Surah At-Talaq - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِيُّ إِذَا طَلَّقۡتُمُ ٱلنِّسَآءَ فَطَلِّقُوهُنَّ لِعِدَّتِهِنَّ وَأَحۡصُواْ ٱلۡعِدَّةَۖ وَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ رَبَّكُمۡۖ لَا تُخۡرِجُوهُنَّ مِنۢ بُيُوتِهِنَّ وَلَا يَخۡرُجۡنَ إِلَّآ أَن يَأۡتِينَ بِفَٰحِشَةٖ مُّبَيِّنَةٖۚ وَتِلۡكَ حُدُودُ ٱللَّهِۚ وَمَن يَتَعَدَّ حُدُودَ ٱللَّهِ فَقَدۡ ظَلَمَ نَفۡسَهُۥۚ لَا تَدۡرِي لَعَلَّ ٱللَّهَ يُحۡدِثُ بَعۡدَ ذَٰلِكَ أَمۡرٗا
ऐ नबी! जब तुम लोग स्त्रियों को तलाक़ दो तो उन्हें तलाक़ उनकी इद्दत के हिसाब से दो। और इद्दत की गणना करो और अल्लाह का डर रखो, जो तुम्हारा रब है। उन्हें उनके घरों से न निकालो और न वे स्वयं निकलें, सिवाय इसके कि वे कोई स्पष्ट। अशोभनीय कर्म कर बैठें। ये अल्लाह की नियत की हुई सीमाएँ है - और जो अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो उसने स्वयं अपने आप पर ज़ुल्म किया - तुम नहीं जानते, कदाचित इस (तलाक़) के पश्चात अल्लाह कोई सूरत पैदा कर दे
Surah At-Talaq, Verse 1
فَإِذَا بَلَغۡنَ أَجَلَهُنَّ فَأَمۡسِكُوهُنَّ بِمَعۡرُوفٍ أَوۡ فَارِقُوهُنَّ بِمَعۡرُوفٖ وَأَشۡهِدُواْ ذَوَيۡ عَدۡلٖ مِّنكُمۡ وَأَقِيمُواْ ٱلشَّهَٰدَةَ لِلَّهِۚ ذَٰلِكُمۡ يُوعَظُ بِهِۦ مَن كَانَ يُؤۡمِنُ بِٱللَّهِ وَٱلۡيَوۡمِ ٱلۡأٓخِرِۚ وَمَن يَتَّقِ ٱللَّهَ يَجۡعَل لَّهُۥ مَخۡرَجٗا
फिर जब वे अपनी नियत इद्दत को पहुँचे तो या तो उन्हें भली रीति से रोक लो या भली रीति से अलग कर दो। और अपने में से दो न्यायप्रिय आदमियों को गवाह बना दो और अल्लाह के लिए गवाही को दुरुस्त रखो। इसकी नसीहत उस व्यक्ति को की जाती है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखेगा उसके लिए वह (परेशानी से) निकलने का राह पैदा कर देगा
Surah At-Talaq, Verse 2
وَيَرۡزُقۡهُ مِنۡ حَيۡثُ لَا يَحۡتَسِبُۚ وَمَن يَتَوَكَّلۡ عَلَى ٱللَّهِ فَهُوَ حَسۡبُهُۥٓۚ إِنَّ ٱللَّهَ بَٰلِغُ أَمۡرِهِۦۚ قَدۡ جَعَلَ ٱللَّهُ لِكُلِّ شَيۡءٖ قَدۡرٗا
और उसे वहाँ से रोज़ी देगा जिसका उसे गुमान भी न होगा। जो अल्लाह पर भरोसा करे तो वह उसके लिए काफ़ी है। निश्चय ही अल्लाह अपना काम पूरा करके रहता है। अल्लाह ने हर चीज़ का एक अन्दाजा नियत कर रखा है
Surah At-Talaq, Verse 3
