Surah Al-Waqia - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
إِذَا وَقَعَتِ ٱلۡوَاقِعَةُ
जब घटित होनेवाली (घड़ी) घटित हो जाएगी
Surah Al-Waqia, Verse 1
لَيۡسَ لِوَقۡعَتِهَا كَاذِبَةٌ
उसके घटित होने में कुछ भी झुठ नहीं
Surah Al-Waqia, Verse 2
خَافِضَةٞ رَّافِعَةٌ
पस्त करनेवाली होगी, ऊँचा करनेवाली थी
Surah Al-Waqia, Verse 3
إِذَا رُجَّتِ ٱلۡأَرۡضُ رَجّٗا
जब धरती थरथराकर काँप उठेगी
Surah Al-Waqia, Verse 4
وَبُسَّتِ ٱلۡجِبَالُ بَسّٗا
और पहाड़ टूटकर चूर्ण-विचुर्ण हो जाएँगे
Surah Al-Waqia, Verse 5
فَكَانَتۡ هَبَآءٗ مُّنۢبَثّٗا
कि वे बिखरे हुए धूल होकर रह जाएँगे
Surah Al-Waqia, Verse 6
وَكُنتُمۡ أَزۡوَٰجٗا ثَلَٰثَةٗ
और तुम लोग तीन प्रकार के हो जाओगे
Surah Al-Waqia, Verse 7
فَأَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَيۡمَنَةِ
तो दाहिने हाथ वाले (सौभाग्यशाली), कैसे होंगे दाहिने हाथ वाले
Surah Al-Waqia, Verse 8
وَأَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡمَشۡـَٔمَةِ
और बाएँ हाथ वाले (दुर्भाग्यशाली), कैसे होंगे बाएँ हाथ वाले
Surah Al-Waqia, Verse 9
وَٱلسَّـٰبِقُونَ ٱلسَّـٰبِقُونَ
और आगे बढ़ जानेवाले तो आगे बढ़ जानेवाले ही है
Surah Al-Waqia, Verse 10
أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلۡمُقَرَّبُونَ
वही (अल्लाह के) निकटवर्ती है
Surah Al-Waqia, Verse 11
فِي جَنَّـٰتِ ٱلنَّعِيمِ
नेमत भरी जन्नतों में होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 12
ثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأَوَّلِينَ
अगलों में से तो बहुत-से होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 13
وَقَلِيلٞ مِّنَ ٱلۡأٓخِرِينَ
किन्तु पिछलों में से कम ही
Surah Al-Waqia, Verse 14
عَلَىٰ سُرُرٖ مَّوۡضُونَةٖ
जड़ित तख़्तो पर
Surah Al-Waqia, Verse 15
مُّتَّكِـِٔينَ عَلَيۡهَا مُتَقَٰبِلِينَ
तकिया लगाए आमने-सामने होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 16
يَطُوفُ عَلَيۡهِمۡ وِلۡدَٰنٞ مُّخَلَّدُونَ
उनके पास किशोर होंगे जो सदैव किशोरावस्था ही में रहेंगे
Surah Al-Waqia, Verse 17
بِأَكۡوَابٖ وَأَبَارِيقَ وَكَأۡسٖ مِّن مَّعِينٖ
प्याले और आफ़ताबे (जग) और विशुद्ध पेय से भरा हुआ पात्र लिए फिर रहे होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 18
لَّا يُصَدَّعُونَ عَنۡهَا وَلَا يُنزِفُونَ
जिस (के पीने) से न तो उन्हें सिर दर्द होगा और न उनकी बुद्धि में विकार आएगा
Surah Al-Waqia, Verse 19
