Surah Al-Waqia - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
إِذَا وَقَعَتِ ٱلۡوَاقِعَةُ
जब होने वाली, हो जायेगी।
Surah Al-Waqia, Verse 1
لَيۡسَ لِوَقۡعَتِهَا كَاذِبَةٌ
उसका होना कोई झूठ नहीं है।
Surah Al-Waqia, Verse 2
خَافِضَةٞ رَّافِعَةٌ
नीचा-ऊँचा करने[1] वाली।
Surah Al-Waqia, Verse 3
إِذَا رُجَّتِ ٱلۡأَرۡضُ رَجّٗا
जब धरती तेज़ी से डोलने लगेगी।
Surah Al-Waqia, Verse 4
وَبُسَّتِ ٱلۡجِبَالُ بَسّٗا
और चूर-चूर कर दिये जायेंगे पर्वत।
Surah Al-Waqia, Verse 5
فَكَانَتۡ هَبَآءٗ مُّنۢبَثّٗا
फिर हो जायेंगे बिखरी हुई धूल।
Surah Al-Waqia, Verse 6
وَكُنتُمۡ أَزۡوَٰجٗا ثَلَٰثَةٗ
तथा तुम हो जाओगे तीन समूह।
Surah Al-Waqia, Verse 7
فَأَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ
तो दायें वाले, तो क्या हैं दायें वाले
Surah Al-Waqia, Verse 8
وَأَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ
और बायें वाले, तो क्या हैं बायें वाले
Surah Al-Waqia, Verse 9
وَٱلسَّـٰبِقُونَ ٱلسَّـٰبِقُونَ
और अग्रगामी तो अग्रगामी ही हैं।
Surah Al-Waqia, Verse 10
أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلۡمُقَرَّبُونَ
वही समीप किये[1] हुए हैं।
Surah Al-Waqia, Verse 11
فِي جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
वे सुखों के स्वर्गों में होंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 12
ثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأَوَّلِينَ
बहुत-से अगले लोगों में से।
Surah Al-Waqia, Verse 13
وَقَلِيلٞ مِّنَ ٱلۡأٓخِرِينَ
तथा कुछ पिछले लोगों में से होंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 14
عَلَىٰ سُرُرٖ مَّوۡضُونَةٖ
स्वर्ण से बुने हुए तख़्तों पर।
Surah Al-Waqia, Verse 15
مُّتَّكِـِٔينَ عَلَيۡهَا مُتَقَٰبِلِينَ
तकिये लगाये उनपर, एक-दूसरे के सम्मुख (आसीन) होंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 16
يَطُوفُ عَلَيۡهِمۡ وِلۡدَٰنٞ مُّخَلَّدُونَ
फिरते होंगे उनकी सेवा के लिए बालक, जो सदा (बालक) रहेंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 17
بِأَكۡوَابٖ وَأَبَارِيقَ وَكَأۡسٖ مِّن مَّعِينٖ
प्याले तथा सुराह़ियाँ लेकर तथा मदिरा के छलकते प्याले।
Surah Al-Waqia, Verse 18
لَّا يُصَدَّعُونَ عَنۡهَا وَلَا يُنزِفُونَ
न तो सिर चकरायेगा उनसे, न वे निर्बोध होंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 19
وَفَٰكِهَةٖ مِّمَّا يَتَخَيَّرُونَ
तथा जो फल वे चाहेंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 20
وَلَحۡمِ طَيۡرٖ مِّمَّا يَشۡتَهُونَ
तथा पक्षी का जो मांस वे चाहेंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 21
وَحُورٌ عِينٞ
और गोरियाँ बड़े नैनों वाली।
Surah Al-Waqia, Verse 22
كَأَمۡثَٰلِ ٱللُّؤۡلُوِٕ ٱلۡمَكۡنُونِ
छुपाकर रखी हुईं मोतियों के समान।
Surah Al-Waqia, Verse 23
جَزَآءَۢ بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
उसके बदले, जो वे (संसार में) करते रहे।
Surah Al-Waqia, Verse 24
لَا يَسۡمَعُونَ فِيهَا لَغۡوٗا وَلَا تَأۡثِيمًا
नहीं सुनेंगे उनमें व्यर्थ बात और न पाप की बात।
Surah Al-Waqia, Verse 25
إِلَّا قِيلٗا سَلَٰمٗا سَلَٰمٗا