وَٱلَّـٰٓـِٔي يَئِسۡنَ مِنَ ٱلۡمَحِيضِ مِن نِّسَآئِكُمۡ إِنِ ٱرۡتَبۡتُمۡ فَعِدَّتُهُنَّ ثَلَٰثَةُ أَشۡهُرٖ وَٱلَّـٰٓـِٔي لَمۡ يَحِضۡنَۚ وَأُوْلَٰتُ ٱلۡأَحۡمَالِ أَجَلُهُنَّ أَن يَضَعۡنَ حَمۡلَهُنَّۚ وَمَن يَتَّقِ ٱللَّهَ يَجۡعَل لَّهُۥ مِنۡ أَمۡرِهِۦ يُسۡرٗا
और तुम्हारी स्त्रियों में से जो मासिक धर्म से निराश हो चुकी हों, यदि तुम्हें संदेह हो तो उनकी इद्दत तीन मास है और इसी प्रकार उनकी भी जो अभी रजस्वला नहीं हुई। और जो गर्भवती स्त्रियाँ हो उनकी इद्दत उनके शिशु-प्रसव तक है। जो कोई अल्लाह का डर रखेगा उसके मामले में वह आसानी पैदा कर देगा
Surah At-Talaq, Verse 4
ذَٰلِكَ أَمۡرُ ٱللَّهِ أَنزَلَهُۥٓ إِلَيۡكُمۡۚ وَمَن يَتَّقِ ٱللَّهَ يُكَفِّرۡ عَنۡهُ سَيِّـَٔاتِهِۦ وَيُعۡظِمۡ لَهُۥٓ أَجۡرًا
यह अल्लाह का आदेश है जो उसने तुम्हारी ओर उतारा है। और जो कोई अल्लाह का डर रखेगा उससे वह उसकी बुराईयाँ दूर कर देगा और उसके प्रतिदान को बड़ा कर देगा
Surah At-Talaq, Verse 5
أَسۡكِنُوهُنَّ مِنۡ حَيۡثُ سَكَنتُم مِّن وُجۡدِكُمۡ وَلَا تُضَآرُّوهُنَّ لِتُضَيِّقُواْ عَلَيۡهِنَّۚ وَإِن كُنَّ أُوْلَٰتِ حَمۡلٖ فَأَنفِقُواْ عَلَيۡهِنَّ حَتَّىٰ يَضَعۡنَ حَمۡلَهُنَّۚ فَإِنۡ أَرۡضَعۡنَ لَكُمۡ فَـَٔاتُوهُنَّ أُجُورَهُنَّ وَأۡتَمِرُواْ بَيۡنَكُم بِمَعۡرُوفٖۖ وَإِن تَعَاسَرۡتُمۡ فَسَتُرۡضِعُ لَهُۥٓ أُخۡرَىٰ
अपनी हैसियत के अनुसार यहाँ तुम स्वयं रहते हो उन्हें भी उसी जगह रखो। और उन्हें तंग करने के लिए उन्हें हानि न पहुँचाओ। और यदि वे गर्भवती हो तो उनपर ख़र्च करते रहो जब तक कि उनका शिशु-प्रसव न हो जाए। फिर यदि वे तुम्हारे लिए (शिशु को) दूध पिलाएँ तो तुम उन्हें उनका पारिश्रामिक दो और आपस में भली रीति से परस्पर बातचीत के द्वार कोई बात तय कर लो। और यदि तुम दोनों में कोई कठिनाई हो तो फिर कोई दूसरी स्त्री उसके लिए दूध पिला देगी
Surah At-Talaq, Verse 6
لِيُنفِقۡ ذُو سَعَةٖ مِّن سَعَتِهِۦۖ وَمَن قُدِرَ عَلَيۡهِ رِزۡقُهُۥ فَلۡيُنفِقۡ مِمَّآ ءَاتَىٰهُ ٱللَّهُۚ لَا يُكَلِّفُ ٱللَّهُ نَفۡسًا إِلَّا مَآ ءَاتَىٰهَاۚ سَيَجۡعَلُ ٱللَّهُ بَعۡدَ عُسۡرٖ يُسۡرٗا
चाहिए कि समाई (सामर्थ्य) वाला अपनी समाई के अनुसार ख़र्च करे और जिसे उसकी रोज़ी नपी-तुली मिली हो तो उसे चाहिए कि अल्लाह ने उसे जो कुछ भी दिया है उसी में से वह ख़र्च करे। जितना कुछ दिया है उससे बढ़कर अल्लाह किसी व्यक्ति पर ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं डालता। जल्द ही अल्लाह कठिनाई के बाद आसानी पैदा कर देगा
Surah At-Talaq, Verse 7
