Surah Ar-Rahman - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
ٱلرَّحۡمَٰنُ
अत्यंत कृपाशील ने।
Surah Ar-Rahman, Verse 1
عَلَّمَ ٱلۡقُرۡءَانَ
शिक्षा दी क़ुर्आन की।
Surah Ar-Rahman, Verse 2
خَلَقَ ٱلۡإِنسَٰنَ
उसीने उत्पन्न किया मनुष्य को।
Surah Ar-Rahman, Verse 3
عَلَّمَهُ ٱلۡبَيَانَ
सिखाया उसे साफ़-साफ़ बोलना।
Surah Ar-Rahman, Verse 4
ٱلشَّمۡسُ وَٱلۡقَمَرُ بِحُسۡبَانٖ
सूर्य तथा चन्द्रमा एक (नियमित) ह़िसाब से हैं।
Surah Ar-Rahman, Verse 5
وَٱلنَّجۡمُ وَٱلشَّجَرُ يَسۡجُدَانِ
तथा तारे और वृक्ष दोनों (उसे) सज्दा करते हैं।
Surah Ar-Rahman, Verse 6
وَٱلسَّمَآءَ رَفَعَهَا وَوَضَعَ ٱلۡمِيزَانَ
और आकाश को ऊँचा किया और रख दी तराजू।
Surah Ar-Rahman, Verse 7
أَلَّا تَطۡغَوۡاْ فِي ٱلۡمِيزَانِ
ताकि तुम उल्लंघन न करो तराजू (न्याय) में।
Surah Ar-Rahman, Verse 8
وَأَقِيمُواْ ٱلۡوَزۡنَ بِٱلۡقِسۡطِ وَلَا تُخۡسِرُواْ ٱلۡمِيزَانَ
तथा सीधी रखो तराजू न्याय के साथ और कम न तोलो।
Surah Ar-Rahman, Verse 9
وَٱلۡأَرۡضَ وَضَعَهَا لِلۡأَنَامِ
धरती को उसने (रहने योग्य) बनाया पूरी उत्पत्ति के लिए।
Surah Ar-Rahman, Verse 10
فِيهَا فَٰكِهَةٞ وَٱلنَّخۡلُ ذَاتُ ٱلۡأَكۡمَامِ
जिसमें मेवे तथा गुच्छे वाले खजूर हैं।
Surah Ar-Rahman, Verse 11
وَٱلۡحَبُّ ذُو ٱلۡعَصۡفِ وَٱلرَّيۡحَانُ
और भूसे वाले अन्न तथा सुगंधित (पुष्प) फूल हैं।
Surah Ar-Rahman, Verse 12
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो (हे मनुष्य तथा जिन्न!) तुम अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 13
خَلَقَ ٱلۡإِنسَٰنَ مِن صَلۡصَٰلٖ كَٱلۡفَخَّارِ
उसने उत्पन्न किया मनुष्य को खनखनाते ठीकरी जैसे सूखे गारे से।
Surah Ar-Rahman, Verse 14
وَخَلَقَ ٱلۡجَآنَّ مِن مَّارِجٖ مِّن نَّارٖ
तथा उत्पन्न किया जिन्नों को अग्नि की ज्वाला से।
Surah Ar-Rahman, Verse 15
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 16
رَبُّ ٱلۡمَشۡرِقَيۡنِ وَرَبُّ ٱلۡمَغۡرِبَيۡنِ
वह दोनों सूर्योदय[1] के स्थानों तथा दोनों सूर्यास्त के स्थानों का स्वामी है।
Surah Ar-Rahman, Verse 17
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 18
مَرَجَ ٱلۡبَحۡرَيۡنِ يَلۡتَقِيَانِ
उसने दो सागर बहा दिये, जिनका संगम होता है।
Surah Ar-Rahman, Verse 19
بَيۡنَهُمَا بَرۡزَخٞ لَّا يَبۡغِيَانِ
उन दोनों के बीच एक आड़ है। वह एक-दूसरे से मिल नहीं सकते।
Surah Ar-Rahman, Verse 20
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 21
يَخۡرُجُ مِنۡهُمَا ٱللُّؤۡلُؤُ وَٱلۡمَرۡجَانُ
निकलता है उन दोनों से मोती तथा मूँगा।
Surah Ar-Rahman, Verse 22
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 23
وَلَهُ ٱلۡجَوَارِ ٱلۡمُنشَـَٔاتُ فِي ٱلۡبَحۡرِ كَٱلۡأَعۡلَٰمِ
तथा उसी के अधिकार में हैं जहाज़, खड़े किये हुए सागर में पर्वतों जैसे।
Surah Ar-Rahman, Verse 24
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 25
كُلُّ مَنۡ عَلَيۡهَا فَانٖ
प्रत्येक, जो धरती पर हैं, नाशवान हैं।
Surah Ar-Rahman, Verse 26
وَيَبۡقَىٰ وَجۡهُ رَبِّكَ ذُو ٱلۡجَلَٰلِ وَٱلۡإِكۡرَامِ
