझते है
Surah Ash-Shuara, Verse 186


فَأَسۡقِطۡ عَلَيۡنَا كِسَفٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ إِن كُنتَ مِنَ ٱلصَّـٰدِقِينَ

फिर तू हमपर आकाश को कोई टुकड़ा गिरा दे, यदि तू सच्चा है।
Surah Ash-Shuara, Verse 187


قَالَ رَبِّيٓ أَعۡلَمُ بِمَا تَعۡمَلُونَ

उसने कहा, " मेरा रब भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम कर रहे हो।
Surah Ash-Shuara, Verse 188


فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَهُمۡ عَذَابُ يَوۡمِ ٱلظُّلَّةِۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَذَابَ يَوۡمٍ عَظِيمٍ

किन्तु उन्होंने उसे झुठला दिया। फिर छायावाले दिन की यातना ने आ लिया। निश्चय ही वह एक बड़े दिन की यातना थी
Surah Ash-Shuara, Verse 189


إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗۖ وَمَا كَانَ أَكۡثَرُهُم مُّؤۡمِنِينَ

निस्संदेह इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 190


وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ

और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है, जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है
Surah Ash-Shuara, Verse 191


وَإِنَّهُۥ لَتَنزِيلُ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ

निश्चय ही यह (क़ुरआन) सारे संसार के रब की अवतरित की हुई चीज़ है
Surah Ash-Shuara, Verse 192


نَزَلَ بِهِ ٱلرُّوحُ ٱلۡأَمِينُ

इसको लेकर तुम्हारे हृदय पर एक विश्वसनीय आत्मा उतरी है
Surah Ash-Shuara, Verse 193


عَلَىٰ قَلۡبِكَ لِتَكُونَ مِنَ ٱلۡمُنذِرِينَ

ताकि तुम सावधान करनेवाले हो
Surah Ash-Shuara, Verse 194


بِلِسَانٍ عَرَبِيّٖ مُّبِينٖ

स्पष्ट अरबी भाषा में
Surah Ash-Shuara, Verse 195


وَإِنَّهُۥ لَفِي زُبُرِ ٱلۡأَوَّلِينَ

और निस्संदेह यह पिछले लोगों की किताबों में भी मौजूद है
Surah Ash-Shuara, Verse 196


أَوَلَمۡ يَكُن لَّهُمۡ ءَايَةً أَن يَعۡلَمَهُۥ عُلَمَـٰٓؤُاْ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ

क्या यह उनके लिए कोई निशानी नहीं है कि इसे बनी इसराईल के विद्वान जानते है
Surah Ash-Shuara, Verse 197


وَلَوۡ نَزَّلۡنَٰهُ عَلَىٰ بَعۡضِ ٱلۡأَعۡجَمِينَ

यदि हम इसे ग़ैर अरबी भाषी पर भी उतारते
Surah Ash-Shuara, Verse 198


فَقَرَأَهُۥ عَلَيۡهِم مَّا كَانُواْ بِهِۦ مُؤۡمِنِينَ

और वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते
Surah Ash-Shuara, Verse 199


كَذَٰلِكَ سَلَكۡنَٰهُ فِي قُلُوبِ ٱلۡمُجۡرِمِينَ

इसी प्रकार हमने इसे अपराधियों के दिलों में पैठाया है
Surah Ash-Shuara, Verse 200


لَا يُؤۡمِنُونَ بِهِۦ حَتَّىٰ يَرَوُاْ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَلِيمَ

वे इसपर ईमान लाने को नहीं, जब तक कि दुखद यातना न देख लें
Surah Ash-Shuara, Verse 201


فَيَأۡتِيَهُم بَغۡتَةٗ وَهُمۡ لَا يَشۡعُرُونَ

फिर जब वह अचानक उनपर आ जाएगी और उन्हें ख़बर भी न होगी
Surah Ash-Shuara, Verse 202


فَيَقُولُواْ هَلۡ نَحۡنُ مُنظَرُونَ

तब वे कहेंगे, "क्या हमें कुछ मुहलत मिल सकती है
Surah Ash-Shuara, Verse 203


أَفَبِعَذَابِنَا يَسۡتَعۡجِلُونَ

तो क्या वे लोग हमारी यातना के लिए जल्दी मचा रहे है
Surah Ash-Shuara, Verse 204


أَفَرَءَيۡتَ إِن مَّتَّعۡنَٰهُمۡ سِنِينَ

क्या तुमने कुछ विचार किया? यदि हम उन्हें कुछ वर्षों तक सुख भोगने दें
Surah Ash-Shuara, Verse 205


ثُمَّ جَآءَهُم مَّا كَانُواْ يُوعَدُونَ

फिर उनपर वह चीज़ आ जाए, जिससे उन्हें डराया जाता रहा है
Surah Ash-Shuara, Verse 206


