UAE Prayer Times

  • Dubai
  • Abu Dhabi
  • Sharjah
  • Ajman
  • Fujairah
  • Umm Al Quwain
  • Ras Al Khaimah
  • Quran Translations

Surah Al-Hadid - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi


سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ وَهُوَ ٱلۡعَزِيزُ ٱلۡحَكِيمُ

जो जो चीज़ सारे आसमान व ज़मीन में है सब ख़ुदा की तसबीह करती है और वही ग़ालिब हिकमत वाला है
Surah Al-Hadid, Verse 1


لَهُۥ مُلۡكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۖ يُحۡيِۦ وَيُمِيتُۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٌ

सारे आसमान व ज़मीन की बादशाही उसी की है वही जिलाता है वही मारता है और वही हर चीज़ पर कादिर है
Surah Al-Hadid, Verse 2


هُوَ ٱلۡأَوَّلُ وَٱلۡأٓخِرُ وَٱلظَّـٰهِرُ وَٱلۡبَاطِنُۖ وَهُوَ بِكُلِّ شَيۡءٍ عَلِيمٌ

वही सबसे पहले और सबसे आख़िर है और (अपनी क़ूवतों से) सब पर ज़ाहिर और (निगाहों से) पोशीदा है और वही सब चीज़ों को जानता
Surah Al-Hadid, Verse 3


هُوَ ٱلَّذِي خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٖ ثُمَّ ٱسۡتَوَىٰ عَلَى ٱلۡعَرۡشِۖ يَعۡلَمُ مَا يَلِجُ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَمَا يَخۡرُجُ مِنۡهَا وَمَا يَنزِلُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ وَمَا يَعۡرُجُ فِيهَاۖ وَهُوَ مَعَكُمۡ أَيۡنَ مَا كُنتُمۡۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ بَصِيرٞ

वह वही तो है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को छह: दिन में पैदा किए फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ जो चीज़ ज़मीन में दाखिल होती है और जो उससे निकलती है और जो चीज़ आसमान से नाज़िल होती है और जो उसकी तरफ चढ़ती है (सब) उसको मालूम है और तुम (चाहे) जहाँ कहीं रहो वह तुम्हारे साथ है और जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है
Surah Al-Hadid, Verse 4


لَّهُۥ مُلۡكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرۡجَعُ ٱلۡأُمُورُ

सारे आसमान व ज़मीन की बादशाही ख़ास उसी की है और ख़ुदा ही की तरफ कुल उमूर की रूजू होती है
Surah Al-Hadid, Verse 5


يُولِجُ ٱلَّيۡلَ فِي ٱلنَّهَارِ وَيُولِجُ ٱلنَّهَارَ فِي ٱلَّيۡلِۚ وَهُوَ عَلِيمُۢ بِذَاتِ ٱلصُّدُورِ

वही रात को (घटा कर) दिन में दाखिल करता है तो दिन बढ़ जाता है और दिन को (घटाकर) रात में दाख़िल करता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिलों के भेदों तक से ख़ूब वाक़िफ है
Surah Al-Hadid, Verse 6


ءَامِنُواْ بِٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦ وَأَنفِقُواْ مِمَّا جَعَلَكُم مُّسۡتَخۡلَفِينَ فِيهِۖ فَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مِنكُمۡ وَأَنفَقُواْ لَهُمۡ أَجۡرٞ كَبِيرٞ

(लोगों) ख़ुदा और उसके रसूल पर ईमान लाओ और जिस (माल) में उसने तुमको अपना नायब बनाया है उसमें से से कुछ (ख़ुदा की राह में) ख़र्च करो तो तुम में से जो लोग ईमान लाए और (राहे ख़ुदा में) ख़र्च करते रहें उनके लिए बड़ा अज्र है
Surah Al-Hadid, Verse 7


