Surah An-Naml - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
طسٓۚ تِلۡكَ ءَايَٰتُ ٱلۡقُرۡءَانِ وَكِتَابٖ مُّبِينٍ
ता॰ सीन॰। ये आयतें है क़ुरआन और एक स्पष्ट किताब की
Surah An-Naml, Verse 1
هُدٗى وَبُشۡرَىٰ لِلۡمُؤۡمِنِينَ
मार्गदर्शन है और शुभ-सूचना उन ईमानवालों के लिए
Surah An-Naml, Verse 2
ٱلَّذِينَ يُقِيمُونَ ٱلصَّلَوٰةَ وَيُؤۡتُونَ ٱلزَّكَوٰةَ وَهُم بِٱلۡأٓخِرَةِ هُمۡ يُوقِنُونَ
जो नमाज़ का आयोजन करते है और ज़कात देते है और वही है जो आख़िरत पर विश्वास रखते है
Surah An-Naml, Verse 3
إِنَّ ٱلَّذِينَ لَا يُؤۡمِنُونَ بِٱلۡأٓخِرَةِ زَيَّنَّا لَهُمۡ أَعۡمَٰلَهُمۡ فَهُمۡ يَعۡمَهُونَ
रहे वे लोग जो आख़िरत को नहीं मानते, उनके लिए हमने उनकी करतूतों को शोभायमान बना दिया है। अतः वे भटकते फिरते है
Surah An-Naml, Verse 4
أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ لَهُمۡ سُوٓءُ ٱلۡعَذَابِ وَهُمۡ فِي ٱلۡأٓخِرَةِ هُمُ ٱلۡأَخۡسَرُونَ
वही लोग है, जिनके लिए बुरी यातना है और वही है जो आख़िरत में अत्यन्त घाटे में रहेंगे
Surah An-Naml, Verse 5
وَإِنَّكَ لَتُلَقَّى ٱلۡقُرۡءَانَ مِن لَّدُنۡ حَكِيمٍ عَلِيمٍ
निश्चय ही तुम यह क़ुरआन एक बड़े तत्वदर्शी, ज्ञानवान (प्रभु) की ओर से पा रहे हो
Surah An-Naml, Verse 6
إِذۡ قَالَ مُوسَىٰ لِأَهۡلِهِۦٓ إِنِّيٓ ءَانَسۡتُ نَارٗا سَـَٔاتِيكُم مِّنۡهَا بِخَبَرٍ أَوۡ ءَاتِيكُم بِشِهَابٖ قَبَسٖ لَّعَلَّكُمۡ تَصۡطَلُونَ
याद करो जब मूसा ने अपने घरवालों से कहा कि "मैंने एक आग-सी देखी है। मैं अभी वहाँ से तुम्हारे पास कोई ख़बर लेकर आता हूँ या तुम्हारे पास कोई दहकता अंगार लाता हूँ, ताकि तुम तापो।
Surah An-Naml, Verse 7
فَلَمَّا جَآءَهَا نُودِيَ أَنۢ بُورِكَ مَن فِي ٱلنَّارِ وَمَنۡ حَوۡلَهَا وَسُبۡحَٰنَ ٱللَّهِ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
फिर जब वह उसके पास पहुँचा तो उसे आवाज़ आई कि "मुबारक है वह जो इस आग में है और जो इसके आस-पास है। महान और उच्च है अल्लाह, सारे संसार का रब
Surah An-Naml, Verse 8
يَٰمُوسَىٰٓ إِنَّهُۥٓ أَنَا ٱللَّهُ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡحَكِيمُ
ऐ मूसा! वह तो मैं अल्लाह हूँ, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी
Surah An-Naml, Verse 9
وَأَلۡقِ عَصَاكَۚ فَلَمَّا رَءَاهَا تَهۡتَزُّ كَأَنَّهَا جَآنّٞ وَلَّىٰ مُدۡبِرٗا وَلَمۡ يُعَقِّبۡۚ يَٰمُوسَىٰ لَا تَخَفۡ إِنِّي لَا يَخَافُ لَدَيَّ ٱلۡمُرۡسَلُونَ
तू अपनी लाठी डाल दे।" जब मूसा ने देखा कि वह बल खा रहा है जैसे वह कोई साँप हो, तो वह पीठ फेरकर भागा और पीछे मुड़कर न देखा। "ऐ मूसा! डर मत। निस्संदेह रसूल मेरे पास डरा नहीं करते
Surah An-Naml, Verse 10
إِلَّا مَن ظَلَمَ ثُمَّ بَدَّلَ حُسۡنَۢا بَعۡدَ سُوٓءٖ فَإِنِّي غَفُورٞ رَّحِيمٞ
सिवाय उसके जिसने कोई ज़्यादती की हो। फिर बुराई के पश्चात उसे भलाई से बदल दिया, तो मैं भी बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान हूँ
Surah An-Naml, Verse 11
وَأَدۡخِلۡ يَدَكَ فِي جَيۡبِكَ تَخۡرُجۡ بَيۡضَآءَ مِنۡ غَيۡرِ سُوٓءٖۖ فِي تِسۡعِ ءَايَٰتٍ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ وَقَوۡمِهِۦٓۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمٗا فَٰسِقِينَ
अपना हाथ गिरेबान में डाल। वह बिना किसी ख़राबी के उज्जवल चमकता निकलेगा। ये नौ निशानियों में से है फ़िरऔन और उसकी क़ौम की ओर भेजने के लिए। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग है।
Surah An-Naml, Verse 12
فَلَمَّا جَآءَتۡهُمۡ ءَايَٰتُنَا مُبۡصِرَةٗ قَالُواْ هَٰذَا سِحۡرٞ مُّبِينٞ
किन्तु जब आँखें खोल देनेवाली हमारी निशानियाँ उनके पास आई तो उन्होंने कहा, "यह तो खुला हुआ जादू है।
Surah An-Naml, Verse 13
وَجَحَدُواْ بِهَا وَٱسۡتَيۡقَنَتۡهَآ أَنفُسُهُمۡ ظُلۡمٗا وَعُلُوّٗاۚ فَٱنظُرۡ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلۡمُفۡسِدِينَ
