Surah An-Naziat - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
وَٱلنَّـٰزِعَٰتِ غَرۡقٗا
गवाह है वे (हवाएँ) जो ज़ोर से उखाड़ फैंके
Surah An-Naziat, Verse 1
وَٱلنَّـٰشِطَٰتِ نَشۡطٗا
और गवाह है वे (हवाएँ) जो नर्मी के साथ चलें
Surah An-Naziat, Verse 2
وَٱلسَّـٰبِحَٰتِ سَبۡحٗا
और गवाह है वे जो वायुमंडल में तैरें
Surah An-Naziat, Verse 3
فَٱلسَّـٰبِقَٰتِ سَبۡقٗا
फिर एक-दूसरे से अग्रसर हों
Surah An-Naziat, Verse 4
فَٱلۡمُدَبِّرَٰتِ أَمۡرٗا
और मामले की तदबीर करें
Surah An-Naziat, Verse 5
يَوۡمَ تَرۡجُفُ ٱلرَّاجِفَةُ
जिस दिन हिला डालेगी हिला डालनेवाले घटना
Surah An-Naziat, Verse 6
تَتۡبَعُهَا ٱلرَّادِفَةُ
उसके पीछ घटित होगी दूसरी (घटना)
Surah An-Naziat, Verse 7
قُلُوبٞ يَوۡمَئِذٖ وَاجِفَةٌ
कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे
Surah An-Naziat, Verse 8
أَبۡصَٰرُهَا خَٰشِعَةٞ
उनकी निगाहें झुकी होंगी
Surah An-Naziat, Verse 9
يَقُولُونَ أَءِنَّا لَمَرۡدُودُونَ فِي ٱلۡحَافِرَةِ
वे कहते है, "क्या वास्तव में हम पहली हालत में फिर लौटाए जाएँगे
Surah An-Naziat, Verse 10
أَءِذَا كُنَّا عِظَٰمٗا نَّخِرَةٗ
क्या जब हम खोखली गलित हड्डियाँ हो चुके होंगे
Surah An-Naziat, Verse 11
قَالُواْ تِلۡكَ إِذٗا كَرَّةٌ خَاسِرَةٞ
वे कहते है, "तब तो लौटना बड़े ही घाटे का होगा।
Surah An-Naziat, Verse 12
فَإِنَّمَا هِيَ زَجۡرَةٞ وَٰحِدَةٞ
वह तो बस एक ही झिड़की होगी
Surah An-Naziat, Verse 13
فَإِذَا هُم بِٱلسَّاهِرَةِ
फिर क्या देखेंगे कि वे एक समतल मैदान में उपस्थित है
Surah An-Naziat, Verse 14
هَلۡ أَتَىٰكَ حَدِيثُ مُوسَىٰٓ
क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है
Surah An-Naziat, Verse 15
إِذۡ نَادَىٰهُ رَبُّهُۥ بِٱلۡوَادِ ٱلۡمُقَدَّسِ طُوًى
जबकि उसके रब ने पवित्र घाटी 'तुवा' में उसे पुकारा था
Surah An-Naziat, Verse 16
ٱذۡهَبۡ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ إِنَّهُۥ طَغَىٰ
कि "फ़िरऔन के पास जाओ, उसने बहुत सिर उठा रखा है
Surah An-Naziat, Verse 17
فَقُلۡ هَل لَّكَ إِلَىٰٓ أَن تَزَكَّىٰ
और कहो, क्या तू यह चाहता है कि स्वयं को पाक-साफ़ कर ले
Surah An-Naziat, Verse 18
وَأَهۡدِيَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخۡشَىٰ
और मैं तेरे रब की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ कि तु (उससे) डरे
Surah An-Naziat, Verse 19
فَأَرَىٰهُ ٱلۡأٓيَةَ ٱلۡكُبۡرَىٰ
फिर उसने (मूसा ने) उसको बड़ी निशानी दिखाई
Surah An-Naziat, Verse 20
فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ
किन्तु उसने झुठला दिया और कहा न माना
Surah An-Naziat, Verse 21
ثُمَّ أَدۡبَرَ يَسۡعَىٰ
फिर सक्रियता दिखाते हुए पलटा
Surah An-Naziat, Verse 22
فَحَشَرَ فَنَادَىٰ
फिर (लोगों को) एकत्र किया और पुकारकर कहा
Surah An-Naziat, Verse 23
فَقَالَ أَنَا۠ رَبُّكُمُ ٱلۡأَعۡلَىٰ
मैं तुम्हारा उच्चकोटि का स्वामी हूँ
Surah An-Naziat, Verse 24
فَأَخَذَهُ ٱللَّهُ نَكَالَ ٱلۡأٓخِرَةِ وَٱلۡأُولَىٰٓ
अन्ततः अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की शिक्षाप्रद यातना में पकड़ लिया
