Surah Al-Haaqqa - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
ٱلۡحَآقَّةُ
होकर रहनेवाली
Surah Al-Haaqqa, Verse 1
مَا ٱلۡحَآقَّةُ
क्या है वह होकर रहनेवाली
Surah Al-Haaqqa, Verse 2
وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا ٱلۡحَآقَّةُ
और तुम क्या जानो कि क्या है वह होकर रहनेवाली
Surah Al-Haaqqa, Verse 3
كَذَّبَتۡ ثَمُودُ وَعَادُۢ بِٱلۡقَارِعَةِ
समूद और आद ने उस खड़खड़ा देनेवाली (घटना) को झुठलाया
Surah Al-Haaqqa, Verse 4
فَأَمَّا ثَمُودُ فَأُهۡلِكُواْ بِٱلطَّاغِيَةِ
फिर समूद तो एक हद से बढ़ जानेवाली आपदा से विनष्ट किए गए
Surah Al-Haaqqa, Verse 5
وَأَمَّا عَادٞ فَأُهۡلِكُواْ بِرِيحٖ صَرۡصَرٍ عَاتِيَةٖ
और रहे आद, तो वे एक अनियंत्रित प्रचंड वायु से विनष्ट कर दिए गए
Surah Al-Haaqqa, Verse 6
سَخَّرَهَا عَلَيۡهِمۡ سَبۡعَ لَيَالٖ وَثَمَٰنِيَةَ أَيَّامٍ حُسُومٗاۖ فَتَرَى ٱلۡقَوۡمَ فِيهَا صَرۡعَىٰ كَأَنَّهُمۡ أَعۡجَازُ نَخۡلٍ خَاوِيَةٖ
अल्लाह ने उसको सात रात और आठ दिन तक उन्मूलन के उद्देश्य से उनपर लगाए रखा। तो लोगों को तुम देखते कि वे उसमें पछाड़े हुए ऐसे पड़े है मानो वे खजूर के जर्जर तने हों
Surah Al-Haaqqa, Verse 7
فَهَلۡ تَرَىٰ لَهُم مِّنۢ بَاقِيَةٖ
अब क्या तुम्हें उनमें से कोई शेष दिखाई देता है
Surah Al-Haaqqa, Verse 8
وَجَآءَ فِرۡعَوۡنُ وَمَن قَبۡلَهُۥ وَٱلۡمُؤۡتَفِكَٰتُ بِٱلۡخَاطِئَةِ
और फ़िरऔन ने और उससे पहले के लोगों ने और तलपट हो जानेवाली बस्तियों ने यह ख़ता की
Surah Al-Haaqqa, Verse 9
فَعَصَوۡاْ رَسُولَ رَبِّهِمۡ فَأَخَذَهُمۡ أَخۡذَةٗ رَّابِيَةً
उन्होंने अपने रब के रसूल की अवज्ञा की तो उसने उन्हें ऐसी पकड़ में ले लिया जो बड़ी कठोर थी
Surah Al-Haaqqa, Verse 10
إِنَّا لَمَّا طَغَا ٱلۡمَآءُ حَمَلۡنَٰكُمۡ فِي ٱلۡجَارِيَةِ
जब पानी उमड़ आया तो हमने तुम्हें प्रवाहित नौका में सवार किया
Surah Al-Haaqqa, Verse 11
لِنَجۡعَلَهَا لَكُمۡ تَذۡكِرَةٗ وَتَعِيَهَآ أُذُنٞ وَٰعِيَةٞ
ताकि उसे तुम्हारे लिए हम शिक्षाप्रद यादगार बनाएँ और याद रखनेवाले कान उसे सुरक्षित रखें
Surah Al-Haaqqa, Verse 12
فَإِذَا نُفِخَ فِي ٱلصُّورِ نَفۡخَةٞ وَٰحِدَةٞ
तो याद रखो जब सूर (नरसिंघा) में एक फूँक मारी जाएगी
Surah Al-Haaqqa, Verse 13
وَحُمِلَتِ ٱلۡأَرۡضُ وَٱلۡجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةٗ وَٰحِدَةٗ
और धरती और पहाड़ों को उठाकर एक ही बार में चूर्ण-विचूर्ण कर दिया जाएगा
Surah Al-Haaqqa, Verse 14
فَيَوۡمَئِذٖ وَقَعَتِ ٱلۡوَاقِعَةُ
तो उस दिन घटित होनेवाली घटना घटित हो जाएगी
Surah Al-Haaqqa, Verse 15
وَٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَآءُ فَهِيَ يَوۡمَئِذٖ وَاهِيَةٞ
और आकाश फट जाएगा और उस दिन उसका बन्धन ढीला पड़ जाएगा
Surah Al-Haaqqa, Verse 16
وَٱلۡمَلَكُ عَلَىٰٓ أَرۡجَآئِهَاۚ وَيَحۡمِلُ عَرۡشَ رَبِّكَ فَوۡقَهُمۡ يَوۡمَئِذٖ ثَمَٰنِيَةٞ
और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे और उस दिन तुम्हारे रब के सिंहासन को आठ अपने ऊपर उठाए हुए होंगे
Surah Al-Haaqqa, Verse 17
يَوۡمَئِذٖ تُعۡرَضُونَ لَا تَخۡفَىٰ مِنكُمۡ خَافِيَةٞ
उस दिन तुम लोग पेश किए जाओगे, तुम्हारी कोई छिपी बात छिपी न रहेगी
Surah Al-Haaqqa, Verse 18
فَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ فَيَقُولُ هَآؤُمُ ٱقۡرَءُواْ كِتَٰبِيَهۡ
फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया, तो वह कहेगा, "लो पढ़ो, मेरा कर्म-पत्र
Surah Al-Haaqqa, Verse 19
إِنِّي ظَنَنتُ أَنِّي مُلَٰقٍ حِسَابِيَهۡ
मैं तो समझता ही था कि मुझे अपना हिसाब मिलनेवाला है।
Surah Al-Haaqqa, Verse 20
فَهُوَ فِي عِيشَةٖ رَّاضِيَةٖ
अतः वह सुख और आनन्दमय जीवन में होगा
Surah Al-Haaqqa, Verse 21
فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٖ
उच्च जन्नत में
Surah Al-Haaqqa, Verse 22
قُطُوفُهَا دَانِيَةٞ
जिसके फलों के गुच्छे झुके होंगे
Surah Al-Haaqqa, Verse 23
كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِيٓـَٔۢا بِمَآ أَسۡلَفۡتُمۡ فِي ٱلۡأَيَّامِ ٱلۡخَالِيَةِ
मज़े से खाओ और पियो उन कर्मों के बदले में जो तुमने बीते दिनों में किए है
Surah Al-Haaqqa, Verse 24
وَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِشِمَالِهِۦ فَيَقُولُ يَٰلَيۡتَنِي لَمۡ أُوتَ كِتَٰبِيَهۡ
और रहा वह क्यक्ति जिसका कर्म-पत्र उसके बाएँ हाथ में दिया गया, वह कहेगा, "काश, मेरा कर्म-पत्र मुझे न दिया जाता
Surah Al-Haaqqa, Verse 25
وَلَمۡ أَدۡرِ مَا حِسَابِيَهۡ
और मैं न जानता कि मेरा हिसाब क्या है
Surah Al-Haaqqa, Verse 26
يَٰلَيۡتَهَا كَانَتِ ٱلۡقَاضِيَةَ
ऐ काश, वह (मृत्यु) समाप्त करनेवाली होती
Surah Al-Haaqqa, Verse 27
مَآ أَغۡنَىٰ عَنِّي مَالِيَهۡۜ
मेरा माल मेरे कुछ काम न आया
Surah Al-Haaqqa, Verse 28
هَلَكَ عَنِّي سُلۡطَٰنِيَهۡ
मेरा ज़ोर (सत्ता) मुझसे जाता रहा
Surah Al-Haaqqa, Verse 29
خُذُوهُ فَغُلُّوهُ
पकड़ो उसे और उसकी गरदन में तौक़ डाल दो
Surah Al-Haaqqa, Verse 30
ثُمَّ ٱلۡجَحِيمَ صَلُّوهُ
फिर उसे भड़कती हुई आग में झोंक दो
Surah Al-Haaqqa, Verse 31
ثُمَّ فِي سِلۡسِلَةٖ ذَرۡعُهَا سَبۡعُونَ ذِرَاعٗا فَٱسۡلُكُوهُ
फिर उसे एक ऐसी जंजीर में जकड़ दो जिसकी माप सत्तर हाथ है
Surah Al-Haaqqa, Verse 32