وَفَٰكِهَةٖ مِّمَّا يَتَخَيَّرُونَ
और स्वादिष्ट॥ फल जो वे पसन्द करें
Surah Al-Waqia, Verse 20
وَلَحۡمِ طَيۡرٖ مِّمَّا يَشۡتَهُونَ
और पक्षी का मांस जो वे चाह
Surah Al-Waqia, Verse 21
وَحُورٌ عِينٞ
और बड़ी आँखोंवाली हूरें
Surah Al-Waqia, Verse 22
كَأَمۡثَٰلِ ٱللُّؤۡلُوِٕ ٱلۡمَكۡنُونِ
मानो छिपाए हुए मोती हो
Surah Al-Waqia, Verse 23
جَزَآءَۢ بِمَا كَانُواْ يَعۡمَلُونَ
यह सब उसके बदले में उन्हें प्राप्त होगा जो कुछ वे करते रहे
Surah Al-Waqia, Verse 24
لَا يَسۡمَعُونَ فِيهَا لَغۡوٗا وَلَا تَأۡثِيمًا
उसमें वे न कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न गुनाह की बात
Surah Al-Waqia, Verse 25
إِلَّا قِيلٗا سَلَٰمٗا سَلَٰمٗا
सिवाय इस बात के कि "सलाम हो, सलाम हो
Surah Al-Waqia, Verse 26
وَأَصۡحَٰبُ ٱلۡيَمِينِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلۡيَمِينِ
रहे सौभाग्यशाली लोग, तो सौभाग्यशालियों का क्या कहना
Surah Al-Waqia, Verse 27
فِي سِدۡرٖ مَّخۡضُودٖ
वे वहाँ होंगे जहाँ बिन काँटों के बेर होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 28
وَطَلۡحٖ مَّنضُودٖ
और गुच्छेदार केले
Surah Al-Waqia, Verse 29
وَظِلّٖ مَّمۡدُودٖ
दूर तक फैली हुई छाँव
Surah Al-Waqia, Verse 30
وَمَآءٖ مَّسۡكُوبٖ
बहता हुआ पानी
Surah Al-Waqia, Verse 31
وَفَٰكِهَةٖ كَثِيرَةٖ
बहुत-सा स्वादिष्ट; फल
Surah Al-Waqia, Verse 32
لَّا مَقۡطُوعَةٖ وَلَا مَمۡنُوعَةٖ
जिसका सिलसिला टूटनेवाला न होगा और न उसपर कोई रोक-टोक होगी
Surah Al-Waqia, Verse 33
وَفُرُشٖ مَّرۡفُوعَةٍ
उच्चकोटि के बिछौने होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 34
إِنَّآ أَنشَأۡنَٰهُنَّ إِنشَآءٗ
(और वहाँ उनकी पत्नियों को) निश्चय ही हमने एक विशेष उठान पर उठान पर उठाया
Surah Al-Waqia, Verse 35
فَجَعَلۡنَٰهُنَّ أَبۡكَارًا
और हमने उन्हे कुँवारियाँ बनाया
Surah Al-Waqia, Verse 36
عُرُبًا أَتۡرَابٗا
प्रेम दर्शानेवाली और समायु
Surah Al-Waqia, Verse 37
لِّأَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
सौभाग्यशाली लोगों के लिए
Surah Al-Waqia, Verse 38
ثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأَوَّلِينَ
वे अगलों में से भी अधिक होगे
Surah Al-Waqia, Verse 39
وَثُلَّةٞ مِّنَ ٱلۡأٓخِرِينَ
और पिछलों में से भी अधिक होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 40
وَأَصۡحَٰبُ ٱلشِّمَالِ مَآ أَصۡحَٰبُ ٱلشِّمَالِ
रहे दुर्भाग्यशाली लोग, तो कैसे होंगे दुर्भाग्यशाली लोग
Surah Al-Waqia, Verse 41