केवल सलाम ही सलाम की ध्वनि होगी।
Surah Al-Waqia, Verse 26
وَأَصۡحَٰبُ ٱلۡيَمِينِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡيَمِينِ
और दायें वाले, क्या (ही भाग्यशाली) हैं दायें वाले
Surah Al-Waqia, Verse 27
فِي سِدۡرٖ مَّخۡضُودٖ
बिन काँटे की बैरी में होंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 28
وَطَلۡحٖ مَّنضُودٖ
तथा तह पर तह केलों में।
Surah Al-Waqia, Verse 29
وَظِلّٖ مَّمۡدُودٖ
फैली हुई छाया[1] में।
Surah Al-Waqia, Verse 30
وَمَآءٖ مَّسۡكُوبٖ
और प्रवाहित जल में।
Surah Al-Waqia, Verse 31
وَفَٰكِهَةٖ كَثِيرَةٖ
तथा बहुत-से फलों में।
Surah Al-Waqia, Verse 32
لَّا مَقۡطُوعَةٖ وَلَا مَمۡنُوعَةٖ
जो न समाप्त होंगे, न रोके जायेंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 33
وَفُرُشٖ مَّرۡفُوعَةٍ
और ऊँचे बिस्तर पर।
Surah Al-Waqia, Verse 34
إِنَّآ أَنشَأۡنَٰهُنَّ إِنشَآءٗ
हमने बनाया है (उनकी) पत्नियों को एक विशेष रूप से।
Surah Al-Waqia, Verse 35
فَجَعَلۡنَٰهُنَّ أَبۡكَارًا
हमने बनाय है उन्हें कुमारियाँ।
Surah Al-Waqia, Verse 36
عُرُبًا أَتۡرَابٗا
प्रेमिकायें समायु।
Surah Al-Waqia, Verse 37
لِّأَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
दाहिने वालों के लिए।
Surah Al-Waqia, Verse 38
ثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأَوَّلِينَ
बहुत-से अगलों में से होंगे।
Surah Al-Waqia, Verse 39
وَثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأٓخِرِينَ
तथा बहुत-से पिछलों में से।
Surah Al-Waqia, Verse 40
وَأَصۡحَٰبُ ٱلشِّمَالِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلشِّمَالِ
और बायें वाले, तो क्या हैं बायें वाले
Surah Al-Waqia, Verse 41
فِي سَمُومٖ وَحَمِيمٖ
वे गर्म वायु तथा खौलते जल में (होंगे)।
Surah Al-Waqia, Verse 42
وَظِلّٖ مِّن يَحۡمُومٖ
तथा काले धुवें की छाया में।
Surah Al-Waqia, Verse 43
لَّا بَارِدٖ وَلَا كَرِيمٍ
जो न शीतल होगा और न सुखद।
Surah Al-Waqia, Verse 44
إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَبۡلَ ذَٰلِكَ مُتۡرَفِينَ
वास्तव में, वे इससे पहले (संसार में) सम्पन्न (सुखी) थे।
Surah Al-Waqia, Verse 45
وَكَانُواْ يُصِرُّونَ عَلَى ٱلۡحِنثِ ٱلۡعَظِيمِ
तथा दुराग्रह करते थे महा पापों पर।
Surah Al-Waqia, Verse 46
وَكَانُواْ يَقُولُونَ أَئِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابٗا وَعِظَٰمًا أَءِنَّا لَمَبۡعُوثُونَ
तथा कहा करते थे कि क्या जब हम मर जायेंगे तथा हो जायेंगे धूल और अस्थियाँ, तो क्या हम अवश्य पुनः जीवित होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 47
أَوَءَابَآؤُنَا ٱلۡأَوَّلُونَ
और क्या हमारे पूर्वज (भी)
Surah Al-Waqia, Verse 48
قُلۡ إِنَّ ٱلۡأَوَّلِينَ وَٱلۡأٓخِرِينَ
आप कह दें कि निःसंदेह सब अगले तथा पिछले।
Surah Al-Waqia, Verse 49
لَمَجۡمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَٰتِ يَوۡمٖ مَّعۡلُومٖ
अवश्य एकत्र किये जायेंगे एक निर्धारित दिन के समय।
Surah Al-Waqia, Verse 50
ثُمَّ إِنَّكُمۡ أَيُّهَا ٱلضَّآلُّونَ ٱلۡمُكَذِّبُونَ
फिर तुम, हे कुपथो! झुठलाने वालो
Surah Al-Waqia, Verse 51
لَأٓكِلُونَ مِن شَجَرٖ مِّن زَقُّومٖ