उन्होंने ज़ुल्म और सरकशी से उनका इनकार कर दिया, हालाँकि उनके जी को उनका विश्वास हो चुका था। अब देख लो इन बिगाड़ पैदा करनेवालों का क्या परिणाम हुआ
Surah An-Naml, Verse 14
وَلَقَدۡ ءَاتَيۡنَا دَاوُۥدَ وَسُلَيۡمَٰنَ عِلۡمٗاۖ وَقَالَا ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ ٱلَّذِي فَضَّلَنَا عَلَىٰ كَثِيرٖ مِّنۡ عِبَادِهِ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
हमने दाऊद और सुलैमान को बड़ा ज्ञान प्रदान किया था, (उन्होंने उसके महत्व को जाना) और उन दोनों ने कहा, "सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने हमें अपने बहुत-से ईमानवाले बन्दों के मुक़ाबले में श्रेष्ठता प्रदान की।
Surah An-Naml, Verse 15
وَوَرِثَ سُلَيۡمَٰنُ دَاوُۥدَۖ وَقَالَ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ عُلِّمۡنَا مَنطِقَ ٱلطَّيۡرِ وَأُوتِينَا مِن كُلِّ شَيۡءٍۖ إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ ٱلۡفَضۡلُ ٱلۡمُبِينُ
दाऊद का उत्तराधिकारी सुलैमान हुआ औऱ उसने कहा, "ऐ लोगों! हमें पक्षियों की बोली सिखाई गई है और हमें हर चीज़ दी गई है। निस्संदेह वह स्पष्ट बड़ाई है।
Surah An-Naml, Verse 16
وَحُشِرَ لِسُلَيۡمَٰنَ جُنُودُهُۥ مِنَ ٱلۡجِنِّ وَٱلۡإِنسِ وَٱلطَّيۡرِ فَهُمۡ يُوزَعُونَ
सुलैमान के लिए जिन्न और मनुष्य और पक्षियों मे से उसकी सेनाएँ एकत्र कर गई फिर उनकी दर्जाबन्दी की जा रही थी
Surah An-Naml, Verse 17
حَتَّىٰٓ إِذَآ أَتَوۡاْ عَلَىٰ وَادِ ٱلنَّمۡلِ قَالَتۡ نَمۡلَةٞ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّمۡلُ ٱدۡخُلُواْ مَسَٰكِنَكُمۡ لَا يَحۡطِمَنَّكُمۡ سُلَيۡمَٰنُ وَجُنُودُهُۥ وَهُمۡ لَا يَشۡعُرُونَ
यहाँ तक कि जब वे चींटियों की घाटी में पहुँचे तो एक चींटी ने कहा, "ऐ चींटियों! अपने घरों में प्रवेश कर जाओ। कहीं सुलैमान और उसकी सेनाएँ तुम्हें कुचल न डालें और उन्हें एहसास भी न हो।
Surah An-Naml, Verse 18
فَتَبَسَّمَ ضَاحِكٗا مِّن قَوۡلِهَا وَقَالَ رَبِّ أَوۡزِعۡنِيٓ أَنۡ أَشۡكُرَ نِعۡمَتَكَ ٱلَّتِيٓ أَنۡعَمۡتَ عَلَيَّ وَعَلَىٰ وَٰلِدَيَّ وَأَنۡ أَعۡمَلَ صَٰلِحٗا تَرۡضَىٰهُ وَأَدۡخِلۡنِي بِرَحۡمَتِكَ فِي عِبَادِكَ ٱلصَّـٰلِحِينَ
तो वह उसकी बात पर प्रसन्न होकर मुस्कराया और कहा, "मेरे रब! मुझे संभाले रख कि मैं तेरी उस कृपा पर कृतज्ञता दिखाता रहूँ जो तूने मुझपर और मेरे माँ-बाप पर की है। और यह कि अच्छा कर्म करूँ जो तुझे पसन्द आए और अपनी दयालुता से मुझे अपने अच्छे बन्दों में दाखिल कर।
Surah An-Naml, Verse 19
وَتَفَقَّدَ ٱلطَّيۡرَ فَقَالَ مَالِيَ لَآ أَرَى ٱلۡهُدۡهُدَ أَمۡ كَانَ مِنَ ٱلۡغَآئِبِينَ
उसने पक्षियों की जाँच-पड़ताल की तो कहा, "क्या बात है कि मैं हुदहुद को नहीं देख रहा हूँ, (वह यहीं कहीं है) या ग़ायब हो गया है
Surah An-Naml, Verse 20
لَأُعَذِّبَنَّهُۥ عَذَابٗا شَدِيدًا أَوۡ لَأَاْذۡبَحَنَّهُۥٓ أَوۡ لَيَأۡتِيَنِّي بِسُلۡطَٰنٖ مُّبِينٖ
मैं उसे कठोर दंड दूँगा या उसे ज़बह ही कर डालूँगा या फिर वह मेरे सामने कोई स्पष्ट॥ कारण प्रस्तुत करे।
Surah An-Naml, Verse 21
فَمَكَثَ غَيۡرَ بَعِيدٖ فَقَالَ أَحَطتُ بِمَا لَمۡ تُحِطۡ بِهِۦ وَجِئۡتُكَ مِن سَبَإِۭ بِنَبَإٖ يَقِينٍ
फिर कुछ अधिक देर नहीं ठहरा कि उसने आकर कहा, "मैंने वह जानकारी प्राप्त की है जो आपको मालूम नहीं है। मैं सबा से आपके पास एक विश्वसनीय सूचना लेकर आया हूँ
Surah An-Naml, Verse 22
إِنِّي وَجَدتُّ ٱمۡرَأَةٗ تَمۡلِكُهُمۡ وَأُوتِيَتۡ مِن كُلِّ شَيۡءٖ وَلَهَا عَرۡشٌ عَظِيمٞ
मैंने एक स्त्री को उनपर शासन करते पाया है। उसे हर चीज़ प्राप्त है औऱ उसका एक बड़ा सिंहासन है
Surah An-Naml, Verse 23
وَجَدتُّهَا وَقَوۡمَهَا يَسۡجُدُونَ لِلشَّمۡسِ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَزَيَّنَ لَهُمُ ٱلشَّيۡطَٰنُ أَعۡمَٰلَهُمۡ فَصَدَّهُمۡ عَنِ ٱلسَّبِيلِ فَهُمۡ لَا يَهۡتَدُونَ