فِي سَمُومٖ وَحَمِيمٖ
गर्म हवा और खौलते हुए पानी में होंगे
Surah Al-Waqia, Verse 42
وَظِلّٖ مِّن يَحۡمُومٖ
और काले धुएँ की छाँव में
Surah Al-Waqia, Verse 43
لَّا بَارِدٖ وَلَا كَرِيمٍ
जो न ठंडी होगी और न उत्तम और लाभप्रद
Surah Al-Waqia, Verse 44
إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَبۡلَ ذَٰلِكَ مُتۡرَفِينَ
वे इससे पहले सुख-सम्पन्न थे
Surah Al-Waqia, Verse 45
وَكَانُواْ يُصِرُّونَ عَلَى ٱلۡحِنثِ ٱلۡعَظِيمِ
और बड़े गुनाह पर अड़े रहते थे
Surah Al-Waqia, Verse 46
وَكَانُواْ يَقُولُونَ أَئِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابٗا وَعِظَٰمًا أَءِنَّا لَمَبۡعُوثُونَ
कहते थे, "क्या जब हम मर जाएँगे और मिट्टी और हड्डियाँ होकर रहे जाएँगे, तो क्या हम वास्तव में उठाए जाएँगे
Surah Al-Waqia, Verse 47
أَوَءَابَآؤُنَا ٱلۡأَوَّلُونَ
और क्या हमारे पहले के बाप-दादा भी
Surah Al-Waqia, Verse 48
قُلۡ إِنَّ ٱلۡأَوَّلِينَ وَٱلۡأٓخِرِينَ
कह दो, "निश्चय ही अगले और पिछले भी
Surah Al-Waqia, Verse 49
لَمَجۡمُوعُونَ إِلَىٰ مِيقَٰتِ يَوۡمٖ مَّعۡلُومٖ
एक नियत समय पर इकट्ठे कर दिए जाएँगे, जिसका दिन ज्ञात और नियत है
Surah Al-Waqia, Verse 50
ثُمَّ إِنَّكُمۡ أَيُّهَا ٱلضَّآلُّونَ ٱلۡمُكَذِّبُونَ
फिर तुम ऐ गुमराहो, झुठलानेवालो
Surah Al-Waqia, Verse 51
لَأٓكِلُونَ مِن شَجَرٖ مِّن زَقُّومٖ
ज़क्कूम के वृक्ष में से खाओंगे
Surah Al-Waqia, Verse 52
فَمَالِـُٔونَ مِنۡهَا ٱلۡبُطُونَ
और उसी से पेट भरोगे
Surah Al-Waqia, Verse 53
فَشَٰرِبُونَ عَلَيۡهِ مِنَ ٱلۡحَمِيمِ
और उसके ऊपर से खौलता हुआ पानी पीओगे
Surah Al-Waqia, Verse 54
فَشَٰرِبُونَ شُرۡبَ ٱلۡهِيمِ
और तौस लगे ऊँट की तरह पीओगे।
Surah Al-Waqia, Verse 55
هَٰذَا نُزُلُهُمۡ يَوۡمَ ٱلدِّينِ
यह बदला दिए जाने के दिन उनका पहला सत्कार होगा
Surah Al-Waqia, Verse 56
نَحۡنُ خَلَقۡنَٰكُمۡ فَلَوۡلَا تُصَدِّقُونَ
हमने तुम्हें पैदा किया; फिर तुम सच क्यों नहीं मानते
Surah Al-Waqia, Verse 57
أَفَرَءَيۡتُم مَّا تُمۡنُونَ
तो क्या तुमने विचार किया जो चीज़ तुम टपकाते हो
Surah Al-Waqia, Verse 58
ءَأَنتُمۡ تَخۡلُقُونَهُۥٓ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡخَٰلِقُونَ
क्या तुम उसे आकार देते हो, या हम है आकार देनेवाले
Surah Al-Waqia, Verse 59
نَحۡنُ قَدَّرۡنَا بَيۡنَكُمُ ٱلۡمَوۡتَ وَمَا نَحۡنُ بِمَسۡبُوقِينَ
हमने तुम्हारे बीच मृत्यु को नियत किया है और हमारे बस से यह बाहर नहीं है
Surah Al-Waqia, Verse 60
