Surah An-Naba - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
عَمَّ يَتَسَآءَلُونَ
किस चीज़ के विषय में वे आपस में पूछ-गच्छ कर रहे है
Surah An-Naba, Verse 1
عَنِ ٱلنَّبَإِ ٱلۡعَظِيمِ
उस बड़ी ख़बर के सम्बन्ध में
Surah An-Naba, Verse 2
ٱلَّذِي هُمۡ فِيهِ مُخۡتَلِفُونَ
जिसमें वे मतभेद रखते है
Surah An-Naba, Verse 3
كَلَّا سَيَعۡلَمُونَ
कदापि नहीं, शीघ्र ही वे जान लेंगे।
Surah An-Naba, Verse 4
ثُمَّ كَلَّا سَيَعۡلَمُونَ
फिर कदापि नहीं, शीघ्र ही वे जान लेंगे।
Surah An-Naba, Verse 5
أَلَمۡ نَجۡعَلِ ٱلۡأَرۡضَ مِهَٰدٗا
क्या ऐसा नहीं है कि हमने धरती को बिछौना बनाया
Surah An-Naba, Verse 6
وَٱلۡجِبَالَ أَوۡتَادٗا
और पहाड़ों को मेख़े
Surah An-Naba, Verse 7
وَخَلَقۡنَٰكُمۡ أَزۡوَٰجٗا
और हमने तुम्हें जोड़-जोड़े पैदा किया
Surah An-Naba, Verse 8
وَجَعَلۡنَا نَوۡمَكُمۡ سُبَاتٗا
और तुम्हारी नींद को थकन दूर करनेवाली बनाया
Surah An-Naba, Verse 9
وَجَعَلۡنَا ٱلَّيۡلَ لِبَاسٗا
रात को आवरण बनाया
Surah An-Naba, Verse 10
وَجَعَلۡنَا ٱلنَّهَارَ مَعَاشٗا
और दिन को जीवन-वृति के लिए बनाया
Surah An-Naba, Verse 11
وَبَنَيۡنَا فَوۡقَكُمۡ سَبۡعٗا شِدَادٗا
और तुम्हारे ऊपर सात सुदृढ़ आकाश निर्मित किए
Surah An-Naba, Verse 12
وَجَعَلۡنَا سِرَاجٗا وَهَّاجٗا
और एक तप्त और प्रकाशमान प्रदीप बनाया
Surah An-Naba, Verse 13
وَأَنزَلۡنَا مِنَ ٱلۡمُعۡصِرَٰتِ مَآءٗ ثَجَّاجٗا
और बरस पड़नेवाली घटाओं से हमने मूसलाधार पानी उतारा
Surah An-Naba, Verse 14
لِّنُخۡرِجَ بِهِۦ حَبّٗا وَنَبَاتٗا
ताकि हम उसके द्वारा अनाज और वनस्पति उत्पादित करें
Surah An-Naba, Verse 15
وَجَنَّـٰتٍ أَلۡفَافًا
और सघन बांग़ भी।
Surah An-Naba, Verse 16
إِنَّ يَوۡمَ ٱلۡفَصۡلِ كَانَ مِيقَٰتٗا
निस्संदेह फ़ैसले का दिन एक नियत समय है
Surah An-Naba, Verse 17
يَوۡمَ يُنفَخُ فِي ٱلصُّورِ فَتَأۡتُونَ أَفۡوَاجٗا
जिस दिन नरसिंघा में फूँक मारी जाएगी, तो तुम गिरोह को गिरोह चले आओगे।
Surah An-Naba, Verse 18
وَفُتِحَتِ ٱلسَّمَآءُ فَكَانَتۡ أَبۡوَٰبٗا
और आकाश खोल दिया जाएगा तो द्वार ही द्वार हो जाएँगे
Surah An-Naba, Verse 19
وَسُيِّرَتِ ٱلۡجِبَالُ فَكَانَتۡ سَرَابًا
और पहाड़ चलाए जाएँगे, तो वे बिल्कुल मरीचिका होकर रह जाएँगे
Surah An-Naba, Verse 20
إِنَّ جَهَنَّمَ كَانَتۡ مِرۡصَادٗا
वास्तव में जहन्नम एक घात-स्थल है
Surah An-Naba, Verse 21
لِّلطَّـٰغِينَ مَـَٔابٗا
सरकशों का ठिकाना है
Surah An-Naba, Verse 22
لَّـٰبِثِينَ فِيهَآ أَحۡقَابٗا
वस्तुस्थिति यह है कि वे उसमें मुद्दत पर मुद्दत बिताते रहेंगे
Surah An-Naba, Verse 23