وَكَأَيِّن مِّن قَرۡيَةٍ عَتَتۡ عَنۡ أَمۡرِ رَبِّهَا وَرُسُلِهِۦ فَحَاسَبۡنَٰهَا حِسَابٗا شَدِيدٗا وَعَذَّبۡنَٰهَا عَذَابٗا نُّكۡرٗا
कितनी ही बस्तियाँ हैं जिन्होंने रब और उसके रसूलों के आदेश के मुक़ाबले में सरकशी की, तो हमने उनकी सख़्त पकड़ की और उन्हें बुरी यातना दी
Surah At-Talaq, Verse 8
فَذَاقَتۡ وَبَالَ أَمۡرِهَا وَكَانَ عَٰقِبَةُ أَمۡرِهَا خُسۡرًا
अतः उन्होंने अपने किए के वबाल का मज़ा चख लिया और उनकी कार्य-नीति का परिणाम घाटा ही रहा
Surah At-Talaq, Verse 9
أَعَدَّ ٱللَّهُ لَهُمۡ عَذَابٗا شَدِيدٗاۖ فَٱتَّقُواْ ٱللَّهَ يَـٰٓأُوْلِي ٱلۡأَلۡبَٰبِ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْۚ قَدۡ أَنزَلَ ٱللَّهُ إِلَيۡكُمۡ ذِكۡرٗا
अल्लाह ने उनके लिए कठोर यातना तैयार कर रखी है। अतः ऐ बुद्धि और समझवालो जो ईमान लाए हो! अल्लाह का डर रखो। अल्लाह ने तुम्हारी ओर एक याददिहानी उतार दी है
Surah At-Talaq, Verse 10
رَّسُولٗا يَتۡلُواْ عَلَيۡكُمۡ ءَايَٰتِ ٱللَّهِ مُبَيِّنَٰتٖ لِّيُخۡرِجَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ مِنَ ٱلظُّلُمَٰتِ إِلَى ٱلنُّورِۚ وَمَن يُؤۡمِنۢ بِٱللَّهِ وَيَعۡمَلۡ صَٰلِحٗا يُدۡخِلۡهُ جَنَّـٰتٖ تَجۡرِي مِن تَحۡتِهَا ٱلۡأَنۡهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَآ أَبَدٗاۖ قَدۡ أَحۡسَنَ ٱللَّهُ لَهُۥ رِزۡقًا
(अर्थात) एक रसूल जो तुम्हें अल्लाह की स्पष्ट आयतें पढ़कर सुनाता है, ताकि वह उन लोगों को, जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, अँधेरों से निकालकर प्रकाश की ओर ले आए। जो कोई अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, उसे वह ऐसे बाग़़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होगी - ऐसे लोग उनमें सदैव रहेंगे - अल्लाह ने उनके लिए उत्तम रोज़ी रखी है
Surah At-Talaq, Verse 11
ٱللَّهُ ٱلَّذِي خَلَقَ سَبۡعَ سَمَٰوَٰتٖ وَمِنَ ٱلۡأَرۡضِ مِثۡلَهُنَّۖ يَتَنَزَّلُ ٱلۡأَمۡرُ بَيۡنَهُنَّ لِتَعۡلَمُوٓاْ أَنَّ ٱللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيۡءٖ قَدِيرٞ وَأَنَّ ٱللَّهَ قَدۡ أَحَاطَ بِكُلِّ شَيۡءٍ عِلۡمَۢا
अल्लाह ही है जिसने सात आकाश बनाए और उन्ही के सदृश धरती से भी। उनके बीच (उसका) आदेश उतरता रहता है ताकि तुम जान लो कि अल्लाह को हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्त है और यह कि अल्लाह हर चीज़ को अपनी ज्ञान-परिधि में लिए हुए है
Surah At-Talaq, Verse 12