وَمَا لَكُمۡ لَا تُؤۡمِنُونَ بِٱللَّهِ وَٱلرَّسُولُ يَدۡعُوكُمۡ لِتُؤۡمِنُواْ بِرَبِّكُمۡ وَقَدۡ أَخَذَ مِيثَٰقَكُمۡ إِن كُنتُم مُّؤۡمِنِينَ

और तुम्हें क्या हो गया है कि ख़ुदा पर ईमान नहीं लाते हो हालॉकि रसूल तुम्हें बुला रहें हैं कि अपने परवरदिगार पर ईमान लाओ और अगर तुमको बावर हो तो (यक़ीन करो कि) ख़ुदा तुम से (इसका) इक़रार ले चुका
Surah Al-Hadid, Verse 8


هُوَ ٱلَّذِي يُنَزِّلُ عَلَىٰ عَبۡدِهِۦٓ ءَايَٰتِۭ بَيِّنَٰتٖ لِّيُخۡرِجَكُم مِّنَ ٱلظُّلُمَٰتِ إِلَى ٱلنُّورِۚ وَإِنَّ ٱللَّهَ بِكُمۡ لَرَءُوفٞ رَّحِيمٞ

वही तो है जो अपने बन्दे (मोहम्मद) पर वाज़ेए व रौशन आयतें नाज़िल करता है ताकि तुम लोगों को (कुफ़्र की) तारिक़ीयों से निकाल कर (ईमान की) रौशनी में ले जाए और बेशक ख़ुदा तुम पर बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
Surah Al-Hadid, Verse 9


وَمَا لَكُمۡ أَلَّا تُنفِقُواْ فِي سَبِيلِ ٱللَّهِ وَلِلَّهِ مِيرَٰثُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ لَا يَسۡتَوِي مِنكُم مَّنۡ أَنفَقَ مِن قَبۡلِ ٱلۡفَتۡحِ وَقَٰتَلَۚ أُوْلَـٰٓئِكَ أَعۡظَمُ دَرَجَةٗ مِّنَ ٱلَّذِينَ أَنفَقُواْ مِنۢ بَعۡدُ وَقَٰتَلُواْۚ وَكُلّٗا وَعَدَ ٱللَّهُ ٱلۡحُسۡنَىٰۚ وَٱللَّهُ بِمَا تَعۡمَلُونَ خَبِيرٞ

और तुमको क्या हो गया कि (अपना माल) ख़ुदा की राह में ख़र्च नहीं करते हालॉकि सारे आसमान व ज़मीन का मालिक व वारिस ख़ुदा ही है तुममें से जिस शख़्श ने फतेह (मक्का) से पहले (अपना माल) ख़र्च किया और जेहाद किया (और जिसने बाद में किया) वह बराबर नहीं उनका दर्जा उन लोगों से कहीं बढ़ कर है जिन्होंने बाद में ख़र्च किया और जेहाद किया और (यूँ तो) ख़ुदा ने नेकी और सवाब का वायदा तो सबसे किया है और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाक़िफ़ है
Surah Al-Hadid, Verse 10


مَّن ذَا ٱلَّذِي يُقۡرِضُ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنٗا فَيُضَٰعِفَهُۥ لَهُۥ وَلَهُۥٓ أَجۡرٞ كَرِيمٞ

कौन ऐसा है जो ख़ुदा को ख़ालिस नियत से कर्जे हसना दे तो ख़ुदा उसके लिए (अज्र को) दूना कर दे और उसके लिए बहुत मुअज्ज़िज़ सिला (जन्नत) तो है ही
Surah Al-Hadid, Verse 11


يَوۡمَ تَرَى ٱلۡمُؤۡمِنِينَ وَٱلۡمُؤۡمِنَٰتِ يَسۡعَىٰ نُورُهُم بَيۡنَ أَيۡدِيهِمۡ وَبِأَيۡمَٰنِهِمۖ بُشۡرَىٰكُمُ ٱلۡيَوۡمَ جَنَّـٰتٞ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَاۚ ذَٰلِكَ هُوَ ٱلۡفَوۡزُ ٱلۡعَظِيمُ

जिस दिन तुम मोमिन मर्द और मोमिन औरतों को देखोगे कि उन (के ईमान) का नूर उनके आगे आगे और दाहिने तरफ चल रहा होगा तो उनसे कहा (जाएगा) तुमको बशारत हो कि आज तुम्हारे लिए वह बाग़ है जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें हमेशा रहोगे यही तो बड़ी कामयाबी है
Surah Al-Hadid, Verse 12


يَوۡمَ يَقُولُ ٱلۡمُنَٰفِقُونَ وَٱلۡمُنَٰفِقَٰتُ لِلَّذِينَ ءَامَنُواْ ٱنظُرُونَا نَقۡتَبِسۡ مِن نُّورِكُمۡ قِيلَ ٱرۡجِعُواْ وَرَآءَكُمۡ فَٱلۡتَمِسُواْ نُورٗاۖ فَضُرِبَ بَيۡنَهُم بِسُورٖ لَّهُۥ بَابُۢ بَاطِنُهُۥ فِيهِ ٱلرَّحۡمَةُ وَظَٰهِرُهُۥ مِن قِبَلِهِ ٱلۡعَذَابُ

उस दिन मुनाफ़िक मर्द और मुनाफ़िक औरतें ईमानदारों से कहेंगे एक नज़र (शफ़क्क़त) हमारी तरफ़ भी करो कि हम भी तुम्हारे नूर से कुछ रौशनी हासिल करें तो (उनसे) कहा जाएगा कि तुम अपने पीछे (दुनिया में) लौट जाओ और (वही) किसी और नूर की तलाश करो फिर उनके बीच में एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी जिसमें एक दरवाज़ा होगा (और) उसके अन्दर की जानिब तो रहमत है और बाहर की तरफ अज़ाब तो मुनाफ़िक़ीन मोमिनीन से पुकार कर कहेंगे
Surah Al-Hadid, Verse 13


يُنَادُونَهُمۡ أَلَمۡ نَكُن مَّعَكُمۡۖ قَالُواْ بَلَىٰ وَلَٰكِنَّكُمۡ فَتَنتُمۡ أَنفُسَكُمۡ وَتَرَبَّصۡتُمۡ وَٱرۡتَبۡتُمۡ وَغَرَّتۡكُمُ ٱلۡأَمَانِيُّ حَتَّىٰ جَآءَ أَمۡرُ ٱللَّهِ وَغَرَّكُم بِٱللَّهِ ٱلۡغَرُورُ

(क्यों भाई) क्या हम कभी तुम्हारे साथ न थे तो मोमिनीन कहेंगे थे तो ज़रूर मगर तुम ने तो ख़ुद अपने आपको बला में डाला और (हमारे हक़ में गर्दिशों के) मुन्तज़िर हैं और (दीन में) शक़ किया किए और तुम्हें (तुम्हारी) तमन्नाओं ने धोखे में रखा यहाँ तक कि ख़ुदा का हुक्म आ पहुँचा और एक बड़े दग़ाबाज़ (शैतान) ने ख़ुदा के बारे में तुमको फ़रेब दिया
Surah Al-Hadid, Verse 14


فَٱلۡيَوۡمَ لَا يُؤۡخَذُ مِنكُمۡ فِدۡيَةٞ وَلَا مِنَ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْۚ مَأۡوَىٰكُمُ ٱلنَّارُۖ هِيَ مَوۡلَىٰكُمۡۖ وَبِئۡسَ ٱلۡمَصِيرُ

तो आज न तो तुमसे कोई मुआवज़ा लिया जाएगा और न काफ़िरों से तुम सबका ठिकाना (बस) जहन्नुम है वही तुम्हारे वास्ते सज़ावार है और (क्या) बुरी जगह है
Surah Al-Hadid, Verse 15


۞أَلَمۡ يَأۡنِ لِلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ أَن تَخۡشَعَ قُلُوبُهُمۡ لِذِكۡرِ ٱللَّهِ وَمَا نَزَلَ مِنَ ٱلۡحَقِّ وَلَا يَكُونُواْ كَٱلَّذِينَ أُوتُواْ ٱلۡكِتَٰبَ مِن قَبۡلُ فَطَالَ عَلَيۡهِمُ ٱلۡأَمَدُ فَقَسَتۡ قُلُوبُهُمۡۖ وَكَثِيرٞ مِّنۡهُمۡ فَٰسِقُونَ

क्या ईमानदारों के लिए अभी तक इसका वक्त नहीं आया कि ख़ुदा की याद और क़ुरान के लिए जो (ख़ुदा की तरफ से) नाज़िल हुआ है उनके दिल नरम हों और वह उन लोगों के से न हो जाएँ जिनको उन से पहले किताब (तौरेत, इन्जील) दी गयी थी तो (जब) एक ज़माना दराज़ गुज़र गया तो उनके दिल सख्त हो गए और इनमें से बहुतेरे बदकार हैं
Surah Al-Hadid, Verse 16


ٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّ ٱللَّهَ يُحۡيِ ٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ مَوۡتِهَاۚ قَدۡ بَيَّنَّا لَكُمُ ٱلۡأٓيَٰتِ لَعَلَّكُمۡ تَعۡقِلُونَ

जान रखो कि ख़ुदा ही ज़मीन को उसके मरने (उफ़तादा होने) के बाद ज़िन्दा (आबाद) करता है हमने तुमसे अपनी (क़ुदरत की) निशानियाँ खोल खोल कर बयान कर दी हैं ताकि तुम समझो
Surah Al-Hadid, Verse 17


إِنَّ ٱلۡمُصَّدِّقِينَ وَٱلۡمُصَّدِّقَٰتِ وَأَقۡرَضُواْ ٱللَّهَ قَرۡضًا حَسَنٗا يُضَٰعَفُ لَهُمۡ وَلَهُمۡ أَجۡرٞ كَرِيمٞ

बेशक ख़ैरात देने वाले मर्द और ख़ैरात देने वाली औरतें और (जो लोग) ख़ुदा की नीयत से ख़ालिस कर्ज़ देते हैं उनको दोगुना (अज्र) दिया जाएगा और उनका बहुत मुअज़िज़ सिला (जन्नत) तो है ही
Surah Al-Hadid, Verse 18


وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ بِٱللَّهِ وَرُسُلِهِۦٓ أُوْلَـٰٓئِكَ هُمُ ٱلصِّدِّيقُونَۖ وَٱلشُّهَدَآءُ عِندَ رَبِّهِمۡ لَهُمۡ أَجۡرُهُمۡ وَنُورُهُمۡۖ وَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ وَكَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَآ أُوْلَـٰٓئِكَ أَصۡحَٰبُ ٱلۡجَحِيمِ

और जो लोग ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाए यही लोग अपने परवरदिगार के नज़दीक सिद्दीक़ों और शहीदों के दरजे में होंगे उनके लिए उन्ही (सिद्दीकों और शहीदों) का अज्र और उन्हीं का नूर होगा और जिन लोगों ने कुफ्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया वही लोग जहन्नुमी हैं
Surah Al-Hadid, Verse 19


ٱعۡلَمُوٓاْ أَنَّمَا ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَا لَعِبٞ وَلَهۡوٞ وَزِينَةٞ وَتَفَاخُرُۢ بَيۡنَكُمۡ وَتَكَاثُرٞ فِي ٱلۡأَمۡوَٰلِ وَٱلۡأَوۡلَٰدِۖ كَمَثَلِ غَيۡثٍ أَعۡجَبَ ٱلۡكُفَّارَ نَبَاتُهُۥ ثُمَّ يَهِيجُ فَتَرَىٰهُ مُصۡفَرّٗا ثُمَّ يَكُونُ حُطَٰمٗاۖ وَفِي ٱلۡأٓخِرَةِ عَذَابٞ شَدِيدٞ وَمَغۡفِرَةٞ مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضۡوَٰنٞۚ وَمَا ٱلۡحَيَوٰةُ ٱلدُّنۡيَآ إِلَّا مَتَٰعُ ٱلۡغُرُورِ

जान रखो कि दुनियावी ज़िन्दगी महज़ खेल और तमाशा और ज़ाहिरी ज़ीनत (व आसाइश) और आपस में एक दूसरे पर फ़ख्र क़रना और माल और औलाद की एक दूसरे से ज्यादा ख्वाहिश है (दुनयावी ज़िन्दगी की मिसाल तो) बारिश की सी मिसाल है जिस (की वजह) से किसानों की खेती (लहलहाती और) उनको ख़ुश कर देती थी फिर सूख जाती है तो तू उसको देखता है कि ज़र्द हो जाती है फिर चूर चूर हो जाती है और आख़िरत में (कुफ्फार के लिए) सख्त अज़ाब है और (मोमिनों के लिए) ख़ुदा की तरफ से बख़्शिस और ख़ुशनूदी और दुनयावी ज़िन्दगी तो बस फ़रेब का साज़ो सामान है
Surah Al-Hadid, Verse 20


سَابِقُوٓاْ إِلَىٰ مَغۡفِرَةٖ مِّن رَّبِّكُمۡ وَجَنَّةٍ عَرۡضُهَا كَعَرۡضِ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِ أُعِدَّتۡ لِلَّذِينَ ءَامَنُواْ بِٱللَّهِ وَرُسُلِهِۦۚ ذَٰلِكَ فَضۡلُ ٱللَّهِ يُؤۡتِيهِ مَن يَشَآءُۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلۡفَضۡلِ ٱلۡعَظِيمِ

तुम अपने परवरदिगार के (सबब) बख़्शिस की और बेहिश्त की तरफ लपक के आगे बढ़ जाओ जिसका अर्ज़ आसमान और ज़मीन के अर्ज़ के बराबर है जो उन लोगों के लिए तैयार की गयी है जो ख़ुदा पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए हैं ये ख़ुदा का फज़ल है जिसे चाहे अता करे और ख़ुदा का फज़ल (व क़रम) तो बहुत बड़ा है
Surah Al-Hadid, Verse 21


مَآ أَصَابَ مِن مُّصِيبَةٖ فِي ٱلۡأَرۡضِ وَلَا فِيٓ أَنفُسِكُمۡ إِلَّا فِي كِتَٰبٖ مِّن قَبۡلِ أَن نَّبۡرَأَهَآۚ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٞ

जितनी मुसीबतें रूए ज़मीन पर और ख़ुद तुम लोगों पर नाज़िल होती हैं (वह सब) क़ब्ल इसके कि हम उन्हें पैदा करें किताब (लौह महफूज़) में (लिखी हुई) हैं बेशक ये ख़ुदा पर आसान है
Surah Al-Hadid, Verse 22


لِّكَيۡلَا تَأۡسَوۡاْ عَلَىٰ مَا فَاتَكُمۡ وَلَا تَفۡرَحُواْ بِمَآ ءَاتَىٰكُمۡۗ وَٱللَّهُ لَا يُحِبُّ كُلَّ مُخۡتَالٖ فَخُورٍ

ताकि जब कोई चीज़ तुमसे जाती रहे तो तुम उसका रंज न किया करो और जब कोई चीज़ (नेअमत) ख़ुदा तुमको दे तो उस पर न इतराया करो और ख़ुदा किसी इतराने वाले येख़ी बाज़ को दोस्त नहीं रखता
Surah Al-Hadid, Verse 23


ٱلَّذِينَ يَبۡخَلُونَ وَيَأۡمُرُونَ ٱلنَّاسَ بِٱلۡبُخۡلِۗ وَمَن يَتَوَلَّ فَإِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلۡغَنِيُّ ٱلۡحَمِيدُ

जो ख़ुद भी बुख्ल करते हैं और दूसरे लोगों को भी बुख्ल करना सिखाते हैं और जो शख़्श (इन बातों से) रूगरदानी करे तो ख़ुदा भी बेपरवा सज़ावारे हम्दोसना है
Surah Al-Hadid, Verse 24


لَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا رُسُلَنَا بِٱلۡبَيِّنَٰتِ وَأَنزَلۡنَا مَعَهُمُ ٱلۡكِتَٰبَ وَٱلۡمِيزَانَ لِيَقُومَ ٱلنَّاسُ بِٱلۡقِسۡطِۖ وَأَنزَلۡنَا ٱلۡحَدِيدَ فِيهِ بَأۡسٞ شَدِيدٞ وَمَنَٰفِعُ لِلنَّاسِ وَلِيَعۡلَمَ ٱللَّهُ مَن يَنصُرُهُۥ وَرُسُلَهُۥ بِٱلۡغَيۡبِۚ إِنَّ ٱللَّهَ قَوِيٌّ عَزِيزٞ

हमने यक़ीनन अपने पैग़म्बरों को वाज़े व रौशन मोजिज़े देकर भेजा और उनके साथ किताब और (इन्साफ़ की) तराज़ू नाज़िल किया ताकि लोग इन्साफ़ पर क़ायम रहे और हम ही ने लोहे को नाज़िल किया जिसके ज़रिए से सख्त लड़ाई और लोगों के बहुत से नफे (की बातें) हैं और ताकि ख़ुदा देख ले कि बेदेखे भाले ख़ुदा और उसके रसूलों की कौन मदद करता है बेशक ख़ुदा बहुत ज़बरदस्त ग़ालिब है
Surah Al-Hadid, Verse 25


وَلَقَدۡ أَرۡسَلۡنَا نُوحٗا وَإِبۡرَٰهِيمَ وَجَعَلۡنَا فِي ذُرِّيَّتِهِمَا ٱلنُّبُوَّةَ وَٱلۡكِتَٰبَۖ فَمِنۡهُم مُّهۡتَدٖۖ وَكَثِيرٞ مِّنۡهُمۡ فَٰسِقُونَ

और बेशक हम ही ने नूह और इबराहीम को (पैग़म्बर बनाकर) भेजा और उनही दोनों की औलाद में नबूवत और किताब मुक़र्रर की तो उनमें के बाज़ हिदायत याफ्ता हैं और उन के बहुतेरे बदकार हैं
Surah Al-Hadid, Verse 26


ثُمَّ قَفَّيۡنَا عَلَىٰٓ ءَاثَٰرِهِم بِرُسُلِنَا وَقَفَّيۡنَا بِعِيسَى ٱبۡنِ مَرۡيَمَ وَءَاتَيۡنَٰهُ ٱلۡإِنجِيلَۖ وَجَعَلۡنَا فِي قُلُوبِ ٱلَّذِينَ ٱتَّبَعُوهُ رَأۡفَةٗ وَرَحۡمَةٗۚ وَرَهۡبَانِيَّةً ٱبۡتَدَعُوهَا مَا كَتَبۡنَٰهَا عَلَيۡهِمۡ إِلَّا ٱبۡتِغَآءَ رِضۡوَٰنِ ٱللَّهِ فَمَا رَعَوۡهَا حَقَّ رِعَايَتِهَاۖ فَـَٔاتَيۡنَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ مِنۡهُمۡ أَجۡرَهُمۡۖ وَكَثِيرٞ مِّنۡهُمۡ فَٰسِقُونَ

फिर उनके पीछे ही उनके क़दम ब क़दम अपने और पैग़म्बर भेजे और उनके पीछे मरियम के बेटे ईसा को भेजा और उनको इन्जील अता की और जिन लोगों ने उनकी पैरवी की उनके दिलों में यफ़क्क़त और मेहरबानी डाल दी और रहबानियत (लज्ज़ात से किनाराकशी) उन लोगों ने ख़ुद एक नयी बात निकाली थी हमने उनको उसका हुक्म नहीं दिया था मगर (उन लोगों ने) ख़ुदा की ख़ुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (ख़ुद ईजाद किया) तो उसको भी जैसा बनाना चाहिए था न बना सके तो जो लोग उनमें से ईमान लाए उनको हमने उनका अज्र दिया उनमें के बहुतेरे तो बदकार ही हैं
Surah Al-Hadid, Verse 27


يَـٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ ٱتَّقُواْ ٱللَّهَ وَءَامِنُواْ بِرَسُولِهِۦ يُؤۡتِكُمۡ كِفۡلَيۡنِ مِن رَّحۡمَتِهِۦ وَيَجۡعَل لَّكُمۡ نُورٗا تَمۡشُونَ بِهِۦ وَيَغۡفِرۡ لَكُمۡۚ وَٱللَّهُ غَفُورٞ رَّحِيمٞ

ऐ ईमानदारों ख़ुदा से डरो और उसके रसूल (मोहम्मद) पर ईमान लाओ तो ख़ुदा तुमको अपनी रहमत के दो हिस्से अज्र अता फरमाएगा और तुमको ऐसा नूर इनायत फ़रमाएगा जिस (की रौशनी) में तुम चलोगे और तुमको बख्श भी देगा और ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
Surah Al-Hadid, Verse 28


لِّئَلَّا يَعۡلَمَ أَهۡلُ ٱلۡكِتَٰبِ أَلَّا يَقۡدِرُونَ عَلَىٰ شَيۡءٖ مِّن فَضۡلِ ٱللَّهِ وَأَنَّ ٱلۡفَضۡلَ بِيَدِ ٱللَّهِ يُؤۡتِيهِ مَن يَشَآءُۚ وَٱللَّهُ ذُو ٱلۡفَضۡلِ ٱلۡعَظِيمِ

(ये इसलिए कहा जाता है) ताकि अहले किताब ये न समझें कि ये मोमिनीन ख़ुदा के फज़ल (व क़रम) पर कुछ भी कुदरत नहीं रखते और ये तो यक़ीनी बात है कि फज़ल ख़ुदा ही के कब्ज़े में है वह जिसको चाहे अता फरमाए और ख़ुदा तो बड़े फज़ल (व क़रम) का मालिक है
Surah Al-Hadid, Verse 29


Author: Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi


<< Surah 56
>> Surah 58

Hindi Translations by other Authors


Hindi Translation By Maulana Azizul Haque Al Umari
Hindi Translation By Maulana Azizul Haque Al Umari
Hindi Translation By Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
Hindi Translation By Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
Hindi Translation By Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Hindi Translation By Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
Popular Areas
Apartments for rent in Dubai Apartments for rent Abu Dhabi Villas for rent in Dubai House for rent Abu Dhabi Apartments for sale in Dubai Apartments for sale in Abu Dhabi Flat for rent Sharjah
Popular Searches
Studios for rent in UAE Apartments for rent in UAE Villas for rent in UAE Apartments for sale in UAE Villas for sale in UAE Land for sale in UAE Dubai Real Estate
Trending Areas
Apartments for rent in Dubai Marina Apartments for sale in Dubai Marina Villa for rent in Sharjah Villa for sale in Dubai Flat for rent in Ajman Studio for rent in Abu Dhabi Villa for rent in Ajman
Trending Searches
Villa for rent in Abu Dhabi Shop for rent in Dubai Villas for sale in Ajman Studio for rent in Sharjah 1 Bedroom Apartment for rent in Dubai Property for rent in Abu Dhabi Commercial properties for sale
© Copyright Dubai Prayer Time. All Rights Reserved
Designed by Prayer Time In Dubai