لَّا يَذُوقُونَ فِيهَا بَرۡدٗا وَلَا شَرَابًا
वे उसमे न किसी शीतलता का मज़ा चखेगे और न किसी पेय का
Surah An-Naba, Verse 24
إِلَّا حَمِيمٗا وَغَسَّاقٗا
सिवाय खौलते पानी और बहती पीप-रक्त के
Surah An-Naba, Verse 25
جَزَآءٗ وِفَاقًا
यह बदले के रूप में उनके कर्मों के ठीक अनुकूल होगा
Surah An-Naba, Verse 26
إِنَّهُمۡ كَانُواْ لَا يَرۡجُونَ حِسَابٗا
वास्तव में किसी हिसाब की आशा न रखते थे
Surah An-Naba, Verse 27
وَكَذَّبُواْ بِـَٔايَٰتِنَا كِذَّابٗا
और उन्होंने हमारी आयतों को ख़ूब झुठलाया
Surah An-Naba, Verse 28
وَكُلَّ شَيۡءٍ أَحۡصَيۡنَٰهُ كِتَٰبٗا
और हमने हर चीज़ लिखकर गिन रखी है
Surah An-Naba, Verse 29
فَذُوقُواْ فَلَن نَّزِيدَكُمۡ إِلَّا عَذَابًا
अब चखो मज़ा कि यातना के अतिरिक्त हम तुम्हारे लिए किसी और चीज़ में बढ़ोत्तरी नहीं करेंगे।
Surah An-Naba, Verse 30
إِنَّ لِلۡمُتَّقِينَ مَفَازًا
निस्सदेह डर रखनेवालों के लिए एक बड़ी सफलता है
Surah An-Naba, Verse 31
حَدَآئِقَ وَأَعۡنَٰبٗا
बाग़ है और अंगूर
Surah An-Naba, Verse 32
وَكَوَاعِبَ أَتۡرَابٗا
और नवयौवना समान उम्रवाली
Surah An-Naba, Verse 33
وَكَأۡسٗا دِهَاقٗا
और छलक़ता जाम
Surah An-Naba, Verse 34
لَّا يَسۡمَعُونَ فِيهَا لَغۡوٗا وَلَا كِذَّـٰبٗا
वे उसमें न तो कोई व्यर्थ बात सुनेंगे और न कोई झुठलाने की बात
Surah An-Naba, Verse 35
جَزَآءٗ مِّن رَّبِّكَ عَطَآءً حِسَابٗا
यह तुम्हारे रब की ओर से बदला होगा, हिसाब के अनुसार प्रदत्त
Surah An-Naba, Verse 36
رَّبِّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا ٱلرَّحۡمَٰنِۖ لَا يَمۡلِكُونَ مِنۡهُ خِطَابٗا
वह आकाशों और धरती का और जो कुछ उनके बीच है सबका रब है, अत्यन्त कृपाशील है, उसके सामने बात करना उनके बस में नहीं होगा
Surah An-Naba, Verse 37
يَوۡمَ يَقُومُ ٱلرُّوحُ وَٱلۡمَلَـٰٓئِكَةُ صَفّٗاۖ لَّا يَتَكَلَّمُونَ إِلَّا مَنۡ أَذِنَ لَهُ ٱلرَّحۡمَٰنُ وَقَالَ صَوَابٗا
जिस दिन रूह और फ़रिश्ते पक्तिबद्ध खड़े होंगे, वे बोलेंगे नहीं, सिवाय उस व्यक्ति के जिसे रहमान अनुमति दे और जो ठीक बात कहे
Surah An-Naba, Verse 38
ذَٰلِكَ ٱلۡيَوۡمُ ٱلۡحَقُّۖ فَمَن شَآءَ ٱتَّخَذَ إِلَىٰ رَبِّهِۦ مَـَٔابًا
वह दिन सत्य है। अब जो कोई चाहे अपने रब की ओर रुज करे
Surah An-Naba, Verse 39
إِنَّآ أَنذَرۡنَٰكُمۡ عَذَابٗا قَرِيبٗا يَوۡمَ يَنظُرُ ٱلۡمَرۡءُ مَا قَدَّمَتۡ يَدَاهُ وَيَقُولُ ٱلۡكَافِرُ يَٰلَيۡتَنِي كُنتُ تُرَٰبَۢا
हमने तुम्हें निकट आ लगी यातना से सावधान कर दिया है। जिस दिन मनुष्य देख लेगा जो कुछ उसके हाथों ने आगे भेजा, और इनकार करनेवाला कहेगा, "ऐ काश! कि मैं मिट्टी होता
Surah An-Naba, Verse 40