मैंने उसे और उसकी क़ौम के लोगों को अल्लाह से इतर सूर्य को सजदा करते हुए पाया। शैतान ने उनके कर्मों को उनके लिए शोभायमान बना दिया है और उन्हें मार्ग से रोक दिया है - अतः वे सीधा मार्ग नहीं पा रहे है।
Surah An-Naml, Verse 24
أَلَّاۤ يَسۡجُدُواْۤ لِلَّهِ ٱلَّذِي يُخۡرِجُ ٱلۡخَبۡءَ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَيَعۡلَمُ مَا تُخۡفُونَ وَمَا تُعۡلِنُونَ
खि अल्लाह को सजदा न करें जो आकाशों और धरती की छिपी चीज़ें निकालता है, और जानता है जो कुछ भी तुम छिपाते हो और जो कुछ प्रकट करते हो
Surah An-Naml, Verse 25
ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ ٱلۡعَرۡشِ ٱلۡعَظِيمِ۩
अल्लाह कि उसके सिवा कोई इष्ट -पूज्य नहीं, वह महान सिंहासन का रब है।
Surah An-Naml, Verse 26
۞قَالَ سَنَنظُرُ أَصَدَقۡتَ أَمۡ كُنتَ مِنَ ٱلۡكَٰذِبِينَ
उसने कहा, "अभी हम देख लेते है कि तूने सच कहा या तू झूठा है
Surah An-Naml, Verse 27
ٱذۡهَب بِّكِتَٰبِي هَٰذَا فَأَلۡقِهۡ إِلَيۡهِمۡ ثُمَّ تَوَلَّ عَنۡهُمۡ فَٱنظُرۡ مَاذَا يَرۡجِعُونَ
मेरा यह पत्र लेकर जा, और इसे उन लोगों की ओर डाल दे। फिर उनके पास से अलग हटकर देख कि वे क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते है।
Surah An-Naml, Verse 28
قَالَتۡ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡمَلَؤُاْ إِنِّيٓ أُلۡقِيَ إِلَيَّ كِتَٰبٞ كَرِيمٌ
वह बोली, "ऐ सरदारों! मेरी ओर एक प्रतिष्ठित पत्र डाला गया है
Surah An-Naml, Verse 29
إِنَّهُۥ مِن سُلَيۡمَٰنَ وَإِنَّهُۥ بِسۡمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحۡمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
वह सुलैमान की ओर से है और वह यह है कि अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है
Surah An-Naml, Verse 30
أَلَّا تَعۡلُواْ عَلَيَّ وَأۡتُونِي مُسۡلِمِينَ
यह कि मेरे मुक़ाबले में सरकशी न करो और आज्ञाकारी बनकर मेरे पास आओ।
Surah An-Naml, Verse 31
قَالَتۡ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡمَلَؤُاْ أَفۡتُونِي فِيٓ أَمۡرِي مَا كُنتُ قَاطِعَةً أَمۡرًا حَتَّىٰ تَشۡهَدُونِ
उसने कहा, "ऐ सरदारों! मेरे मामलें में मुझे परामर्श दो। मैं किसी मामले का फ़ैसला नहीं करती, जब तक कि तुम मेरे पास मौजूद न हो।
Surah An-Naml, Verse 32
قَالُواْ نَحۡنُ أُوْلُواْ قُوَّةٖ وَأُوْلُواْ بَأۡسٖ شَدِيدٖ وَٱلۡأَمۡرُ إِلَيۡكِ فَٱنظُرِي مَاذَا تَأۡمُرِينَ
उन्होंने कहा, "हम शक्तिशाली है और हमें बड़ी युद्ध-क्षमता प्राप्त है। आगे मामले का अधिकार आपको है, अतः आप देख लें कि आपको क्या आदेश देना है।
Surah An-Naml, Verse 33
قَالَتۡ إِنَّ ٱلۡمُلُوكَ إِذَا دَخَلُواْ قَرۡيَةً أَفۡسَدُوهَا وَجَعَلُوٓاْ أَعِزَّةَ أَهۡلِهَآ أَذِلَّةٗۚ وَكَذَٰلِكَ يَفۡعَلُونَ
उसने कहा, "सम्राट जब किसी बस्ती में प्रवेश करते है, तो उसे ख़राब कर देते है और वहाँ के प्रभावशाली लोगों को अपमानित करके रहते है। और वे ऐसा ही करेंगे
Surah An-Naml, Verse 34
وَإِنِّي مُرۡسِلَةٌ إِلَيۡهِم بِهَدِيَّةٖ فَنَاظِرَةُۢ بِمَ يَرۡجِعُ ٱلۡمُرۡسَلُونَ
मैं उनके पास एक उपहार भेजती हूँ; फिर देखती हूँ कि दूत क्या उत्तर लेकर लौटते है।
Surah An-Naml, Verse 35
فَلَمَّا جَآءَ سُلَيۡمَٰنَ قَالَ أَتُمِدُّونَنِ بِمَالٖ فَمَآ ءَاتَىٰنِۦَ ٱللَّهُ خَيۡرٞ مِّمَّآ ءَاتَىٰكُمۚ بَلۡ أَنتُم بِهَدِيَّتِكُمۡ تَفۡرَحُونَ
फिर जब वह सुलैमान के पास पहुँचा तो उसने (सुलैमान ने) कहा, "क्या तुम माल से मेरी सहायता करोगे, तो जो कुछ अल्लाह ने मुझे दिया है वह उससे कहीं उत्तम है, जो उसने तुम्हें दिया है? बल्कि तुम्ही लोग हो जो अपने उपहार से प्रसन्न होते हो
Surah An-Naml, Verse 36
ٱرۡجِعۡ إِلَيۡهِمۡ فَلَنَأۡتِيَنَّهُم بِجُنُودٖ لَّا قِبَلَ لَهُم بِهَا وَلَنُخۡرِجَنَّهُم مِّنۡهَآ أَذِلَّةٗ وَهُمۡ صَٰغِرُونَ
उनके पास वापस जाओ। हम उनपर ऐसी सेनाएँ लेकर आएँगे, जिनका मुक़ाबला वे न कर सकेंगे और हम उन्हें अपमानित करके वहाँ से निकाल देंगे कि वे पस्त होकर रहेंगे।
Surah An-Naml, Verse 37
قَالَ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡمَلَؤُاْ أَيُّكُمۡ يَأۡتِينِي بِعَرۡشِهَا قَبۡلَ أَن يَأۡتُونِي مُسۡلِمِينَ
उसने (सुलैमान ने) कहा, "ऐ सरदारो! तुममें कौन उसका सिंहासन लेकर मेरे पास आता है, इससे पहले कि वे लोग आज्ञाकारी होकर मेरे पास आएँ
Surah An-Naml, Verse 38
قَالَ عِفۡرِيتٞ مِّنَ ٱلۡجِنِّ أَنَا۠ ءَاتِيكَ بِهِۦ قَبۡلَ أَن تَقُومَ مِن مَّقَامِكَۖ وَإِنِّي عَلَيۡهِ لَقَوِيٌّ أَمِينٞ
जिन्नों में से एक बलिष्ठ निर्भीक ने कहा, "मैं उसे आपके पास ले आऊँगा। इससे पहले कि आप अपने स्थान से उठे। मुझे इसकी शक्ति प्राप्त है और मैं अमानतदार भी हूँ।
Surah An-Naml, Verse 39
قَالَ ٱلَّذِي عِندَهُۥ عِلۡمٞ مِّنَ ٱلۡكِتَٰبِ أَنَا۠ ءَاتِيكَ بِهِۦ قَبۡلَ أَن يَرۡتَدَّ إِلَيۡكَ طَرۡفُكَۚ فَلَمَّا رَءَاهُ مُسۡتَقِرًّا عِندَهُۥ قَالَ هَٰذَا مِن فَضۡلِ رَبِّي لِيَبۡلُوَنِيٓ ءَأَشۡكُرُ أَمۡ أَكۡفُرُۖ وَمَن شَكَرَ فَإِنَّمَا يَشۡكُرُ لِنَفۡسِهِۦۖ وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ رَبِّي غَنِيّٞ كَرِيمٞ
जिस व्यक्ति के पास किताब का ज्ञान था, उसने कहा, "मैं आपकी पलक झपकने से पहले उसे आपके पास लाए देता हूँ।" फिर जब उसने उसे अपने पास रखा हुआ देखा तो कहा, "यह मेरे रब का उदार अनुग्रह है, ताकि वह मेरी परीक्षा करे कि मैं कृतज्ञता दिखाता हूँ या कृतघ्न बनता हूँ। जो कृतज्ञता दिखलाता है तो वह अपने लिए ही कृतज्ञता दिखलाता है और वह जिसने कृतघ्नता दिखाई, तो मेरा रब निश्चय ही निस्पृह, बड़ा उदार है।
Surah An-Naml, Verse 40
قَالَ نَكِّرُواْ لَهَا عَرۡشَهَا نَنظُرۡ أَتَهۡتَدِيٓ أَمۡ تَكُونُ مِنَ ٱلَّذِينَ لَا يَهۡتَدُونَ
उसने कहा, "उसके पास उसके सिंहासन का रूप बदल दो। देंखे वह वास्तविकता को पा लेती है या उन लोगों में से होकर रह जाती है, जो वास्तविकता को पा लेती है या उन लोगों में से होकर जाती है, जो वास्तविकता को पा लेती है या उन लोगों में से होकर रह जाती है, जो वास्तविकता को नहीं पाते।
Surah An-Naml, Verse 41
فَلَمَّا جَآءَتۡ قِيلَ أَهَٰكَذَا عَرۡشُكِۖ قَالَتۡ كَأَنَّهُۥ هُوَۚ وَأُوتِينَا ٱلۡعِلۡمَ مِن قَبۡلِهَا وَكُنَّا مُسۡلِمِينَ
जब वह आई तो कहा गया, "क्या तुम्हारा सिंहासन ऐसा ही है?" उसने कहा, "यह तो जैसे वही है, और हमें तो इससे पहले ही ज्ञान प्राप्त हो चुका था; और हम आज्ञाकारी हो गए थे।
Surah An-Naml, Verse 42
وَصَدَّهَا مَا كَانَت تَّعۡبُدُ مِن دُونِ ٱللَّهِۖ إِنَّهَا كَانَتۡ مِن قَوۡمٖ كَٰفِرِينَ
अल्लाह से हटकर वह दूसरे को पूजती थी। इसी चीज़ ने उसे रोक रखा था। निस्संदेह वह एक इनकार करनेवाली क़ौम में से थी
Surah An-Naml, Verse 43
قِيلَ لَهَا ٱدۡخُلِي ٱلصَّرۡحَۖ فَلَمَّا رَأَتۡهُ حَسِبَتۡهُ لُجَّةٗ وَكَشَفَتۡ عَن سَاقَيۡهَاۚ قَالَ إِنَّهُۥ صَرۡحٞ مُّمَرَّدٞ مِّن قَوَارِيرَۗ قَالَتۡ رَبِّ إِنِّي ظَلَمۡتُ نَفۡسِي وَأَسۡلَمۡتُ مَعَ سُلَيۡمَٰنَ لِلَّهِ رَبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
उससे कहा गया कि "महल में प्रवेश करो।" तो जब उसने उसे देखा तो उसने उसको गहरा पानी समझा और उसने अपनी दोनों पिंडलियाँ खोल दी। उसने कहा, "यह तो शीशे से निर्मित महल है।" बोली, "ऐ मेरे रब! निश्चय ही मैंने अपने आपपर ज़ुल्म किया। अब मैंने सुलैमान के साथ अपने आपको अल्लाह के समर्पित कर दिया, जो सारे संसार का रब है।
Surah An-Naml, Verse 44
وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَآ إِلَىٰ ثَمُودَ أَخَاهُمۡ صَٰلِحًا أَنِ ٱعۡبُدُواْ ٱللَّهَ فَإِذَا هُمۡ فَرِيقَانِ يَخۡتَصِمُونَ
और समूद की ओर हमने उनके भाई सालेह को भेजा कि "अल्लाह की बन्दगी करो।" तो क्या देखते है कि वे दो गिरोह होकर आपस में झगड़ने लगे
Surah An-Naml, Verse 45