तथा शेष रह जायेगा आपके प्रतापी सम्मानित पालनहार का मुख (अस्तित्व)।
Surah Ar-Rahman, Verse 27
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 28
يَسۡـَٔلُهُۥ مَن فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِۚ كُلَّ يَوۡمٍ هُوَ فِي شَأۡنٖ
उसीसे माँगते हैं, जो आकाशों तथा धरती में हैं। प्रत्येक दिन वह एक नये कार्य में है।
Surah Ar-Rahman, Verse 29
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 30
سَنَفۡرُغُ لَكُمۡ أَيُّهَ ٱلثَّقَلَانِ
और शीघ्र ही हम पूर्णतः आकर्षित हो जायेंगे तुम्हारी ओर, हे (धरती के) दोनों बोझ[1] (जन्नो और मनुष्यो)
Surah Ar-Rahman, Verse 31
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 32
يَٰمَعۡشَرَ ٱلۡجِنِّ وَٱلۡإِنسِ إِنِ ٱسۡتَطَعۡتُمۡ أَن تَنفُذُواْ مِنۡ أَقۡطَارِ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ فَٱنفُذُواْۚ لَا تَنفُذُونَ إِلَّا بِسُلۡطَٰنٖ
हे जिन्न तथा मनुष्य के समूह! यदि निकल सकते हो आकाशों तथा थरती के किनारों से, तो निकल भागो और तुम निकल नहीं सकोगे बिना बड़ी शक्ति[1] के।
Surah Ar-Rahman, Verse 33
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 34
يُرۡسَلُ عَلَيۡكُمَا شُوَاظٞ مِّن نَّارٖ وَنُحَاسٞ فَلَا تَنتَصِرَانِ
तुम दोनों पर अग्नि की ज्वाला तथा धुवाँ छोड़ा जायेगा। तो तुम अपनी सहायता नहीं कर सकोगे।
Surah Ar-Rahman, Verse 35
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 36
فَإِذَا ٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَآءُ فَكَانَتۡ وَرۡدَةٗ كَٱلدِّهَانِ
जब आकाश (प्रलय के दिन) फट जायेगा, तो लाल हो जायेगा लाल चमड़े के समान।
Surah Ar-Rahman, Verse 37
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 38
فَيَوۡمَئِذٖ لَّا يُسۡـَٔلُ عَن ذَنۢبِهِۦٓ إِنسٞ وَلَا جَآنّٞ
तो उस दिन नहीं प्रश्न किया जायेगा अपने पाप का किसी मनुष्य से और न जिन्न से।
Surah Ar-Rahman, Verse 39
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 40
يُعۡرَفُ ٱلۡمُجۡرِمُونَ بِسِيمَٰهُمۡ فَيُؤۡخَذُ بِٱلنَّوَٰصِي وَٱلۡأَقۡدَامِ
पहचान लिये जायेंगे अपराधी अपने मुखों से, तो पकड़ा जायेगा उनके माथे के बालों और पैरों को।
Surah Ar-Rahman, Verse 41
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 42
هَٰذِهِۦ جَهَنَّمُ ٱلَّتِي يُكَذِّبُ بِهَا ٱلۡمُجۡرِمُونَ
यही वो नरक है, जिसे झूठ कह रहे थे अपराधी।
Surah Ar-Rahman, Verse 43
يَطُوفُونَ بَيۡنَهَا وَبَيۡنَ حَمِيمٍ ءَانٖ
वे फिरते रहेंगे उसके बीच तथा खौलते पानी के बीच।
Surah Ar-Rahman, Verse 44
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 45
وَلِمَنۡ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ جَنَّتَانِ
और उसके लिए, जो डरा अपने पालनहार के समक्ष खड़े होने से, दो बाग़ हैं।
Surah Ar-Rahman, Verse 46
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 47
ذَوَاتَآ أَفۡنَانٖ
दो बाग़, हरी-भरी शाखाओं वाले।
Surah Ar-Rahman, Verse 48
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 49
فِيهِمَا عَيۡنَانِ تَجۡرِيَانِ