अवश्य खाने वाले हो ज़क़्क़ूम (थोहड़) के वृक्ष से।
Surah Al-Waqia, Verse 52
فَمَالِـُٔونَ مِنۡهَا ٱلۡبُطُونَ
तथा भरने वाले हो उससे (अपने) उदर।
Surah Al-Waqia, Verse 53
فَشَٰرِبُونَ عَلَيۡهِ مِنَ ٱلۡحَمِيمِ
तथा पीने वाले हो उसपर से खौलता जल।
Surah Al-Waqia, Verse 54
فَشَٰرِبُونَ شُرۡبَ ٱلۡهِيمِ
फिर पीने वाले हो प्यासे[1] ऊँट के समान।
Surah Al-Waqia, Verse 55
هَٰذَا نُزُلُهُمۡ يَوۡمَ ٱلدِّينِ
यही उनका अतिथि सत्कार है, प्रतिकार (प्रलय) के दिन।
Surah Al-Waqia, Verse 56
نَحۡنُ خَلَقۡنَٰكُمۡ فَلَوۡلَا تُصَدِّقُونَ
हमने ही उत्पन्न किया है तुम्हें, फिर तुम विश्वास क्यों नहीं करते
Surah Al-Waqia, Verse 57
أَفَرَءَيۡتُم مَّا تُمۡنُونَ
क्या तुमने ये विचार किया कि जो वीर्य तुम (गर्भाशयों में) गिराते हो।
Surah Al-Waqia, Verse 58
ءَأَنتُمۡ تَخۡلُقُونَهُۥٓ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡخَٰلِقُونَ
क्या तुम उसे शिशु बनाते हो या हम बनाने वाले हैं
Surah Al-Waqia, Verse 59
نَحۡنُ قَدَّرۡنَا بَيۡنَكُمُ ٱلۡمَوۡتَ وَمَا نَحۡنُ بِمَسۡبُوقِينَ
हमने निर्धारित किया है तुम्हारे बीच मरण को तथा हम विवश होने वाले नहीं हैं।
Surah Al-Waqia, Verse 60
عَلَىٰٓ أَن نُّبَدِّلَ أَمۡثَٰلَكُمۡ وَنُنشِئَكُمۡ فِي مَا لَا تَعۡلَمُونَ
कि बदल दें तुम्हारे रूप और तुम्हें बना दें उस रूप में, जिसे तुम नहीं जानते।
Surah Al-Waqia, Verse 61
وَلَقَدۡ عَلِمۡتُمُ ٱلنَّشۡأَةَ ٱلۡأُولَىٰ فَلَوۡلَا تَذَكَّرُونَ
तथा तुमने तो जान लिया है प्रथम उत्पत्ति को फिर तुम शिक्षा ग्रहण क्यों नहीं करते
Surah Al-Waqia, Verse 62
أَفَرَءَيۡتُم مَّا تَحۡرُثُونَ
फिर क्या तुमने विचार किया कि उसमें जो तुम बोते हो
Surah Al-Waqia, Verse 63
ءَأَنتُمۡ تَزۡرَعُونَهُۥٓ أَمۡ نَحۡنُ ٱلزَّـٰرِعُونَ
क्या तुम उसे उगाते हो या हम उसे उगाने वाले हैं
Surah Al-Waqia, Verse 64
لَوۡ نَشَآءُ لَجَعَلۡنَٰهُ حُطَٰمٗا فَظَلۡتُمۡ تَفَكَّهُونَ
यदि हम चाहें, तो उसे भुस बना दें, फिर तुम बातें बनाते रह जाओ।
Surah Al-Waqia, Verse 65
إِنَّا لَمُغۡرَمُونَ
वस्तुतः, हम दण्डित कर दिये गये।
Surah Al-Waqia, Verse 66
بَلۡ نَحۡنُ مَحۡرُومُونَ
बल्कि हम (जीविका से) वंचित कर दिये गये।
Surah Al-Waqia, Verse 67
أَفَرَءَيۡتُمُ ٱلۡمَآءَ ٱلَّذِي تَشۡرَبُونَ
फिर तुमने विचार किया उस पानी में, जो तुम पीते हो
Surah Al-Waqia, Verse 68
ءَأَنتُمۡ أَنزَلۡتُمُوهُ مِنَ ٱلۡمُزۡنِ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنزِلُونَ
क्या तुमने उसे बरसाया है बादल से अथवा हम उसे बरसाने वाले हैं।
Surah Al-Waqia, Verse 69
لَوۡ نَشَآءُ جَعَلۡنَٰهُ أُجَاجٗا فَلَوۡلَا تَشۡكُرُونَ
यदि हम चाहें, तो उसे खारी कर दें, फिर तुम आभारी (कृतज्ञ) क्यों नहीं होते
Surah Al-Waqia, Verse 70
أَفَرَءَيۡتُمُ ٱلنَّارَ ٱلَّتِي تُورُونَ
क्या तुमने उस अग्नि को देखा, जिसे तुम सुलगाते हो।
Surah Al-Waqia, Verse 71
ءَأَنتُمۡ أَنشَأۡتُمۡ شَجَرَتَهَآ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنشِـُٔونَ
क्या तुमने उत्पन्न किया है उसके वृक्ष को या हम उत्पन्न करने वाले हैं
Surah Al-Waqia, Verse 72
نَحۡنُ جَعَلۡنَٰهَا تَذۡكِرَةٗ وَمَتَٰعٗا لِّلۡمُقۡوِينَ