قَالَ يَٰقَوۡمِ لِمَ تَسۡتَعۡجِلُونَ بِٱلسَّيِّئَةِ قَبۡلَ ٱلۡحَسَنَةِۖ لَوۡلَا تَسۡتَغۡفِرُونَ ٱللَّهَ لَعَلَّكُمۡ تُرۡحَمُونَ
उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगों, तुम भलाई से पहले बुराई के लिए क्यों जल्दी मचा रहे हो? तुम अल्लाह से क्षमा याचना क्यों नहीं करते? कदाचित तुमपर दया की जाए।
Surah An-Naml, Verse 46
قَالُواْ ٱطَّيَّرۡنَا بِكَ وَبِمَن مَّعَكَۚ قَالَ طَـٰٓئِرُكُمۡ عِندَ ٱللَّهِۖ بَلۡ أَنتُمۡ قَوۡمٞ تُفۡتَنُونَ
उन्होंने कहा, "हमने तुम्हें और तुम्हारे साथवालों को अपशकुन पाया है।" उसने कहा, "तुम्हारा शकुन-अपशकुन तो अल्लाह के पास है, बल्कि बात यह है कि तुम लोग आज़माए जा रहे हो।
Surah An-Naml, Verse 47
وَكَانَ فِي ٱلۡمَدِينَةِ تِسۡعَةُ رَهۡطٖ يُفۡسِدُونَ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَا يُصۡلِحُونَ
नगर में नौ जत्थेदार थे जो धरती में बिगाड़ पैदा करते थे, सुधार का काम नहीं करते थे
Surah An-Naml, Verse 48
قَالُواْ تَقَاسَمُواْ بِٱللَّهِ لَنُبَيِّتَنَّهُۥ وَأَهۡلَهُۥ ثُمَّ لَنَقُولَنَّ لِوَلِيِّهِۦ مَا شَهِدۡنَا مَهۡلِكَ أَهۡلِهِۦ وَإِنَّا لَصَٰدِقُونَ
वे आपस में अल्लाह की क़समें खाकर बोले, "हम अवश्य उसपर और उसके घरवालों पर रात को छापा मारेंगे। फिर उसके वली (परिजन) से कह देंगे कि हम उसके घरवालों के विनाश के अवसर पर मौजूद न थे। और हम बिलकुल सच्चे है।
Surah An-Naml, Verse 49
وَمَكَرُواْ مَكۡرٗا وَمَكَرۡنَا مَكۡرٗا وَهُمۡ لَا يَشۡعُرُونَ
वे एक चाल चले और हमने भी एक चाल चली और उन्हें ख़बर तक न हुई
Surah An-Naml, Verse 50
فَٱنظُرۡ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ مَكۡرِهِمۡ أَنَّا دَمَّرۡنَٰهُمۡ وَقَوۡمَهُمۡ أَجۡمَعِينَ
अब देख लो, उनकी चाल का कैसा परिणाम हुआ! हमने उन्हें और उनकी क़ौम - सबको विनष्ट करके रख दिया
Surah An-Naml, Verse 51
فَتِلۡكَ بُيُوتُهُمۡ خَاوِيَةَۢ بِمَا ظَلَمُوٓاْۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَةٗ لِّقَوۡمٖ يَعۡلَمُونَ
अब ये उनके घर उनके ज़ुल्म के कारण उजडें पड़े हुए है। निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है उन लोगों के लिए जो जानना चाहें
Surah An-Naml, Verse 52
وَأَنجَيۡنَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَكَانُواْ يَتَّقُونَ
और हमने उन लोगों को बचा लिया, जो ईमान लाए और डर रखते थे
Surah An-Naml, Verse 53
وَلُوطًا إِذۡ قَالَ لِقَوۡمِهِۦٓ أَتَأۡتُونَ ٱلۡفَٰحِشَةَ وَأَنتُمۡ تُبۡصِرُونَ
और लूत को भी भेजा, जब उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "क्या तुम आँखों देखते हुए अश्लील कर्म करते हो
Surah An-Naml, Verse 54
أَئِنَّكُمۡ لَتَأۡتُونَ ٱلرِّجَالَ شَهۡوَةٗ مِّن دُونِ ٱلنِّسَآءِۚ بَلۡ أَنتُمۡ قَوۡمٞ تَجۡهَلُونَ
क्या तुम स्त्रियों को छोड़कर अपनी काम-तृप्ति के लिए पुरुषों के पास जाते हो? बल्कि बात यह है कि तुम बड़े ही जाहिल लोग हो।
Surah An-Naml, Verse 55
۞فَمَا كَانَ جَوَابَ قَوۡمِهِۦٓ إِلَّآ أَن قَالُوٓاْ أَخۡرِجُوٓاْ ءَالَ لُوطٖ مِّن قَرۡيَتِكُمۡۖ إِنَّهُمۡ أُنَاسٞ يَتَطَهَّرُونَ
परन्तु उसकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके सिवा कुछ न था कि उन्होंने कहा, "निकाल बाहर करो लूत के घरवालों को अपनी बस्ती से। ये लोग सुथराई को बहुत पसन्द करते है
Surah An-Naml, Verse 56
فَأَنجَيۡنَٰهُ وَأَهۡلَهُۥٓ إِلَّا ٱمۡرَأَتَهُۥ قَدَّرۡنَٰهَا مِنَ ٱلۡغَٰبِرِينَ
अन्ततः हमने उसे और उसके घरवालों को बचा लिया सिवाय उसकी स्त्री के। उसके लिए हमने नियत कर दिया था कि वह पीछे रह जानेवालों में से होगी
Surah An-Naml, Verse 57
وَأَمۡطَرۡنَا عَلَيۡهِم مَّطَرٗاۖ فَسَآءَ مَطَرُ ٱلۡمُنذَرِينَ
और हमने उनपर एक बरसात बरसाई और वह बहुत ही बुरी बरसात था उन लोगों के हक़ में, जिन्हें सचेत किया जा चुका था
Surah An-Naml, Verse 58
قُلِ ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ وَسَلَٰمٌ عَلَىٰ عِبَادِهِ ٱلَّذِينَ ٱصۡطَفَىٰٓۗ ءَآللَّهُ خَيۡرٌ أَمَّا يُشۡرِكُونَ