عَلَىٰٓ أَن نُّبَدِّلَ أَمۡثَٰلَكُمۡ وَنُنشِئَكُمۡ فِي مَا لَا تَعۡلَمُونَ
कि हम तुम्हारे जैसों को बदल दें और तुम्हें ऐसी हालत में उठा खड़ा करें जिसे तुम जानते नहीं
Surah Al-Waqia, Verse 61
وَلَقَدۡ عَلِمۡتُمُ ٱلنَّشۡأَةَ ٱلۡأُولَىٰ فَلَوۡلَا تَذَكَّرُونَ
तुम तो पहली पैदाइश को जान चुके हो, फिर तुम ध्यान क्यों नहीं देते
Surah Al-Waqia, Verse 62
أَفَرَءَيۡتُم مَّا تَحۡرُثُونَ
फिर क्या तुमने देखा तो कुछ तुम खेती करते हो
Surah Al-Waqia, Verse 63
ءَأَنتُمۡ تَزۡرَعُونَهُۥٓ أَمۡ نَحۡنُ ٱلزَّـٰرِعُونَ
क्या उसे तुम उगाते हो या हम उसे उगाते है
Surah Al-Waqia, Verse 64
لَوۡ نَشَآءُ لَجَعَلۡنَٰهُ حُطَٰمٗا فَظَلۡتُمۡ تَفَكَّهُونَ
यदि हम चाहें तो उसे चूर-चूर कर दें। फिर तुम बातें बनाते रह जाओ
Surah Al-Waqia, Verse 65
إِنَّا لَمُغۡرَمُونَ
कि "हमपर उलटा डाँड पड़ गया
Surah Al-Waqia, Verse 66
بَلۡ نَحۡنُ مَحۡرُومُونَ
बल्कि हम वंचित होकर रह गए
Surah Al-Waqia, Verse 67
أَفَرَءَيۡتُمُ ٱلۡمَآءَ ٱلَّذِي تَشۡرَبُونَ
फिर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो
Surah Al-Waqia, Verse 68
ءَأَنتُمۡ أَنزَلۡتُمُوهُ مِنَ ٱلۡمُزۡنِ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنزِلُونَ
क्या उसे बादलों से तुमने पानी बरसाया या बरसानेवाले हम है
Surah Al-Waqia, Verse 69
لَوۡ نَشَآءُ جَعَلۡنَٰهُ أُجَاجٗا فَلَوۡلَا تَشۡكُرُونَ
यदि हम चाहें तो उसे अत्यन्त खारा बनाकर रख दें। फिर तुम कृतज्ञता क्यों नहीं दिखाते
Surah Al-Waqia, Verse 70
أَفَرَءَيۡتُمُ ٱلنَّارَ ٱلَّتِي تُورُونَ
फिर क्या तुमने उस आग को देखा जिसे तुम सुलगाते हो
Surah Al-Waqia, Verse 71
ءَأَنتُمۡ أَنشَأۡتُمۡ شَجَرَتَهَآ أَمۡ نَحۡنُ ٱلۡمُنشِـُٔونَ
क्या तुमने उसके वृक्ष को पैदा किया है या पैदा करनेवाले हम है
Surah Al-Waqia, Verse 72
نَحۡنُ جَعَلۡنَٰهَا تَذۡكِرَةٗ وَمَتَٰعٗا لِّلۡمُقۡوِينَ
हमने उसे एक अनुस्मृति और मरुभुमि के मुसाफ़िरों और ज़रूरतमन्दों के लिए लाभप्रद बनाया
Surah Al-Waqia, Verse 73
فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
अतः तुम अपने महान रब के नाम की तसबीह करो
Surah Al-Waqia, Verse 74
۞فَلَآ أُقۡسِمُ بِمَوَٰقِعِ ٱلنُّجُومِ
अतः नहीं! मैं क़समों खाता हूँ सितारों की स्थितियों की
Surah Al-Waqia, Verse 75
وَإِنَّهُۥ لَقَسَمٞ لَّوۡ تَعۡلَمُونَ عَظِيمٌ
और यह बहुत बड़ी गवाही है, यदि तुम जानो
Surah Al-Waqia, Verse 76
إِنَّهُۥ لَقُرۡءَانٞ كَرِيمٞ
निश्चय ही यह प्रतिष्ठित क़ुरआन है
Surah Al-Waqia, Verse 77
