Surah Ad-Dukhan - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
حمٓ
ह़ा मीम।
Surah Ad-Dukhan, Verse 1
وَٱلۡكِتَٰبِ ٱلۡمُبِينِ
शपथ है इस खुली पुस्तक की।
Surah Ad-Dukhan, Verse 2
إِنَّآ أَنزَلۡنَٰهُ فِي لَيۡلَةٖ مُّبَٰرَكَةٍۚ إِنَّا كُنَّا مُنذِرِينَ
हमने ही उतारा है इसे[1] एक शुभ रात्रि में। वास्तव में, हम सावधान करने वाले हैं।
Surah Ad-Dukhan, Verse 3
فِيهَا يُفۡرَقُ كُلُّ أَمۡرٍ حَكِيمٍ
उसी (रात्रि) में निर्णय किया जाता है, प्रत्येक सुदृढ़ कर्म का।
Surah Ad-Dukhan, Verse 4
أَمۡرٗا مِّنۡ عِندِنَآۚ إِنَّا كُنَّا مُرۡسِلِينَ
ये (आदेश) हमारे पास से है। हम ही भेजने वाले हैं, रसूलों को।
Surah Ad-Dukhan, Verse 5
رَحۡمَةٗ مِّن رَّبِّكَۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلۡعَلِيمُ
आपके पालनहार की दया से, वास्तव में, वह सब कुछ सुनने-जानने वाला है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 6
رَبِّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَآۖ إِن كُنتُم مُّوقِنِينَ
जो आकाशों तथा धरती का पालनहार है तथा जो कुछ उन दोनों के बीच है, यदि तुम विश्वास करने वाले हो।
Surah Ad-Dukhan, Verse 7
لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ يُحۡيِۦ وَيُمِيتُۖ رَبُّكُمۡ وَرَبُّ ءَابَآئِكُمُ ٱلۡأَوَّلِينَ
नहीं है कोई वंदनीय, परन्तु वही, जो जीवन देता तथा मारता है। तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे गुज़रे हुए पूर्वजों का पालनहार है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 8
بَلۡ هُمۡ فِي شَكّٖ يَلۡعَبُونَ
बल्कि, वे (मुश्रिक) संदेह में खेल रहे हैं।
Surah Ad-Dukhan, Verse 9
فَٱرۡتَقِبۡ يَوۡمَ تَأۡتِي ٱلسَّمَآءُ بِدُخَانٖ مُّبِينٖ
तो आप प्रतीक्षा करें, उस दिन का, जब आकाश खुला धूँवा[1] लायेगा।
Surah Ad-Dukhan, Verse 10
يَغۡشَى ٱلنَّاسَۖ هَٰذَا عَذَابٌ أَلِيمٞ
जो छा जायेगा सब लोगों पर। यही दुःखदायी यातना है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 11
رَّبَّنَا ٱكۡشِفۡ عَنَّا ٱلۡعَذَابَ إِنَّا مُؤۡمِنُونَ
(वे कहेंगेः) हमारे पालनहार! हमसे यातना दूर कर दे। निश्चय हम ईमान लाने वाले हैं।
Surah Ad-Dukhan, Verse 12
أَنَّىٰ لَهُمُ ٱلذِّكۡرَىٰ وَقَدۡ جَآءَهُمۡ رَسُولٞ مُّبِينٞ
और उनके लिए शिक्षा का समय कहाँ रह गया? जबकि उनके पास आ गये एक रसूल (सत्य को) उजागर करने वाले।
Surah Ad-Dukhan, Verse 13
ثُمَّ تَوَلَّوۡاْ عَنۡهُ وَقَالُواْ مُعَلَّمٞ مَّجۡنُونٌ
फिर भी वे आपसे मुँह फेर गये तथा कह दिया कि एक सिखाया हुआ पागल है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 14
إِنَّا كَاشِفُواْ ٱلۡعَذَابِ قَلِيلًاۚ إِنَّكُمۡ عَآئِدُونَ
हम दूर कर देने वाले हैं कुछ यातना, वास्तव में तुम, फिर अपनी प्रथम स्थिति पर आ जाने वाले हो।
Surah Ad-Dukhan, Verse 15
يَوۡمَ نَبۡطِشُ ٱلۡبَطۡشَةَ ٱلۡكُبۡرَىٰٓ إِنَّا مُنتَقِمُونَ
जिस दिन हम अत्यंत कड़ी पकड़[1] में ले लेंगे। तो हम निश्चय बदला लेने वाले हैं।
Surah Ad-Dukhan, Verse 16
۞وَلَقَدۡ فَتَنَّا قَبۡلَهُمۡ قَوۡمَ فِرۡعَوۡنَ وَجَآءَهُمۡ رَسُولٞ كَرِيمٌ
तथा हमने परीक्षा ली इनसे पूर्व फ़िरऔन की जाति की तथा उनके पास एक आदरणीय रसूल आया।
Surah Ad-Dukhan, Verse 17
أَنۡ أَدُّوٓاْ إِلَيَّ عِبَادَ ٱللَّهِۖ إِنِّي لَكُمۡ رَسُولٌ أَمِينٞ
कि मुझे सौंप दो अल्लाह के भक्तों को। निश्चय मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ।
Surah Ad-Dukhan, Verse 18
وَأَن لَّا تَعۡلُواْ عَلَى ٱللَّهِۖ إِنِّيٓ ءَاتِيكُم بِسُلۡطَٰنٖ مُّبِينٖ
तथा अल्लाह के विपरीत घमंड न करो। मैं तुम्हारे सामने खुला प्रमाण प्रस्तुत करता हूँ।
Surah Ad-Dukhan, Verse 19
وَإِنِّي عُذۡتُ بِرَبِّي وَرَبِّكُمۡ أَن تَرۡجُمُونِ
तथा मैंने शरण ली है, अपने पालनहार की तथा तुम्हारे पालनहार की इससे कि तुम मुझपर पथराव कर दो।
Surah Ad-Dukhan, Verse 20
وَإِن لَّمۡ تُؤۡمِنُواْ لِي فَٱعۡتَزِلُونِ
और यदि तुम मेरा विश्वास न करो, तो मुझसे परे हो जाओ।
Surah Ad-Dukhan, Verse 21
فَدَعَا رَبَّهُۥٓ أَنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ قَوۡمٞ مُّجۡرِمُونَ
अन्ततः, मूसा ने पुकारा अपने पालनहार को, कि वास्तव में ये लोग अपराधी हैं।
Surah Ad-Dukhan, Verse 22
فَأَسۡرِ بِعِبَادِي لَيۡلًا إِنَّكُم مُّتَّبَعُونَ
(हमने आदेश दिया) कि निकल जा रातों-रात, मेरे भक्तों को लेकर। निश्चय तुम्हारा पीछा किया जायेगा।
Surah Ad-Dukhan, Verse 23
وَٱتۡرُكِ ٱلۡبَحۡرَ رَهۡوًاۖ إِنَّهُمۡ جُندٞ مُّغۡرَقُونَ
तथा छोड़ दे सागर को उसकी दशा पर, खुला। वास्तव में, ये डूब जाने वाली सेना है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 24
كَمۡ تَرَكُواْ مِن جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٖ
वे छोड़ गये बहुत-से बाग़ तथा जल स्रोत।
Surah Ad-Dukhan, Verse 25
وَزُرُوعٖ وَمَقَامٖ كَرِيمٖ
तथा खेतियाँ और सुखदायी स्थान।
Surah Ad-Dukhan, Verse 26
وَنَعۡمَةٖ كَانُواْ فِيهَا فَٰكِهِينَ
तथा सुख के साधन, जिनमें वे आन्नद ले रहे थे।
Surah Ad-Dukhan, Verse 27
كَذَٰلِكَۖ وَأَوۡرَثۡنَٰهَا قَوۡمًا ءَاخَرِينَ
इसी प्राकार हुआ और हमने उनका उत्तराधिकारी बना दिया दूसरे[1] लोगों को।
Surah Ad-Dukhan, Verse 28
فَمَا بَكَتۡ عَلَيۡهِمُ ٱلسَّمَآءُ وَٱلۡأَرۡضُ وَمَا كَانُواْ مُنظَرِينَ
तो नहीं रोया उनपर आकाश और न धरती और न उन्हें अवसर (समय) दिया गया।