कहो, "प्रशंसा अल्लाह के लिए है और सलाम है उनके उन बन्दों पर जिन्हें उसने चुन लिया। क्या अल्लाह अच्छा है या वे जिन्हें वे साझी ठहरा रहे है
Surah An-Naml, Verse 59
أَمَّنۡ خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَأَنزَلَ لَكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ فَأَنۢبَتۡنَا بِهِۦ حَدَآئِقَ ذَاتَ بَهۡجَةٖ مَّا كَانَ لَكُمۡ أَن تُنۢبِتُواْ شَجَرَهَآۗ أَءِلَٰهٞ مَّعَ ٱللَّهِۚ بَلۡ هُمۡ قَوۡمٞ يَعۡدِلُونَ
(तुम्हारे पूज्य अच्छे है) या वह जिसने आकाशों और धरती को पैदा किया और तुम्हारे लिए आकाश से पानी बरसाया; उसके द्वारा हमने रमणीय उद्यान उगाए? तुम्हारे लिए सम्भव न था कि तुम उनके वृक्षों को उगाते। - क्या अल्लाह के साथ कोई और प्रभु-पूज्य है? नहीं, बल्कि वही लोग मार्ग से हटकर चले जा रहे है
Surah An-Naml, Verse 60
أَمَّن جَعَلَ ٱلۡأَرۡضَ قَرَارٗا وَجَعَلَ خِلَٰلَهَآ أَنۡهَٰرٗا وَجَعَلَ لَهَا رَوَٰسِيَ وَجَعَلَ بَيۡنَ ٱلۡبَحۡرَيۡنِ حَاجِزًاۗ أَءِلَٰهٞ مَّعَ ٱللَّهِۚ بَلۡ أَكۡثَرُهُمۡ لَا يَعۡلَمُونَ
या वह जिसने धरती को ठहरने का स्थान बनाया और उसके बीच-बीच में नदियाँ बहाई और उसके लिए मज़बूत पहाड़ बनाए और दो समुद्रों के बीच एक रोक लगा दी। क्या अल्लाह के साथ कोई और प्रभु पूज्य है? नहीं, उनमें से अधिकतर लोग जानते ही नही
Surah An-Naml, Verse 61
أَمَّن يُجِيبُ ٱلۡمُضۡطَرَّ إِذَا دَعَاهُ وَيَكۡشِفُ ٱلسُّوٓءَ وَيَجۡعَلُكُمۡ خُلَفَآءَ ٱلۡأَرۡضِۗ أَءِلَٰهٞ مَّعَ ٱللَّهِۚ قَلِيلٗا مَّا تَذَكَّرُونَ
या वह जो व्यग्र की पुकार सुनता है, जब वह उसे पुकारे और तकलीफ़ दूर कर देता है और तुम्हें धरती में अधिकारी बनाता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और पूज्य-प्रभु है? तुम ध्यान थोड़े ही देते हो
Surah An-Naml, Verse 62
أَمَّن يَهۡدِيكُمۡ فِي ظُلُمَٰتِ ٱلۡبَرِّ وَٱلۡبَحۡرِ وَمَن يُرۡسِلُ ٱلرِّيَٰحَ بُشۡرَۢا بَيۡنَ يَدَيۡ رَحۡمَتِهِۦٓۗ أَءِلَٰهٞ مَّعَ ٱللَّهِۚ تَعَٰلَى ٱللَّهُ عَمَّا يُشۡرِكُونَ
या वह जो थल और जल के अँधेरों में तुम्हारा मार्गदर्शन करता है और जो अपनी दयालुता के आगे हवाओं को शुभ-सूचना बनाकर भेजता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और प्रभु पूज्य है? उच्च है अल्लाह, उस शिर्क से जो वे करते है
Surah An-Naml, Verse 63
أَمَّن يَبۡدَؤُاْ ٱلۡخَلۡقَ ثُمَّ يُعِيدُهُۥ وَمَن يَرۡزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِۗ أَءِلَٰهٞ مَّعَ ٱللَّهِۚ قُلۡ هَاتُواْ بُرۡهَٰنَكُمۡ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
या वह जो सृष्टि का आरम्भ करता है, फिर उसकी पुनरावृत्ति भी करता है, और जो तुमको आकाश और धरती से रोज़ी देता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और प्रभ पूज्य है? कहो, "लाओ अपना प्रमाण, यदि तुम सच्चे हो।
Surah An-Naml, Verse 64
قُل لَّا يَعۡلَمُ مَن فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ ٱلۡغَيۡبَ إِلَّا ٱللَّهُۚ وَمَا يَشۡعُرُونَ أَيَّانَ يُبۡعَثُونَ
कहो, "आकाशों और धरती में जो भी है, अल्लाह के सिवा किसी को भी परोक्ष का ज्ञान नहीं है। और न उन्हें इसकी चेतना प्राप्त है कि वे कब उठाए जाएँगे।
Surah An-Naml, Verse 65
بَلِ ٱدَّـٰرَكَ عِلۡمُهُمۡ فِي ٱلۡأٓخِرَةِۚ بَلۡ هُمۡ فِي شَكّٖ مِّنۡهَاۖ بَلۡ هُم مِّنۡهَا عَمُونَ
बल्कि आख़िरत के विषय में उनका ज्ञान पक्का हो गया है, बल्कि ये उसकी ओर से कुछ संदेह में है, बल्कि वे उससे अंधे है
Surah An-Naml, Verse 66
وَقَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓاْ أَءِذَا كُنَّا تُرَٰبٗا وَءَابَآؤُنَآ أَئِنَّا لَمُخۡرَجُونَ
जिन लोगों ने इनकार किया वे कहते है कि "क्या जब हम मिट्टी हो जाएँगे और हमारे बाप-दादा भी, तो क्या वास्तव में हम (जीवित करके) निकाले जाएँगे
Surah An-Naml, Verse 67