إِنَّهُۥ كَانَ لَا يُؤۡمِنُ بِٱللَّهِ ٱلۡعَظِيمِ
वह न तो महिमावान अल्लाह पर ईमान रखता था
Surah Al-Haaqqa, Verse 33
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلۡمِسۡكِينِ
और न मुहताज को खाना खिलाने पर उभारता था
Surah Al-Haaqqa, Verse 34
فَلَيۡسَ لَهُ ٱلۡيَوۡمَ هَٰهُنَا حَمِيمٞ
अतः आज उसका यहाँ कोई घनिष्ट मित्र नहीं
Surah Al-Haaqqa, Verse 35
وَلَا طَعَامٌ إِلَّا مِنۡ غِسۡلِينٖ
और न ही धोवन के सिवा कोई भोजन है
Surah Al-Haaqqa, Verse 36
لَّا يَأۡكُلُهُۥٓ إِلَّا ٱلۡخَٰطِـُٔونَ
उसे ख़ताकारों (अपराधियों) के अतिरिक्त कोई नहीं खाता।
Surah Al-Haaqqa, Verse 37
فَلَآ أُقۡسِمُ بِمَا تُبۡصِرُونَ
अतः कुछ नहीं! मैं क़सम खाता हूँ उन चीज़ों की जो तुम देखते
Surah Al-Haaqqa, Verse 38
وَمَا لَا تُبۡصِرُونَ
हो और उन चीज़ों को भी जो तुम नहीं देखते
Surah Al-Haaqqa, Verse 39
إِنَّهُۥ لَقَوۡلُ رَسُولٖ كَرِيمٖ
निश्चय ही वह एक प्रतिष्ठित रसूल की लाई हुई वाणी है
Surah Al-Haaqqa, Verse 40
وَمَا هُوَ بِقَوۡلِ شَاعِرٖۚ قَلِيلٗا مَّا تُؤۡمِنُونَ
वह किसी कवि की वाणी नहीं। तुम ईमान थोड़े ही लाते हो
Surah Al-Haaqqa, Verse 41
وَلَا بِقَوۡلِ كَاهِنٖۚ قَلِيلٗا مَّا تَذَكَّرُونَ
और न वह किसी काहिन का वाणी है। तुम होश से थोड़े ही काम लेते हो
Surah Al-Haaqqa, Verse 42
تَنزِيلٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
अवतरण है सारे संसार के रब की ओर से
Surah Al-Haaqqa, Verse 43
وَلَوۡ تَقَوَّلَ عَلَيۡنَا بَعۡضَ ٱلۡأَقَاوِيلِ
यदि वह (नबी) हमपर थोपकर कुछ बातें घड़ता
Surah Al-Haaqqa, Verse 44
لَأَخَذۡنَا مِنۡهُ بِٱلۡيَمِينِ
तो अवश्य हम उसका दाहिना हाथ पकड़ लेते
Surah Al-Haaqqa, Verse 45
ثُمَّ لَقَطَعۡنَا مِنۡهُ ٱلۡوَتِينَ
फिर उसकी गर्दन की रग काट देते
Surah Al-Haaqqa, Verse 46
فَمَا مِنكُم مِّنۡ أَحَدٍ عَنۡهُ حَٰجِزِينَ
और तुममें से कोई भी इससे रोकनेवाला न होता
Surah Al-Haaqqa, Verse 47
وَإِنَّهُۥ لَتَذۡكِرَةٞ لِّلۡمُتَّقِينَ
और निश्चय ही वह एक अनुस्मृति है डर रखनेवालों के लिए
Surah Al-Haaqqa, Verse 48
وَإِنَّا لَنَعۡلَمُ أَنَّ مِنكُم مُّكَذِّبِينَ
और निश्चय ही हम जानते है कि तुममें कितने ही ऐसे है जो झुठलाते है
Surah Al-Haaqqa, Verse 49
وَإِنَّهُۥ لَحَسۡرَةٌ عَلَى ٱلۡكَٰفِرِينَ
निश्चय ही वह इनकार करनेवालों के लिए सर्वथा पछतावा है
Surah Al-Haaqqa, Verse 50
وَإِنَّهُۥ لَحَقُّ ٱلۡيَقِينِ
और वह बिल्कुल विश्वसनीय सत्य है।
Surah Al-Haaqqa, Verse 51
فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
अतः तुम अपने महिमावान रब के नाम की तसबीह (गुणगान) करो
Surah Al-Haaqqa, Verse 52