Surah An-Naziat, Verse 25
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَعِبۡرَةٗ لِّمَن يَخۡشَىٰٓ
निस्संदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए बड़ी शिक्षा है जो डरे
Surah An-Naziat, Verse 26
ءَأَنتُمۡ أَشَدُّ خَلۡقًا أَمِ ٱلسَّمَآءُۚ بَنَىٰهَا
क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया
Surah An-Naziat, Verse 27
رَفَعَ سَمۡكَهَا فَسَوَّىٰهَا
उसकी ऊँचाई को ख़ूब ऊँचा करके उसे ठीक-ठाक किया
Surah An-Naziat, Verse 28
وَأَغۡطَشَ لَيۡلَهَا وَأَخۡرَجَ ضُحَىٰهَا
और उसकी रात को अन्धकारमय बनाया और उसका दिवस-प्रकाश प्रकट किया
Surah An-Naziat, Verse 29
وَٱلۡأَرۡضَ بَعۡدَ ذَٰلِكَ دَحَىٰهَآ
और धरती को देखो! इसके पश्चात उसे फैलाया
Surah An-Naziat, Verse 30
أَخۡرَجَ مِنۡهَا مَآءَهَا وَمَرۡعَىٰهَا
उसमें से उसका पानी और उसका चारा निकाला
Surah An-Naziat, Verse 31
وَٱلۡجِبَالَ أَرۡسَىٰهَا
और पहाड़ो को देखो! उन्हें उस (धरती) में जमा दिया
Surah An-Naziat, Verse 32
مَتَٰعٗا لَّكُمۡ وَلِأَنۡعَٰمِكُمۡ
तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए जीवन-सामग्री के रूप में
Surah An-Naziat, Verse 33
فَإِذَا جَآءَتِ ٱلطَّآمَّةُ ٱلۡكُبۡرَىٰ
फिर जब वह महाविपदा आएगी
Surah An-Naziat, Verse 34
يَوۡمَ يَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَٰنُ مَا سَعَىٰ
उस दिन मनुष्य जो कुछ भी उसने प्रयास किया होगा उसे याद करेगा
Surah An-Naziat, Verse 35
وَبُرِّزَتِ ٱلۡجَحِيمُ لِمَن يَرَىٰ
और भड़कती आग (जहन्नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी
Surah An-Naziat, Verse 36
فَأَمَّا مَن طَغَىٰ
तो जिस किसी ने सरकशी की
Surah An-Naziat, Verse 37
وَءَاثَرَ ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَا
और सांसारिक जीवन को प्राथमिकता दो होगी
Surah An-Naziat, Verse 38
فَإِنَّ ٱلۡجَحِيمَ هِيَ ٱلۡمَأۡوَىٰ
तो निस्संदेह भड़कती आग ही उसका ठिकाना है
Surah An-Naziat, Verse 39
وَأَمَّا مَنۡ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِۦ وَنَهَى ٱلنَّفۡسَ عَنِ ٱلۡهَوَىٰ
और रहा वह व्यक्ति जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और अपने जी को बुरी इच्छा से रोका
Surah An-Naziat, Verse 40
فَإِنَّ ٱلۡجَنَّةَ هِيَ ٱلۡمَأۡوَىٰ
तो जन्नत ही उसका ठिकाना है
Surah An-Naziat, Verse 41
يَسۡـَٔلُونَكَ عَنِ ٱلسَّاعَةِ أَيَّانَ مُرۡسَىٰهَا
वे तुमसे उस घड़ी के विषय में पूछते है कि वह कब आकर ठहरेगी
Surah An-Naziat, Verse 42
فِيمَ أَنتَ مِن ذِكۡرَىٰهَآ
उसके बयान करने से तुम्हारा क्या सम्बन्ध
Surah An-Naziat, Verse 43
إِلَىٰ رَبِّكَ مُنتَهَىٰهَآ
उसकी अन्तिम पहुँच तो तेरे से ही सम्बन्ध रखती है
Surah An-Naziat, Verse 44
إِنَّمَآ أَنتَ مُنذِرُ مَن يَخۡشَىٰهَا
तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे
Surah An-Naziat, Verse 45
كَأَنَّهُمۡ يَوۡمَ يَرَوۡنَهَا لَمۡ يَلۡبَثُوٓاْ إِلَّا عَشِيَّةً أَوۡ ضُحَىٰهَا
जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे है
Surah An-Naziat, Verse 46