उन दोनों में, दो जल स्रोत बहते होंगे।
Surah Ar-Rahman, Verse 50
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 51
فِيهِمَا مِن كُلِّ فَٰكِهَةٖ زَوۡجَانِ
उनमें, प्रत्येक फल के दो प्रकार होंगे।
Surah Ar-Rahman, Verse 52
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 53
مُتَّكِـِٔينَ عَلَىٰ فُرُشِۭ بَطَآئِنُهَا مِنۡ إِسۡتَبۡرَقٖۚ وَجَنَى ٱلۡجَنَّتَيۡنِ دَانٖ
वे ऐसे बिस्तरों पर तकिये लगाये हुए होंगे, जिनके स्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों (की शाखायें) फलों से झुकी हुई होंगी।
Surah Ar-Rahman, Verse 54
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 55
فِيهِنَّ قَٰصِرَٰتُ ٱلطَّرۡفِ لَمۡ يَطۡمِثۡهُنَّ إِنسٞ قَبۡلَهُمۡ وَلَا جَآنّٞ
उनमें लजीली आँखों वाली स्त्रियाँ होंगी, जिन्हें हाथ नहीं लगाया होगा किसी मनुष्य ने इससे पूर्व और न किसी जिन्न ने।
Surah Ar-Rahman, Verse 56
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 57
كَأَنَّهُنَّ ٱلۡيَاقُوتُ وَٱلۡمَرۡجَانُ
जैसे वह हीरे और मोंगे हों।
Surah Ar-Rahman, Verse 58
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 59
هَلۡ جَزَآءُ ٱلۡإِحۡسَٰنِ إِلَّا ٱلۡإِحۡسَٰنُ
उपकार का बदला उपकार ही है।
Surah Ar-Rahman, Verse 60
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 61
وَمِن دُونِهِمَا جَنَّتَانِ
तथा उन दोनों के सिवा[1] दो बाग़ होंगे।
Surah Ar-Rahman, Verse 62
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 63
مُدۡهَآمَّتَانِ
दोनों हरे-भरे होंगे।
Surah Ar-Rahman, Verse 64
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 65
فِيهِمَا عَيۡنَانِ نَضَّاخَتَانِ
उन दोनों में, दो जल स्रोत होंगे उबलते हुए।
Surah Ar-Rahman, Verse 66
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 67
فِيهِمَا فَٰكِهَةٞ وَنَخۡلٞ وَرُمَّانٞ
उनमें, फल तथा खजूर और अनार होंगे।
Surah Ar-Rahman, Verse 68
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 69
فِيهِنَّ خَيۡرَٰتٌ حِسَانٞ
उनमें, सुचरिता सुन्दरियाँ होंगी।
Surah Ar-Rahman, Verse 70
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 71
حُورٞ مَّقۡصُورَٰتٞ فِي ٱلۡخِيَامِ
गोरियाँ सुरक्षित होंगी ख़ेमों में।
Surah Ar-Rahman, Verse 72
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 73
لَمۡ يَطۡمِثۡهُنَّ إِنسٞ قَبۡلَهُمۡ وَلَا جَآنّٞ
नहीं हाथ लगाया होगा[1] उन्हें किसी मनुष्य ने इससे पूर्व और न किसी जिन्न ने।
Surah Ar-Rahman, Verse 74
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 75
مُتَّكِـِٔينَ عَلَىٰ رَفۡرَفٍ خُضۡرٖ وَعَبۡقَرِيٍّ حِسَانٖ
वे तकिये लगाये हुए होंगे हरे ग़लीचों तथा सुन्दर बिस्तरों पर।
Surah Ar-Rahman, Verse 76
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ
तो तुम दोनों अपने पालनहार के किन-किन उपकारों को झुठलाओगे
Surah Ar-Rahman, Verse 77
تَبَٰرَكَ ٱسۡمُ رَبِّكَ ذِي ٱلۡجَلَٰلِ وَٱلۡإِكۡرَامِ
शुभ है आपके प्रतापी सम्मानित पालनहार का नाम।
Surah Ar-Rahman, Verse 78