لَقَدۡ وُعِدۡنَا هَٰذَا نَحۡنُ وَءَابَآؤُنَا مِن قَبۡلُ إِنۡ هَٰذَآ إِلَّآ أَسَٰطِيرُ ٱلۡأَوَّلِينَ
इसका वादा तो इससे पहले भी किया जा चुका है, हमसे भी और हमारे बाप-दादा से भी। ये तो बस पहले लोगो की कहानियाँ है।
Surah An-Naml, Verse 68
قُلۡ سِيرُواْ فِي ٱلۡأَرۡضِ فَٱنظُرُواْ كَيۡفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلۡمُجۡرِمِينَ
कहो कि "धरती में चलो-फिरो और देखो कि अपराधियों का कैसा परिणाम हुआ।
Surah An-Naml, Verse 69
وَلَا تَحۡزَنۡ عَلَيۡهِمۡ وَلَا تَكُن فِي ضَيۡقٖ مِّمَّا يَمۡكُرُونَ
उनके प्रति शोकाकुल न हो और न उस चाल से दिल तंग हो, जो वे चल रहे है।
Surah An-Naml, Verse 70
وَيَقُولُونَ مَتَىٰ هَٰذَا ٱلۡوَعۡدُ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
वे कहते है, "यह वादा कब पूरा होगा, यदि तुम सच्चे हो
Surah An-Naml, Verse 71
قُلۡ عَسَىٰٓ أَن يَكُونَ رَدِفَ لَكُم بَعۡضُ ٱلَّذِي تَسۡتَعۡجِلُونَ
कहो, "जिसकी तुम जल्दी मचा रहे हो बहुत सम्भव है कि उसका कोई हिस्सा तुम्हारे पीछे ही लगा हो।
Surah An-Naml, Verse 72
وَإِنَّ رَبَّكَ لَذُو فَضۡلٍ عَلَى ٱلنَّاسِ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَشۡكُرُونَ
निश्चय ही तुम्हारा रब तो लोगों पर उदार अनुग्रह करनेवाला है, किन्तु उनमें से अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखाते
Surah An-Naml, Verse 73
وَإِنَّ رَبَّكَ لَيَعۡلَمُ مَا تُكِنُّ صُدُورُهُمۡ وَمَا يُعۡلِنُونَ
निश्चय ही तुम्हारा रह भली-भाँति जानता है, जो कुछ उनके सीने छिपाए हुए है और जो कुछ वे प्रकट करते है।
Surah An-Naml, Verse 74
وَمَا مِنۡ غَآئِبَةٖ فِي ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِ إِلَّا فِي كِتَٰبٖ مُّبِينٍ
आकाश और धरती में छिपी कोई भी चीज़ ऐसी नहीं जो एक स्पष्ट किताब में मौजूद न हो
Surah An-Naml, Verse 75
إِنَّ هَٰذَا ٱلۡقُرۡءَانَ يَقُصُّ عَلَىٰ بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ أَكۡثَرَ ٱلَّذِي هُمۡ فِيهِ يَخۡتَلِفُونَ
निस्संदेह यह क़ुरआन इसराईल की सन्तान को अधिकतर ऐसी बाते खोलकर सुनाता है जिनके विषय में उनसे मतभेद है
Surah An-Naml, Verse 76
وَإِنَّهُۥ لَهُدٗى وَرَحۡمَةٞ لِّلۡمُؤۡمِنِينَ
और निस्संदह यह तो ईमानवालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता है
Surah An-Naml, Verse 77
إِنَّ رَبَّكَ يَقۡضِي بَيۡنَهُم بِحُكۡمِهِۦۚ وَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡعَلِيمُ
निश्चय ही तुम्हारा रब उनके बीच अपने हुक्म से फ़ैसला कर देगा। वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ है
Surah An-Naml, Verse 78
فَتَوَكَّلۡ عَلَى ٱللَّهِۖ إِنَّكَ عَلَى ٱلۡحَقِّ ٱلۡمُبِينِ
अतः अल्लाह पर भरोसा रखो। निश्चय ही तुम स्पष्ट सत्य पर हो
Surah An-Naml, Verse 79
إِنَّكَ لَا تُسۡمِعُ ٱلۡمَوۡتَىٰ وَلَا تُسۡمِعُ ٱلصُّمَّ ٱلدُّعَآءَ إِذَا وَلَّوۡاْ مُدۡبِرِينَ
तुम मुर्दों को नहीं सुना सकते और न बहरों को अपनी पुकार सुना सकते हो, जबकि वे पीठ देकर फिरे भी जा रहें हो।
Surah An-Naml, Verse 80
وَمَآ أَنتَ بِهَٰدِي ٱلۡعُمۡيِ عَن ضَلَٰلَتِهِمۡۖ إِن تُسۡمِعُ إِلَّا مَن يُؤۡمِنُ بِـَٔايَٰتِنَا فَهُم مُّسۡلِمُونَ
और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से हटाकर राह पर ला सकते हो। तुम तो बस उन्हीं को सुना सकते हो, जो हमारी आयतों पर ईमान लाना चाहें। अतः वही आज्ञाकारी होते है
Surah An-Naml, Verse 81
۞وَإِذَا وَقَعَ ٱلۡقَوۡلُ عَلَيۡهِمۡ أَخۡرَجۡنَا لَهُمۡ دَآبَّةٗ مِّنَ ٱلۡأَرۡضِ تُكَلِّمُهُمۡ أَنَّ ٱلنَّاسَ كَانُواْ بِـَٔايَٰتِنَا لَا يُوقِنُونَ
और जब उनपर बात पूरी हो जाएगी, तो हम उनके लिए धरती का प्राणी सामने लाएँगे जो उनसे बातें करेगा कि "लोग हमारी आयतों पर विश्वास नहीं करते थे
Surah An-Naml, Verse 82
وَيَوۡمَ نَحۡشُرُ مِن كُلِّ أُمَّةٖ فَوۡجٗا مِّمَّن يُكَذِّبُ بِـَٔايَٰتِنَا فَهُمۡ يُوزَعُونَ