हमने ही बनाया उसे शिक्षाप्रद तथा यात्रियों के लाभदायक।
Surah Al-Waqia, Verse 73
فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
अतः, (हे नबी!) आप पवित्रता का वर्णन करें अपने महा पालनहार के नाम की।
Surah Al-Waqia, Verse 74
۞فَلَآ أُقۡسِمُ بِمَوَٰقِعِ ٱلنُّجُومِ
मैं शपथ लेता हूँ सितारों के स्थानों की
Surah Al-Waqia, Verse 75
وَإِنَّهُۥ لَقَسَمٞ لَّوۡ تَعۡلَمُونَ عَظِيمٌ
और ये निश्चय एक बड़ी शपथ है, यदि तुम समझो।
Surah Al-Waqia, Verse 76
إِنَّهُۥ لَقُرۡءَانٞ كَرِيمٞ
वास्तव में, ये आदरणीय[1] क़ुर्आन है।
Surah Al-Waqia, Verse 77
فِي كِتَٰبٖ مَّكۡنُونٖ
सुरक्षित[1] पुस्तक में।
Surah Al-Waqia, Verse 78
لَّا يَمَسُّهُۥٓ إِلَّا ٱلۡمُطَهَّرُونَ
इसे पवित्र लोग ही छूते हैं।
Surah Al-Waqia, Verse 79
تَنزِيلٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
अवतरित किया गया है सर्वलोक के पालनहार की ओर से।
Surah Al-Waqia, Verse 80
أَفَبِهَٰذَا ٱلۡحَدِيثِ أَنتُم مُّدۡهِنُونَ
फिर क्या तुम इस वाणि (क़ुर्आन) की अपेक्षा करते हो
Surah Al-Waqia, Verse 81
وَتَجۡعَلُونَ رِزۡقَكُمۡ أَنَّكُمۡ تُكَذِّبُونَ
तथा बनाते हो अपना भाग कि इसे तुम झुठलाते हो
Surah Al-Waqia, Verse 82
فَلَوۡلَآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلۡحُلۡقُومَ
फिर क्यों नहीं जब प्राण गले को पहुँचते हैं।
Surah Al-Waqia, Verse 83
وَأَنتُمۡ حِينَئِذٖ تَنظُرُونَ
और तुम उस समय देखते रहते हो।
Surah Al-Waqia, Verse 84
وَنَحۡنُ أَقۡرَبُ إِلَيۡهِ مِنكُمۡ وَلَٰكِن لَّا تُبۡصِرُونَ
तथा हम अधिक समीप होते हैं उसके तुमसे, परन्तु तुम नहीं देख सकते।
Surah Al-Waqia, Verse 85
فَلَوۡلَآ إِن كُنتُمۡ غَيۡرَ مَدِينِينَ
तो यदि तुम किसी के आधीन न हो।
Surah Al-Waqia, Verse 86
تَرۡجِعُونَهَآ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
तो उस (प्राण) को फेर क्यों नहीं लाते, यदि तुम सच्चे हो
Surah Al-Waqia, Verse 87
فَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلۡمُقَرَّبِينَ
फिर यदि वह (प्राणी) समीपवर्तियों में है।
Surah Al-Waqia, Verse 88
فَرَوۡحٞ وَرَيۡحَانٞ وَجَنَّتُ نَعِيمٖ
तो उसके लिए सुख तथा उत्तम जीविका तथा सुख भरा स्वर्ग है।
Surah Al-Waqia, Verse 89
وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
और यदि वह दायें वालों में से है।
Surah Al-Waqia, Verse 90
فَسَلَٰمٞ لَّكَ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
तो सलाम है तेरे लिए दायें वालों में होने के कारण।
Surah Al-Waqia, Verse 91
وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلۡمُكَذِّبِينَ ٱلضَّآلِّينَ
और यदि वह है झुठलाने वाले कुपथों में से।
Surah Al-Waqia, Verse 92
فَنُزُلٞ مِّنۡ حَمِيمٖ
तो अतिथि सत्कार है खौलते पानी से।
Surah Al-Waqia, Verse 93
وَتَصۡلِيَةُ جَحِيمٍ
तथा नरक में प्रवेश।
Surah Al-Waqia, Verse 94
إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ حَقُّ ٱلۡيَقِينِ
वास्तव में, यही निश्चय सत्य है।
Surah Al-Waqia, Verse 95
فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
अतः, (हे नबी!) आप पवित्रता का वर्णन करें अपने महा पालनहार के नाम की।
Surah Al-Waqia, Verse 96