Surah Ad-Dukhan, Verse 29
وَلَقَدۡ نَجَّيۡنَا بَنِيٓ إِسۡرَـٰٓءِيلَ مِنَ ٱلۡعَذَابِ ٱلۡمُهِينِ
तथा हमने बचा लिया इस्राईल की संतान को, अपमानकारी यातना से।
Surah Ad-Dukhan, Verse 30
مِن فِرۡعَوۡنَۚ إِنَّهُۥ كَانَ عَالِيٗا مِّنَ ٱلۡمُسۡرِفِينَ
फ़िरऔन से। वास्तव में, वह चढ़ा हुआ उल्लंघनकारियों में से था।
Surah Ad-Dukhan, Verse 31
وَلَقَدِ ٱخۡتَرۡنَٰهُمۡ عَلَىٰ عِلۡمٍ عَلَى ٱلۡعَٰلَمِينَ
तथा हमने प्रधानता दी उन्हें, जानते हुए, संसार वासियों पर।
Surah Ad-Dukhan, Verse 32
وَءَاتَيۡنَٰهُم مِّنَ ٱلۡأٓيَٰتِ مَا فِيهِ بَلَـٰٓؤٞاْ مُّبِينٌ
तथा हमने उन्हें प्रदान कीं ऐसी निशानियाँ, जिनमें खुली परीक्षा थी।
Surah Ad-Dukhan, Verse 33
إِنَّ هَـٰٓؤُلَآءِ لَيَقُولُونَ
वास्तव में, ये[1] कहते हैं कि
Surah Ad-Dukhan, Verse 34
إِنۡ هِيَ إِلَّا مَوۡتَتُنَا ٱلۡأُولَىٰ وَمَا نَحۡنُ بِمُنشَرِينَ
हमें तो बस प्रथम बार मरना है तथा हम फिर जीवित नहीं किये जायेंगे।
Surah Ad-Dukhan, Verse 35
فَأۡتُواْ بِـَٔابَآئِنَآ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
फिर यदि तुम सच्चे हो, तो हमारे पूर्वजों को (जीवित करके) ला दो।
Surah Ad-Dukhan, Verse 36
أَهُمۡ خَيۡرٌ أَمۡ قَوۡمُ تُبَّعٖ وَٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِمۡ أَهۡلَكۡنَٰهُمۡۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ مُجۡرِمِينَ
ये अच्छे हैं अथवा तुब्बअ की जाति[1] तथा जो उनसे पूर्व रहे हैं? हमने उनका विनाश कर दिया। निश्चय वे अपराधि थे।
Surah Ad-Dukhan, Verse 37
وَمَا خَلَقۡنَا ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَيۡنَهُمَا لَٰعِبِينَ
तथा हमने आकाशों और धरती को एवं जो कुछ उन दोनों के बीच है, खेल नहीं बनाया है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 38
مَا خَلَقۡنَٰهُمَآ إِلَّا بِٱلۡحَقِّ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَعۡلَمُونَ
हमने नहीं पैदा किया है उन दोनों को, परन्तु सत्य के आधार पर। किन्तु अधिक्तर लोग इसे नहीं जानते हैं।
Surah Ad-Dukhan, Verse 39
إِنَّ يَوۡمَ ٱلۡفَصۡلِ مِيقَٰتُهُمۡ أَجۡمَعِينَ
निःसंदेह निर्णय[1] का दिन, उन सबका निश्चित समय है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 40
يَوۡمَ لَا يُغۡنِي مَوۡلًى عَن مَّوۡلٗى شَيۡـٔٗا وَلَا هُمۡ يُنصَرُونَ
जिस दिन, कोई साथी किसी साथी के कुछ काम नहीं आयेगा और न उनकी सहायता की जायेगी।
Surah Ad-Dukhan, Verse 41
إِلَّا مَن رَّحِمَ ٱللَّهُۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلرَّحِيمُ
परन्तु, जिसपर अल्लाह की दया हो जाये, तो वास्तव में वह बड़ा प्रभावशाली, दयावान है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 42