और जिस दिन हम प्रत्येक समुदाय में से एक गिरोह, ऐसे लोगों का जो हमारी आयतों को झुठलाते है, घेर लाएँगे। फिर उनकी दर्जाबन्दी की जाएगी
Surah An-Naml, Verse 83
حَتَّىٰٓ إِذَا جَآءُو قَالَ أَكَذَّبۡتُم بِـَٔايَٰتِي وَلَمۡ تُحِيطُواْ بِهَا عِلۡمًا أَمَّاذَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
यहाँ तक कि जब वे आ जाएँगे तो वह कहेगा, "क्या तुमने मेरी आयतों को झुठलाया, हालाँकि अपने ज्ञान से तुम उनपर हावी न थे या फिर तुम क्या करते थे
Surah An-Naml, Verse 84
وَوَقَعَ ٱلۡقَوۡلُ عَلَيۡهِم بِمَا ظَلَمُواْ فَهُمۡ لَا يَنطِقُونَ
और बात उनपर पूरी होकर रहेगी, इसलिए कि उन्होंने ज़ुल्म किया। अतः वे कुछ बोल न सकेंगे
Surah An-Naml, Verse 85
أَلَمۡ يَرَوۡاْ أَنَّا جَعَلۡنَا ٱلَّيۡلَ لِيَسۡكُنُواْ فِيهِ وَٱلنَّهَارَ مُبۡصِرًاۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَأٓيَٰتٖ لِّقَوۡمٖ يُؤۡمِنُونَ
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हमने रात को (अँधेरी) बनाया, ताकि वे उसमें शान्ति और चैन प्राप्त करें। और दिन को प्रकाशमान बनाया (कि उसमें काम करें)? निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है, जो ईमान ले आएँ
Surah An-Naml, Verse 86
وَيَوۡمَ يُنفَخُ فِي ٱلصُّورِ فَفَزِعَ مَن فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَن فِي ٱلۡأَرۡضِ إِلَّا مَن شَآءَ ٱللَّهُۚ وَكُلٌّ أَتَوۡهُ دَٰخِرِينَ
और ख़याल करो जिस दिन सूर (नरसिंघा) में फूँक मारी जाएगी और जो आकाशों और धरती में है, घबरा उठेंगे, सिवाय उनके जिन्हें अल्लाह चाहे - और सब कान दबाए उसके समक्ष उपस्थित हो जाएँगे
Surah An-Naml, Verse 87
وَتَرَى ٱلۡجِبَالَ تَحۡسَبُهَا جَامِدَةٗ وَهِيَ تَمُرُّ مَرَّ ٱلسَّحَابِۚ صُنۡعَ ٱللَّهِ ٱلَّذِيٓ أَتۡقَنَ كُلَّ شَيۡءٍۚ إِنَّهُۥ خَبِيرُۢ بِمَا تَفۡعَلُونَ
और तुम पहाड़ों को देखकर समझते हो कि वे जमे हुए है, हालाँकि वे चल रहे होंगे, जिस प्रकार बादल चलते है। यह अल्लाह की कारीगरी है, जिसने हर चीज़ को सुदृढ़ किया। निस्संदेह वह उसकी ख़बर रखता है, जो कुछ तुम करते हो
Surah An-Naml, Verse 88
مَن جَآءَ بِٱلۡحَسَنَةِ فَلَهُۥ خَيۡرٞ مِّنۡهَا وَهُم مِّن فَزَعٖ يَوۡمَئِذٍ ءَامِنُونَ
जो कोई सुचरित लेकर आया उसको उससे भी अच्छा प्राप्त होगा; और ऐसे लोग घबराहट से उस दिन निश्चिन्त होंगे
Surah An-Naml, Verse 89
وَمَن جَآءَ بِٱلسَّيِّئَةِ فَكُبَّتۡ وُجُوهُهُمۡ فِي ٱلنَّارِ هَلۡ تُجۡزَوۡنَ إِلَّا مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
और जो कुचरित लेकर आया तो ऐसे लोगों के मुँह आग में औधे होंगे। (और उनसे कहा जाएगा) "क्या तुम उसके सिवा किसी और चीज़ का बदला पा रहे हो, जो तुम करते रहे हो
Surah An-Naml, Verse 90
إِنَّمَآ أُمِرۡتُ أَنۡ أَعۡبُدَ رَبَّ هَٰذِهِ ٱلۡبَلۡدَةِ ٱلَّذِي حَرَّمَهَا وَلَهُۥ كُلُّ شَيۡءٖۖ وَأُمِرۡتُ أَنۡ أَكُونَ مِنَ ٱلۡمُسۡلِمِينَ
मुझे तो बस यही आदेश मिला है कि इस नगर (मक्का) के रब की बन्दगी करूँ, जिसने इस आदरणीय ठहराया और उसी की हर चीज़ है। और मुझे आदेश मिला है कि मैं आज्ञाकारी बनकर रहूँ
Surah An-Naml, Verse 91
وَأَنۡ أَتۡلُوَاْ ٱلۡقُرۡءَانَۖ فَمَنِ ٱهۡتَدَىٰ فَإِنَّمَا يَهۡتَدِي لِنَفۡسِهِۦۖ وَمَن ضَلَّ فَقُلۡ إِنَّمَآ أَنَا۠ مِنَ ٱلۡمُنذِرِينَ
और यह कि क़ुरआन पढ़कर सुनाऊँ। अब जिस किसी ने संमार्ग ग्रहण किया वह अपने ही लिए संमार्ग ग्रहण करेगा। और जो पथभ्रष्टि रहा तो कह दो, "मैं तो बस एक सचेत करनेवाला ही हूँ।
Surah An-Naml, Verse 92
وَقُلِ ٱلۡحَمۡدُ لِلَّهِ سَيُرِيكُمۡ ءَايَٰتِهِۦ فَتَعۡرِفُونَهَاۚ وَمَا رَبُّكَ بِغَٰفِلٍ عَمَّا تَعۡمَلُونَ
और कहो, "सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है। जल्द ही वह तुम्हें अपनी निशानियाँ दिखा देगा और तुम उन्हें पहचान लोगे। और तेरा रब उससे बेख़बर नहीं है, जो कुछ तुम सब कर रहे हो।
Surah An-Naml, Verse 93