Surah Al-Haaqqa - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
ٱلۡحَآقَّةُ
सच मुच होने वाली (क़यामत)
Surah Al-Haaqqa, Verse 1
مَا ٱلۡحَآقَّةُ
और सच मुच होने वाली क्या चीज़ है
Surah Al-Haaqqa, Verse 2
وَمَآ أَدۡرَىٰكَ مَا ٱلۡحَآقَّةُ
और तुम्हें क्या मालूम कि वह सच मुच होने वाली क्या है
Surah Al-Haaqqa, Verse 3
كَذَّبَتۡ ثَمُودُ وَعَادُۢ بِٱلۡقَارِعَةِ
(वही) खड़ खड़ाने वाली (जिस) को आद व समूद ने झुठलाया
Surah Al-Haaqqa, Verse 4
فَأَمَّا ثَمُودُ فَأُهۡلِكُواْ بِٱلطَّاغِيَةِ
ग़रज़ समूद तो चिंघाड़ से हलाक कर दिए गए
Surah Al-Haaqqa, Verse 5
وَأَمَّا عَادٞ فَأُهۡلِكُواْ بِرِيحٖ صَرۡصَرٍ عَاتِيَةٖ
रहे आद तो वह बहुत शदीद तेज़ ऑंधी से हलाक कर दिए गए
Surah Al-Haaqqa, Verse 6
سَخَّرَهَا عَلَيۡهِمۡ سَبۡعَ لَيَالٖ وَثَمَٰنِيَةَ أَيَّامٍ حُسُومٗاۖ فَتَرَى ٱلۡقَوۡمَ فِيهَا صَرۡعَىٰ كَأَنَّهُمۡ أَعۡجَازُ نَخۡلٍ خَاوِيَةٖ
ख़ुदा ने उसे सात रात और आठ दिन लगाकर उन पर चलाया तो लोगों को इस तरह ढहे (मुर्दे) पड़े देखता कि गोया वह खजूरों के खोखले तने हैं
Surah Al-Haaqqa, Verse 7
فَهَلۡ تَرَىٰ لَهُم مِّنۢ بَاقِيَةٖ
तू क्या इनमें से किसी को भी बचा खुचा देखता है
Surah Al-Haaqqa, Verse 8
وَجَآءَ فِرۡعَوۡنُ وَمَن قَبۡلَهُۥ وَٱلۡمُؤۡتَفِكَٰتُ بِٱلۡخَاطِئَةِ
और फिरऔन और जो लोग उससे पहले थे और वह लोग (क़ौमे लूत) जो उलटी हुई बस्तियों के रहने वाले थे सब गुनाह के काम करते थे
Surah Al-Haaqqa, Verse 9
فَعَصَوۡاْ رَسُولَ رَبِّهِمۡ فَأَخَذَهُمۡ أَخۡذَةٗ رَّابِيَةً
तो उन लोगों ने अपने परवरदिगार के रसूल की नाफ़रमानी की तो ख़ुदा ने भी उनकी बड़ी सख्ती से ले दे कर डाली
Surah Al-Haaqqa, Verse 10
إِنَّا لَمَّا طَغَا ٱلۡمَآءُ حَمَلۡنَٰكُمۡ فِي ٱلۡجَارِيَةِ
जब पानी चढ़ने लगा तो हमने तुमको कशती पर सवार किया
Surah Al-Haaqqa, Verse 11
لِنَجۡعَلَهَا لَكُمۡ تَذۡكِرَةٗ وَتَعِيَهَآ أُذُنٞ وَٰعِيَةٞ
ताकि हम उसे तुम्हारे लिए यादगार बनाएं और उसे याद रखने वाले कान सुनकर याद रखें
Surah Al-Haaqqa, Verse 12
فَإِذَا نُفِخَ فِي ٱلصُّورِ نَفۡخَةٞ وَٰحِدَةٞ
फिर जब सूर में एक (बार) फूँक मार दी जाएगी
Surah Al-Haaqqa, Verse 13
وَحُمِلَتِ ٱلۡأَرۡضُ وَٱلۡجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةٗ وَٰحِدَةٗ
और ज़मीन और पहाड़ उठाकर एक बारगी (टकरा कर) रेज़ा रेज़ा कर दिए जाएँगे तो उस रोज़ क़यामत आ ही जाएगी
Surah Al-Haaqqa, Verse 14
فَيَوۡمَئِذٖ وَقَعَتِ ٱلۡوَاقِعَةُ
और आसमान फट जाएगा
Surah Al-Haaqqa, Verse 15
وَٱنشَقَّتِ ٱلسَّمَآءُ فَهِيَ يَوۡمَئِذٖ وَاهِيَةٞ
