يُولِجُ ٱلَّيۡلَ فِي ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِي ٱلَّيۡلِۚ وَهُوَ عَلِيمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ
वही रात को (घटा कर) दिन में दाखिल करता है तो दिन बढ़ जाता है और दिन को (घटाकर) रात में दाख़िल करता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिलों के भेदों तक से ख़ूब वाक़िफ है
Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi