Surah Al-Waqia - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
إِذَا وَقَعَتِ ٱلۡوَاقِعَةُ
जब क़यामत बरपा होगी और उसके वाक़िया होने में ज़रा झूट नहीं
Surah Al-Waqia, Verse 1
لَيۡسَ لِوَقۡعَتِهَا كَاذِبَةٌ
उस वक्त लोगों में फ़र्क ज़ाहिर होगा
Surah Al-Waqia, Verse 2
خَافِضَةٞ رَّافِعَةٌ
कि किसी को पस्त करेगी किसी को बुलन्द
Surah Al-Waqia, Verse 3
إِذَا رُجَّتِ ٱلۡأَرۡضُ رَجّٗا
जब ज़मीन बड़े ज़ोरों में हिलने लगेगी
Surah Al-Waqia, Verse 4
وَبُسَّتِ ٱلۡجِبَالُ بَسّٗا
और पहाड़ (टकरा कर) बिल्कुल चूर चूर हो जाएँगे
Surah Al-Waqia, Verse 5
فَكَانَتۡ هَبَآءٗ مُّنۢبَثّٗا
फिर ज़र्रे बन कर उड़ने लगेंगे
Surah Al-Waqia, Verse 6
وَكُنتُمۡ أَزۡوَٰجٗا ثَلَٰثَةٗ
और तुम लोग तीन किस्म हो जाओगे
Surah Al-Waqia, Verse 7
فَأَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ
तो दाहिने हाथ (में आमाल नामा लेने) वाले (वाह) दाहिने हाथ वाले क्या (चैन में) हैं
Surah Al-Waqia, Verse 8
وَأَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ
और बाएं हाथ (में आमाल नामा लेने) वाले (अफ़सोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं
Surah Al-Waqia, Verse 9
وَٱلسَّـٰبِقُونَ ٱلسَّـٰبِقُونَ
और जो आगे बढ़ जाने वाले हैं (वाह क्या कहना) वह आगे ही बढ़ने वाले थे
Surah Al-Waqia, Verse 10
أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلۡمُقَرَّبُونَ
यही लोग (ख़ुदा के) मुक़र्रिब हैं
Surah Al-Waqia, Verse 11
فِي جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
आराम व आसाइश के बाग़ों में बहुत से
Surah Al-Waqia, Verse 12
ثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأَوَّلِينَ
तो अगले लोगों में से होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 13
وَقَلِيلٞ مِّنَ ٱلۡأٓخِرِينَ
और कुछ थोडे से पिछले लोगों में से मोती
Surah Al-Waqia, Verse 14
عَلَىٰ سُرُرٖ مَّوۡضُونَةٖ
और याक़ूत से जड़े हुए सोने के तारों से बने हुए
Surah Al-Waqia, Verse 15
مُّتَّكِـِٔينَ عَلَيۡهَا مُتَقَٰبِلِينَ
तख्ते पर एक दूसरे के सामने तकिए लगाए (बैठे) होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 16
يَطُوفُ عَلَيۡهِمۡ وِلۡدَٰنٞ مُّخَلَّدُونَ
नौजवान लड़के जो (बेहिश्त में) हमेशा (लड़के ही बने) रहेंगे
Surah Al-Waqia, Verse 17
بِأَكۡوَابٖ وَأَبَارِيقَ وَكَأۡسٖ مِّن مَّعِينٖ
(शरबत वग़ैरह के) सागर और चमकदार टोंटीदार कंटर और शफ्फ़ाफ़ शराब के जाम लिए हुए उनके पास चक्कर लगाते होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 18
لَّا يُصَدَّعُونَ عَنۡهَا وَلَا يُنزِفُونَ
जिसके (पीने) से न तो उनको (ख़ुमार से) दर्दसर होगा और न वह बदहवास मदहोश होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 19
وَفَٰكِهَةٖ مِّمَّا يَتَخَيَّرُونَ
और जिस क़िस्म के मेवे पसन्द करें
Surah Al-Waqia, Verse 20
وَلَحۡمِ طَيۡرٖ مِّمَّا يَشۡتَهُونَ
और जिस क़िस्म के परिन्दे का गोश्त उनका जी चाहे (सब मौजूद है)
Surah Al-Waqia, Verse 21
وَحُورٌ عِينٞ
और बड़ी बड़ी ऑंखों वाली हूरें
Surah Al-Waqia, Verse 22
كَأَمۡثَٰلِ ٱللُّؤۡلُوِٕ ٱلۡمَكۡنُونِ
जैसे एहतेयात से रखे हुए मोती
Surah Al-Waqia, Verse 23
جَزَآءَۢ بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
ये बदला है उनके (नेक) आमाल का
Surah Al-Waqia, Verse 24
لَا يَسۡمَعُونَ فِيهَا لَغۡوٗا وَلَا تَأۡثِيمًا
वहाँ न तो बेहूदा बात सुनेंगे और न गुनाह की बात
Surah Al-Waqia, Verse 25
إِلَّا قِيلٗا سَلَٰمٗا سَلَٰمٗا
(फहश) बस उनका कलाम सलाम ही सलाम होगा
Surah Al-Waqia, Verse 26
وَأَصۡحَٰبُ ٱلۡيَمِينِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡيَمِينِ
और दाहिने हाथ वाले (वाह) दाहिने हाथ वालों का क्या कहना है
Surah Al-Waqia, Verse 27
فِي سِدۡرٖ مَّخۡضُودٖ
बे काँटे की बेरो और लदे गुथे हुए
Surah Al-Waqia, Verse 28
وَطَلۡحٖ مَّنضُودٖ
केलों और लम्बी लम्बी छाँव
Surah Al-Waqia, Verse 29
وَظِلّٖ مَّمۡدُودٖ
और झरनो के पानी
Surah Al-Waqia, Verse 30
وَمَآءٖ مَّسۡكُوبٖ
और अनारों
Surah Al-Waqia, Verse 31
وَفَٰكِهَةٖ كَثِيرَةٖ
मेवो में होंगें
Surah Al-Waqia, Verse 32
لَّا مَقۡطُوعَةٖ وَلَا مَمۡنُوعَةٖ
जो न कभी खत्म होंगे और न उनकी कोई रोक टोक
Surah Al-Waqia, Verse 33
وَفُرُشٖ مَّرۡفُوعَةٍ
और ऊँचे ऊँचे (नरम गद्दो के) फ़र्शों में (मज़े करते) होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 34
إِنَّآ أَنشَأۡنَٰهُنَّ إِنشَآءٗ
(उनको) वह हूरें मिलेंगी जिसको हमने नित नया पैदा किया है
Surah Al-Waqia, Verse 35
فَجَعَلۡنَٰهُنَّ أَبۡكَارًا
तो हमने उन्हें कुँवारियाँ प्यारी प्यारी हमजोलियाँ बनाया
Surah Al-Waqia, Verse 36
عُرُبًا أَتۡرَابٗا
ये सब सामान
Surah Al-Waqia, Verse 37
لِّأَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
दाहिने हाथ (में नामए आमाल लेने) वालों के वास्ते है
Surah Al-Waqia, Verse 38
ثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأَوَّلِينَ
(इनमें) बहुत से तो अगले लोगों में से
Surah Al-Waqia, Verse 39
وَثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأٓخِرِينَ
और बहुत से पिछले लोगों में से
Surah Al-Waqia, Verse 40
وَأَصۡحَٰبُ ٱلشِّمَالِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلشِّمَالِ
और बाएं हाथ (में नामए आमाल लेने) वाले (अफसोस) बाएं हाथ वाले क्या (मुसीबत में) हैं
Surah Al-Waqia, Verse 41
فِي سَمُومٖ وَحَمِيمٖ
(दोज़ख़ की) लौ और खौलते हुए पानी
Surah Al-Waqia, Verse 42
وَظِلّٖ مِّن يَحۡمُومٖ
और काले सियाह धुएँ के साये में होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 43
لَّا بَارِدٖ وَلَا كَرِيمٍ
जो न ठन्डा और न ख़ुश आइन्द
Surah Al-Waqia, Verse 44
إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَبۡلَ ذَٰلِكَ مُتۡرَفِينَ
ये लोग इससे पहले (दुनिया में) ख़ूब ऐश उड़ा चुके थे
Surah Al-Waqia, Verse 45
وَكَانُواْ يُصِرُّونَ عَلَى ٱلۡحِنثِ ٱلۡعَظِيمِ
और बड़े गुनाह (शिर्क) पर अड़े रहते थे
Surah Al-Waqia, Verse 46
وَكَانُواْ يَقُولُونَ أَئِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابٗا وَعِظَٰمًا أَءِنَّا لَمَبۡعُوثُونَ
और कहा करते थे कि भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी और हडिडयाँ (ही हडिडयाँ) रह जाएँगे
Surah Al-Waqia, Verse 47
أَوَءَابَآؤُنَا ٱلۡأَوَّلُونَ
तो क्या हमें या हमारे अगले बाप दादाओं को फिर उठना है
Surah Al-Waqia, Verse 48
قُلۡ إِنَّ ٱلۡأَوَّلِينَ وَٱلۡأٓخِرِينَ
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगले और पिछले
Surah Al-Waqia, Verse 49
لَمَجۡمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَٰتِ يَوۡمٖ مَّعۡلُومٖ
सब के सब रोजे मुअय्यन की मियाद पर ज़रूर इकट्ठे किए जाएँगे
Surah Al-Waqia, Verse 50
ثُمَّ إِنَّكُمۡ أَيُّهَا ٱلضَّآلُّونَ ٱلۡمُكَذِّبُونَ
फिर तुमको बेशक ऐ गुमराहों झुठलाने वालों
Surah Al-Waqia, Verse 51
لَأٓكِلُونَ مِن شَجَرٖ مِّن زَقُّومٖ
यक़ीनन (जहन्नुम में) थोहड़ के दरख्तों में से खाना होगा
Surah Al-Waqia, Verse 52
فَمَالِـُٔونَ مِنۡهَا ٱلۡبُطُونَ
तो तुम लोगों को उसी से (अपना) पेट भरना होगा
Surah Al-Waqia, Verse 53
فَشَٰرِبُونَ عَلَيۡهِ مِنَ ٱلۡحَمِيمِ
फिर उसके ऊपर खौलता हुआ पानी पीना होगा
Surah Al-Waqia, Verse 54
فَشَٰرِبُونَ شُرۡبَ ٱلۡهِيمِ
और पियोगे भी तो प्यासे ऊँट का सा (डग डगा के) पीना
Surah Al-Waqia, Verse 55
هَٰذَا نُزُلُهُمۡ يَوۡمَ ٱلدِّينِ
क़यामत के दिन यही उनकी मेहमानी होगी
Surah Al-Waqia, Verse 56
نَحۡنُ خَلَقۡنَٰكُمۡ فَلَوۡلَا تُصَدِّقُونَ
तुम लोगों को (पहली बार भी) हम ही ने पैदा किया है
Surah Al-Waqia, Verse 57
أَفَرَءَيۡتُم مَّا تُمۡنُونَ
फिर तुम लोग (दोबार की) क्यों नहीं तस्दीक़ करते
Surah Al-Waqia, Verse 58
ءَأَنتُمۡ تَخۡلُقُونَهُۥٓ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡخَٰلِقُونَ
तो जिस नुत्फे क़ो तुम (औरतों के रहम में डालते हो) क्या तुमने देख भाल लिया है क्या तुम उससे आदमी बनाते हो या हम बनाते हैं
Surah Al-Waqia, Verse 59
نَحۡنُ قَدَّرۡنَا بَيۡنَكُمُ ٱلۡمَوۡتَ وَمَا نَحۡنُ بِمَسۡبُوقِينَ
हमने तुम लोगों में मौत को मुक़र्रर कर दिया है और हम उससे आजिज़ नहीं हैं
Surah Al-Waqia, Verse 60
عَلَىٰٓ أَن نُّبَدِّلَ أَمۡثَٰلَكُمۡ وَنُنشِئَكُمۡ فِي مَا لَا تَعۡلَمُونَ
कि तुम्हारे ऐसे और लोग बदल डालें और तुम लोगों को इस (सूरत) में पैदा करें जिसे तुम मुत्तलक़ नहीं जानते
Surah Al-Waqia, Verse 61
وَلَقَدۡ عَلِمۡتُمُ ٱلنَّشۡأَةَ ٱلۡأُولَىٰ فَلَوۡلَا تَذَكَّرُونَ
और तुमने पैहली पैदाइश तो समझ ही ली है (कि हमने की) फिर तुम ग़ौर क्यों नहीं करते
Surah Al-Waqia, Verse 62
أَفَرَءَيۡتُم مَّا تَحۡرُثُونَ
भला देखो तो कि जो कुछ तुम लोग बोते हो क्या
Surah Al-Waqia, Verse 63
ءَأَنتُمۡ تَزۡرَعُونَهُۥٓ أَمۡ نَحۡنُ ٱلزَّـٰرِعُونَ
तुम लोग उसे उगाते हो या हम उगाते हैं अगर हम चाहते
Surah Al-Waqia, Verse 64
لَوۡ نَشَآءُ لَجَعَلۡنَٰهُ حُطَٰمٗا فَظَلۡتُمۡ تَفَكَّهُونَ
तो उसे चूर चूर कर देते तो तुम बातें ही बनाते रह जाते
Surah Al-Waqia, Verse 65
إِنَّا لَمُغۡرَمُونَ
कि (हाए) हम तो (मुफ्त) तावान में फॅसे (नहीं)
Surah Al-Waqia, Verse 66
بَلۡ نَحۡنُ مَحۡرُومُونَ
हम तो बदनसीब हैं
Surah Al-Waqia, Verse 67
أَفَرَءَيۡتُمُ ٱلۡمَآءَ ٱلَّذِي تَشۡرَبُونَ
तो क्या तुमने पानी पर भी नज़र डाली जो (दिन रात) पीते हो
Surah Al-Waqia, Verse 68
ءَأَنتُمۡ أَنزَلۡتُمُوهُ مِنَ ٱلۡمُزۡنِ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنزِلُونَ
क्या उसको बादल से तुमने बरसाया है या हम बरसाते हैं
Surah Al-Waqia, Verse 69
لَوۡ نَشَآءُ جَعَلۡنَٰهُ أُجَاجٗا فَلَوۡلَا تَشۡكُرُونَ
अगर हम चाहें तो उसे खारी बना दें तो तुम लोग यक्र क्यों नहीं करते
Surah Al-Waqia, Verse 70
أَفَرَءَيۡتُمُ ٱلنَّارَ ٱلَّتِي تُورُونَ
तो क्या तुमने आग पर भी ग़ौर किया जिसे तुम लोग लकड़ी से निकालते हो
Surah Al-Waqia, Verse 71
ءَأَنتُمۡ أَنشَأۡتُمۡ شَجَرَتَهَآ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنشِـُٔونَ
क्या उसके दरख्त को तुमने पैदा किया या हम पैदा करते हैं
Surah Al-Waqia, Verse 72
نَحۡنُ جَعَلۡنَٰهَا تَذۡكِرَةٗ وَمَتَٰعٗا لِّلۡمُقۡوِينَ
हमने आग को (जहन्नुम की) याद देहानी और मुसाफिरों के नफे के (वास्ते पैदा किया)
Surah Al-Waqia, Verse 73
فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो
Surah Al-Waqia, Verse 74
۞فَلَآ أُقۡسِمُ بِمَوَٰقِعِ ٱلنُّجُومِ
तो मैं तारों के मनाज़िल की क़सम खाता हूँ
Surah Al-Waqia, Verse 75
وَإِنَّهُۥ لَقَسَمٞ لَّوۡ تَعۡلَمُونَ عَظِيمٌ
और अगर तुम समझो तो ये बड़ी क़सम है
Surah Al-Waqia, Verse 76
إِنَّهُۥ لَقُرۡءَانٞ كَرِيمٞ
कि बेशक ये बड़े रूतबे का क़ुरान है
Surah Al-Waqia, Verse 77
فِي كِتَٰبٖ مَّكۡنُونٖ
जो किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है
Surah Al-Waqia, Verse 78
لَّا يَمَسُّهُۥٓ إِلَّا ٱلۡمُطَهَّرُونَ
इसको बस वही लोग छूते हैं जो पाक हैं
Surah Al-Waqia, Verse 79
تَنزِيلٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से (मोहम्मद पर) नाज़िल हुआ है
Surah Al-Waqia, Verse 80
أَفَبِهَٰذَا ٱلۡحَدِيثِ أَنتُم مُّدۡهِنُونَ
तो क्या तुम लोग इस कलाम से इन्कार रखते हो
Surah Al-Waqia, Verse 81
وَتَجۡعَلُونَ رِزۡقَكُمۡ أَنَّكُمۡ تُكَذِّبُونَ
और तुमने अपनी रोज़ी ये करार दे ली है कि (उसको) झुठलाते हो
Surah Al-Waqia, Verse 82
فَلَوۡلَآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلۡحُلۡقُومَ
तो क्या जब जान गले तक पहुँचती है
Surah Al-Waqia, Verse 83
وَأَنتُمۡ حِينَئِذٖ تَنظُرُونَ
और तुम उस वक्त (क़ी हालत) पड़े देखा करते हो
Surah Al-Waqia, Verse 84
وَنَحۡنُ أَقۡرَبُ إِلَيۡهِ مِنكُمۡ وَلَٰكِن لَّا تُبۡصِرُونَ
और हम इस (मरने वाले) से तुमसे भी ज्यादा नज़दीक होते हैं लेकिन तुमको दिखाई नहीं देता
Surah Al-Waqia, Verse 85
فَلَوۡلَآ إِن كُنتُمۡ غَيۡرَ مَدِينِينَ
तो अगर तुम किसी के दबाव में नहीं हो
Surah Al-Waqia, Verse 86
تَرۡجِعُونَهَآ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
तो अगर (अपने दावे में) तुम सच्चे हो तो रूह को फेर क्यों नहीं देते
Surah Al-Waqia, Verse 87
فَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلۡمُقَرَّبِينَ
पस अगर वह (मरने वाला ख़ुदा के) मुक़र्रेबीन से है
Surah Al-Waqia, Verse 88
فَرَوۡحٞ وَرَيۡحَانٞ وَجَنَّتُ نَعِيمٖ
तो (उस के लिए) आराम व आसाइश है और ख़ुशबूदार फूल और नेअमत के बाग़
Surah Al-Waqia, Verse 89
وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
और अगर वह दाहिने हाथ वालों में से है
Surah Al-Waqia, Verse 90
فَسَلَٰمٞ لَّكَ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
तो (उससे कहा जाएगा कि) तुम पर दाहिने हाथ वालों की तरफ़ से सलाम हो
Surah Al-Waqia, Verse 91
وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلۡمُكَذِّبِينَ ٱلضَّآلِّينَ
और अगर झुठलाने वाले गुमराहों में से है
Surah Al-Waqia, Verse 92
فَنُزُلٞ مِّنۡ حَمِيمٖ
तो (उसकी) मेहमानी खौलता हुआ पानी है
Surah Al-Waqia, Verse 93
وَتَصۡلِيَةُ جَحِيمٍ
और जहन्नुम में दाखिल कर देना
Surah Al-Waqia, Verse 94
إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ حَقُّ ٱلۡيَقِينِ
बेशक ये (ख़बर) यक़ीनन सही है
Surah Al-Waqia, Verse 95
فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो
Surah Al-Waqia, Verse 96