तो वह उस दिन बहुत फुस फुसा होगा और फ़रिश्ते उनके किनारे पर होंगे
Surah Al-Haaqqa, Verse 16
وَٱلۡمَلَكُ عَلَىٰٓ أَرۡجَآئِهَاۚ وَيَحۡمِلُ عَرۡشَ رَبِّكَ فَوۡقَهُمۡ يَوۡمَئِذٖ ثَمَٰنِيَةٞ
और तुम्हारे परवरदिगार के अर्श को उस दिन आठ फ़रिश्ते अपने सरों पर उठाए होंगे
Surah Al-Haaqqa, Verse 17
يَوۡمَئِذٖ تُعۡرَضُونَ لَا تَخۡفَىٰ مِنكُمۡ خَافِيَةٞ
उस दिन तुम सब के सब (ख़ुदा के सामने) पेश किए जाओगे और तुम्हारी कोई पोशीदा बात छुपी न रहेगी
Surah Al-Haaqqa, Verse 18
فَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ فَيَقُولُ هَآؤُمُ ٱقۡرَءُواْ كِتَٰبِيَهۡ
तो जिसको (उसका नामए आमाल) दाहिने हाथ में दिया जाएगा तो वह (लोगो से) कहेगा लीजिए मेरा नामए आमाल पढ़िए
Surah Al-Haaqqa, Verse 19
إِنِّي ظَنَنتُ أَنِّي مُلَٰقٍ حِسَابِيَهۡ
तो मैं तो जानता था कि मुझे मेरा हिसाब (किताब) ज़रूर मिलेगा
Surah Al-Haaqqa, Verse 20
فَهُوَ فِي عِيشَةٖ رَّاضِيَةٖ
फिर वह दिल पसन्द ऐश में होगा
Surah Al-Haaqqa, Verse 21
فِي جَنَّةٍ عَالِيَةٖ
बड़े आलीशान बाग़ में
Surah Al-Haaqqa, Verse 22
قُطُوفُهَا دَانِيَةٞ
जिनके फल बहुत झुके हुए क़रीब होंगे
Surah Al-Haaqqa, Verse 23
كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِيٓـَٔۢا بِمَآ أَسۡلَفۡتُمۡ فِي ٱلۡأَيَّامِ ٱلۡخَالِيَةِ
जो कारगुज़ारियाँ तुम गुज़िशता अय्याम में करके आगे भेज चुके हो उसके सिले में मज़े से खाओ पियो
Surah Al-Haaqqa, Verse 24
وَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِشِمَالِهِۦ فَيَقُولُ يَٰلَيۡتَنِي لَمۡ أُوتَ كِتَٰبِيَهۡ
और जिसका नामए आमाल उनके बाएँ हाथ में दिया जाएगा तो वह कहेगा ऐ काश मुझे मेरा नामए अमल न दिया जाता
Surah Al-Haaqqa, Verse 25
وَلَمۡ أَدۡرِ مَا حِسَابِيَهۡ
और मुझे न मालूल होता कि मेरा हिसाब क्या है
Surah Al-Haaqqa, Verse 26
يَٰلَيۡتَهَا كَانَتِ ٱلۡقَاضِيَةَ
ऐ काश मौत ने (हमेशा के लिए मेरा) काम तमाम कर दिया होता
Surah Al-Haaqqa, Verse 27
مَآ أَغۡنَىٰ عَنِّي مَالِيَهۡۜ
(अफ़सोस) मेरा माल मेरे कुछ भी काम न आया
Surah Al-Haaqqa, Verse 28
هَلَكَ عَنِّي سُلۡطَٰنِيَهۡ
(हाए) मेरी सल्तनत ख़ाक में मिल गयी (फिर हुक्म होगा)
Surah Al-Haaqqa, Verse 29
خُذُوهُ فَغُلُّوهُ
इसे गिरफ्तार करके तौक़ पहना दो
Surah Al-Haaqqa, Verse 30
ثُمَّ ٱلۡجَحِيمَ صَلُّوهُ
फिर इसे जहन्नुम में झोंक दो
Surah Al-Haaqqa, Verse 31
ثُمَّ فِي سِلۡسِلَةٖ ذَرۡعُهَا سَبۡعُونَ ذِرَاعٗا فَٱسۡلُكُوهُ
फिर एक ज़ंजीर में जिसकी नाप सत्तर गज़ की है उसे ख़ूब जकड़ दो
Surah Al-Haaqqa, Verse 32
إِنَّهُۥ كَانَ لَا يُؤۡمِنُ بِٱللَّهِ ٱلۡعَظِيمِ
