Surah Ad-Dhuha - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
وَٱلضُّحَىٰ
शपथ है दिन चढ़े की
Surah Ad-Dhuha, Verse 1
وَٱلَّيۡلِ إِذَا سَجَىٰ
और शपथ है रात्रि की, जब उसका सन्नाटा छा जाये
Surah Ad-Dhuha, Verse 2
مَا وَدَّعَكَ رَبُّكَ وَمَا قَلَىٰ
(हे नबी!) तेरे पालनहार ने तुझे न तो छोड़ा और ने ही विमुख हुआ।
Surah Ad-Dhuha, Verse 3
وَلَلۡأٓخِرَةُ خَيۡرٞ لَّكَ مِنَ ٱلۡأُولَىٰ
और निश्चय ही आगामी युग तेरे लिए प्रथम युग से उत्तम है।
Surah Ad-Dhuha, Verse 4
وَلَسَوۡفَ يُعۡطِيكَ رَبُّكَ فَتَرۡضَىٰٓ
और तेरा पालनहार तुझे इतना देगा कि तू प्रसन्न हो जायेगा।
Surah Ad-Dhuha, Verse 5
أَلَمۡ يَجِدۡكَ يَتِيمٗا فَـَٔاوَىٰ
क्या उसने तुझे अनाथ पाकर शरण नहीं दी
Surah Ad-Dhuha, Verse 6
وَوَجَدَكَ ضَآلّٗا فَهَدَىٰ
और तुझे पथ भूला हुआ पाया, तो सीधा मार्ग नहीं दिखाया
Surah Ad-Dhuha, Verse 7
وَوَجَدَكَ عَآئِلٗا فَأَغۡنَىٰ
और निर्धन पाया, तो धनी नहीं कर दिया
Surah Ad-Dhuha, Verse 8
فَأَمَّا ٱلۡيَتِيمَ فَلَا تَقۡهَرۡ
तो तुम अनाथ पर क्रोध न करना।
Surah Ad-Dhuha, Verse 9
وَأَمَّا ٱلسَّآئِلَ فَلَا تَنۡهَرۡ
और माँगने वाले को न झिड़कना।
Surah Ad-Dhuha, Verse 10
وَأَمَّا بِنِعۡمَةِ رَبِّكَ فَحَدِّثۡ
और अपने पालनहार के उपकार का वर्णन करना।
Surah Ad-Dhuha, Verse 11