فِي كِتَٰبٖ مَّكۡنُونٖ
एक सुरक्षित किताब में अंकित है।
Surah Al-Waqia, Verse 78
لَّا يَمَسُّهُۥٓ إِلَّا ٱلۡمُطَهَّرُونَ
उसे केवल पाक-साफ़ व्यक्ति ही हाथ लगाते है
Surah Al-Waqia, Verse 79
تَنزِيلٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
उसका अवतरण सारे संसार के रब की ओर से है।
Surah Al-Waqia, Verse 80
أَفَبِهَٰذَا ٱلۡحَدِيثِ أَنتُم مُّدۡهِنُونَ
फिर क्या तुम उस वाणी के प्रति उपेक्षा दर्शाते हो
Surah Al-Waqia, Verse 81
وَتَجۡعَلُونَ رِزۡقَكُمۡ أَنَّكُمۡ تُكَذِّبُونَ
और तुम इसको अपनी वृत्ति बना रहे हो कि झुठलाते हो
Surah Al-Waqia, Verse 82
فَلَوۡلَآ إِذَا بَلَغَتِ ٱلۡحُلۡقُومَ
फिर ऐसा क्यों नहीं होता, जबकि प्राण कंठ को आ लगते है
Surah Al-Waqia, Verse 83
وَأَنتُمۡ حِينَئِذٖ تَنظُرُونَ
और उस समय तुम देख रहे होते हो
Surah Al-Waqia, Verse 84
وَنَحۡنُ أَقۡرَبُ إِلَيۡهِ مِنكُمۡ وَلَٰكِن لَّا تُبۡصِرُونَ
और हम तुम्हारी अपेक्षा उससे अधिक निकट होते है। किन्तु तुम देखते नहीं –
Surah Al-Waqia, Verse 85
فَلَوۡلَآ إِن كُنتُمۡ غَيۡرَ مَدِينِينَ
फिर ऐसा क्यों नहीं होता कि यदि तुम अधीन नहीं हो
Surah Al-Waqia, Verse 86
تَرۡجِعُونَهَآ إِن كُنتُمۡ صَٰدِقِينَ
तो उसे (प्राण को) लौटा दो, यदि तुम सच्चे हो
Surah Al-Waqia, Verse 87
فَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلۡمُقَرَّبِينَ
फिर यदि वह (अल्लाह के) निकटवर्तियों में से है
Surah Al-Waqia, Verse 88
فَرَوۡحٞ وَرَيۡحَانٞ وَجَنَّتُ نَعِيمٖ
तो (उसके लिए) आराम, सुख-सामग्री और सुगंध है, और नेमतवाला बाग़ है
Surah Al-Waqia, Verse 89
وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
और यदि वह भाग्यशालियों में से है
Surah Al-Waqia, Verse 90
فَسَلَٰمٞ لَّكَ مِنۡ أَصۡحَٰبِ ٱلۡيَمِينِ
तो "सलाम है तुम्हें कि तुम सौभाग्यशाली में से हो।
Surah Al-Waqia, Verse 91
وَأَمَّآ إِن كَانَ مِنَ ٱلۡمُكَذِّبِينَ ٱلضَّآلِّينَ
किन्तु यदि वह झुठलानेवालों, गुमराहों में से है
Surah Al-Waqia, Verse 92
فَنُزُلٞ مِّنۡ حَمِيمٖ
तो उसका पहला सत्कार खौलते हुए पानी से होगा
Surah Al-Waqia, Verse 93
وَتَصۡلِيَةُ جَحِيمٍ
फिर भड़कती हुई आग में उन्हें झोंका जाना है
Surah Al-Waqia, Verse 94
إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ حَقُّ ٱلۡيَقِينِ
निस्संदेह यही विश्वसनीय सत्य है
Surah Al-Waqia, Verse 95
فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
अतः तुम अपने महान रब की तसबीह करो
Surah Al-Waqia, Verse 96