(क्यों कि) ये न तो बुज़ुर्ग ख़ुदा ही पर ईमान लाता था और न मोहताज के खिलाने पर आमादा (लोगों को) करता था
Surah Al-Haaqqa, Verse 33
وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلۡمِسۡكِينِ
तो आज न उसका कोई ग़मख्वार है
Surah Al-Haaqqa, Verse 34
فَلَيۡسَ لَهُ ٱلۡيَوۡمَ هَٰهُنَا حَمِيمٞ
और न पीप के सिवा (उसके लिए) कुछ खाना है
Surah Al-Haaqqa, Verse 35
وَلَا طَعَامٌ إِلَّا مِنۡ غِسۡلِينٖ
जिसको गुनेहगारों के सिवा कोई नहीं खाएगा
Surah Al-Haaqqa, Verse 36
لَّا يَأۡكُلُهُۥٓ إِلَّا ٱلۡخَٰطِـُٔونَ
तो मुझे उन चीज़ों की क़सम है
Surah Al-Haaqqa, Verse 37
فَلَآ أُقۡسِمُ بِمَا تُبۡصِرُونَ
जो तुम्हें दिखाई देती हैं
Surah Al-Haaqqa, Verse 38
وَمَا لَا تُبۡصِرُونَ
और जो तुम्हें नहीं सुझाई देती कि बेशक ये (क़ुरान)
Surah Al-Haaqqa, Verse 39
إِنَّهُۥ لَقَوۡلُ رَسُولٖ كَرِيمٖ
एक मोअज़िज़ फरिश्ते का लाया हुआ पैग़ाम है
Surah Al-Haaqqa, Verse 40
وَمَا هُوَ بِقَوۡلِ شَاعِرٖۚ قَلِيلٗا مَّا تُؤۡمِنُونَ
और ये किसी शायर की तुक बन्दी नहीं तुम लोग तो बहुत कम ईमान लाते हो
Surah Al-Haaqqa, Verse 41
وَلَا بِقَوۡلِ كَاهِنٖۚ قَلِيلٗا مَّا تَذَكَّرُونَ
और न किसी काहिन की (ख्याली) बात है तुम लोग तो बहुत कम ग़ौर करते हो
Surah Al-Haaqqa, Verse 42
تَنزِيلٞ مِّن رَّبِّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
सारे जहाँन के परवरदिगार का नाज़िल किया हुआ (क़लाम) है
Surah Al-Haaqqa, Verse 43
وَلَوۡ تَقَوَّلَ عَلَيۡنَا بَعۡضَ ٱلۡأَقَاوِيلِ
अगर रसूल हमारी निस्बत कोई झूठ बात बना लाते
Surah Al-Haaqqa, Verse 44
لَأَخَذۡنَا مِنۡهُ بِٱلۡيَمِينِ
तो हम उनका दाहिना हाथ पकड़ लेते
Surah Al-Haaqqa, Verse 45
ثُمَّ لَقَطَعۡنَا مِنۡهُ ٱلۡوَتِينَ
फिर हम ज़रूर उनकी गर्दन उड़ा देते
Surah Al-Haaqqa, Verse 46
فَمَا مِنكُم مِّنۡ أَحَدٍ عَنۡهُ حَٰجِزِينَ
तो तुममें से कोई उनसे (मुझे रोक न सकता)
Surah Al-Haaqqa, Verse 47
وَإِنَّهُۥ لَتَذۡكِرَةٞ لِّلۡمُتَّقِينَ
ये तो परहेज़गारों के लिए नसीहत है
Surah Al-Haaqqa, Verse 48
وَإِنَّا لَنَعۡلَمُ أَنَّ مِنكُم مُّكَذِّبِينَ
और हम ख़ूब जानते हैं कि तुम में से कुछ लोग (इसके) झुठलाने वाले हैं
Surah Al-Haaqqa, Verse 49
وَإِنَّهُۥ لَحَسۡرَةٌ عَلَى ٱلۡكَٰفِرِينَ
और इसमें शक़ नहीं कि ये काफ़िरों की हसरत का बाएस है
Surah Al-Haaqqa, Verse 50
وَإِنَّهُۥ لَحَقُّ ٱلۡيَقِينِ
और इसमें शक़ नहीं कि ये यक़ीनन बरहक़ है
Surah Al-Haaqqa, Verse 51
فَسَبِّحۡ بِٱسۡمِ رَبِّكَ ٱلۡعَظِيمِ
तो तुम अपने परवरदिगार की तसबीह करो
Surah Al-Haaqqa, Verse 52