مَآ أَغۡنَىٰ عَنۡهُم مَّا كَانُواْ يُمَتَّعُونَ

तो जो सुख उन्हें मिला होगा वह उनके कुछ काम न आएगा
Surah Ash-Shuara, Verse 207


وَمَآ أَهۡلَكۡنَا مِن قَرۡيَةٍ إِلَّا لَهَا مُنذِرُونَ

हमने किसी बस्ती को भी इसके बिना विनष्ट नहीं किया कि उसके लिए सचेत करनेवाले याददिहानी के लिए मौजूद रहे हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 208


ذِكۡرَىٰ وَمَا كُنَّا ظَٰلِمِينَ

हम कोई ज़ालिम नहीं है
Surah Ash-Shuara, Verse 209


وَمَا تَنَزَّلَتۡ بِهِ ٱلشَّيَٰطِينُ

इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं।
Surah Ash-Shuara, Verse 210


وَمَا يَنۢبَغِي لَهُمۡ وَمَا يَسۡتَطِيعُونَ

न यह उन्हें फबता ही है और न ये उनके बस का ही है
Surah Ash-Shuara, Verse 211


إِنَّهُمۡ عَنِ ٱلسَّمۡعِ لَمَعۡزُولُونَ

वे तो इसके सुनने से भी दूर रखे गए है
Surah Ash-Shuara, Verse 212


فَلَا تَدۡعُ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَ فَتَكُونَ مِنَ ٱلۡمُعَذَّبِينَ

अतः अल्लाह के साथ दूसरे इष्ट-पूज्य को न पुकारना, अन्यथा तुम्हें भी यातना दी जाएगी
Surah Ash-Shuara, Verse 213


وَأَنذِرۡ عَشِيرَتَكَ ٱلۡأَقۡرَبِينَ

और अपने निकटतम नातेदारों को सचेत करो
Surah Ash-Shuara, Verse 214


وَٱخۡفِضۡ جَنَاحَكَ لِمَنِ ٱتَّبَعَكَ مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ

और जो ईमानवाले तुम्हारे अनुयायी हो गए है, उनके लिए अपनी भुजाएँ बिछाए रखो
Surah Ash-Shuara, Verse 215


فَإِنۡ عَصَوۡكَ فَقُلۡ إِنِّي بَرِيٓءٞ مِّمَّا تَعۡمَلُونَ

किन्तु यदि वे तुम्हारी अवज्ञा करें तो कह दो, "जो कुछ तुम करते हो, उसकी ज़िम्मेदारी से मं1 बरी हूँ।
Surah Ash-Shuara, Verse 216


وَتَوَكَّلۡ عَلَى ٱلۡعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ

और उस प्रभुत्वशाली और दया करनेवाले पर भरोसा रखो
Surah Ash-Shuara, Verse 217


ٱلَّذِي يَرَىٰكَ حِينَ تَقُومُ

जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो
Surah Ash-Shuara, Verse 218


وَتَقَلُّبَكَ فِي ٱلسَّـٰجِدِينَ

और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है
Surah Ash-Shuara, Verse 219


إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلۡعَلِيمُ

निस्संदेह वह भली-भाँति सुनता-जानता है
Surah Ash-Shuara, Verse 220


هَلۡ أُنَبِّئُكُمۡ عَلَىٰ مَن تَنَزَّلُ ٱلشَّيَٰطِينُ

क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किसपर उतरते है
Surah Ash-Shuara, Verse 221


تَنَزَّلُ عَلَىٰ كُلِّ أَفَّاكٍ أَثِيمٖ

वे प्रत्येक ढोंग रचनेवाले गुनाहगार पर उतरते है
Surah Ash-Shuara, Verse 222


يُلۡقُونَ ٱلسَّمۡعَ وَأَكۡثَرُهُمۡ كَٰذِبُونَ

वे कान लगाते है और उनमें से अधिकतर झूठे होते है
Surah Ash-Shuara, Verse 223


وَٱلشُّعَرَآءُ يَتَّبِعُهُمُ ٱلۡغَاوُۥنَ

रहे कवि, तो उनके पीछे बहके हुए लोग ही चला करते है।
Surah Ash-Shuara, Verse 224


أَلَمۡ تَرَ أَنَّهُمۡ فِي كُلِّ وَادٖ يَهِيمُونَ

क्या तुमने देखा नहीं कि वे हर घाटी में बहके फिरते हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 225


وَأَنَّهُمۡ يَقُولُونَ مَا لَا يَفۡعَلُونَ

और कहते वह है जो करते नहीं
Surah Ash-Shuara, Verse 226


إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ وَذَكَرُواْ ٱللَّهَ كَثِيرٗا وَٱنتَصَرُواْ مِنۢ بَعۡدِ مَا ظُلِمُواْۗ وَسَيَعۡلَمُ ٱلَّذِينَ ظَلَمُوٓاْ أَيَّ مُنقَلَبٖ يَنقَلِبُونَ

वे नहीं जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और अल्लाह को अधिक .याद किया। औऱ इसके बाद कि उनपर ज़ुल्म किया गया तो उन्होंने उसका प्रतिकार किया और जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उन्हें जल्द ही मालूम हो जाएगा कि वे किस जगह पलटते हैं
Surah Ash-Shuara, Verse 227


Author: Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed


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