إِنَّ شَجَرَتَ ٱلزَّقُّومِ
निःसंदेह ज़क्कूम (थोहड़) का वृक्ष।
Surah Ad-Dukhan, Verse 43
طَعَامُ ٱلۡأَثِيمِ
पापियों का भोजन है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 44
كَٱلۡمُهۡلِ يَغۡلِي فِي ٱلۡبُطُونِ
पिघले हुए ताँबे जैसा, जो खौलेगा पेटों में।
Surah Ad-Dukhan, Verse 45
كَغَلۡيِ ٱلۡحَمِيمِ
गर्म पानी के खौलने के समान।
Surah Ad-Dukhan, Verse 46
خُذُوهُ فَٱعۡتِلُوهُ إِلَىٰ سَوَآءِ ٱلۡجَحِيمِ
(आदेश होगा कि) उसे पकड़ो तथा धक्का देते हुए नरक के बीच तक पहुँचा दो।
Surah Ad-Dukhan, Verse 47
ثُمَّ صُبُّواْ فَوۡقَ رَأۡسِهِۦ مِنۡ عَذَابِ ٱلۡحَمِيمِ
फिर बहाओ उसके सिर के ऊपर अत्यंत गर्म जल की यातना।
Surah Ad-Dukhan, Verse 48
ذُقۡ إِنَّكَ أَنتَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡكَرِيمُ
(तथा कहा जायेगा कि) चख, क्योंकि तू बड़ा आदरणीय सम्मानित था।
Surah Ad-Dukhan, Verse 49
إِنَّ هَٰذَا مَا كُنتُم بِهِۦ تَمۡتَرُونَ
यही वह चीज़ है, जिसमें तुम संदेह कर रहे थे।
Surah Ad-Dukhan, Verse 50
إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي مَقَامٍ أَمِينٖ
निःसंदेह आज्ञाकारी शान्ति के स्थान में होंगे।
Surah Ad-Dukhan, Verse 51
فِي جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٖ
बाग़ों तथा जल स्रोतों में।
Surah Ad-Dukhan, Verse 52
يَلۡبَسُونَ مِن سُندُسٖ وَإِسۡتَبۡرَقٖ مُّتَقَٰبِلِينَ
वस्त्र धारण किये हुए महीन तथा कोमल रेशम के, एक-दूसरे के सामने (आसीन) होंगे।
Surah Ad-Dukhan, Verse 53
كَذَٰلِكَ وَزَوَّجۡنَٰهُم بِحُورٍ عِينٖ
इसी प्रकार होगा तथा हम विवाह देंगे उनको ह़ूरों से।
Surah Ad-Dukhan, Verse 54
يَدۡعُونَ فِيهَا بِكُلِّ فَٰكِهَةٍ ءَامِنِينَ
वे माँग करेंगे उसमें, प्रत्येक प्रकार के मेवों की निश्चिन्त होकर।
Surah Ad-Dukhan, Verse 55
لَا يَذُوقُونَ فِيهَا ٱلۡمَوۡتَ إِلَّا ٱلۡمَوۡتَةَ ٱلۡأُولَىٰۖ وَوَقَىٰهُمۡ عَذَابَ ٱلۡجَحِيمِ
वे उस स्वर्ग में मौत[1] नहीं चखेंगे, प्रथम (सांसारिक) मौत के सिवा तथा (अल्लाह) बचा लेगा उन्हें, नरक की यातना से।
Surah Ad-Dukhan, Verse 56
فَضۡلٗا مِّن رَّبِّكَۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِيمُ
आपके पालनहार की दया से, वही बड़ी सफलता है।
Surah Ad-Dukhan, Verse 57
فَإِنَّمَا يَسَّرۡنَٰهُ بِلِسَانِكَ لَعَلَّهُمۡ يَتَذَكَّرُونَ
तो हमने सरल कर दिया इस (क़ुर्आन) को आपकी भाषा में, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें।
Surah Ad-Dukhan, Verse 58
فَٱرۡتَقِبۡ إِنَّهُم مُّرۡتَقِبُونَ
अतः, आप प्रतीक्षा करें,[1] वे भी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
Surah Ad-Dukhan, Verse 59